HBSE Class 12 History Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

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HBSE Class 12 History Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

Section – A (1 Mark)

1. “सिंधुवासियों की सामाजिक प्रणाली मिश्र तथा बेबीलोन के लोगों की सामाजिक प्रणाली से कहीं श्रेष्ठ थी।” ये किसके शब्द हैं?
(a) एन०एन० घोष
(b) एस०आर० शर्मा
(c) आर०पी० त्रिपाठी
(d) वी०ए० स्मिथ
उत्तर – (b) एस०आर० शर्मा

2. मैगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा :
(a) 300 ई०पू० से 295 ई०पू० तक
(b) 302 ई०पू० से 298 ई०पू० तक
(c) 305 ई०पू० से 298 ई०पू० तक
(d) 302 ई०पू० से 297 ई०पू० तक
उत्तर – (b) 302 ई०पू० से 298 ई०पू० तक

3. ‘मृच्छकटिकम’ नाटक का लेखक कौन था?
(a) मनु
(b) पाणिनि
(c) शूद्रक
(d) एकलव्य
उत्तर – (c) शूद्रक

4. बर्नियर किसके दरबार में चिकित्सक बनकर रहा?
(a) बाबर
(b) दारा शिकोह
(c) अकबर
(d) औरंगज़ेब
उत्तर – (b) दारा शिकोह

5. यूनेस्को द्वारा हम्पी को विश्व विरासत में कब शामिल किया गया?
(a) 1960 ई० में
(b) 1976 ई० में
(c) 1968 ई० में
(d) 1986 ई० में
उत्तर – (d) 1986 ई० में

6. महात्मा गाँधी जी ने किन प्रस्तावों को ‘असफल हो रहे बैंक का उत्तर तिथीय चैक’ बताया?
(a) कैबिनेट मिशन प्रस्ताव को
(b) वेवल प्रस्ताव को
(c) क्रिप्स प्रस्ताव को
(d) सी०आर० प्रस्ताव को
उत्तर – (c) क्रिप्स प्रस्ताव को

7. महायान का संबंध किस धर्म से है?
(a) जैन धर्म
(b) बौध धर्म
(c) शैव धर्म
(d) वैष्णव धर्म
उत्तर – (b) बौध धर्म

8. ‘डंका शाह’ के नाम से कौन प्रसिद्ध था?
(a) शाहमल
(b) नाना साहब
(c) कुंवर सिंह
(d) मौलवी अहमदुल्ला शाह
उत्तर – (d) मौलवी अहमदुल्ला शाह

9. मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर – मृतकों का टीला

10. ‘लिच्छिवी दौहित्र’ कौन था?
उत्तर – समुद्रगुप्त को लिच्छवि दौहित्र कहते थे।

11. “मैं देश की बालू से ही काँग्रेस से बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूँगा” ये शब्द किसने कहे?
उत्तर – महात्मा गांधी

12. अल-बिरूनी की पुस्तक ‘किताब-उल-हिंद’ की भाषा कौन-सी है?
उत्तर – अरबी

13. सूर्यास्त विधि से क्या तात्पर्य था?
उत्तर – जमींदारों को निश्चित राशि एक निश्चित समय को सूर्यास्त के पहले चुका देनी पड़ती थी नहीं तो उनकी जमीन नीलाम कर दी जाती थी।

14. ‘बीजक’ …………. की रचना है।
उत्तर – कबीर

15. धर्म-ग्रंथों में विवाह के ……….. प्रकार हैं।
उत्तर – आठ

16. जैन धर्म के अनुसार जन्म और पुनर्जन्म का चक्र …………… के द्वारा निर्धारित होता है।
उत्तर – कर्म

17. ‘स्वराज पार्टी’ का गठन …………. ने किया था।
उत्तर – मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास

18. सामान्य सेवा भर्ती अधिनियम ………….. में बनाया गया था।
उत्तर – 1856 ई०

19. अभिकथन (A) : वैष्णव परंपरा की जीवनियों में कबीर को जन्म से हिंदू कबीरदास बताया गया है।
कारण (R) : कबीर का पालन गरीब मुसलमान परिवार में हुआ, जो जुलाहे थे।
(a) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं परन्तु कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन (A) सही है परन्तु कारण (R) सही नहीं है।
(d) कारण (R) सही है परन्तु अभिकथन (A) सही नहीं है।
उत्तर – (a) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है।

