HBSE Class 9 Sanskrit Question Paper 2024 Answer Key

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HBSE Class 9 Sanskrit Question Paper 2024 Answer Key

खण्डः ‘क’ (अपठित-अवबोधनम्)

1. अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं संस्कृतेन लिखत –
भारतवर्षे षड् ऋतवः सन्ति। तेषु वसन्तः ऋतुराजः कथ्यते। वसन्ते द्वौ प्रमुखौ उत्सवौ भवतः, वसन्तोत्सवः होलिकोत्सवः च। वसन्तोत्सवे सर्वत्र उत्सवो भवति। होलिकोत्सवः फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां भवति। सर्वे जनाः द्वेषं विस्मृत्य परस्परं मिलन्ति।
(अ) एकपदेन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयम्)- (2 × 1 = 2 अंक)
(i) भारते कति ऋतवः भवन्ति?
उत्तर – षड्

(ii) कः ऋतुराजः कथ्यते?
उत्तर – वसन्तः

(iii) किं विस्मृत्य सर्वे परस्परं मिलन्ति?
उत्तर – द्वेषं

(ब) पूर्णवाक्येन उत्तरत (केवलं प्रश्नद्वयम्)- (2 × 2 = 4 अंक)
(i) वसन्ते द्वौ प्रमुखोत्सवी कौ भवतः?
उत्तर – वसन्ते द्वौ प्रमुखौ उत्सवौ भवतः, वसन्तोत्सवः होलिकोत्सवः च।

(ii) वसन्तोत्सवे सर्वत्र किं भवति?
उत्तर – वसन्तोत्सवे सर्वत्र उत्सवो भवति।

(iii) होलिकोत्सवः कदा भवति?
उत्तर – होलिकोत्सवः फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायां भवति।

(स) अस्य अनुच्छेदस्य कृते उपयुक्तं शीर्षकं संस्कृतेन लिखत। (1 अंक)
उत्तर – वसन्तः ऋतुराजः

(द) यथानिर्देशम् उत्तरत (केवलं प्रश्नन्त्रयम्)- (3 × 1 = 3 अंक)
(क) ‘वसन्तोत्सवः’ इत्यस्य सन्धिच्छेदो भवति –
(i) वसन्तः + उत्सवः
(ii) वसन्त् + उत्सवः
(iii) वसन्त + उत्सवः
(iv) वसन्ते + उत्सवः
उत्तर – (iii) वसन्त + उत्सवः

(ख) ‘भवति’ इति पदे कः लकारो वर्तते?
(i) लट् लकारः
(ii) लोट् लकारः
(iii) लृट् लकारः
(iv) विधिलिङ्ग लकारः
उत्तर – (i) लट् लकारः

(ग) ‘षड् ऋतवः’ इत्यत्र विशेषणपदमस्ति –
(i) षड्
(ii) षड्ऋतवः
(iii) ऋतवः
(iv) ऋतुः
उत्तर – (i) षड्

(घ) ‘वसन्तस्य’ इति पदे विभक्तिः अस्ति –
(i) पंचमी
(ii) चतुर्थी
(iii) षष्ठी
(iv) सप्तमी
उत्तर – (iii) षष्ठी

खण्डः ‘ख’ (रचनात्मक-कार्यम्)

2. (क) भवतः नाम वर्चस्वः। रुग्णतावशात् अवकाशार्थं प्राचार्य प्रति लिखितं पत्रं मञ्जूषापदैः पूरयत- (5 अंक)
परीक्षाभवनम्
तिथि 23-3-2024
सेवायाम्
(1) ………. महोदयाः
रा० व० मा० विद्यालयः,
देहली।
श्रीमन्तः
सविनयं (2) ……..…अस्ति यद् अहं दिनद्वयात् (3) ………….. अस्मि। अस्मात् अद्य (4) …………. आगन्तुं न शक्नोमि। कृपया दिन-द्वयस्य अवकाशं (5) …………… अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
मञ्जूषा – (विद्यालयम्, निवेदनम्, प्रदाय, रुग्णः, प्राचार्याः)
उत्तर – (1) प्राचार्याः, (2) निवेदनम्, (3) रुग्णः, (4) विद्यालयम्, (5) प्रदाय

