HBSE Class 12 Hindi Question Paper 2023 Answer Key

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HBSE Class 12th Hindi Question Paper 2023 Answer Key (All Sets – A,B,C,D)

 


 

SET–A

1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) ‘पतंग’ कविता में खरगोश की आँखों जैसा किसे कहा गया है ?
(क) पतंग को
(ख) बौछार को
(ग) पतला कागज को
(घ) लाल सवेरा को
उत्तर – (घ) लाल सवेरा को

(ii) परदे की कीमती चीज क्या है ?
(क) चित्र
(ख) अभिनय
(ग) शिक्षा
(घ) वक्त
उत्तर – (घ) वक्त

(iii) ‘उषा’ कविता में प्रातःकालीन नीला आकाश किस जैसा बताया गया है?
(क) केशर
(ख) शंख
(ग) सिंदूर
(घ) झील
उत्तर – (ख) शंख

(iv) ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता में कवि की आत्मा कैसी हो गई है ?
(क) कमजोर
(ख) दृढ़
(ग) संवेदनशील
(घ) संवेदनहीन
उत्तर – (क) कमजोर

(v) ‘नारि हानि विसेष छति नाहीं’ – यह किसने कहा है ?
(क) लक्ष्मण
(ख) श्रीराम
(ग) हनुमान
(घ) विभीषण
उत्तर – (ख) श्रीराम

(vi) फिराक़ गोरखपुरी ने किसकी आँखें झपकाने की बात कही है ?
(क) तारों की
(ख) लोगों की
(ग) नायिकाओं की
(घ) कवि की
उत्तर – (क) तारों की

2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और ………..
जादू टूटता है इस उषा का
सूर्योदय हो रहा है।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत पक्तियाँ कवि ‘शमशेरबहादुर सिंह’ द्वारा रचित कविता ‘उषा’ से ली गई है। यहाँ कवि प्रातःकालीन दृश्य का मनोहारी चित्रण कर रहा है। प्रातःकाल आकाश में जादू होता-सा प्रतीत होता है। जो पूर्ण सूर्योदय के पश्चात् टूट जाता है।
व्याख्या – कवि सूर्योदय से पहले आकाश के सौंदर्य में पल-पल होते परिवर्तनों का सजीव अंकन करते हुए कहता है कि ऐसा लगता है कि मानो नीले जल में किसी गोरी नवयुवती का शरीर झिलमिला रहा है। नीला आकाश नीले जल के समान है और उसमे सफेद चमकता सूरज सुंदरी की गोरी देह प्रतीत होता है। हल्की हवा के प्रवाह के कारण यह प्रतिबिंब हिलता- सा प्रतीत होता है। इसके बाद उषा का जादू टूटता-सा लगने लगता है। उषा का जादू यह है कि वह अनेक रहस्यपूर्ण एवं विचित्र स्थितियाँ उत्पन करता है। कभी पुती स्लेट कभी गीला चौका, कभी शंख के समान आकाश तो कभी नीले जल में झिलमिलाती देह-ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय होते ही आकाश स्पष्ट हो जाता है और उसका जादू समाप्त हो जाता है।

अथवा

तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ऐ विप्लव के वीर !
चूस लिया है उसका सार,
हाड़-मात्र ही है आधार,
ऐ जीवन के पारावार !
उत्तर : प्रसगं – प्रस्तुत पक्तियाँ कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से ली गई हैं। इसमें शोषित वर्ग द्वारा क्रांति के आह्वान का चित्रण किया गया है।
व्याख्या – कवि बताता है कि अशक्त भुजाओं और कमजोर शरीर वाला किसान अधीर होकर क्रांति का आह्वान करता है। उसके कष्टों का हरण करने वाला क्रांति का बादल ही है। हे जीवन के पारावार (बादल)! इन पूँजीपतियों ने किसान के जीवन का सारा रस ही चूस लिया है और उसे प्राणहीन बना दिया हैं। भूख से बेहाल किसान अब नर-कंकाल बनकर रह गया है। वह हड्डियों का ढाँचा मात्र दिखाई देता है। तुम्हीं अपने जल-वर्षण से उसे नया जीवन दे सकते हो। वह तुम्हें पुकार रहा है, भाव यह है कि क्रांति के आगमन से पूँजीपति तो दहल जाते हैं, पर जीर्ण-शीर्ण किसान अधीर होकर उसे बुलाते हैं। क्रांति से साधारण लोग ही लाभान्वित होते हैं।

3. हरिवंश राय बच्चन अथवा तुलसीदास के जीवन, साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर –

हरिवंश राय बच्चन

जन्म – हरिवंश राय बच्चन का जन्म सन् 1907 में इलाहाबाद में हुआ।
शिक्षा – इन्होंने एम.ए.पी.एच.डी.(कैंब्रिज) तक की। ये 1942-1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे तथा आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से संबंधित भी रहे, उसके बाद ये विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ रहे।
प्रमुख रचनाएँ – इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं : मधुशाला(1935), मधुबाला(1938), मधुकलश(1938), निशा-निमंत्रण, आकुल-अंतर, एकांत संगीत, मिलनयामिनी, सतरंगिणी, नए पुराने झरोखे, टूटी-फूटी कड़ियाँ (काव्य संग्रह); क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, आरती और अंगारे, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक (आत्मकथा); प्रवास की डायरी (डायरी); हैमलेट, जनगीता, मैकबेथ (अनुवाद)। उनका पूरा वाङ्मय ‘बच्चन ग्रंथावली’ के नाम से दस खंडों में प्रकाशित हो चुका है।
साहित्यिक विशेषताएँ – दोनों महायुद्धों के बीच के मध्यवर्गीय बेचैन विकल मन को कवि बच्चन जी ने अपनी वाणी द्वारा अभिव्यक्त किया है। उन्होंने छायावादी लाक्षणिक वक्रता के बजाय सीधी-सादी जीवंत और संवेदनशील गेय शैली में अपनी बात को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन में घटी हुई घटनाओं को भी सहज एवम् अनुभूति की ईमानदारी से अभिव्यक्त किया। बच्चन के द्वारा कविता का जो रूप प्रकट हुआ, यह रूप हिंदी काव्य संसार में उनकी विलक्षण लोकप्रियता का मूल कारण रहा है।
भाषा शैली – लेखक ने अत्यन्त सहज तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है जिस कारण सर्वत्र रोचकता बनी रहती है। लेखक की भाषा मे चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। लेखक ने अपने भावों को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए तत्सम, देशज, विदेशी शब्दों के अतिरिक्त मुहावरों का भी यथास्थान सहज रूप से प्रयोग किया है।
निधन – इनका निधन सन् 2003 में मुम्बई में हुआ।

अथवा

तुलसीदास

जन्म – गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में बाँदा (उत्तर प्रदेश) जिले के राजापुर गाँव में हुआ।
शिक्षा – तुलसीदास जी की प्रारम्भिक शिक्षा उनके गुरु नरसिंह दास जी के आश्रम में हुई थी। नरसिंह बाबा जी के आश्रम में रहते हुए तुलसीदास (रामबोला) जी ने 15 से 16 साल की उम्र तक सनातन धर्म, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दू साहित्य, वेद दर्शन, छः वेदांग, ज्योतिष शास्त्र आदि की शिक्षा प्राप्त की।
प्रमुख रचनाएँ – इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं : गीतावली, रामचरितमानस, रामाज्ञा प्रश्न, विनयपत्रिका, श्रीकृष्ण, दोहावली, कवितावली।
साहित्यिक विशेषताएँ – भक्तिकालीन सगुण काव्य-धारा की रामभक्ति शाखा के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास में भक्ति से कविता लिखने की प्रक्रिया की सहज परिणति हुई है। काव्य-रचना में उनकी भक्ति इस हद तक लोकोन्मुख रही है कि वे हिन्दी-साहित्य में लोकमंगल की साधना के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह बात उनकी काव्य-संवेदना की दृष्टि से ही नहीं वरन् काव्यभाषा के घटकों की दृष्टि से भी पूर्णतया सत्य है। इसका सबसे मुख्य प्रमाण तो यह है कि उन्होंने शास्त्रीय भाषा (संस्कृत) में सर्जन क्षमता होने के बावजूद भी लोकभाषा (अवधी व ब्रजभाषा) में साहित्य की रचना की।
भाषा शैली – तुलसीदास जी इस अर्थ में भी हिंदी के जातीय कवि हैं कि वे अपने समय में हिंदी क्षेत्र में प्रचलित सभी भावात्मक व काव्यभाषाई तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। उनके काव्य में भाव, विचार, काव्य-रूप, छंद और काव्यभाषा की जो बहुल समृद्धि दिखती है- वह अद्वितीय है। उन्होंने तत्कालीन हिंदी क्षेत्र की दोनों काव्य भाषाओं अवधी व ब्रजभाषा तथा दोनों संस्कृति कथाओं सीताराम व राधाकृष्ण की कथाओं को अपनी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनाया है।
मृत्यु – इनकी मृत्यु सन् 1623 ई. में काशी में हुई।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(क) ‘पतंग’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘पतंग’ आलोक धन्वा द्वारा रचित कविता है, जिसमें कवि ने बाल-सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है। उन्होंने बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तनों को सहज भाव से अभिव्यक्त किया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है जो आसमान में उड़ता है, जिसे बालमन छूना चाहता है। बच्चे उमंग में झूमकर आसमान को पार कर जाना चाहते हैं।

(ख) चिड़िया के बच्चे किस आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे ?
उत्तर – बच्चों को लगता है शाम ढल आयी है। उनके माता-पिता अब उनके लिए भोजन लेकर आते ही होगें। अतः वे अपने माता-पिता को देखने के लिए नीड़ों से झाँक रहे हैं। माता-पिता से उनका मिलन हो जाएगा तथा उनके पेट की आग भी शांत हो जाएगी। इस तरह नीड़ों से झाँकना उनकी प्रतीक्षा को दर्शाता है।

5. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) किसके ऊपर गहने फेंककर लछमिन ने पिता के चिरविछोह की मर्मव्यथा व्यक्त की ?
(क) पिता पर
(ख) सास पर
(ग) जेठानी पर
(घ) पति पर
उत्तर – (घ) पति पर

(ii) ‘बाजार दर्शन’ पाठ में फिजूल सामान को फिजूल समझने वाले लोगों को क्या कहा है ?
(क) मूर्ख
(ख) संयमी
(ग) बुद्धिमान
(घ) मितव्ययी
उत्तर – (ख) संयमी

(iii) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री कौन था ?
(क) इन्द्रसेना
(ख) लेखक
(ग) लेखक की बहन
(घ) लेखक के जीजा
उत्तर – (ख) लेखक

(iv) लुट्टन पहलवान के माता-पिता का स्वर्गवास हुआ तब उसकी आयु कितनी थी ?
(क) 6 वर्ष
(ख) 9 वर्ष
(ग) 12 वर्ष
(घ) 15 वर्ष
उत्तर – (ख) 9 वर्ष

(v) परिस्थितियों ने हमेशा चार्ली को कैसा चरित्र बना दिया ?
(क) बाहरी
(ख) आदर्श
(ग) डरपोक
(घ) वीर
उत्तर – (क) बाहरी

(vi) ‘आप अदीब ठहरीं’ – यहाँ ‘अदीब’ का अर्थ है :
(क) साहित्यकार
(ख) निकटतम
(ग) पुलिसकर्मी
(घ) माननीय
उत्तर – (क) साहित्यकार

6. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र अस्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखित पाठ ‘भक्तिन’ से लिया गया है। इसमें लेखिका ने स्वयं का और भक्तिन का सम्बन्ध स्पष्ट किया गया है।
व्याख्या – महादेवी की दृष्टि में भक्तिन को घर का नौकर कहना सर्वथा अनुचित है। जिस प्रकार घर में बारी-बारी अंधेरा और उजाला आता रहता है, गुलाब खिलता रहता है और आम फलता रहता है, परंतु हम उन्हें नौकर नहीं कह सकते, यह उनका स्वभाव है। इन सबका अपना-अपना अस्तित्व है, जिसे सार्थक बनाने के लिए वह हमें सुख और दुख देते रहते हैं। उसी प्रकार भक्तिन का अस्तित्व भी स्वतंत्र था और वह अपने विकास का परिचय देने के लिए लेखिका को चारों ओर से घेरे हुए थी। भाव यह है कि भक्तिन महादेवी के जीवन का एक अनिवार्य अंग थी, अपने सुख-दुख दोनों के साथ जीवित रहने की अधिकारिणी थी।