20. अभिकथन (A) : मानसून भारतीय कृषि की रीढ़ था, परन्तु सिंचाई के कृत्रिम उपाय भी बनाने पड़े।
कारण (R) : कुछ ऐसी फसलें भी थीं जिनके लिए अतिरिक्त पानी की जरूरत थी।
(a) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं परन्तु कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन (A) सही है परन्तु कारण (R) सही नहीं है।
(d) कारण (R) सही है परन्तु अभिकथन (A) सही नहीं है।
उत्तर – (a) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है।

21. अभिकथन (A) : संविधान के मसविदे में विषयों की तीन सूचियाँ बनाई गयी थीं- केंद्रीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।
कारण (R) : समवर्ती सूची के अंतर्गत आने वाले विषयों पर केवल केन्द्र सरकार कानून बना सकती है।
(a) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं परन्तु कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन (A) सही है परन्तु कारण (R) सही नहीं है।
(d) कारण (R) सही है परन्तु अभिकथन (A) सही नहीं है।
उत्तर – (c) अभिकथन (A) सही है परन्तु कारण (R) सही नहीं है।

Section – B (3 Marks)

22. मनुस्मृति के अनुसार स्त्रीधन क्या था?
उत्तर – वह धन जो स्त्री को विवाह से पहले अपने पिता, माता, पति या भाई से प्रेम और स्नेह से प्राप्त होता है। विवाह के समय अग्नि की उपस्थिति में दुल्हन को उसके मामा और रिश्तेदार आदि द्वारा दिया गया धन। वह धन जो पति के द्वारा विवाह के बाद प्राप्त होता है।

23. स्तूप क्यों बनाए जाते थे? चर्चा कीजिए।
उत्तर – स्तूप, बौद्ध धर्म से जुड़ा एक स्मारक है। स्तूप को बौध्य धर्मावलंबी एक पवित्र स्थान मानते है। जिन स्थानों पर बौधिसत्वों एवं बुद्ध से जुड़े कुछ अवशेष जैसे उनकी अस्थियाँ या उनके द्वारा प्रयुक्त सामान गाड़ दिये गये थे। इन टीलो को स्तूप कहते थे। स्तूप बनाने की परंपरा बुद्ध से पहले की रही होगी लेकिन वह बौद्ध धर्म से जुड़ गई।

24. इब्न बतूता द्वारा वर्णित भारतीय शहरों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – इब्न बतूता मोरक्को का निवासी था। वह मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था। उसने भारतीय शहरों के बारे में लिखा था कि भारतीय शहर घनी आबादी वाले व समृद्ध हैं। उसने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा व विशाल जनसंख्या वाला शहर बताया। उसने महाराष्ट्र के दौलताबाद शहर को भी आकार में दिल्ली के समकक्ष बताया। शहरों के बाजार मात्र आर्थिक विनिमय के स्थान ही नहीं थे बल्कि सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र भी थे। अधिकांश बाजारों में एक मस्जिद व मन्दिर होते थे। शहर आवश्यक इच्छा, साधन और कौशल वाले लोगों के लिए व्यापक अवसरों से भरपूर थे।

25. अकबर के काल में भूमि के विभाजन को स्पष्ट करें।
उत्तर – अकबर के शासन में टोडरमल बंदोबस्त के तहत भूमि को चार वर्गों में विभाजित किया गया था। ये चार वर्ग निम्न थे :
(i) पोलज – यह भूमि का वह हिस्सा था जिस पर वर्ष भर खेती होती थी।
(ii) परती – इस भूमि पर एक या दो साल के अंतर में खेती की जाती थी। तब तक उसे उर्वरता प्राप्त करने के लिए बिना बोये छोड़ दिया जाता था।
(iii) चाचर – इस भूमि पर प्रत्येक चार साल के अंतराल में खेती की जाती थी।
(iv) बंजर – वह भूमि जो खेती योग्य नहीं थी इस वर्ग में शामिल थी। खेती ना होने की वजह से इस भूमि पर लगान नही वसूला जाता था।

26. ‘दामिन-इ-कोह’ क्या थी? यह किस प्रकार अस्तित्व में आई?
उत्तर – दामिन-ए-कोह राजमहल पहाड़ियों में स्थित संथालों की भूमि थी। अंग्रेजों ने संथालों को राजमहल की तलहटी में रहने के लिए राजी किया और उन्हें जमीन दी। 1832 तक, भूमि के एक बड़े हिस्से को डामिन-ए-कोह के रूप में सीमांकित किया गया और संथालों की भूमि के रूप में घोषित किया गया।