(ख) निर्दिष्टचित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषायां प्रदत्तशब्दैः उचितरिक्तस्थानानि पूरयित्वा लिखत- (5 अंक)

(i) ………….. हलं कर्षति।
(ii) अस्माकं देशः …………. अस्ति।
(iii) कृषकः …………. प्राक् उत्तिष्ठति।
(iv) वृषभौ हलं च कृषकस्य ………… सन्ति।
(v) कृषकः ………… बीजानि वपति।
मञ्जूषा – (कृषिप्रधानः, क्षेत्रेषु, कृषकः, सूर्योदयात्, उपकरणानि)
उत्तर – (i) कृषकः, (ii) कृषिप्रधानः, (ii) सूर्योदयात्, (iv) उपकरणानि, (v) क्षेत्रेषु

खण्डः ‘ग’ (पठित-अवबोधनम्)

3. निम्नलिखितं गद्यांशं पठित्त्वा हिन्दीभाषया सप्रसङ्गसरलार्थं लिखत- (4 अंक)
(क) पुरा कस्मिंश्चिद् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। तस्याः च एका दुहिता विनम्रा मनोहरा चासीत्। एकदा माता स्थाल्यां तण्डुलान् निक्षिप्य पुत्रीम् आदिशत् “सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष।” किञ्चिद् कालादनन्तरम् एकः विचित्रः काकः समुड्डीय तस्याः समीपम् आगच्छत्।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृति की पाठ्य-पुस्तक ‘शेमुषी प्रथमो भागः’ में संकलित पाठ ‘स्वर्णकाकः’ से लिया गया है। यहां एक विचित्र कौवे का लड़की के समीप जाने का वर्णन किया गया है।
सरलार्थ – पुराने समय की बात है कि किसी गाँव में एक निर्धन वृद्धा स्त्री रहती थी। उसकी एक बेटी थी, जो विनम्र और सुंदर थी। एक दिन, माँ ने एक बर्तन में चावल डालकर अपनी बेटी से कहा, “सूरज की धूप में चावल को पक्षियों से बचाकर रखना।” कुछ समय बाद, एक विचित्र कौवा उड़कर उसके पास आया।

अथवा

(ख) परन्तु स्वार्थान्थो मानवः तदेव पर्यावरणम् अद्य नाशयति। स्वल्पलाभाय जनाः बहुमूल्यानि वस्तूनि नाशयन्ति। जनाः यन्त्रागाराणां विषाक्तं जलं नद्यां निपातयन्ति। तेन मत्स्यादीनां जलचराणां च क्षणेनैव नाशो भवति। नदीजलमपि तत्सर्वथाऽपेयं जायते।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी संस्कृति की पाठ्य-पुस्तक ‘शेमुषी प्रथमो भागः’ में संकलित पाठ ‘पर्यावरणम्’ से लिया गया है। इस गद्यांश मे बताया गया है की किस प्रकार स्वार्थ में अंधा मनुष्य पर्यावरण को आज नष्ट कर रहा है।
सरलार्थ – किंतु स्वार्थ में अंधा हुआ मनुष्य उसी पर्यावरण को आज नष्ट कर रहा है। थोड़े से लाभ के लिए लोग वस्तुओं को नष्ट कर रहे हैं। कारखानों का विषैला जल नदियों में गिराया जा रहा है, जिससे मछली आदि जलचरों का क्षणभर में ही नाश हो जाता है। नदियों का पानी भी हर प्रकार से न पीने योग्य हो जाता है।