अथवा

यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश लेखक ‘श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी’ द्वारा लिखित पाठ ‘शिरीष के फूल’ से लिया गया है। लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अवधूत की भाँति स्वीकार किया है। इसके अतिरिक्त मानव को उस वृक्ष से प्रेरणा ग्रहण करने का संदेश दिया है।
व्याख्या – लेखक को कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि शिरीष एक निराला ही अवधूत है। जैसे अवधूत सदा हर देश और काल में एकरस और आत्मलीन रहता है उसी तरह यह शिरीष भी किसी भी स्थान पर हो, कठिन-से-कठिन समय से गुजर रहा हो, अपने आप में ही मस्त-सा दिखाई देता है। शिरीष सुख में या दुख में कभी हार नहीं मानता। उसे न किसी से कुछ लेना है और न किसी को कुछ देना है। भयंकर ग्रीष्म ऋतु में जब धरती और आकाश सूर्य ताप से जले जाते हैं तब भी ये श्रीमान (शिरीष) न जाने कहाँ से अपने को उत्फुल्ल बनाए रखने को रस खींचते रहते हैं। अपने आस-पास के वातावरण से कुछ लेना-देना नहीं। यह तो आठों पहर अपनी मस्ती में डूबे रहते हैं। किसी वनस्पति विज्ञानी ने लेखक को बताया था कि शिरीष उस श्रेणी का वृक्ष है जो वायुमंडल से अपने लिए सीधे ही जीवन-रस प्राप्त कर सकते हैं।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) भक्तिन के चरित्र की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – भक्तिन अधेड़ उम्र की महिला है। उसका कद छोटा व शरीर दुबला-पतला है। उसके होंठ पतले हैं तथा आँखें छोटी हैं। भक्तिन बेहद स्वाभिमानिनी और कर्मठ महिला है। भक्तिन में सच्चे सेवक के सभी गुण हैं।

(ख) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ ‘धर्मवीर भारती’ द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने लोक आस्था और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। विज्ञान का अपना तर्क है और विश्वास की अपनी सामर्थ्य। लेखक ने किशोर जीवन के इस संस्मरण में दिखलाया है कि अनावृष्टि से मुक्ति पाने हेतु गाँव के बच्चों की इंदर सेना द्वार-द्वार पानी माँगने जाती है लेकिन लेखक का तर्कशील किशोर मन भीषण सूखे में उसे पानी की निर्मम बर्बादी समझता है। लेखक की जीजी इस कार्य को अंधविश्वास न मानकर लोक आस्था त्याग की भावना कहती है। लेखक बार-बार अपनी जीजी के तर्को का खंडन करता हुए इसे पाखंड और अंधविश्वास कहता है।

(ग) ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ के अंतर्गत समाज में प्रचलित जाति प्रथा को गलत ठहराकर कार्य कुशलता के आधार पर श्रम विभाजन को आवश्यक बताया गया है, क्योंकि जाति के आधार पर श्रम विभाजन करने से व्यक्ति की निजी क्षमता का सदुपयोग नहीं हो पाता।

8. वितान (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी की मूल संवेदना दो पीढ़ियों के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के आदर्शो और मूल्यों से जुड़े हैं जबकि उनके बेटे नई पीढ़ी के अनुसार जीने मे विश्वास रखते हैं। लेखक ने इस कहानी में दोनों पीढ़ियों के अंतर को कुशलतापूर्वक अभिव्यक्त किया है।

(ख) यशोधर बाबू को भूषण ने उपहार देते समय क्या कहा और उन्हें यह सब कैसा लगा ?
उत्तर – जब यशोधर बाबू को भूषण ने ‘ड्रैसिंग गाउन’ उपहार में दिया, तब पुत्र द्वारा यह कहे जानेपर “बब्बा आप सबेरे दूध लेने जाते हैं तब आप यह ड्रैसिंग गाउन पहनकर जाया कीजिए”, यह बात उन्हें बुरी लगी। उनकी आखों में जल छलछला आया। बेटा उनसे यह भी कह सकता था कि “पिताजी दूध मैं ला दिया करूँगा, अब आपकी उम्र आराम करने की है”, लेकिन पुत्र ने ऐसा नहीं कहा, तो उनके मन को धक्का सा लगा, वे भीतर ही भीतर बड़े दुःखी हुए।

(ग) ‘जूझ’ पाठ में बचपन में लेखक के मन में पढ़ने के प्रति क्या विचार थे ?
उत्तर – लेखक की पाठशाला में मराठी भाषा के अध्यापक सौंदलगेकर, कविता के अच्छे रसिक व मर्मज्ञ थे। वे कक्षा में सस्वर कविता-पाठ करते थे तथा लय, छद, गति-यति, आरोह-अवरोह आदि का ज्ञान कराते थे। लेखक इनको देखकर बहुत प्रभावित हुआ। इस प्रकार उसके मन में स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास पैदा हुआ।

(घ) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के कथ्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – ओम थानवी ने अतीत में दबे पाँव की रचना यात्रा वृत्तांत के रूप में की है परंतु यह रिपोर्ट से मिलता-जुलता लेख है। इसमें लेखक ने अतीत काल की सिंधु घाटी सभ्यता का रोचक और सजीव वर्णन किया है। यह सभ्यता दो महानगरों मुअनजो-दड़ो और हड़प्पा में बसी हुई थी। इस लेख में मुअनजो-दड़ो शहर और वहाँ की सभ्यता व संस्कृति पर समुचित प्रकाश डाला गया है। लेखक ने यहाँ की बड़ी बस्ती का वर्णन करते हुए महाकुंड का भी परिचय दिया है। सिंधु घाटी सभ्यता में स्तूप, गढ़, स्नानागार, टूटे-फूटे घर, चौड़ी और कम चौड़ी सड़कें, बैलगाड़ियाँ, सूईयाँ, छोटी-छोटी नौकाएँ, मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ और औजार प्राप्त हुए हैं।

(ङ) ऐन को किस कारण लगा था कि उसकी दुनिया पूरी तरह से उलट-पुलट गई थी ?
उत्तर – ऐन के घर बुधवार 8 जुलाई, 1942 को संदेश आया था कि उसकी सोलह वर्षीय बहन मार्गोट को ए०एस०एस० से बुलावा आया था। इस बुलावे का अर्थ उसे यातना शिविर से बुलाया जाना था जिसमें उसे जर्मन सैनिकों की दया पर छोड़ देना था। ऐन के माता-पिता को यह बिल्कुल भी स्वीकार नहीं था इसलिए उन्होंने तुरंत भूमिगत हो जाने का निश्चय कर लिया था। इससे ऐन को लगा था उसकी दुनिया पूरी तरह से उलट-पुलट हो गई थी।

9. ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क)(i) जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम कौन-सा है ?
उत्तर – प्रिंट माध्यम (मुद्रित माध्यम)

(ii) भारत की पहली साइट कौन-सी है ?
उत्तर – रीडिफ (Rediff)

(ख) समाचार कैसे लिखा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पत्रकारीय लेखन का सबसे जाना-पहचाना रूप समाचार-लेखन है। आमतौर पर समाचार-पत्रों में समाचार पूर्णकालिक और अंशकालिक पत्रकार लिखते हैं, जिन्हें संवाददाता या रिपोर्टर भी कहते हैं। अखबारों में प्रकाशित अधिकांश समाचार एक खास शैली में लिखे जाते हैं। इन समाचारों में किसी भी घटना, समस्या या विचार के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य, सूचना या जानकारी को सबसे पहले पैराग्राफ़ में लिखा जाता है। उसके बाद के पैराग्राफ़ में उससे कम महत्वपूर्ण सूचना या तथ्य की जानकारी दी जाती है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक समाचार खत्म नहीं हो जाता।

(ग) दृश्य-माध्यम की तुलना में श्रव्य-माध्यम की क्या सीमाएँ हैं ? इन्हें किस प्रकार दूर किया जा सकता है ?
उत्तर – दृश्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम की अनेक सीमाएं हैं जो इस प्रकार है :
• दृश्य माध्यम में हम नाटक को अपनी आंखों से देख भी सकते हैं और पात्रों के संवादों को सुन भी सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में हम केवल सुन सकते हैं उसे देख नहीं सकते।
• दृश्य माध्यम में हम पात्रों के हाव भाव देखकर उनकी दशा का अनुमान लगा सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में हम ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते।
• दृश्य माध्यम में मंच तथा पात्रों के वस्त्रों की शोभा और उनके सौंदर्य को देख सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में हम इनकी केवल कल्पना कर सकते हैं।
• दृश्य माध्यम में किसी भी दृश्य तथा वातावरण को देखकर आनंद उठा सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में प्रत्येक की स्थिति को केवल ध्वनियों के माध्यम से ही समझ सकते हैं; जैसे जंगल का दृश्य प्रस्तुत करना हो तो जंगली जानवरों की आवाज तथा डरावना संगीत दिया जाता है।
• दृश्य माध्यमों में श्रव्य माध्यमों की तुलना में वातावरण की सृष्टि पात्रों के संवादों से की जाती है। समय की सूचना तथा पात्रों के चरित्र का उद्घाटन भी संवादों के माध्यम से ही होता है।
श्रव्य माध्यम कि इन सीमाओं को ध्वनि माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है।

अथवा

नाटक और कहानी में क्या-क्या असमानताएँ हैं ?
उत्तर – कहानी और नाटक दोनों गद्य विधाएं हैं। इनमें निम्नलिखित असमानताएं या अंतर हैं जो इस प्रकार हैं :
नाटक –
• नाटक एक ऐसी गद्य विधा है जिसका मंच पर अभिनय किया जाता है।
• नाटक का संबंध लेखक, निर्देशक, दर्शक तथा श्रोताओं से है।
• नाटक का मंच पर अभिनय किया जाता है।
• नाटक को दृश्यों में विभाजित किया जाता है।
• नाटक में मंच सज्जा, संगीत और प्रकाश, व्यवस्था का विशेष महत्व होता है।

कहानी –
• कहानी ऐसी गद्य विधा है जिसमें जीवन के किसी अंक विशेष का मनोरंजन पूर्ण चित्रण किया जाता है।
• कहानी का संबंध लेखक और पाठकों से होता है।
• कहानी कहीं अथवा पढ़ी जाती है।
• कहानी को आरंभ, मध्य और अंत के आधार पर बांटा जाता है।
• कहानी में मंच सज्जा, संगीत तथा प्रकाश का महत्व नहीं है।

10. ‘नैतिक शिक्षा’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) भगतसिंह व राजगुरु को लाहौर से बाहर निकालने में दुर्गा भाभी ने किस प्रकार मदद की ?
उत्तर – 1928 में जब भगत सिंह और राजगुरु अंग्रेज अफसर साण्डर्स को मारने के बाद ग्रोजों के कड़ी चौकसी के बीच लाहौर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे तो कोई उन्हें पहचान न सके इसलिए दुर्गा भाभी की सलाह पर एक सुनियोजित रणनीति के तहत भगत सिंह उनके पति, दुर्गा भाभी उनकी पत्नी और राजगुरु नौकर बनकर सफलतापूर्वक वहां से निकल सके थे।

(ख) जगदीश चन्द्र बसु द्वारा विद्युत तरंग पर किए गए शोध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – बोस ने ही सबसे पहले दर्शाया था कि विद्युत चुम्बकीय तरंगें किसी सुदूर स्थल तक हवा के सहारे पहुंच सकती हैं। ये तरंगें किसी क्रिया को दूसरे स्थान से नियंत्रित भी कर सकती हैं। उनकी यही धारणा बाद में रिमोट कंट्रोल सिस्टम का सैद्धांतिक आधार बनीं।

(ग) सनातन धर्म से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘सदा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी समय पूरे भारत तक व्याप्त रहा है। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के उपरांत भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक जनसंख्या इसी धर्म में आस्था रखती है।

(घ) जब करतार सिंह सराबा पर मुकदमा चला तो उनके क्या बयान थे ?
उत्तर – करतार सिंह को फांसी न हो इसके लिए न्यायाधीश ने भी उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की थी। न्यायाधीश ने अदालत में उन्हें अपना बयान हल्का करने का मौका दिया था लेकिन करतार सिंह ने अपने बयानों को और सख्त किया। आखिरकार 13 सितम्बर 1915 उनके 6 साथियों के साथ फांसी की सजा अदालत की तरफ से सुना दी गई और इस वीर बालक ने 19 वर्ष की छोटी उम्र में 16 नवम्बर को भारत माता की गोद में हँसते-हँसते बलिदान दे दिया।

11. निम्नलिखित प्रश्नों के यथानिर्दिष्ट उत्तर दीजिए :
(क) उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर – जहा उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना या संभावना हो, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यदि पंक्ति में – मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
जैसे: ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।

(ख)(i) एकैक, दिगम्बर (संधि-विच्छेद कीजिए)।
उत्तर : एकैक = एक + एक (वृद्धि संधि)
दिगम्बर = दिक् + अम्बर (व्यंजन संधि)