अथवा

दानात्मक अभिलेख क्या हैं?
उत्तर – दानात्मक अभिलेख दूसरी शताब्दी ई. के छोटे-छोटे अभिलेख हैं जो विभिन्न शहरों से प्राप्त हुए हैं जिनमें दान देने वाले के नाम के साथ-साथ उसके व्यवसाय का भी उल्लेख मिलता है। इनमें नगरों में रहने वाले धोबी, बुनकर, श्रमिक, बढ़ई, स्वर्णकार, कुम्हार, लोहार, धार्मिक गुरु, राजाओं आदि के बारे में विवरण प्राप्त होते हैं।

27. उद्देश्य प्रस्ताव में किन आदर्शों पर जोर दिया गया था?
उत्तर – ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ में आजाद भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूपरेखा पेश की गई थी। इस प्रस्ताव के माध्यम से उस फ्रेमवर्क को प्रस्तुत किया गया था, जिसके अनुसार संविधान निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाना था। यह उद्देश्य प्रस्ताव 13 दिसम्बर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के सामने प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव में भारत को एक स्वतंत्र, सम्प्रभु गणराज्य घोषित किया गया था। नागरिकों को न्याय, समानता एवं स्वतंत्रता का आश्वासन दिया गया था और यह वचन दिया गया था कि अल्पसंख्यकों, पिछड़े एवं जनजातीय क्षेत्रों और दमित एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त रक्षात्मक प्रबंध किए जाएँगे।

अथवा

विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था?
उत्तर – विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को मुख्य रूप में तुंगभद्रा नदी से निकलने वाली धाराओं पर बाँध बनाकर पूरा किया जाता था। बाँधों से विभिन्न आकार के हौज़ों का निर्माण किया जाता था। इस हौज के पानी से न केवल आस-पास के खेतों को सींचा जा सकता था बल्कि इसे एक नहर के माध्यम से राजधानी तक भी ले जाया जाता था।

Section – C (8 Marks)

28. पुरातत्वविद् किस प्रकार अतीत का पुनर्निर्माण करते हैं?
उत्तर – पुरातत्ववेत्ता संस्कृति या सभ्यता से संबंधित प्राचीन अतीत के स्थलों की खुदाई करते हैं। वे कला और शिल्प का पता लगाते हैं जैसे मुहर सामग्री, घरों के अवशेष, इमारतें, बर्तन, आभूषण, उपकरण, सिक्के, वजन, माप और खिलौने आदि। मृत शरीरों की खोपड़ी, हड्डियां, जबड़े, दांत और इन शवों के साथ रखी गई सामग्री भी पुरातत्वविदों के लिए सहायक होती है। वनस्पतिशास्त्रियों और प्राणिशास्त्रियों की मदद से पुरातत्वविद् विभिन्न स्थानों पर पाए जाने वाले पौधों और जानवरों की हड्डियों का अध्ययन करते हैं। पुरातत्वविद् खेती और कटाई की प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। वे कुओं, नहरों, टैंकों आदि के निशानों का भी पता लगाने की कोशिश करते हैं क्योंकि ये सिंचाई के साधन के रूप में काम करते थे। विभिन्न चीजों का पता लगाने के लिए स्थलों की विभिन्न परतों का अवलोकन किया जाता है। ये चीजें सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे धार्मिक जीवन और लोगों के सांस्कृतिक जीवन की तस्वीर देती हैं। पुरातत्वविदों ने संदर्भों के ढांचे विकसित किए हैं इसे इस तथ्य से बेहतर ढंग से समझा जा सकता है कि पहली हड़प्पा मुहर जो मिली थी उसे तब तक नहीं समझा जा सका जब तक पुरातत्वविदों के पास उसे रखने के लिए कोई संदर्भ नहीं था- दोनों सांस्कृतिक अनुक्रम के संदर्भ में जिसमें यह मिली थी और मेसोपोटामिया में मिली खोजों के साथ तुलना के संदर्भ में। मुहरों की जांच से उस काल की धार्मिक मान्यता की अवधारणा के निर्माण में मदद मिलती है। मुहरों पर धार्मिक दृश्य दर्शाए गए हैं। कुछ जानवर जैसे कि एक घर वाला जानवर जिसे अक्सर मुहरों पर दर्शाया जाता है जिसे गेंडा कहा जाता है, पौराणिक मिश्रित जीव प्रतीत होते हैं। कुछ मुहरों में एक आकृति को योग मुद्रा में पैर पार करके बैठे हुए दिखाया गया है। ये सभी उस काल की धार्मिक अवधारणा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अथवा