4. अधोलिखितश्लोकस्य हिन्दीभाषया सप्रसङ्गसरलार्थं लिखत- (4 अंक)
(क) पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः,
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभूतयः।।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृति की पाठ्य-पुस्तक ‘शेमुषी प्रथमो भागः’ में संकलित पाठ ‘सूक्तिमौक्तिकम्’ से लिया गया है। इसमें बताया गया है कि सज्जनों की संपत्तियां दूसरों के कल्याण के लिए होती है।
सरलार्थ – नदियाँ अपना पानी स्वयं नहीं पीतीं, वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते, बादल अपनी उत्पन्न की हुई फसल स्वयं नहीं खाते, सज्जन पुरुषों की संपत्तियाँ परोपकार के लिए होती हैं। यह श्लोक सिखाता है कि जैसे प्राकृतिक तत्व अपने संसाधनों का उपयोग स्वयं नहीं करते, बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करते हैं, वैसे ही महान और सज्जन व्यक्ति अपनी संपत्ति और योग्यताओं का उपयोग परोपकार के लिए करते हैं। यह हमें निःस्वार्थ सेवा और दूसरों की भलाई के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करने की प्रेरणा देता है।

अथवा

(ख) निवर्तय मतिं नीचां परदाराभिमर्शनात्।
न तत्समाचरेद्धीरो यत्परोऽस्य विगर्हयेत्।।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृति की पाठ्य-पुस्तक ‘शेमुषी प्रथमो भागः’ में संकलित पाठ ‘जटायोः शौर्यम्’ से लिया गया है।
सरलार्थ – पराई नारी के स्पर्शदोष से तुम अपनी नीच बुद्धि को हटा लो, क्योंकि बुद्धिमान (धैर्यशाली) मनुष्य को वह आचरण नहीं करना चाहिए, जिससे कि दूसरे लोग उसकी निंदा करें।

5. अधोलिखितासु सूक्तिषु मात्र द्वयोः सूक्त्योः भावार्थं हिन्दीभाषया लिखत- (2 × 2 = 4 अंक)
(क) आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।
उत्तर – जो व्यवहार हमें अपने लिए अनुचित लगता है, वैसा व्यवहार दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए।

(ख) सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष।
उत्तर – सूर्य की गर्मी में पक्षियों से चावल की रक्षा करो।

(ग) निनादय नवीनामये वाणि ! वीणाम्।
उत्तर – हे वाणी! नई वीणा में ध्वनि उत्पन्न करो।

अथवा

अधोलिखितश्लोकस्य अन्वयं मञ्जूषातः उचित पदानि चित्वा पूरंयत –
श्रूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।
धर्मसर्वस्वं (1) …………… श्रुत्वा च एव (2) ………..
आत्मनः (3) ………….. परेषां न (4) …………
मञ्जूषा – (अवधार्यताम्, समाचरेत्, श्रूयताम्, प्रतिकूलानि)
उत्तर – (1) श्रूयताम्, (2) अवधार्यताम्, (3) प्रतिकूलानि, (4) समाचरेत्

6. अधः प्रदत्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतेन पूर्णवाक्येन लिखत (केवलं प्रश्नत्रयम्)- (3 × 1 = 3 अंक)
अस्ति हिमवान् नाम सर्वरत्नभूमिः नगेन्द्रः। तस्य सानोः उपरि विभाति कञ्चनपुरं नाम नगरम्। तत्र जीमूतकेतुः इति श्रीमान् विद्याधरपतिः वसति स्म।
प्रश्नाः
(क) किं नाम नगेन्द्रः अस्ति?
उत्तर – हिमवान् नाम सर्वरत्नभूमिः नगेन्द्रः अस्ति।

(ख) कञ्चनपुरं नाम नगरं कुत्र विभाति?
उत्तर – कञ्चनपुरं नाम नगरं सानोः उपरि विभाति।

(ग) नगरे कः वसति स्म?
उत्तर – नगरे जीमूतकेतुः इति श्रीमान् विद्याधरपतिः वसति स्म।