(ii) निः + आमिष (संधि कीजिए)।
उत्तर- निः + आमिष = निरामिष

(ग)(i) द्विगु समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – जिस समास का पहला पद संख्यावाचक हो तथा समस्त पद समूह का बोध कराए तो उसे द्विगु समास कहते हैं। द्विगु समास का समास-विग्रह करते समय दोनों पदों को लिख कर अन्त में ‘का समूह या का समाहार’ लिखते हैं। उदाहरण : चौराहा (चार राहों का समूह)

(ii) राम-कृष्ण, क्रीडाक्षेत्र (विग्रह करके समास का नाम लिखिए)।
उत्तर : राम-कृष्ण = राम और कृष्ण (द्वंद्व समास)
क्रीडाक्षेत्र = क्रीड़ा के लिए क्षेत्र (संप्रदान तत्पुरुष समास)

(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए :
(i) तुम मेरे विचार को नहीं सुनते।
उत्तर – तुम मेरे विचार नही सुनते।

(ii) यह कहानी सोद्देश्यपूर्ण है।
उत्तर – यह कहानी उद्देश्यपूर्ण है।


 

SET–B

1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) ‘पतंग’ कविता में ‘कपास’ किसका प्रतीक है ?
(क) प्रकाश का
(ख) कोमलता का
(ग) शांति का
(घ) सफेदी का
उत्तर – (ख) कोमलता का

(ii) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कार्यक्रम का उद्देश्य कैसा माना गया है ?
(क) राजनीतिक
(ख) आर्थिक
(ग) सामाजिक
(घ) धार्मिक
उत्तर – (ग) सामाजिक

(iii) कवि को किन बादलों की मँडराती कोमलता कष्ट देती है ?
(क) पीड़ा के
(ख) ममता के
(ग) जल से भरे
(घ) काले
उत्तर – (ख) ममता के

(iv) ‘लाल केसर से धुली सिल’ किसे कहा गया है ?
(क) आकाश को
(ख) तारे को
(ग) धरती को
(घ) सूर्य को
उत्तर – (क) आकाश को

(v) लक्ष्मण के पुनर्जीवित होने की बात सुनकर रावण किसके पास जाता है ?
(क) मेघनाद
(ख) अहिरावण
(ग) मंदोदरी
(घ) कुम्भकरण
उत्तर – (घ) कुम्भकरण

(vi) ‘बादलराग’ कविता में आकांक्षाओं से क्या भरी है ?
(क) रण-तरी
(ख) माया
(ग) मानवता
(घ) चेतना
उत्तर – (क) रण-तरी

2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
मुझसे मिलने को कौन विकल ?
मैं होऊँ किसके हित चंचल ?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत काव्याशं ‘हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा रचित कविता ‘एक गीत’ से अवतरित है। इन पक्तियों में कवि ने अपने अकेलेपन की भावना को अभिव्यक्ति प्रदान की है।
व्याख्या – कवि देखता है कि सभी प्राणी और पक्षीगण अपने-अपने घरों की ओर लौटने को उत्सुक प्रतीत होते हैं। सभी के घरों में उनकी प्रतीक्षा हो रही है। लेकिन कवि हताश है, निराश है कि उसके घर में ऐसा कोई नहीं है जो उसकी उत्कंठापूर्ण प्रतीक्षा कर रहा हो, जो उससे मिलने के लिए व्याकुल हो। वह भला किसके लिए चंचल गति से अपने पैर बढ़ाए। यही निराशा का अहसास उसके कदमों में शिथिलता भर देता है और उसका मन पीड़ा से भर उठता है। एक अशांत, विधुर-वियोग जनित प्रमाद एवं विषाद उसे घेरने लगता है। वह अपनी कर्म-गति में एक प्रकार की शिथिलता का अनुभव करने लगता है। उसका हृदय विह्वल हो उठता है। दिन जल्दी ही ढल जाएगा और रात को प्रिय श्यामा की वियोग-वेदना उसे मथती रहेगी। तब उसका हृदय अशांत हो उठेगा।

अथवा

कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष;
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
उत्तर : प्रसगं – प्रस्तुत पक्तियाँ ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित कविता ‘छोटा मेरा खेल’ से अवतरित हैं। इस छोटी-सी कविता में कवि-कर्म के हर चरण को बाँधने की कोशिश की गई है।
व्याख्या – हृदय में जो विचार बीज रूप में आता है वही कल्पना का आश्रय लेकर विकसित होकर रचना का रूप ले लेता है। यह बीज रचना और अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाता है। इस रचना में शब्दों के अंकुर फूट निकलते हैं। अंतत: कृति (रचना) एक संपूर्ण स्वरूप धारण कर लेती है। इस प्रक्रिया मे कवि स्वयं विगलित हो जाता है।

3. गजानन माधव मुक्तिबोध अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन, साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर –

गजानन माधव मुक्तिबोध

जन्म – इनका जन्म 13 नवंबर सन् 1917, श्योपुर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था ।
शिक्षा – उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में की। 1938 में इन्होंने इंदौर के होल्कर से बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की। 1954 में उन्होंने एम. ए. की डिग्री प्राप्त की। वे उज्जैन के मॉर्डन स्कूल में अध्यापक के पद पर आसीन रहे। सन 1958 में उन्हें प्राध्यापक पद पर राजनाँद गाँव के दिग्विजय कॉलेज में नियुक्ति मिली।
प्रमुख रचनाएँ – इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं : चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक धूल (कविता संग्रह); काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी (कथा साहित्य); कामायनी – एक पुनर्विचार, नयीं कविता का आत्मसंघर्ष, नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, (अब ‘आखिर रचना क्यों’ नाम से) समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी (आलोचना ); भारत : इतिहास और संस्कृति।
साहित्यिक विशेषताएं – छायावाद और स्वच्छंदतावादी कविता के बाद जब नयी कविता आई तो मुक्तिबोध उसके अगुआ कवियों में से एक थे। मराठी संरचना से प्रभावित लंबे वाक्यों ने उनकी कविता को आम पाठक के लिए कठिन बनाया लेकिन उनमें भावनात्मक और विचारात्मक ऊर्जा अटूट थी, जैसे कोई नैसर्गिक अंत: स्रोत हो जो कभी चुकता ही नहीं बल्कि लगातार अधिकाधिक वेग और तीव्रता के साथ उमड़ता चला आता है। यह ऊर्जा अनेकानेक कल्पना-चित्रों और फैंटेसियों का आकार ग्रहण कर लेती है।
भाषा शैली – इनकी भाषा उत्कृष्ट है। भावों के अनुरूप शब्द गढ़ना और उसका परिष्कार करके उसे भाषा में प्रयुक्त करना भाषा-सौंदर्य की अद्भुत विशेषता है। इन्होंने तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, अरबी और फ़ारसी के शब्दों का भी प्रयोग किया है। इनकी प्रमुख शैली व्यंजनात्मक, चित्रात्मक, व्यंग्यात्मक, प्रतीकात्मक हैं।
निधन – इनका निधन 11 सितंबर सन् 1964, नयी दिल्ली में हुआ।

अथवा

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

जन्म –सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी का जन्म सन् 1899 मे महिषादल, (बंगाल के मेदिनीपुर जिले में) पैतृक गाँव- गढ़ाकोला (उन्नाव, उ. प्र.) में हुआ।
शिक्षा – निराला जी की शिक्षा बंगाली माध्यम से शुरू हुई। हाईस्कूल पास करने के पश्चात् उन्होंने घर पर ही संस्कृत और अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन किया। हाईस्कूल करने के पश्चात् वे लखनऊ और उसके बाद गढकोला (उन्नाव) आ गये। वे हिन्दी, बंगला, अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषा में निपुण थे और श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द और श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर से विशेष रूप से प्रभावित थे।
प्रमुख रचनाएँ – परिमल, अनामिका, गीतिका, नए पत्ते, अणिमा, बेला, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता (कविता संग्रह); चतुरी चमार, बिल्लेसुर बकरिहा, प्रभावती, चोटी की पकड़, काले कारनामे (गद्य)। इन्होंने आठ खंडों में ‘निराला रचनावली’ प्रकाशित की थी। इन्होंने मतवाला, समन्वय पत्रिका का संपादन किया था।
साहित्यिक विशेषताएँ – निराला जी छायावाद के ऐसे कवि रहे हैं जो एक ओर कबीर की परंपरा से जुड़ते हैं तो दूसरी ओर समकालीन कवियों के प्रेरणा स्रोत भी रहे हैं। उनके द्वारा रचित विस्तृत काव्य-संसार अपने भीतर संघर्ष और जीवन, क्रांति और निर्माण ओज और माधुर्य, आशा और निराशा के द्वंद्व को इस तरह से समेटे हुए है कि वह किसी भी सीमा में बँध नहीं पाता है। उनका यही निर्बंध और उदात्त काव्य-व्यक्तित्व कविता और जीवन में अन्तर नहीं रखता। वे दोनों आपस में घुले मिले हैं। उनकी कविता उल्लास-शोक, राग-विराग, उत्थान – पतन, अंधकार-प्रकाश का संजीव वर्णन है। उन्होंने छंद के बन्धन को ही नहीं तोड़ा बल्कि काव्य विषय और युग की सीमाओं को भी अतिक्रमित किया है।
भाषा शैली – निराला की कविता में विषयों और भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी कई रंग हैं। एक तरफ तो तत्सम सामासिक पदावली और ध्वन्यात्मक बिंबों से छंदबद्ध राम की शक्ति पूजा का प्रतिमान तुलसीदास है तो दूसरी तरफ देशी टटके शब्दों की सरलता लिए कुकुरमुत्ता, रानी और कानी, महँगू महँगा रहा जैसी कविताएँ हैं।
निधन – इनका निधन सन् 1961 में इलाहाबाद में हुआ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(क) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में ‘छिपी क्रूरता की कविता है’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – दूरदर्शन पर एक अपाहिज का साक्षात्कार‚ व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिखाया जाता है। दूरदर्शन पर एक अपाहिज व्यक्ति को प्रदर्शन की वस्तु मान कर उसके मन की पीड़ा को कुरेदा जाता है‚ साक्षात्कारकर्ता को उसके निजी सुख दुख से कुछ लेना-देना नहीं होता है। यहाँ पर कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकतर कार्यक्रम केवल संवेदनशीलता का दिखावा करते हैं।

(ख) ‘बादल राग’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘बादल राग’ निराला जी की प्रसिद्ध कविता है। वे बादलों को क्रांतिदूत मानते हैं। बादल शोषित वर्ग के हितैषी हैं, जिन्हें देखकर पूँजीपति वर्ग भयभीत होता है। बादलों की क्रांति का लाभ दबे-कुचले लोगों को मिलता है, इसलिए किसान और उसके खेतों में बड़े-छोटे पौधे बादलों को हाथ हिला-हिलाकर बुलाते हैं।

5. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) लछमिन का विवाह किस गाँव में हुआ ?
(क) झूंसी
(ख) हँडिया
(ग) श्योपुर
(घ) महिषादल
उत्तर – (ख) हँडिया

(ii) ‘बाजार दर्शन’ पाठ में मित्र ने लेखक के सामने अपना क्या फैला दिया ?
(क) मनी बैग
(ख) थैला
(ग) अँचल
(घ) हाथ
उत्तर – (क) मनी बैग

(iii) ‘काले मेघा पानी दें’ पाठ में लेखक में बचपन के कैसे संस्कार थे ?
(क) सनातन धर्मी
(ख) कबीर पंथी
(ग) आर्य समाजी
(घ) जैन धर्म के
उत्तर – (ग) आर्य समाजी

(iv) शेर के टायटिल से जाना जाने वाला पहलवान का असली नाम क्या था ?
(क) मनकू
(ख) लुट्टन
(ग) चाँदसिंह
(घ) बादलसिंह
उत्तर – (ग) चाँदसिंह

(v) चैप्लिन की कला कितनी पीढ़ियों को मुग्ध कर चुकी है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर – (घ) पाँच

(vi) पुराने कवि किस पेड़ को दोलाओं में लगा देखना चाहते थे ?
(क) शिरीष
(ख) आम
(ग) बकुल
(घ) अशोक
उत्तर – (ग) बकुल

6. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दूसरे दिन तड़के ही सिर पर कई लोटे औंधाकर उसने मेरी धुली धोती जल के छींटों से पवित्र कर पहनी और पूर्व के अंधकार और मेरी दीवार से फूटते हुए सूर्य और पीपल का, दो लोटे जल से अभिनंदन किया। दो मिनट नाक दबाकर जप करने के उपरांत जब वह कोयले की मोटी रेखा से अपने साम्राज्य की सीमा निश्चित कर चौके में प्रतिष्ठित हुई, तब मैंने समझ लिया कि इस सेवक का साथ टेढ़ी खीर हैं।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखित ‘भक्तिन’ पाठ से लिया गया है।
व्याख्या – जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर भक्तिन ने गाँव छोड़ दिया और महादेवी जी के यहाँ नौकरी करने के लिए आ पहुँची। महादेवी जी ने उससे भोजन बनाने के बारे जानकारी ली और उसे भोजन बनाने का काम सौंप दिया। अगले दिन भक्तिन ने दो-तीन लोटे जल शरीर पर डाला, महादेवी जी की धुली धोती पर जल के छींटे मार कर उसे पवित्र किया और फिर उगते हुए सूरज और पीपल को भी दो लोटे जल चढ़ाकर स्वागत किया।

अथवा

गमनागमन की स्वाधीनता, जीवन तथा शारीरिक सुरक्षा की स्वाधीनता के अर्थों में शायद ही कोई ‘स्वतन्त्रता’ का विरोध करे। इसी प्रकार सम्पत्ति के अधिकार, जीविकोपार्जन के लिए आवश्यक औजार व सामग्री रखने के अधिकार जिससे शरीर को स्वस्थ रखा जा सके, के अर्थ में भी ‘स्वतन्त्रता’ पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती। तो फिर मनुष्य की शक्ति के सक्षम एवं प्रभावशाली प्रयोग की भी स्वतन्त्रता क्यों न प्रदान की जाए ?
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश ‘बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ‘ द्वारा लिखित ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा व मेरी कल्पना का आदर्श समाज’ पाठ से लिया गया है।
व्याख्या – इसमें स्वतन्त्रता के विभिन्न पहलुओं के बीच अंतर बताया गया है। शारीरिक स्वतंत्रता व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक, शरीरिक और आध्यात्मिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सम्पत्ति के अधिकार व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बहुत जरूरी होते हैं। समाज में व्यक्ति अपने अधिकारों के जरिए अपनी पहचान का निर्माण करता है। स्वतंत्रता उस अधिकार का तंत्र होती है जो उसे व्यक्तिगत रूप से उन्नति दिलाता है। हमें इस अनुभव के साथ यह समझना चाहिए कि स्वतंत्रता व्यक्ति की अपनी पहचान बनाने में मदद करती है और उसे समझने में मदद करती है। इसलिए, हमें मनुष्य की शक्ति के सक्षम और प्रभावशाली प्रयोग की स्वतंत्रता को प्रदान करना चाहिए। नकारात्मक सोच को छोड़कर, हमारे सोच में जगह बनाकर हमें स्वतंत्रता को प्रचलित करना चाहिए जो हमें आगे बढ़ने में मदद करेगी।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘नमक’ कहानी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘नमक’ कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलती मार्मिक कहानी है। लाहौर से आई सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है तथा लेखिका को वहाँ से नमक लाने को कहती है। पाकिस्तान में कस्टम अधिकारी दिल्ली को अपना वतन मानता है और उसे नमक ले जाने देता है। दिल्ली का कस्टम अधिकारी ढाका को अपना वतन मानता है। वस्तुतः ज़मीन पर खींची हुई रेखाएँ लोगों के दिलों को नहीं बाँटती।

(ख) चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हँसता है ?
उत्तर – वह अपनी गर्व की भावना, अपने प्रति सम्मान की भावना, अपनी सफलता, अपनी सभ्यता तथा संस्कृति के प्रति प्रेम तथा अपनी श्रेष्ठता को दूसरों को दिखाने के उद्देश्य से स्वयं पर हँसता है। उसकी हँसी, मज़ाक का कारण नहीं है, उसकी हँसी तो सम्मान का कारण है। प्रायः लोग दूसरों पर तब हँसते हैं, जब वह मज़ाक उड़ाते हैं। लेकिन चार्ली तब हँसता है, जब वह अपने श्रेष्ठता सिद्ध कर देता है।

(ग) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जानने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ़ व्यक्तिगत सत्ता-परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एकदम नई व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकार के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हाय-तौबा करने वाली कठोर भूमि पर पटक देती है। मनुष्यता की साधना और जीवन-सौन्दर्य के लिए लोक कलाओं को प्रासंगिक बनाये रखने हेतु सबकी क्या भूमिका है ऐसे कई प्रश्नों को व्यक्त करना इस कहानी का उद्देश्य है।

8. वितान (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘सिल्वर वैडिंग’ पार्टी में यशोधर बाबा ने केक एवं लड्डू क्यों नहीं खाए ?
उत्तर – यशोधर बाबू ने केक इसलिए नहीं खाया क्योंकि उन्हें केक पसंद नहीं था। केक में अंडा होता था जबकि यशोधर बाबू शाकाहारी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। वे केक काटना पसंद नही करते थे और ना ही उन्हें विदेशी तरीके से जन्मदिन मनाना पसंद था।

(ख) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में गिरीश कौन है ? आप उसके बारे में क्या जानते हैं ?
उत्तर – गिरीश, यशोधर बाबू की पत्‍नी का चचेरा भाई था। गिरीश बड़ी कम्‍पनी में काम करता था। वह ‘मार्केटिंग मैनेजर’ था। गिरीश की सहायता से ही यशोधर बाबू के बेटे को विज्ञापन कम्‍पनी में बढ़िया नौकरी मिली थी।

(ग) ‘जूझ’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘जूझ’ में लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएँ तो जीवन में आती ही रहती हैं। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों से जूझने के लिए आत्मविश्वास का होना जरूरी है। आत्मविश्वास के अभाव में व्यक्ति संघर्ष नहीं कर सकता। जो व्यक्ति संघर्ष करता है अंतत: सफलता मिलती ही है।

(घ) सिंधु घाटी सभ्यता के कोठारों के बारे में लेखक के क्या विचार थे ?
उत्तर – अनाज को रखने के लिए कोठार (अन्नागार) बनाए थे। कोठार (अन्नागार) में हवा जाने के लिए स्थान बनाये गये थे। उसके उत्तर की ओर एक चबूतरा है जो अन्न रखने और निकलने के समय प्रयोग किया जाता रहा होगा। अन्नागार का सुदृढ़ आकार-प्रकार, हवा आने जाने की व्यवस्था तथा इसमें अन्न भरने की सुविधा आदि निसंदेह उच्च कोटि की थी।

(ङ) अज्ञातवास के दौरान ऐन और वान के परिजन बिजली क्यों नहीं जलाते थे ?
उत्तर – वह बताती है कि इन दिनों वे बिजली और राशन ज्यादा खर्च कर चुके हैं। उन्हें और किफ़ायत करनी होगी ताकि बिजली का कट न लगे। साढ़े चार बजते ही अँधेरा हो जाता है। उस समय पढ़ा नहीं जा सकता।

9. ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क)(i) विश्व स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का दूसरा दौर कब से कब तक चला ?
उत्तर – 1993 से 2001 तक

(ii) अंशकालिक पत्रकार किसे कहते हैं ?
उत्तर – अंशकालिक पत्रकार को स्ट्रिंगर भी कहते हैं। यह किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करता है।

(ख) ‘परीक्षा के दिन’ विषय पर एक लेख-लिखिए।
उत्तर – परीक्षा कैसी भी हो और किसी की भी हो, परीक्षा परीक्षा होती है, यह परीक्षा के दिन अन्य दिन के मुकाबले किस तरह भारी पड़ते हैं, यह वही अच्छी तरह समझ सकता है, जो परीक्षा के दौर से गुजर रहा होता है। इस कारण परीक्षा के दिन आते ही उनके हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। साल भर तक काफी मेहनत और लगन से परीक्षा की तैयारी करने पर भी जब परीक्षा के दिन आते हैं तो उत्सुकता और बेचैनी बढ़ जाती है। खेलकूद लगभग बन्द हो जाते हैं। टीवी देखना, घूमने जाना न के बराबर होता है। प्रायः सभी छात्र परीक्षा के दिनों में अत्यधिक सावधानी से तैयारी करते हैं, पढ़े हुए एवं याद किये गये पाठों को दुहराते हैं। रात में काफी देर तक जागते हैं और अगले दिन की परीक्षा के लिए मन को मजबूत करते हैं। परीक्षा में प्रश्न-पत्र सरल आने पर प्रसन्न हो जाते हैं और उमंग के साथ अगले पेपर की तैयारी में लग जाते हैं। इस प्रकार परीक्षा के दिन सभी छात्रों के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं।

(ग) विशेष लेखन से क्या अभिप्राय है ? यह क्यों लिखा जाता है ?
उत्तर – सामान्य लेखन से हटकर किसी खास विषय पर लिखा गया लेख विशेष लेखन कहलाता है। इसमें अखबारों के लिए समाचारों के अलावा खेल, अर्थ-व्यापार, सिनेमा या मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों और विषयों संबंधित घटनाएँ, समस्याएँ आदि से संबंधित लेख लिखा है। इसमें विषय की गहराई, विस्तार और विशेषता को समझाया जाता है। इसलिए, विशेष लेखन को ज्यादातर संबोधन, भाषण, रिपोर्ट, लेख, आलेख, संक्षेपण, आदि में उपयोग किया जाता है। विशेष लेखन का प्रयोजन होता है कि पाठकों को समझ में आने वाली चुनौतियों, समस्याओं, संदेहों, सम्प्रेषणों, आदि का समाधान प्रस्तुत किया जाए।

अथवा

कहानी के नाट्य रूपांतरण में किस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर – कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो इस प्रकार है :
• सबसे प्रमुख समस्या कहानी के पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रसंगों अथवा मानसिक द्वंद्वों के नाटकीय प्रस्तुति में आती है।
• पात्रों के द्वंद्व को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या आती है।
• संवादों को नाटकीय रूप प्रदान करने मे समस्या आती है।
• संगीत, ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था करने में समस्या होती है।
• कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या होती है।

10. ‘नैतिक शिक्षा’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) साण्डर्स वध के बाद सुखदेव द्वारा क्रांतिकारियों को सहयोग देने के प्रश्न पर दुर्गा भाभी ने क्या विचार व्यक्त किए ?
उत्तर – साण्डर्स वध के पश्चात् सुखदेव दुर्गा भाभी के पास आये। सुखदेव ने दुर्गा भाभी से 500 सौ रूपये की आर्थिक मदद ली तथा उनसे प्रश्न किया – आपको पार्टी के काम से एक आदमी के साथ जाना है, क्या आप जायेंगी? तो जवाब में ‘हाँ’ मिला।

(ख) महात्मा बुद्ध के अष्टमार्ग का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – महात्मा बुद्ध के अष्टमार्ग का स्वरूप आठ गुणों से मिलकर बना हुआ है, जो बुद्ध ने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करते हुए बताए थे। यह एक मार्ग है जिससे मानव अंतःकरण को शुद्ध, संतुलित तथा निर्मल बनाया जा सकता है। अष्टमार्ग के गुण निम्नलिखित हैं – सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति तथा सम्यक समाधि।

(ग) अनागत विधाता नामक मछली की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर – अनागत विधाता का व्यवहारिक दिमाग था और वह अपने सभी कार्यों की पहले से ही योजना बना लेती थी।

(घ) अस्वच्छता से क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर – साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। उसे अपने और आस-पास के क्षेत्र को साफ रखना तथा अपने कार्यस्थल पर गंदगी नहीं फैलाना चाहिए। अगर वह सफाई नहीं रखेगा तो मक्खी, मच्छर तथा अन्य हानिकारक कीड़े घर में प्रवेश करेंगें जिससे अनेक प्रकार के रोग फैल जायेंगे।

11. निम्नलिखित प्रश्नों के यथानिर्दिष्ट उत्तर दीजिए :
(क) यमक अलंकार की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर – जहाँ पर एक शब्द एक से अधिक बार आए और हर बार अलग-अलग अर्थ निकले, वहाँ यमक अलंकार होता है। इसकी पहचान एक शब्द के बार बार दोहराए जाने से की जाती है।
उदाहरण : कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय।।

(ख)(i) उद्घाटन, यथेष्ट (संधि-विच्छेद कीजिए)।
उत्तर : उद्घाटन = उत् + घाटन (व्यंजन संधि)
यथेष्ट = यथा + इष्ट (गुण संधि)

(ii) निः+ उपम (संधि कीजिए)।
उत्तर- निः + उपम = निरुपम

(ग)(i) अव्ययीभाव समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – जहाँ प्रथम पद या पूर्व पद प्रधान हो तथा समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।

(ii) जन्मभूमि, लम्बोदर (विग्रह करके समास का नाम लिखिए)।
उत्तर : जन्मभूमि = जन्म की भूमि (तत्पुरुष समास)
लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका अर्थात् गणेश (बहुव्रीहि समास)