हड़प्पा सभ्यता के शहरी केंद्रों की अनूठी विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर – हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, का उद्भव लगभग 3300-1300 ईसा पूर्व हुआ था। इसके शहरी केंद्रों की कई अनूठी विशेषताएं थीं, जो इसे अपने समय की अन्य सभ्यताओं से अलग करती थीं। यहाँ कुछ प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है :
(i) नगर नियोजन – हड़प्पा सभ्यता के शहरों का योजनाबद्ध ढंग से निर्माण किया गया था। शहरों की सड़कों को ग्रिड प्रणाली में बसाया गया था, जिसमें चौड़ी मुख्य सड़कें और उनसे जुड़ी संकरी गलियाँ होती थीं। यह नियोजन व्यवस्था आज की शहरी योजना की तरह थी।
(ii) जल निकासी प्रणाली – हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली अत्यंत उन्नत थी। प्रत्येक घर के साथ एक निजी स्नानगृह और पानी निकालने के लिए एक नाली होती थी, जो मुख्य जल निकासी नालियों से जुड़ी होती थी। यह नालियाँ ईंटों से बनी होती थीं और बहुत सुव्यवस्थित तरीके से बनाई जाती थीं।
(iii) किलेबंदी और सुरक्षा – हड़प्पा के शहरों में प्रायः एक किला होता था, जिसे एक ऊँचे प्लेटफार्म पर बनाया जाता था। किले में सार्वजनिक भवन, गोदाम और कभी-कभी स्नानागृह भी होते थे। इससे शहरी केंद्रों की सुरक्षा और प्रशासनिक कार्यों का संचालन सुनिश्चित होता था।
(iv) भवन निर्माण और वास्तुकला – हड़प्पा के लोग पकी हुई ईंटों का उपयोग करके अपने घर बनाते थे। घरों में कई कमरे, आँगन, और कभी-कभी कुएं भी होते थे। घरों की छतें सपाट होती थीं और अक्सर वे एक-दूसरे से जुड़े होते थे।
(v) सार्वजनिक स्नानगृह – मोहनजोदड़ो में मिला ‘महान स्नानागार’ एक प्रमुख उदाहरण है। यह एक बड़ा आयताकार ढांचा था, जिसमें एक गहरा स्नान कुंड था। इसके चारों ओर गलियारे और कमरे थे, जो सार्वजनिक स्नान के लिए उपयोग होते थे।
(vi) भंडारण और गोदाम – अनाज और अन्य वस्तुओं के संग्रहण के लिए बड़े गोदाम बनाए गए थे। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा दोनों में अनाज रखने के लिए विशाल गोदाम पाए गए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि वहां के लोग कृषि उत्पादों को संग्रहित करने की अच्छी व्यवस्था रखते थे।
(vii) व्यापार और वाणिज्य – हड़प्पा सभ्यता के लोग व्यापार के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनके द्वारा उपयोग की गई माप और तौल की इकाइयाँ बहुत सटीक थीं। सभ्यता के विभिन्न स्थलों पर मिले मोहरें और मुहरें व्यापारिक गतिविधियों का प्रमाण देती हैं।
(viii) कला और शिल्प – हड़प्पा के लोग शिल्पकला में भी निपुण थे। वहां से मिले टेराकोटा, पत्थर और धातु की मूर्तियाँ, बर्तन, गहने और अन्य शिल्पकृतियाँ उनकी उत्कृष्ट कला को दर्शाते हैं।
इन सभी विशेषताओं के कारण हड़प्पा सभ्यता अपने समय की सबसे उन्नत और संगठित शहरी सभ्यताओं में से एक मानी जाती है।