(घ) नगेन्द्रः कीदृशः अस्ति?
उत्तर – नगेन्द्र : सर्वरत्नभूमिः अस्ति।

7. निम्नलिखितश्लोकं पठित्त्वा प्रदत्तप्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतेन पूर्णवाक्येन लिखत (केवलं प्रश्नद्वयम्)- (2 × 1 = 2 अंक)
गुणा गुणज्ञेशु गुणा भवन्ति,
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।
आस्वाद्यतोयाः प्रवहन्ति नद्यः,
समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः।।
प्रश्नाः
(क) गुणाः केषु गुणाः भवन्ति?
उत्तर – गुणा: गुणज्ञेशु गुणा: भवन्ति।

(ख) गुणाः कदा दोषाः भवन्ति?
उत्तर – गुणाः निर्गुणं प्राप्य दोषाः भवन्ति ।

(ग) कीदृशः नद्यः प्रवहन्ति?
उत्तर – आस्वाद्यतोयाः नद्यः प्रवहन्ति।

8. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य कोष्ठकात् चित्वा प्रश्ननिर्माणं कुरुत (केवलं प्रश्नत्रयम्)- (3 × 1 = 3 अंक)
(क) सूर्योदयात् पूर्वमेव बालिका तत्रोपस्थिता। (कस्मात्, किम्)
उत्तर – कस्मात्

(ख) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति। (कः, केषाम्)
उत्तर – केषाम्

(ग) पर्यावरणरक्षणं धर्मस्य अङ्गम् अस्ति। (कस्य, कस्मिन्)
उत्तर – कस्य

(घ) तुला मूषकैः भक्षिता आसीत्। (कुत्र, कैः)
उत्तर – कैः

9. प्रश्नपत्रे लिखित श्लोकान् विहाय ‘शेमुषी भाग-1 ‘पुस्तकाद् एकं श्लोकं संस्कृतभाषया लिखत। (4 अंक)
उत्तर – प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्माद् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।
सरलार्थ – प्रिय वचन बोलने से सब प्राणी प्रसन्न होते हैं तो हमें हमेशा मीठा ही बोलना चाहिए। मीठे वचन बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए।

खण्डः ‘घ’ (अनुप्रयुक्त-व्याकरणम्)

10. (क) दीर्घसन्धेः अथवा व्यंजनसन्थेः परिभाषां हिन्दीभाषया उदाहरणञ्च संस्कृतभाषया लिखत। (2 अंक)
उत्तर : दीर्घ संधि – ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं। जैसे- संग्रह + आलय = संग्रहालय।

• व्यंजन संधि – व्यंजन का स्वर या व्यंजन से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे: अभी + सेक = अभिषेक

(ख) कर्मधारयसमासस्य अथवा द्वन्द्वसमासस्य परिभाषां हिन्दीभाषया उदाहरणञ्च संस्कृतभाषया लिखत। (2 अंक)
उत्तर : कर्मधारय समास – जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो, वह कर्मधारय समास कहलाता है। उदाहरण : नीलकमल (नीला है जो कमल), विद्याधन (विद्या रूपी धन)

• द्वन्द्व समास – जिस समास में प्रथम और द्वितीय दोनों पद प्रधान होते हैं उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। जैसे- आजकल = आज और कल

(ग) कर्मकारकस्य अथवा सम्प्रदानकारकस्य परिभाषां हिन्दीभाषया उदाहरणञ्च संस्कृतभाषया लिखत। (2 अंक)
उत्तर : कर्मकारक – कर्ता के द्वारा संपादित क्रिया या किए हुए काम का प्रभाव जिस व्यक्ति या वस्तु पर पड़े उसे कर्म कारक कहते है। कर्म कारक का चिन्ह ‘को’ है। जैसे- राम ने रावण को मारा। यहाँ ‘रावण को’ कर्म है।