(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए :
(i) वर्षा ऋतु में गरीबों को जलाने के लिए लकड़ियाँ नहीं मिलती।
उत्तर – गरीबों को वर्षा ऋतु में जलाने के लिए लकड़ियाँ नहीं मिलती।

(ii) लोग परस्पर आपस में लड़ते रहते हैं।
उत्तर – लोग आपस में लड़ते रहते हैं।


 

SET–C

1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) ‘पतंग’ कविता में दौड़ते बच्चे दिशाओं को किसकी तरह बजाते हैं ?
(क) ढोल
(ख) वीणा
(ग) बाँसुरी
(घ) मृदंग
उत्तर – (घ) मृदंग

(ii) कैमरे वाला किन्हें साथ-साथ रुलाना चाहता है ?
(क) नायक-नायिका
(ख) पाठक-कवि
(ग) अपाहिज-दर्शक
(घ) कवि-कविता
उत्तर – (ग) अपाहिज-दर्शक

(iii) ‘तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित रहने का रमणीय यह उजेला’ – यहाँ ‘आच्छादित’ का अर्थ है :
(क) ढका हुआ
(ख) छेदा हुआ
(ग) घिरा हुआ
(घ) तुच्छ
उत्तर – (ग) घिरा हुआ

(iv) उषा का जादू किससे टूटने की बात कही गई है ?
(क) लाल केसर से
(ख) भोर के नभ से
(ग) सूर्योदय से
(घ) वर्षा से
उत्तर – (ग) सूर्योदय से

(v) ‘सहेहु विपिन हिम आतप बाता’ – यहाँ ‘बाता’ का अर्थ है :
(क) बातचीत
(ख) गर्मी
(ग) हवा
(घ) शीतलता
उत्तर – (ग) हवा

(vi) किस्मत हमें रोती है तो किस्मत को कौन रोता है ?
(क) हम
(ख) दूसरे
(ग) सभी
(घ) त्रस्त
उत्तर – (क) हम

2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी !
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत काव्याशं ‘कुंवर नारायण’ द्वारा रचित कविता ‘बात सीधी थी पर’ से अवतरित है। इस कविता में भाषा की सहजता की बात कही गई है और बताया गया है कि चमत्कार के चक्कर में भाषा कैसे दुरूह और अप्रभावी हो जाती है।
व्याख्या – जब हम किसी बात को असहज बना देते हैं तब वह उलझकर रह जाती है। जिस प्रकार हम किसी पेंच के कसने में जोर-जबरदस्ती करते हैं तो उसकी चूड़ी मर जाती है और फिर वह ठीक प्रकार से कसा नहीं जाता, ढीला रह जाता है यही स्थिति बात की है। जब किसी बात के साथ जोर-जबरदस्ती की जाती है तब बात की धार मारी जाती है। वह अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाती। ऐसा तब होता है जब हम उसे व्यक्त करने के लिए भाषा के उपयुक्त शब्दों का प्रयोग नहीं करते। सही शब्द-प्रयोग ही बात को प्रभावी बनाता है। बलपूर्वक की गई बात महत्त्वहीन हो जाती है। इसका कोई नतीजा नहीं निकलता।

अथवा

हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत काव्याशं ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित कविता ‘बगुलों के पंख’ से अवतरित है। इस कविता में सौंदर्य की नयी परिभाषा प्रस्तुत की गई है तथा मानव-मन पर इसके प्रभाव को बताया गया है।
व्याख्या – कवि कहता है यह दृश्य इतना आकर्षक है कि अपने जादू से यह मुझे धीरे-धीरे बाँध रहा है। मैं उसमें खोता जा रहा हूँ। कवि आहवान करता है कि इस आकर्षक दृश्य के प्रभाव को कोई रोके। वह इस दृश्य के प्रभाव से बचना चाहता है, परंतु यह दृश्य तो कवि की आँखों को चुराकर ले जा रहा है। आकाश में उड़तें पंक्तिबद्ध बगुलों के पंखों में कवि की आँखें अटककर रह जाती हैं।

3. हरिवंश राय बच्चन अथवा तुलसीदास के जीवन, साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर –

हरिवंश राय बच्चन

जन्म – हरिवंश राय बच्चन का जन्म सन् 1907 में इलाहाबाद में हुआ।
शिक्षा – इन्होंने एम.ए.पी.एच.डी.(कैंब्रिज) तक की। ये 1942-1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे तथा आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से संबंधित भी रहे, उसके बाद ये विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ रहे।
प्रमुख रचनाएँ – इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं : मधुशाला(1935), मधुबाला(1938), मधुकलश(1938), निशा-निमंत्रण, आकुल-अंतर, एकांत संगीत, मिलनयामिनी, सतरंगिणी, नए पुराने झरोखे, टूटी-फूटी कड़ियाँ (काव्य संग्रह); क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, आरती और अंगारे, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक (आत्मकथा); प्रवास की डायरी (डायरी); हैमलेट, जनगीता, मैकबेथ (अनुवाद)। उनका पूरा वाङ्मय ‘बच्चन ग्रंथावली’ के नाम से दस खंडों में प्रकाशित हो चुका है।
साहित्यिक विशेषताएँ – दोनों महायुद्धों के बीच के मध्यवर्गीय बेचैन विकल मन को कवि बच्चन जी ने अपनी वाणी द्वारा अभिव्यक्त किया है। उन्होंने छायावादी लाक्षणिक वक्रता के बजाय सीधी-सादी जीवंत और संवेदनशील गेय शैली में अपनी बात को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन में घटी हुई घटनाओं को भी सहज एवम् अनुभूति की ईमानदारी से अभिव्यक्त किया। बच्चन के द्वारा कविता का जो रूप प्रकट हुआ, यह रूप हिंदी काव्य संसार में उनकी विलक्षण लोकप्रियता का मूल कारण रहा है।
भाषा शैली – लेखक ने अत्यन्त सहज तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है जिस कारण सर्वत्र रोचकता बनी रहती है। लेखक की भाषा मे चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। लेखक ने अपने भावों को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए तत्सम, देशज, विदेशी शब्दों के अतिरिक्त मुहावरों का भी यथास्थान सहज रूप से प्रयोग किया है।
निधन – इनका निधन सन् 2003 में मुम्बई में हुआ।

अथवा

तुलसीदास

जन्म – गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में बाँदा (उत्तर प्रदेश) जिले के राजापुर गाँव में हुआ।
शिक्षा – तुलसीदास जी की प्रारम्भिक शिक्षा उनके गुरु नरसिंह दास जी के आश्रम में हुई थी। नरसिंह बाबा जी के आश्रम में रहते हुए तुलसीदास (रामबोला) जी ने 15 से 16 साल की उम्र तक सनातन धर्म, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दू साहित्य, वेद दर्शन, छः वेदांग, ज्योतिष शास्त्र आदि की शिक्षा प्राप्त की।
प्रमुख रचनाएँ – इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं : गीतावली, रामचरितमानस, रामाज्ञा प्रश्न, विनयपत्रिका, श्रीकृष्ण, दोहावली, कवितावली।
साहित्यिक विशेषताएँ – भक्तिकालीन सगुण काव्य-धारा की रामभक्ति शाखा के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास में भक्ति से कविता लिखने की प्रक्रिया की सहज परिणति हुई है। काव्य-रचना में उनकी भक्ति इस हद तक लोकोन्मुख रही है कि वे हिन्दी-साहित्य में लोकमंगल की साधना के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह बात उनकी काव्य-संवेदना की दृष्टि से ही नहीं वरन् काव्यभाषा के घटकों की दृष्टि से भी पूर्णतया सत्य है। इसका सबसे मुख्य प्रमाण तो यह है कि उन्होंने शास्त्रीय भाषा (संस्कृत) में सर्जन क्षमता होने के बावजूद भी लोकभाषा (अवधी व ब्रजभाषा) में साहित्य की रचना की।
भाषा शैली – तुलसीदास जी इस अर्थ में भी हिंदी के जातीय कवि हैं कि वे अपने समय में हिंदी क्षेत्र में प्रचलित सभी भावात्मक व काव्यभाषाई तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। उनके काव्य में भाव, विचार, काव्य-रूप, छंद और काव्यभाषा की जो बहुल समृद्धि दिखती है- वह अद्वितीय है। उन्होंने तत्कालीन हिंदी क्षेत्र की दोनों काव्य भाषाओं अवधी व ब्रजभाषा तथा दोनों संस्कृति कथाओं सीताराम व राधाकृष्ण की कथाओं को अपनी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनाया है।
मृत्यु – इनकी मृत्यु सन् 1623 ई. में काशी में हुई।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(क) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ गीत का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस गीत में कवि ने प्रकृति की दैनिक परिवर्तनशीलता के संदर्भ में प्राणी के धड़कते हृदय की भावनाओं को सुनने का प्रयास किया है। समय चिर परिवर्तनशील है। किसी प्रिय के आलंबन या विषय से भावी साक्षात्कार का आश्वासन ही हमारे प्रयास के चरणों की गति में और अधिक गतिशीलता एवं साहस पैदा कर देता है। कविता में कवि ने प्रेम की व्यग्रता और जल्दी जाने की चाह को व्यक्त किया है। जहाँ एक ओर पथिक अपने प्रियजनों से मिलने के लिए जल्दी जल्दी चलता है, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों के विषय में सोचकर पक्षियों के पंखों में फड़फड़ाहट भर जाती है।

(ख) ‘मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं’ – यहाँ ‘परदा खोलने’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – खुद का परदा खोलने का तात्पर्य है- अपना असली चेहरा दूसरों को दिखा देते हैं। शायर कहता है कि जब हम किसी की बुराई कर रहे होते हैं, तो हम यह भूल जाते हैं कि हम सामने वाले को अपना असली चेहरा दिखा देते हैं। उससे पहले हमारे बारे में कोई भी राय क्यों न कायम की हो। जैसे ही हम किसी की बुराई करते हैं, उसे पता चल जाता है कि हम अच्छे इंसान नहीं है। बुराई करना कोई अच्छी बात नहीं है। दूसरे से किसी ओर की बुराई करना, तो और भी बुरी बात है। अतः हमें चाहिए कि किसी के लिए भला-बुरा बोलने से पहले यह जान ले कि हम स्वयं की छवि को कितना नुकसान पहुँचा रहे हैं।

5. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) शास्त्र का प्रश्न भक्तिन किसकी सुविधा के अनुसार सुलझा लेती थी ?
(क) पुराणों की
(ख) दूसरों की
(ग) अपनी
(घ) मालकिन की
उत्तर – (ग) अपनी

(ii) लेखक ने चूरनवाले को ‘अकिंचित्कर’ कहा है, जिसका अर्थ है :
(क) ठग
(ख) भिखारी
(ग) अर्थहीन
(घ) व्यापारी
उत्तर – (ग) अर्थहीन

(iii) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में वर्षा के बादलों का स्वामी किसे कहा है ?
(क) श्रीकृष्ण
(ख) वरुण
(ग) इन्द्र
(घ) जलदेवता
उत्तर – (ग) इन्द्र

(iv) लुट्टन पहलवान के माता-पिता उसे कितने वर्षों की आयु में अनाथ बनाकर चल बसे ?
(क) 5 वर्ष
(ख) 7 वर्ष
(ग) 9 वर्ष
(घ) 11 वर्ष
उत्तर – (ग) 9 वर्ष

(v) किस ग्रंथ में बताया गया है कि वाटिका के सघन छायादार वृक्षों की छाया में ही झूला (प्रेक्षा दोला) लगाया जाना चाहिए ?
(क) कामसूत्र
(ख) ऋग्वेद
(ग) मेघदूत
(घ) सूरसागर
उत्तर – (क) कामसूत्र

(vi) आम्बेडकर ने भाईचारे के वास्तविक रूप को किसके मिश्रण की भाँति बताया है
(क) घी-दूध
(ख) दही-मक्खन
(ग) आटा-नमक
(घ) दूध-पानी
उत्तर – (घ) दूध-पानी

6. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं ? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं ?
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश लेखक ‘धर्मवीर भारती’ द्वारा लिखित पाठ ‘काले मेघा पानी दे’ से लिया गया है। लेखक देशवासियों को देश के प्रति उनके कर्तव्यों का स्मरण करा रहा है।
व्याख्या – लेखक कहते है कि लोग स्वयं को बड़े ईमानदार समझते हुए दूसरों के दुर्गुणों का बखान किया करते हैं। इस काम में उन्हें बड़ा रस आता है। किस-किस ने क्या-क्या भ्रष्टाचार और घोटाले किये हैं यह तो हमें पता है पर हम अपने भीतर झाँक कर नहीं देखते कि कहीं वे स्वयं भी तो इस भ्रष्टाचार में सहायक नहीं हैं। हम सभी जाने-अनजाने इस भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा दे रहे हैं। यही कारण है कि देश पूरी गति से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। अनेक योजनाएँ बनती हैं। लाखों-करोड़ों की धनराशि व्यय होती है लेकिन जनता के हाथ कुछ नहीं पड़ता। उसकी झोली तो खाली की खाली ही रह जाती है। मेघ खूब बरसते हैं पर जनता के दुर्भाग्य की फूटी गगरी रीती की रीती रह जाती है। इतनी वर्षा में भी बैल बेचारे प्यासे रह जाते हैं।