29. भक्ति आन्दोलन की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं? वर्णन करें।
उत्तर – भक्ति आन्दोलन मध्यकालीन भारत में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आन्दोलन था, जिसने हिन्दू धर्म में एक नया जागरण पैदा किया। इस आन्दोलन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं :
(i) ईश्वर की एकता पर जोर – भक्ति आन्दोलन के संतों ने ईश्वर की एकता और निराकार ब्रह्म की उपासना पर जोर दिया। उन्होंने मूर्तिपूजा और कर्मकाण्ड के विरोध में भगवान की भक्ति को सर्वोच्च बताया।
(ii) भाषाई सरलता – इस आन्दोलन के संतों ने स्थानीय भाषाओं में अपने उपदेश दिए। संस्कृत की बजाय हिंदी, पंजाबी, मराठी, तमिल आदि भाषाओं का प्रयोग हुआ जिससे आम जनता आसानी से समझ सके।
(iii) सामाजिक समानता – भक्ति संतों ने जाति-प्रथा, छुआछूत और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने यह संदेश दिया कि ईश्वर की भक्ति के लिए जन्म या जाति का कोई महत्व नहीं है।
(iv) साधारण जीवन शैली – भक्ति आन्दोलन के संतों ने साधारण जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने सादगी, अहिंसा और ईमानदारी पर जोर दिया।
(v) समर्पण और प्रेम – इस आन्दोलन ने ईश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम को प्रमुख साधन माना। भक्तों ने यह सिखाया कि प्रेम और समर्पण से ही ईश्वर प्राप्ति हो सकती है।
(vi) संगीत और कविता का प्रयोग – भक्ति संतों ने अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए भजन, कीर्तन और कविताओं का सहारा लिया। इससे उनके संदेश आम लोगों तक प्रभावी तरीके से पहुंचे।
(vii) आध्यात्मिक गुरु का महत्व – भक्ति आन्दोलन में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान था। संतों ने गुरु को ईश्वर का मार्गदर्शक बताया और गुरु की भक्ति को ईश्वर भक्ति के बराबर माना।
(viii) धर्म निरपेक्षता – भक्ति आन्दोलन ने धार्मिक सहिष्णुता और सभी धर्मों की समानता पर जोर दिया। इसने हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच सद्भाव बढ़ाने का प्रयास किया।
ये विशेषताएँ भक्ति आन्दोलन को एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक सुधार आन्दोलन बनाती हैं, जिसने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला।

अथवा

गुरु नानक देव जी कौन थे? इनके जीवन व शिक्षाओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर – गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता था। बचपन से ही नानक देव जी में अध्यात्म और ज्ञान की ओर गहरी रुचि थी। उन्होंने समाज की कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई और एक नई धार्मिक और सामाजिक चेतना का प्रसार किया।
प्नानक देव जी का बचपन से ही अध्यात्म की ओर झुकाव था। वे स्कूल में पारंपरिक शिक्षा में बहुत रुचि नहीं रखते थे और उनका मन ईश्वर के ध्यान में रमता था। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही वेदों और पुराणों का अध्ययन किया और धार्मिक विषयों में गहन ज्ञान प्राप्त किया। उनका विवाह सुलखनी देवी से हुआ था और उनके दो पुत्र थे, श्रीचंद और लक्ष्मी दास। हालाँकि, गुरु नानक का अधिकांश जीवन यात्राओं में ही बीता। गुरु नानक देव जी ने कई देशों की यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। उन्होंने भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और अरब के कई स्थानों का दौरा किया और विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को अपने उपदेश दिए। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ सिख धर्म का आधार बनीं और उन्होंने समाज में व्याप्त कई कुरीतियों और अंधविश्वासों का खंडन किया। उनकी प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं :
(i) एक ईश्वर की उपासना – गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि ईश्वर एक है, और वह निराकार, अजन्मा और अनंत है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी धर्मों के लोग एक ही ईश्वर की उपासना करते हैं, भले ही उनके तरीके अलग हों।
(ii) समानता – उन्होंने जाति, धर्म, लिंग और सामाजिक स्थिति के भेदभाव का विरोध किया। उनका मानना था कि सभी मनुष्य समान हैं और ईश्वर की दृष्टि में कोई भी उच्च या निम्न नहीं है।
(iii) सदाचार और नैतिक जीवन – गुरु नानक ने सदाचार, सत्यता, ईमानदारी और नैतिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
(iv) कीर्तन और नाम सिमरन – उन्होंने भक्ति के माध्यम से ईश्वर की आराधना और कीर्तन (भजन-कीर्तन) को महत्व दिया। नाम सिमरन (ईश्वर के नाम का जाप) को आध्यात्मिक उन्नति का प्रमुख साधन माना।
(v) कर्मकांड का विरोध – गुरु नानक ने अंधविश्वासों और कर्मकांडों का विरोध किया। उन्होंने सिखाया कि धार्मिक कर्मकांडों की बजाय सच्ची भक्ति और नैतिक जीवन महत्वपूर्ण हैं।
(vi) लंगर की परंपरा – गुरु नानक देव जी ने लंगर (सामूहिक भोजन) की परंपरा की शुरुआत की, जिसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह समानता और भाईचारे का प्रतीक है।
गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी शिक्षाएँ समाज में प्रेम, भाईचारा, समानता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देती हैं। उनकी शिक्षाएँ आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित करती हैं और सिख धर्म की नींव को मजबूत बनाती हैं।