• सम्प्रदानकारक – वाक्य में प्रयुक्त कर्ता जिसके लिए कोई क्रिया करे, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। सम्प्रदान कारक के विभक्ति चिन्ह ‘के लिए’ या ‘को’ हैं। जैसे- पुत्र को धन दिया। इसमें पुत्र सम्प्रदान कारक है और को (के लिए) इसका चिह्न है।

11. यथानिर्दिष्ट-शब्दरूपाणि लिखत (केवलं प्रश्नचतुष्ट्यम्)- (4 × 1 = 4 अंक)
(क) ‘बालक’ शब्दस्य प्रथमा – एकवचने।
उत्तर – बालक:

(ख) ‘राम’ शब्दस्य सप्तमी – बहुवचने।
उत्तर – रामेषु

(ग) ‘रमा’ शब्दस्य प्रथमा – बहुवचने।
उत्तर – रमा:

(घ) ‘किम्’ (पु०) शब्दस्य द्वितीया – एकवचने।
उत्तर – कम्

(ङ) ‘मुनि’ शब्दस्य तृतीया – एकवचने।
उत्तर – मुनिना

(च) ‘देव’ शब्दस्य द्वितीया – एकवचने।
उत्तर – देवम्

12. यथानिर्दिष्टं धातुरूपाणि लिखत (केवलं प्रश्नचतुष्ट्यम्)- (4 × 1 = 4 अंक)
(क) ‘गम्’ धातोः लोट् लकारस्य प्रथमपुरुष – एकवचने।
उत्तर – गच्छतु

(ख) ‘पठ्’ धातोः लट् लकारस्य उत्तमपुरुष – बहुवचने।
उत्तर – पठाम:

(ग) ‘भू’ धातोः लृट् लकारस्य मध्यमपुरुष – एकवचने।
उत्तर – भविष्यसि

(घ) ‘पा’ (पिब्) धातोः लृट् लकारस्य प्रथमपुरुष – द्विवचने।
उत्तर – पास्यतः

(ङ) ‘चल्’ धातोः विधिलिङ्ग लकारस्य उत्तमपुरुष – एकवचने।
उत्तर – चलेयम्

(च) ‘लिख्’ धातोः लट् लकारस्य मध्यमपुरुष – बहुवचने।
उत्तर – लिखथ

13. प्रदत्तोपपदविभक्तिषु उचितविभक्तिं कोष्ठकात् चित्वा लिखत (केवलं प्रश्नचतुष्टयम्)- (4 × 1 = 4 अंक)
(क) स्वस्ति ………… (प्रजाः, प्रजायै)
उत्तर – प्रजाः

(ख) ………….. पत्राणि पतन्ति। (वृक्ष, वृक्षात्)
उत्तर – वृक्षात्

(ग) मोहनः …………… काणः अस्ति। (नेत्राभ्याम्, नेत्रेण)
उत्तर – नेत्रेण

(घ) अलम् …………..। (विवादेन, विवादाय)
उत्तर – विवादेन

(ङ) ………….. परितः वृक्षाः सन्ति। (ग्रामं, ग्रामात्)
उत्तर – ग्रामं

14. निम्नक्रियापदेभ्यः उपसर्गान् पृथक् कृत्वा लिखत (केवलं प्रश्नद्वयम्)- (2 × 1 = 2 अंक)
(क) प्रविशति
उत्तर – प्र

(ख) विक्रीय
उत्तर – वि

(ग) निर्गुणम्
उत्तर – निर्

खण्डः ‘ङ’ (पाठाधारिताः बहुविकल्पीयाः प्रश्नाः)

15. बहुविकल्पीयाः प्रश्नाः – (16 अंक)
(क) ‘पर + उपकारः’ इत्यत्र किं सन्धिपदम्?
(i) परुपकारः
(ii) परापकारः
(iii) परोपकारः
(iv) परेपकारः
उत्तर – (iii) परोपकारः