अथवा

फिर उन्होंने मेज की दराज खींची और उसमें अंदर दूर तक हाथ डालकर एक किताब निकाली। किताब को सफिया के सामने रखकर उन्होंने पहला सफा खोल दिया। बाईं ओर नजरुल इस्लाम की तसवीर थी और टाइटल वाले सफ़े पर अंग्रेजी के कुछ धुंधले शब्द थे – “शमसुलइसलाम की तरफ से सुनील दास गुप्ता को प्यार के साथ, ढाका 1946”
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश ‘रजिया सज्जाद जहीर’ द्वारा लिखित पाठ ‘नमक’ से लिया गया है।
व्याख्या – इसमें सफिया और नजरुल इस्लाम के बीच एक संवाद दिखाया गया है। संवाद शुरू होता है, जब सफिया बहुत भूखी हो जाती है और वह नहीं जानती कि अगला भोजन कब मिलेगा। उस समय, नजरुल इस्लाम उसे नमक देने के लिए कहते हैं। उसे नमक देने से पहले, वह मेज की दराज खींचते हैं और एक किताब निकालते हैं। नजरुल इस्लाम द्वारा पहला सफा खोला जाता है जिस पर शमसुलइसलाम का फोटो था और टाइटल वाले सफ़े पर अंग्रेजी के कुछ शब्द थे। उस शब्दों से पता चलता है कि वह सफ़ा संवाद रूप में लिखा गया है। इस संवाद में, शमसुलइसलाम ने सुनील दास गुप्ता को 1946 में ढाका में प्यार के साथ लिखा हुआ पत्र लिखा है। इस संवाद से हमें पता चलता है कि शमसुलइसलाम ने अपने प्रिय दोस्त सुनील दास गुप्ता को किताब लिखने के लिए प्रेरित किया था।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘नमक’ कहानी में सिख बीबी को देखकर सफिया हैरान क्यों रह गई ?
उत्तर – सफ़िया, सिख बीबी को देखकर हैरान इसलिए रह गई थी क्योंकि वह उसकी माँ से मिलती-जुलती थी। भारी भरकम जिस्म, आँखें छोटी-छोटी व चमकदार, चेहरा खुली हुई किताब की तरह और सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसी समानताएँ सिख बीबी और लेखिका की माँ में मिलती थीं।

(ख) भक्तिन के परिवार के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – भक्तिन झूसी गाँव के प्रसिद्ध अहीर की पुत्री है। बचपन में ही माता की मृत्यु होने पर विमाता ने पालपोस कर बड़ा किया। पाँच वर्ष की अवस्था में ही पिता ने उसका विवाह हड़ियाँ गाँव के एक सम्मपन अहीर के सबसे छोटे पुत्र से कर दिया। नौ वर्ष की आयु में ही उसका गौना कर दिया। उसके लगातार तीन लड़कियाँ पैदा हुई तो सास व जेठानियों ने उसकी उपेक्षा करनी शुरू कर दी। इसका कारण यह था कि सास के तीन कमाऊ बेटे थे तथा जेठानियों के काले-काले पुत्र थे। जेठानियाँ बैठकर खातीं तथा घर का सारा काम जैसे- चक्की चलाना, कूटना, पीसना, खाना बनाना आदि भक्तिन करती।

(ग) ‘बाजार दर्शन’ पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। यदि हम अपनी आवश्यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाजार का उपयोग करें तो उसका लाभ उठा सकते हैं।

8. वितान (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी की मूल संवेदना दो पीढ़ियों के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के आदर्शो और मूल्यों से जुड़े हैं जबकि उनके बेटे नई पीढ़ी के अनुसार जीने मे विश्वास रखते हैं। लेखक ने इस कहानी में दोनों पीढ़ियों के अंतर को कुशलतापूर्वक अभिव्यक्त किया है।

(ख) यशोधर बाबू को भूषण ने उपहार देते समय क्या कहा और उन्हें यह सब कैसा लगा ?
उत्तर – जब यशोधर बाबू को भूषण ने ‘ड्रैसिंग गाउन’ उपहार में दिया, तब पुत्र द्वारा यह कहे जाने पर “बब्बा आप सबेरे दूध लेने जाते हैं तब आप यह ड्रैसिंग गाउन पहनकर जाया कीजिए”, यह बात उन्हें बुरी लगी। उनकी आखों में जल छलछला आया। बेटा उनसे यह भी कह सकता था कि “पिताजी दूध मैं ला दिया करूँगा, अब आपकी उम्र आराम करने की है”, लेकिन पुत्र ने ऐसा नहीं कहा, तो उनके मन को धक्का सा लगा, वे भीतर ही भीतर बड़े दुःखी हुए।

(ग) ‘जूझ’ पाठ में खेत में काम करते समय लेखक का अकेलापन कैसे दूर हो गया था ?
उत्तर – ‘जूझ’ पाठ में खेत में काम करते समय लेखक अपने अकेलेपन में कविताओं को सूर, ताल, छंद और एक सही यति-गति के साथ गाया करता था। वह कविता गाते समय अभिनय भी किया करता था। इस प्रकार लेखक का अकेलापन दूर हो गया।

(घ) मुअनजो-दड़ो को लेखक ने नगर नियोजन की अनूठी मिसाल क्यों कहा है ?
उत्तर – मोहनजोदड़ो का दौरा करते समय लेखक ने पाया कि इसका नगर-नियोजन सबसे अनूठा है। यह नियोजन दुनिया में बेमिसाल है। यहाँ चौड़ी और सीधी सड़कें हैं। यहाँ की निकासी व्यवस्था अद्भुत है। चबूतरे पर खड़े होकर शहर की गलियों तथा सड़कों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इमारतें भले खंडहरों में बदल चुकी हों, मगर शहर की सड़कों और गलियों के विस्तार को स्पष्ट करने के लिए ये खंडहर काफ़ी हैं।

(ङ) ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के माध्यम से लेखिका क्या संदेश देना चाहती है ?
उत्तर – आज औरतें पूर्ण आजादी चाहती हैं। ऐन चाहती है कि औरतों को पुरुषों की तरह सम्मान दिया जाए, क्योंकि औरत ही मानव-जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए पीड़ा सहती है। ऐन चाहती है कि औरतों को बच्चे जनने चाहिए क्योंकि प्रकृति ऐसा चाहती है। वह उन मूल्यों व व्यक्तियों की निंदा करती है जो समाज में औरतों को सम्मान नहीं देते।

9. ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क)(i) किसी खास विषय पर सामान्य से हटकर किया गया लेखन क्या कहलाता है ?
उत्तर – विशेष लेखन

(ii) फ्रीलांसर पत्रकार किसे कहते हैं ?
उत्तर – फ्रीलांसर पत्रकार मतलब- स्वतंत्र पत्रकार। इस श्रेणी के पत्रकारों का संबंध किसी विशेष समाचार पत्र से नहीं होता, बल्कि वे भुगतान के आधार पर अलग-अलग समाचार पत्रों के लिए लिखते हैं।

(ख) समाचार कैसे लिखा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पत्रकारीय लेखन का सबसे जाना-पहचाना रूप समाचार-लेखन है। आमतौर पर समाचार-पत्रों में समाचार पूर्णकालिक और अंशकालिक पत्रकार लिखते हैं, जिन्हें संवाददाता या रिपोर्टर भी कहते हैं। अखबारों में प्रकाशित अधिकांश समाचार एक खास शैली में लिखे जाते हैं। इन समाचारों में किसी भी घटना, समस्या या विचार के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य, सूचना या जानकारी को सबसे पहले पैराग्राफ़ में लिखा जाता है। उसके बाद के पैराग्राफ़ में उससे कम महत्वपूर्ण सूचना या तथ्य की जानकारी दी जाती है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक समाचार खत्म नहीं हो जाता।

(ग) रेडियो नाटक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों और संवादों का विशेष महत्त्व है जो इस प्रकार हैं :
• रेडियो नाटक में पात्रों से संबंधित सभी जानकारियाँ संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
• पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ संवादों के द्वारा ही उजागर होती हैं।
• नाटक का पूरा कथानक संवादों पर ही आधारित होता है।
• इसमें ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुँचाया जाता है।
• संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
• संवादों के द्वारा ही श्रोताओं को संदेश दिया जाता है।
• रेडियो नाटक में मनोवैज्ञानिक चित्रण की सुविधाएँ विद्यमान हैं। रेडियो नाटक के पात्रों के मन की गहराई में उतरना सरल है।
• रेडियो नाटक में वाद्य संगीत, ध्वनि प्रभाव अथवा शांति के द्वारा दृश्य परिवर्तन किया जा सकता है और इस कार्य में बहुत कम समय लगता है।

अथवा

नये और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है ?
उत्तर – नए अथवा अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :
• जिस विषय पर लिखना है लेखक को उसकी संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
• विषय पर लिखने से पहले लेखक को अपने मस्तिष्क में उसकी एक उचित रूपरेखा बना लेनी चाहिए।
• विषय से जुड़े तथ्यों से उचित तालमेल होना चाहिए।
• विचार विषय से सुसम्बद्ध तथा संगत होने चाहिए।
• अप्रत्याशित विषयों के लेखन में ‘मैं’ शैली का प्रयोग करना चाहिए ।
• अप्रत्याशित विषयों पर लिखते समय लेखक को विषय से हटकर अपनी विद्वता को प्रकट नहीं करना चाहिए।

10. ‘नैतिक शिक्षा’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) मदनलाल ढींगरा के मन में देश के प्रति क्या भाव थे ?
उत्तर – ढींगरा के मन पर देश की गरीबी को देख कर बहुत असर हुआ। उन्होंने देश में गरीबी और सूखे के व्यापक हालात को समझने के लिए साहित्य का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि इस समस्या का एक ही समाधान है और वह है स्वराज और स्वदेशी आंदोलन। ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है कि मैं बार-बार भारत माता की गोद में जन्म लूँ और उसी के उद्धार के लिए प्राण देता रहूँ और यह सिलसिला तब तक चलता रहे जब तक मेरा देश आजाद न हो जाए।

(ख) गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार राम के बाल चरित का वर्णन कीजिए।
उत्तर – तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में प्रभु श्री राम जी का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है। इसमें प्रभु राम जी की बाल लीलाओं से लेकर युवावस्था तक, सीता स्वयंवर और रावण का वध तक का उल्लेख संक्षिप्त में किया गया है। रामचरितमानस और रामायण दोनों में ही प्रभु श्री राम जी का जीवन परिचय का वर्णन है। रामचरित्रमानस में तुलसीदास जी ने चौपाइयों का इस्तेमाल करके राम भक्ति को दर्शाया है। जबकि महर्षि वाल्मीकि जी ने उनके संपूर्ण जीवन की व्याख्या की है। माँ कभी गोदी में लेकर भगवान को प्यार करती है। कभी सुंदर पालने में लिटाकर ‘प्यारे ललना!’ कहकर दुलार करती है।

(ग) गीता में किस-किस का अद्भुत संगम है ?
उत्तर – गीता में ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग व राजयोग के अतिरिक्त समत्वं योग, सन्यास योग, सांख्य योग, श्रद्धात्रय योग व मोक्ष का अद्भुत संगम है।

(घ) हेमू ने आदिलशाह के राज्य की सुरक्षा किन-किन विद्रोहियों से की ?
उत्तर – इस्लामशाह के शासन काल में सूरवंश की दुर्बलता स्पष्ट झलकने लगी थी। इसलिए आदिलशाह के लिए यह आवश्यक था कि वह अपने साम्राज्य की सुरक्षा के लिए तथा उसकी सुद्रढ़ता के लिए हिंदू शक्ति के रूप में उभर रहे हेमू का सहयोग और समर्थन प्राप्त करे। इसके लिए आदिलशाह ने हेमू को अपना प्रधानमंत्री तो नियुक्त किया ही साथ ही अपना सेना प्रमुख भी नियुक्त कर दिया।

11. निम्नलिखित प्रश्नों के यथानिर्दिष्ट उत्तर दीजिए :
(क) मानवीकरण अलंकार की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर – जब प्राकृतिक वस्तुओं कैसे पेड़,पौधे बादल आदि में मानवीय भावनाओं का वर्णन हो यानी निर्जीव चीज़ों में सजीव होना दर्शाया जाए तब वहां मानवीकरण अलंकार आता है। जैसे : फूल हँसे कलियाँ मुसकाई।