30. अवध में विद्रोह इतना व्यापक क्यों था? किसान, ताल्लुकदार और ज़मींदार उसमें क्यों शामिल हुए?
उत्तर – ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवध के नवाब वाजिद अली शाह को 1856 में राज्य से बेदखल किया गया। इस अधिग्रहण ने स्थानीय शासकों, जमींदारों और ताल्लुकदारों में असंतोष और असुरक्षा पैदा की। ब्रिटिश सरकार ने कृषि सुधार और कर प्रणाली में बदलाव किए, जो किसानों पर भारी करारोपण और कठोर नीतियों के रूप में लागू हुए। इससे किसानों में गहरा असंतोष उत्पन्न हुआ। ब्रिटिश नीतियों और ईसाई मिशनरियों के प्रभाव ने स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को खतरे में डाला। सैनिकों के बीच नई राइफलों में प्रयोग की जाने वाली कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी के उपयोग की अफवाह ने भी धार्मिक भावनाओं को भड़काया।
किसान, ताल्लुकदार और ज़मींदारों की भागीदारी :
• किसान – ब्रिटिश शासन के अंतर्गत किसानों पर भारी कर लगाए गए, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। असमर्थता के कारण उन्हें अपनी भूमि और संपत्ति से हाथ धोना पड़ा। जमींदारों द्वारा भी किसानों का शोषण किया जाता था, जिससे उनका जीवन और अधिक कठिन हो गया।
• ताल्लुकदार – ब्रिटिश प्रशासन ने ताल्लुकदारों की संपत्तियों को जब्त करना शुरू कर दिया और उन्हें शक्तिहीन बनाने के प्रयास किए। इससे ताल्लुकदारों में गहरा असंतोष उत्पन्न हुआ। ताल्लुकदारों की पारंपरिक प्रशासनिक भूमिकाओं को कमजोर कर दिया गया, जिससे उनकी सामाजिक और राजनीतिक स्थिति खतरे में पड़ गई।
• जमींदार – ब्रिटिश सरकार ने जमींदारों की जमीनों और अधिकारों पर हस्तक्षेप करना शुरू किया, जिससे उनका नियंत्रण और स्वामित्व कमजोर हो गया। जमींदारों को लगता था कि ब्रिटिश शासन उनकी पारंपरिक शक्ति और अधिकारों को समाप्त कर रहा है। इसलिए उन्होंने विद्रोह में शामिल होकर अपने अधिकारों की रक्षा करने का प्रयास किया।

अथवा

1857 की क्रांति के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर : (i) राजनीतिक कारण – लॉर्ड डलहौजी की सहायक संधि और डलहौजी की लेफ्ट नीति से भारतीय शासकों में असंतोष फैला हुआ था जो 1857 की क्रांति का एक कारण रहा। नाना साहेब की पेंशन बंद होने के कारण वह अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए। जमीदार तथा सरदार की भूमि छीन लेने के कारण वह भी अंग्रेजों के खिलाफ हो गए। सातारा तथा नागपुर की रियासतें अंग्रेजी साम्राज्य में मिला दी गई थी और भारतीय शासक अंग्रेजों के शत्रु बन गए।
(ii) आर्थिक कारण – इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरुप मशीन माल सस्ता हो गया। जिसके कारण अंग्रेजी माल तो अधिक बिकने लगा परंतु भारतीय माल नहीं बिकने के कारण भारतीय उद्योग बंद हो गए। अंग्रेजों की व्यापारिक नीति ने भारत के व्यापार संघ को उनके खिलाफ खड़ा होने पर मजबूर कर दिया। भारत के माल पर अंग्रेज भारी कर वसूलने लगे जिसके कारण भारतीय माल महंगा हो जाता था महंगा होने के कारण भारतीय माल को विदेशों में नहीं खरीदा जाता था और भारतीय व्यापार संघ को भारी नुकसान उठाना पड़ता था। भारतीय जनता पर इतना कर लगा दिया गया की परेशान होकर उन्होंने विद्रोह का मार्ग अपनाया।
(iii) सामाजिक तथा धार्मिक कारण – अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण भारतवासियों में असंतोष उत्पन्न हो गया। अंग्रेज अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ हिंदू धर्म के ग्रंथों की घोर निंदा करते थे जिससे भारतीय लोग क्रोधित हो उठे।
(iv) सैनिक कारण – 1856 ई. में अंग्रेजों द्वारा एक सैनिक कानून बनाया गया जिसमें हिंदू सैनिक को समुद्र पार जाना था और भारतीय जनता इसे अपने धर्म के विरुद्ध समझती थी। परेड के समय अभद्र व्यवहार करना तथा भारतीय सैनिकों को बहुत कम वेतन देना।
(v) तत्कालिक कारण – सैनिकों को ऐसे कारतूस दिए गए जिन्हें मुंह से काटना पड़ता था और इन पर गाय तथा सूअर की चर्बी लगी होती थी। बैरकपुर छावनी के कुछ सैनिकों ने इसका प्रयोग करने से इंकार कर दिया। मंगल पांडे नामक सैनिक जिनका नाम आज भी लिया जाता है उन्होंने क्रोध में आकर एक अंग्रेज अधिकारी की हत्या कर दी इसलिए उन्हें फांसी से लटका दिया गया। इससे सैनिकों के मन में विद्रोह की भावना फैल गई।