(ख) ‘स्नानार्थम्’ इत्यत्र कः सन्धिविच्छेदः?
(i) स्ना + अर्थम्
(ii) स्थानेन + अर्थम्
(iii) स्न + अर्थम्
(iv) स्नान + अर्थम्
उत्तर – (iv) स्नान + अर्थम्

(ग) ‘पंचानां वटानां समाहारः’ इत्यत्र समस्तपदम् –
(i) पञ्चवटी
(ii) पंचवट
(iii) पंचवटस्य
(iv) पंचवटाय
उत्तर – (i) पञ्चवटी

(घ) ‘मातापितरौ’ इत्यस्मिन् पदे कः समासः?
(i) द्विगुः
(ii) द्वन्द्वः
(iii) तत्पुरुषः
(iv) बहुव्रीहिः
उत्तर – (ii) द्वन्द्वः

(ङ) ‘प्राचीनम्’ इत्यस्य विलोमपदं किम्?
(i) नवीनम्
(ii) प्राचीरम्
(iii) अधिकम्
(iv) न्यूनम्
उत्तर – (i) नवीनम्

(च) ‘सूर्यास्तः’ इत्यस्य विलोमपदम् –
(i) सूर्याय
(ii) सूर्यस्तः
(iii) सूर्योदयः
(iv) सूर्याय अस्तः
उत्तर – (iii) सूर्योदयः

(छ) ‘भूपतिः’ इत्यस्य पर्यायपदं किम्?
(i) शत्रुः
(ii) कपिलः
(iii) नृपः
(iv) अश्वः
उत्तर – (iii) नृपः

(ज) ‘पवनः’ इत्यस्य पर्यायपदं किम्?
(i) वाणी
(ii) रसालः
(iii) गगनः
(iv) समीरः
उत्तर – (iv) समीरः

(झ) ‘रुद् + तुमुन्’ इत्यनयोः प्रकृतिप्रत्यययोगेन रूपं भवति –
(i) रोदतुम्
(ii) रोतुम्
(iii) रुदितुम्
(iv) रोदितुम्
उत्तर – (iv) रोदितुम्

(ञ) ‘दृष्ट्वा’ इत्यत्र प्रत्ययः अस्ति –
(i) दृश् + क्त्वा
(ii) दृश् + त्या
(iii) द्रस् + क्त्वा
(iv) दृश् + तुम्
उत्तर – (i) दृश् + क्त्वा

(ट) ‘पञ्चाशत्’ इत्यस्मिन् पदे का संख्या?
(i) 95
(ii) 85
(iii) 50
(iv) 45
उत्तर – (iii) 50

(ठ) ’20’ इति संस्कृतसंख्यापदं भवति –
(i) दश
(ii) द्वादश
(iii) त्रिंशत्
(iv) विंशतिः
उत्तर – (iv) विंशतिः

(ड) ‘गुणयुक्तः दरिद्रः’ इत्यत्र किं विशेष्यपदम्?
(i) गुणी
(ii) दरिद्रः
(iii) युक्तः
(iv) गुणयुक्तः
उत्तर – (ii) दरिद्रः

(ढ) ‘अनश्वरः परोपकारः’ अत्र विशेषणपदम्?
(i) अनश्वरः
(ii) परोपकारः
(iii) नाश्वरम्
(iv) आश्वरः
उत्तर – (i) अनश्वरः

(ण) घटिकां दृष्ट्वा समयेन रिक्तस्थानं संस्कृतपदेन पूरयत –
रामः प्रातः …………. वादने उत्तिष्ठति।

(i) द्वादश
(ii) त्रयः
(iii) सप्त
(iv) पञ्च
उत्तर – (iv) पञ्च

(त) अहं प्रातः ……………. भ्रमणाय गच्छामि।

(i) चतुर्वादने
(ii) त्रिवादने
(iii) षड्‌वादने
(iv) दशवादने
उत्तर – (iii) षड्‌वादने

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