(ख)(i) उच्चारण, गंगोर्मि (संधि-विच्छेद कीजिए)।
उत्तर : उच्चारण = उत् + चारण (व्यंजन संधि)
गांगोर्मि = गंगा + उर्मि (गुण संधि)

(ii) दिक् + गज (संधि कीजिए)।
उत्तर : दिक् + गज = दिग्गज (व्यंजन संधि)

(ग)(i) तत्पुरुष समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – समास का वह रूप जिसमें द्वितीय पद या उत्तर पद प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। तत्पुरुष समास में प्रथम पद संज्ञा या विशेषण होता है और लिंग-वचन का निर्धारण अंतिम या द्वितीय पद के अनुसार होता है। समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।

(ii) हररोज, जल-थल (विग्रह करके समास का नाम लिखिए)।
उत्तर : हररोज = रोज रोज (अव्ययीभाव समास)
जल-थल = जल और थल (द्वंद्व समास)

(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए :
(i) वह लब्धप्रतिष्ठित व्यक्ति है।
उत्तर – वह प्रतिष्ठित व्यक्ति है।

(ii) सावित्री पतिव्रता नारी थी।
उत्तर – सावित्री पतिव्रता थी।


 

SET–D

1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) ‘पतंग’ कविता में लाल सवेरा को कैसा कहा गया है ?
(क) खरगोश की आँखों जैसा
(ख) उजाला जैसा
(ग) कपास जैसा
(घ) चमकीला जैसा
उत्तर – (क) खरगोश की आँखों जैसा

(ii) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में छिपी किसकी कविता है ?
(क) दया की
(ख) परोपकार की
(ग) वात्सल्य की
(घ) क्रूरता की
उत्तर – (घ) क्रूरता की

(iii) ममता के बादल की मँडराती कोमलता कहाँ पिराती है ?
(क) बाहर
(ख) चारों ओर
(ग) भीतर
(घ) सर्वत्र
उत्तर – (ग) भीतर

(iv) ‘उषा’ कविता में किस रंग की खड़ियाचाक मलने की बात कही है ?
(क) नीली
(ख) पीली
(ग) सफेद
(घ) लाल
उत्तर – (घ) लाल

(v) ‘हरषे सकल भालु कपि ब्राता’ – यहाँ ‘ब्राता’ का अर्थ है :
(क) बात
(ख) भाई
(ग) समूह
(घ) बाराती
उत्तर – (ग) समूह

(vi) आतंक-अंक पर कौन काँप रहे हैं ?
(क) किसान
(ख) कमजोर
(ग) मजदूर
(घ) धनी
उत्तर – (घ) धनी

2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा –
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा ?”
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश प्रसिद्ध कवि ‘कुँवर नारायण’ द्वारा रचित कविता ‘बात सीधी थी पर’ से अवतरित है।
व्याख्या – जो बात कवि भाषा के माध्यम से कहना चाहते थे वह बात कवि को परिश्रम से आए पसीने को पौंछते देख एक शरारती बच्चे की तरह पूछती है कि तुमने भाषा को सरलता से, सहजता से उसके साथ व्यवहार करना नहीं सीखा? यहाँ पर कवि व्यंग्य कर रहे हैं कि जिन्होंने भी भाषा की अर्थवत्ता व सरलता-सहजता को खोकर बनावटीपन एवं कृत्रिमता का प्रयोग किया है उससे अर्थ तो अनर्थ होता ही है स्वयं भाषा भी उससे कभी खुश नहीं रहती है।

अथवा

कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष;
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
उत्तर : प्रसगं – प्रस्तुत पक्तियाँ प्रसिद्ध कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित कविता ‘छोटा मेरा खेल’ से अवतरित हैं।
व्याख्या – कवि कहते है जिस प्रकार धरती पर बोया गया बीज हवा, पानी, खाद आदि को पीकर पूरी तरह गल जाता है और तब उसके अंकुर, पत्ते और पुष्प निकल आते हैं, उसी प्रकार मेरे मन में उठे हुए भाव कल्पना रूपी खाद-पानी को पीकर उस भाव को अहंमुक्त कर देते हैं तथा सर्व-साधारण हिताय का विषय बना देते हैं। तब शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं, उनके साथ भाव रूपी पत्ते और पुष्प पल्लवित-विकसित हो जाते हैं। नये पत्ते-पुष्पों के भार से झुके हुए पौधे की तरह मेरी भावाभिव्यक्ति भी झुक जाती है, अर्थात् सर्वजन के लिए समर्पित हो जाती है।

3. गजानन माधव मुक्तिबोध अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन, साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर –

गजानन माधव मुक्तिबोध

जन्म – इनका जन्म 13 नवंबर सन् 1917, श्योपुर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था ।
शिक्षा – उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में की। 1938 में इन्होंने इंदौर के होल्कर से बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की। 1954 में उन्होंने एम. ए. की डिग्री प्राप्त की। वे उज्जैन के मॉर्डन स्कूल में अध्यापक के पद पर आसीन रहे। सन 1958 में उन्हें प्राध्यापक पद पर राजनाँद गाँव के दिग्विजय कॉलेज में नियुक्ति मिली।
प्रमुख रचनाएँ – इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं : चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक धूल (कविता संग्रह); काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी (कथा साहित्य); कामायनी – एक पुनर्विचार, नयीं कविता का आत्मसंघर्ष, नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, (अब ‘आखिर रचना क्यों’ नाम से) समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी (आलोचना); भारत : इतिहास और संस्कृति।
साहित्यिक विशेषताएं – छायावाद और स्वच्छंदतावादी कविता के बाद जब नयी कविता आई तो मुक्तिबोध उसके अगुआ कवियों में से एक थे। मराठी संरचना से प्रभावित लंबे वाक्यों ने उनकी कविता को आम पाठक के लिए कठिन बनाया लेकिन उनमें भावनात्मक और विचारात्मक ऊर्जा अटूट थी, जैसे कोई नैसर्गिक अंत: स्रोत हो जो कभी चुकता ही नहीं बल्कि लगातार अधिकाधिक वेग और तीव्रता के साथ उमड़ता चला आता है। यह ऊर्जा अनेकानेक कल्पना-चित्रों और फैंटेसियों का आकार ग्रहण कर लेती है।
भाषा शैली – इनकी भाषा उत्कृष्ट है। भावों के अनुरूप शब्द गढ़ना और उसका परिष्कार करके उसे भाषा में प्रयुक्त करना भाषा-सौंदर्य की अद्भुत विशेषता है। इन्होंने तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, अरबी और फ़ारसी के शब्दों का भी प्रयोग किया है। इनकी प्रमुख शैली व्यंजनात्मक, चित्रात्मक, व्यंग्यात्मक, प्रतीकात्मक हैं।
निधन – इनका निधन 11 सितंबर सन् 1964, नयी दिल्ली में हुआ।

अथवा

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

जन्म –सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी का जन्म सन् 1899 मे महिषादल, (बंगाल के मेदिनीपुर जिले में) पैतृक गाँव- गढ़ाकोला (उन्नाव, उ. प्र.) में हुआ।
शिक्षा – निराला जी की शिक्षा बंगाली माध्यम से शुरू हुई। हाईस्कूल पास करने के पश्चात् उन्होंने घर पर ही संस्कृत और अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन किया। हाईस्कूल करने के पश्चात् वे लखनऊ और उसके बाद गढकोला (उन्नाव) आ गये। वे हिन्दी, बंगला, अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषा में निपुण थे और श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द और श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर से विशेष रूप से प्रभावित थे।
प्रमुख रचनाएँ – परिमल, अनामिका, गीतिका, नए पत्ते, अणिमा, बेला, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता (कविता संग्रह); चतुरी चमार, बिल्लेसुर बकरिहा, प्रभावती, चोटी की पकड़, काले कारनामे (गद्य)। इन्होंने आठ खंडों में ‘निराला रचनावली’ प्रकाशित की थी। इन्होंने मतवाला, समन्वय पत्रिका का संपादन किया था।
साहित्यिक विशेषताएँ – निराला जी छायावाद के ऐसे कवि रहे हैं जो एक ओर कबीर की परंपरा से जुड़ते हैं तो दूसरी ओर समकालीन कवियों के प्रेरणा स्रोत भी रहे हैं। उनके द्वारा रचित विस्तृत काव्य-संसार अपने भीतर संघर्ष और जीवन, क्रांति और निर्माण ओज और माधुर्य, आशा और निराशा के द्वंद्व को इस तरह से समेटे हुए है कि वह किसी भी सीमा में बँध नहीं पाता है। उनका यही निर्बंध और उदात्त काव्य-व्यक्तित्व कविता और जीवन में अन्तर नहीं रखता। वे दोनों आपस में घुले मिले हैं। उनकी कविता उल्लास-शोक, राग-विराग, उत्थान – पतन, अंधकार-प्रकाश का संजीव वर्णन है। उन्होंने छंद के बन्धन को ही नहीं तोड़ा बल्कि काव्य विषय और युग की सीमाओं को भी अतिक्रमित किया है।
भाषा शैली – निराला की कविता में विषयों और भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी कई रंग हैं। एक तरफ तो तत्सम सामासिक पदावली और ध्वन्यात्मक बिंबों से छंदबद्ध राम की शक्ति पूजा का प्रतिमान तुलसीदास है तो दूसरी तरफ देशी टटके शब्दों की सरलता लिए कुकुरमुत्ता, रानी और कानी, महँगू महँगा रहा जैसी कविताएँ हैं।
निधन – इनका निधन सन् 1961 में इलाहाबाद में हुआ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(क) ‘उषा’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि ने ‘उषा’ कविता में सुबह-सवेरे सूर्य के निकलने से पहले की प्राकृतिक शोभा का सुंदर चित्रण किया है। आकाश का गहरा नीलापन सफ़ेद शंख के समान दिखाई देने लगता है। आकाश का रंग ऐसा लगता है जैसे किसी गृहिणी ने राख से चौका लीप-पोत दिया हो जो अभी गीला है और उसका रंग गहरा है।

(ख) ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता में प्रयुक्त ‘ममता के बादल’ पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर – वह उस अंधकार को अपने शरीर, हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है। यह उजाला अब उसके लिए असहनीय हो गया है। प्रिय की ममता या स्नेह रूपी बादल की कोमलता सदैव उसके भीतर मंडराती रहती है।

5. निम्नलिखितं बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) ‘भक्तिन’ पाठ में प्रयुक्त ‘जिठौत’ शब्द का अर्थ है :
(क) जेठ
(ख) बड़ा पुत्र
(ग) जेठ का पुत्र
(घ) जेठानी का भाई
उत्तर – (ग) जेठ का पुत्र

(ii) बाजार की असली कृतार्थता किसे कहा है ?
(क) कमाई को
(ख) लूटने को
(ग) पर्चेजिंग पावर को
(घ) आवश्यकता के समय काम आने को
उत्तर – (घ) आवश्यकता के समय काम आने को

(iii) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक किस सभा का उपमंत्री था ?
(क) ग्राम-सुधार सभा का
(ख) कुमार-सुधार सभा का
(ग) आर्य समाज का
(घ) मेंढक मण्डली का
उत्तर – (ख) कुमार-सुधार सभा का

(iv) लुट्टन पहलवान ने चाँदसिंह को कहाँ के दंगल में हराया ?
(क) जामनगर
(ख) श्यामनगर
(ग) भावनगर
(घ) चाँदनगर
उत्तर – (ख) श्यामनगर

(v) ‘दोस्तों, अजीजों की यह हालत’ – यहाँ ‘अजीज’ का अर्थ है ?
(क) जीजा
(ख) मेहमान
(ग) मित्र
(घ) प्रिय
उत्तर – (घ) प्रिय

(vi) आम्बेडकर ने दूध और पानी के मिश्रण की तुलना किससे की है ?
(क) स्वतंत्रता से
(ख) समता से
(ग) सम्पन्नता से
(घ) भाईचारे से
उत्तर – (घ) भाईचारे से

6. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दो सेर रसगुल्ला को उदरस्थ करके, मुँह में आठ-दस पान की गिलोरियाँ ठूंस, ठुड्डी को पान के रस से लाल करते हुए अपनी चाल से मेले में घूमता। मेले से दरबार लौटने के समय उसकी अजीब हुलिया रहती-आँखों पर रंगीन अबरख का चश्मा, हाथ में खिलौने को नचाता और मुँह से पीतल की सीटी बजाता, हँसता हुआ वह वापस जाता।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश ‘फणीश्वर नाथ रेणु’ द्वारा लिखित ‘पहलवान की ढोलक’ पाठ से लिया गया है।
व्याख्या – यह एक चित्रण है जो एक मेले के बारे में है। इसमें लुट्टन सिंह को दिखाया गया है जो रसगुल्ला खा रहा है और पान की गिलोयों को मुंह में रख रहा है। उसके हाथ में खिलौना है और वह हँसता हुआ मेले में घूम रहा है। उसकी आँखों पर अबरक रंग का चश्मा है और वह पीतल की सीटी बजाता है। इस गद्यांश का मतलब है कि वह मेले में पूरी तरह से खुश है और वह वापस जाते समय भी अपनी खुशी जताता है।

अथवा

भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र को कई रसों का पता है, उनमें से कुछ रसों का किसी कलाकृति में साथ-साथ पाया जाना श्रेयस्कर भी माना गया है, जीवन में हर्ष और विषाद आते रहते हैं यह संसार की सारी सांस्कृतिक परंपराओं को मालूम है, लेकिन करुणा का हास्य में बदल जाना एक ऐसे रस-सिद्धांत की माँग करता है जो भारतीय परंपराओं में नहीं मिलता।
उत्तर : प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश लेखक ‘विष्णु खरे’ द्वारा लिखित ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ से लिया गया है।
व्याख्या – इस गद्यांश में भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र का वर्णन दिया गया है। यह बताया गया है कि भारतीय कला कई रसों का पता है जो किसी एक कलाकृति में साथ-साथ पाये जा सकते हैं। जीवन में हर्ष और विषाद सभी के जीवन का हिस्सा है और भारतीय संस्कृति इसे अच्छी तरह से जानती है। इसके अलावा, गद्यांश में करुणा का हास्य में बदलने की बात की गयी है। यह एक अद्भुत रस होता है जो भारतीय परंपराओं में नहीं मिलता है।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘नमक’ कहानी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘नमक’ कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित लोगों के दिलों को टटोलती मार्मिक कहानी है। लाहौर से आई सिख बीबी लाहौर को अपना वतन मानती है तथा लेखिका को वहाँ से नमक लाने को कहती है। पाकिस्तान में कस्टम अधिकारी दिल्ली को अपना वतन मानता है और उसे नमक ले जाने देता है। दिल्ली का कस्टम अधिकारी ढाका को अपना वतन मानता है। वस्तुतः ज़मीन पर खींची हुई रेखाएँ लोगों के दिलों को नहीं बाँटती।

(ख) लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है ?
उत्तर – कालजयी उसे कहते हैं जो समय के परिवर्तन से अप्रभावी रहता है। जीवन में आने वाले सुख-दु:ख, उत्थान-पतन, हार-जीत उसे प्रभावित नहीं कर पाते। वह इनमें संतुलन बनाकर जीवित रहता है। यह गुण अवधूत अर्थात् संन्यासी में होते हैं। शिरीष का वृक्ष भी भीषण गर्मी और लू में हरा-भरा और फूलों से लदा रहता है। इस कारण इसे कालजयी अवधूत की तरह माना गया है।

(ग) बचपन की किन दो घटनाओं ने चैप्लिन पर गहरा एवं स्थायी प्रभाव डाला ?
उत्तर – चार्ली के जीवन पर दो घटनाओं ने स्थायी प्रभाव डाला। पहली, बचपन में चार्ली का बीमार होना और उनकी माँ के द्वारा ईसा मसीह का जीवन बाइबिल से पढ़कर सुनाते समय दोनों का एक साथ रो पड़ना। दूसरी घटना में एक कसाई के साथ से एक भेड़ का छुड़ाकर भागने की घटना भेड़ को पकड़ने वाला कई बार फिसलकर गिरा। सड़क पर लोगों ने ठहाके लगाए। अंत में उस भेड़ को पकड़कर कसाई के पास ले जाया गया। भेड़ के संभावित भविष्य को देखकर चार्ली रोने लगा।

8. वितान (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) सिल्वर वैडिंग पार्टी में यशोधर बाबू ने केक एवं लड्डू क्यों नहीं खाए ?
उत्तर – यशोधर बाबू ने केक इसलिए नहीं खाया क्योंकि उन्हें केक पसंद नहीं था। केक में अंडा होता था जबकि यशोधर बाबू शाकाहारी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। वे केक काटना पसंद नही करते थे और ना ही उन्हें विदेशी तरीके से जन्मदिन मनाना पसंद था।

(ख) यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल कैसे होती है ?
उत्तर – यशोधर बाबू की पत्नी के जीवन में किसी भी व्यक्ति का प्रभाव नहीं था। उनका अपना व्यक्तित्व और अपनी सोच थी। अतः अपने आस-पास हो रहे बदलावों को वह समझ पाती है और समय के साथ तेज़ी से ढल सकने में सफल हो जाती है।

(ग) ‘जूझ’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘जूझ’ में लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएँ तो जीवन में आती ही रहती हैं। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों से जूझने के लिए आत्मविश्वास का होना जरूरी है। आत्मविश्वास के अभाव में व्यक्ति संघर्ष नहीं कर सकता। जो व्यक्ति संघर्ष करता है अंतत: सफलता मिलती ही है।

(घ) सिंधु-घाटी-क्षेत्र में सर्दियों में वातावरण कैसा होता है ?
उत्तर – सिंधु घाटी की सभ्यता का क्षेत्र सिंध राजस्थान से कुछ मिलता-जुलता है। सर्दियों में भी दोपहर के समय धूप चौंधियानी वाली होती है। वह राजस्थान की धूप की तरह पारदर्शी नहीं है जिस कारण सारा वातावरण और दिशाएँ फीके-से रंग में रंगी हुई प्रतीत होती हैं। रेत के टीले नहीं हैं और खेतों में हरियाली है।

(ङ) हिटलर और सैनिकों के बीच रेडियो पर प्रसारित सम्वाद का वर्णन कीजिए।
उत्तर – हिटलर और सैनिकों की बातचीत के रेडियो प्रसारण में प्रायः युद्ध क्षेत्र की घटनाओं और सैनिकों के घायल होने के संबंध में ही उनकी बातें सुनाई देती थीं। दोनों के मध्य रेडियो प्रसारण में होने वाली बातें कुछ करुणाजनक थीं। हिटलर और सैनिकों के बीच सवालों-जवाबों का सिलसिला चलता था।

9. ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क)(i) रेडियो नाटक किस प्रकार का माध्यम है ?
उत्तर – श्रव्य माध्यम

(ii) भारत में पहला छापाखाना कब और कहां खुला ?
उत्तर – 1556 में गोवा में

(ख) फीचर से आप क्या समझते हैं ? यह कैसे लिखा जाता है ?
उत्तर – फीचर किसी रोचक विषय का मनोरंजक शैली में विस्तृत विवेचन है। फीचर समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाला किसी विशेष घटना, व्यक्ति, जीव-जंतु, स्थानीय परिवेश से संबंधित व विशिष्ट आलेख है जो कल्पनाशीलता और सृजनात्मक कौशल के साथ मनोरंजक और आकर्षक शैली में प्रस्तुत किया जाता है।

(ग) कहानी के नाट्य रूपांतरण में किस प्रकार की मुख्य समस्या का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर – कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो इस प्रकार है :
• सबसे प्रमुख समस्या कहानी के पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रसंगों अथवा मानसिक द्वंद्वों के नाटकीय प्रस्तुति में आती है।
• पात्रों के द्वंद्व को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या आती है।
• संवादों को नाटकीय रूप प्रदान करने मे समस्या आती है।
• संगीत, ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था करने में समस्या होती है।
• कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या होती है।

अथवा

समाचार लेखन के छ: ककारों के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – समाचार लेखन में कब, कहां, कैसे, क्या, कौन, क्यों इन्हीं छः प्रश्नों को छः ककार कहते हैं। इन्हीं ककारों के आधार पर किसी घटना, समस्या तथा विचार आदि से संबंधित खबर लिखी जाती हैं। यह ककार ही समाचार लेखन का मूल आधार होते हैं। इसीलिए समाचार लेखन में इनका बहुत महत्व है।
छः ककारो को हम इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं :
• कब – यह समाचार लेखन का आधार होता है। इस ककार के माध्यम से किसी घटना तथा समस्या के समय का बोध होता है। जैसे: कार दुर्घटना कब हुई ?
• कहां – इस प्रकार को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है। इसके माध्यम से किसी घटना और समस्या के स्थान का चित्रण किया जाता है। जैसे- कार दुर्घटना कहां हुई ?
• कैसे – इस प्रकार के द्वारा समाचार का विश्लेषण, वितरण तथा व्याख्या की जाती है।
• क्या – यह ककार भी समाचार लेखन का आधार माना जाता है। इसके द्वारा समाचार की रूपरेखा तैयार की जाती है।
• क्यों – इस ककार के द्वारा समाचार के विवरणात्मक, व्याख्यात्मक तथा विश्लेषणात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है।
• कौन – इस प्रकार को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है।

10. ‘नैतिक शिक्षा’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर – साधारण से साधारण इंसान भी चाहे तो मेहनत, शिक्षा, ईमानदारी से अपने लिए एक मुक़ाम हासिल कर सकता है और पक्के निश्चय से विलोम परिस्थितियों को क़ाबू कर सकता है जैसा कि सरदार पटेल ने किया जब देश आज़ाद हुआ था। सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति/स्मारक Statue of Unity बनाई गई है।

(ख) महात्मा बुद्ध के अष्टमार्ग का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – महात्मा बुद्ध के अष्टमार्ग का स्वरूप आठ गुणों से मिलकर बना हुआ है, जो बुद्ध ने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करते हुए बताए थे। यह एक मार्ग है जिससे मानव अंतःकरण को शुद्ध, संतुलित तथा निर्मल बनाया जा सकता है। अष्टमार्ग के गुण निम्नलिखित हैं – सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति तथा सम्यक समाधि।

(ग) भर्तृहरि ने भक्तिहीन पुरुष को निंदनीय क्यों माना है ?
उत्तर – भर्तृहरि ने भक्तिहीन पुरुष को निंदनीय माना है क्योंकि भक्ति हमें ईश्वर से जोड़ती है और हमें उसकी प्रत्यक्ष प्रेम और करुणा का अनुभव करवाती है। भक्ति हमें दूसरों का सम्मान करने और सहानुभूति दिखाने की क्षमता देती है जो एक भक्तिहीन व्यक्ति में नहीं होती। भक्ति के बिना हम ईश्वर की प्रेम और करुणा का अनुभव नहीं कर सकते हैं जिससे हम लोग मानविकता और धार्मिकता से दूर होते जाते हैं। भक्ति की अभावता से वह अपने जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है और उसका जीवन अर्थहीन हो जाता है। इसलिए, भर्तृहरि ने भक्तिहीन पुरुष को निंदनीय माना है।

(घ) अस्वच्छता की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर – साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। उसे अपने और आस-पास के क्षेत्र को साफ रखना तथा अपने कार्यस्थल पर गंदगी नहीं फैलाना चाहिए। अगर वह सफाई नहीं रखेगा तो मक्खी, मच्छर तथा अन्य हानिकारक कीड़े घर में प्रवेश करेंगें जिससे अनेक प्रकार के रोग फैल जायेंगे।

11. निम्नलिखित प्रश्नों के यथानिर्दिष्ठ उत्तर दीजिए :
(क) रूपक अलंकार की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर – जब गुण की अत्यंत समानता की वजह से उपमेय को ही उपमान बता दिया जाता है या दूसरे शब्दों में समझा जाए तो जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण: पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।

(ख)(i) तन्मय, तपोभूमि (संधि-विच्छेद कीजिए)।
उत्तर : तन्‍मय = तत् + मय (व्यंजन संधि)
तपोभूमि = तप: + भूमि (विसर्ग संधि)

(ii) दुः+ प्रवृत्ति (संधि कीजिए)।
उत्तर- दु: + प्रवृत्ति = दुष्प्रवृत्ति

(ग)(i) द्वन्द्व समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – जिसमें प्रथम और द्वितीय दोनों पद प्रधान होते हैं उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।
उदाहरण: आजकल = आज और कल

(ii) नीलकमल, भरपेट (विग्रह करके समास का नाम लिखिए)।
उत्तर : नीलकमल = नीला है कमल जो (कर्मधारय समास)
भरपेट = पेट भर कर (अव्ययीभाव समास)

(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए :
(i) लड़की कितनी सुंदर गाती है।
उत्तर – लड़की कितना सुंदर गाती है।

(ii) मंत्री ने सरकार की उपलब्धताएँ गिनवाई।
उत्तर – मंत्री ने सरकार की उपलब्धियाँ गिनवाई।

 

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