Section – D (Source Based : 4 Marks)

31. प्रभावती गुप्त ने अपने अभिलेख में यह कहा हैः प्रभावती ग्राम कुटुबिनों (गाँव के गृहस्थ और कृषक), ब्राह्मणों, और दंगुन गाँव के अन्य वासियों को आदेश देती है… “आपको ज्ञात हो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को धार्मिक पुण्य प्राप्ति के लिए इस ग्राम को जल अर्पण के साथ आचार्य चनालस्वामी को दान किया गया है। आपको इनके सभी आदेशों का पालन करना चाहिए।
एक अग्रहार के लिए उपयुक्त निम्नलिखित रियायतों का निर्देश भी देती हूँ। इस गाँव में पुलिस या सैनिक प्रवेश नहीं करेंगे। दौरे पर आने वाले शासकीय अधिकारियों को यह गाँव घास देने और आसन में प्रयुक्त होने वाली जानवरों की खाल और कोयला देने के दायित्व से मुक्त हैं। साथ ही वे मदिरा खरीदने और नमक हेतु खुदाई करने के राजसी अधिकार को कार्यान्वित किए जाने से मुक्त हैं। इस गाँव को खनिज पदार्थ और खदिर वृक्ष के उत्पाद देने से भी छूट है। फूल और दूध देने से भी छूट है। इस गाँव का दान इसके भीतर की संपत्ति और बड़े-छोटे सभी करों सहित किया गया है।” इस राज्यादेश को 13वें राज्य वर्ष में लिखा गया है और इसे चक्रदास ने उत्कीर्ण किया है।
प्रश्न :
(i) प्रभावती गुप्त कौन थी?
उत्तर – चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री

(ii) ‘अग्रहार’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ब्राह्मणों को दान में दी जाने वाली भूमि।

(iii) दगुन गाँव के लिए किन रियायतों का निर्देश दिया गया है?
उत्तर – यह गाँव घास देने और आसन में प्रयुक्त होने वाली जानवरों की खाल और कोयला देने के दायित्व से मुक्त हैं। साथ ही वे मदिरा खरीदने और नमक हेतु खुदाई करने के राजसी अधिकार को कार्यान्वित किए जाने से मुक्त हैं। इस गाँव को खनिज पदार्थ और खदिर वृक्ष के उत्पाद देने से भी छूट है। फूल और दूध देने से भी छूट है।

32. कृष्णदेव राय द्वारा बनवाए गए जलाशय के विषय में वर्णन मिलता हैः
राजा ने एक जलाशय बनवाया… दो पहाड़ियों के मुख-विबर पर जिससे दोनों में से किसी पहाड़ी से आने वाला सारा जल वहाँ इकट्ठा हो, इसके अलावा जल 9 मील (लगभग 15 किमी) से भी अधिक की दूरी से पाइपों से आता है जो बाहरी श्रृंखला के निचले हिस्से के साथ-साथ बनाए गए थे। यह जल एक झील से लाया जाता है जो छलकाव से खुद एक छोटी नदी में मिलती है। जलाशय में तीन विशाल स्तंभ बने हैं जिन पर खूबसूरती से चित्र उकेरे गए हैं; ये ऊपरी भाग में कुछ पाइपों से जुड़े हुए हैं जिनसे ये अपने बगीचों तथा धान के खेतों की सिंचाई के पानी लाते है। इस जलाशय को बनाने के लिए इस राजा ने एक पूरी पहाड़ी को तुड़वा दिया… जलाशय में मैंने इतने लोगों को कार्य करते देखा कि वहाँ पन्द्रह से बीस हजार आदमी थे चीटियों की तरह…
प्रश्न :
(i) कृष्णदेव राय कौन था?
उत्तर – विजयनगर साम्राज्य का महान शासन।

(ii) कृष्णदेव राय द्वारा बनवाए गए जलाशय के विषय में जानकारी कौन प्रदान करता है?
उत्तर – डोमिंगो पेस

(iii) कृष्णदेव राय द्वारा निर्मित जलाशय की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – जलाशय में तीन विशाल स्तंभ बने हैं जिन पर खूबसूरती से चित्र उकेरे गए हैं; ये ऊपरी भाग में कुछ पाइपों से जुड़े हुए हैं जिनसे ये अपने बगीचों तथा धान के खेतों की सिंचाई के पानी लाते है।

33. 5 अप्रैल, 1930 को महात्मा गाँधी ने दाण्डी में कहा थाः जब मैं अपने साथियों के साथ दाण्डी के इस समुद्रतटीय टोले की तरफ चला था तो मुझे यकीन नहीं था कि हमें यहाँ तक आने दिया जाएगा। जब मैं साबरमती में था तब भी यह अफवाह थी कि मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है। तब मैंने सोचा था कि सरकार मेरे साथियों को तो राण्डी तक आने देगी लेकिन मुझे निश्चय ही यह छूट नहीं मिलेगी। यदि कोई यह कहता कि इससे मेरे हृदय में अपूर्ण आस्था का संकेत मिलता है तो मैं इस आरोप को नकारने वाला नहीं हूँ। मैं यहाँ तक पहुंचा हूँ, इसमें शाति और अहिंसा का कम हाथ नहीं है; इस सत्ता को सब महसूस करते हैं। अगर सरकार चाहें तो वह अपने इस आचरण के लिए अपनी पीठ थपथपा सकती है क्योंकि सरकार चाहती तो हम में से हरेक को गिरफ्तार कर सकती थी। जब सरकार यह कहती है कि उसके पास शांति की सेना को गिरफ्तार करने का साहस नहीं था तो हम उसकी प्रशंसा करते हैं। सरकार को ऐसी सेना की गिरफ्तारी में शर्म महसूस होती है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा काम करने में शर्मिंदा महसूस करता है जो उसके पड़ोसियों को भी रास नहीं आ सकता, तो वह एक शिष्ट-सभ्य व्यक्ति है। सरकार को हमें गिरफ्तार न करने के लिए बधाई दी जानी चाहिए भले ही उसने विश्व जनमत का ख्याल करके ही यह फैसला क्यों न लिया हो। कल हम नमक कर कानून तोड़ेंगे। सरकार इसको बर्दाश्त करती है कि नहीं, यह सवाल अलग है। हो सकता है सरकार हमें ऐसा न करने दे लेकिन उसने हमारे जत्थे के बारे में जो धैर्य और सहिष्णुता दिखायी है उसके लिए वह अभिनंदन की पात्र है…।
यदि मुझे और गुजरात व देश भर के सारे मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता है तो क्या होगा? यह आंदोलन इस विश्वास पर आधारित है कि जब एक पूरा राष्ट्र उठ खड़ा होता है और आगे बढ़ने लगता है तो उसे नेता की जरूरत नहीं रह जाती।
प्रश्न :
(i) उपर्युक्त अनुच्छेद में महात्मा गाँधी किस कानून को तोड़ने जा रहे थे?
उत्तर – नमक कानून

(ii) गाँधी जी को किस बात का यकीन नहीं था?
उत्तर – जब वे अपने साथियों के साथ दाण्डी के इस समुद्रतटीय टोले की तरफ चला था तो उन्हें यकीन नहीं था कि उन्हें यहाँ तक आने दिया जाएगा।

(iii) गाँधी जी ने दाण्डी यात्रा कहाँ से शुरू की थी?
उत्तर – साबरमती आश्रम से

Section – E (Map : 5 Marks)

34. दिए गए भारत के राजनीतिक रेखा मानचित्र पर निम्न स्थानों को उनके नाम के साथ अंकित कीजिए।
1. वह हड़प्पा स्थल जहाँ से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं (कालीबंगा – राजस्थान)
2. वह स्तूप जिसका संरक्षण भोपाल की बेगमों ने किया था (सांची स्तूप, मध्य प्रदेश)
3. वह स्थान जहाँ पर स्वर्ण मंदिर स्थित है (अमृतसर)

भारत के मानचित्र में दो स्थल हैं जो (A) और (B) के रूप में चिन्हित किए गए हैं पहचान कर इनके नाम लिखिए। इनमें से एक स्थल गांधी जी के आन्दोलन से सम्बन्धित है और दूसरा स्थल जहाँ पर फरवरी, 1916 में हिंदू विश्वविद्यालय का उ‌द्घाटन समारोह हुआ।

 

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