HBSE Class 12 Hindi Question Paper 2019 Answer Key
HBSE Class 12 Hindi Previous Year Question Paper with Answer. HBSE Board Solved Question Paper Class 12 Hindi 2019. HBSE 12th Question Paper Download 2019. HBSE Class 12 Hindi Paper Solution 2019. Haryana Board Class 12th Hindi Question Paper 2019 Pdf Download with Answer.
SET-A
1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) परदे पर दिखाई गई तसवीर के ओंठों पर क्या थी ?
(क) जगमगाहट
(ख) कसमसाहट
(ग) गुनगुनाहट
(घ) सनसनाहट
Ans. (ख) कसमसाहट
(ii) भाषा को घुमाने-फिराने से बात कैसी हो जाती है ?
(क) पेचीदा
(ख) सरल
(ग) दिव्य
(घ) सौम्य
Ans. (क) पेचीदा
(iii) निराला ने अट्टालिकाओं को क्या कहा है ?
(क) ऐश्वर्य भवन
(ख) सौन्दर्य सदन
(ग) भव्य भवन
(घ) आतंक भवन
Ans. (घ) आतंक भवन
(iv) भरत के बाहुबल एवं शील के प्रशंसक का नाम लिखिए-
(क) मयंद
(ख) अंगद
(ग) सुग्रीव
(घ) पवनकुमार
Ans. (घ) पवनकुमार
(v) साहित्य का रसायन क्या है ?
(क) श्रद्धा
(ख) सम्मान
(ग) कल्पना
(घ) जल्पना
Ans. (ग) कल्पना
2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
यह विचार – वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक हैं
इसलिए कि पल-पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक हैं
संवेदन तुम्हारा है !
Ans. प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से उद्धृत है। इसके रचयिता गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ हैं। इस कविता में कवि ने जीवन में दुख-सुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या– कवि कहता है कि मेरी जिंदगी में जो कुछ है, जैसा भी है, उसे मैं खुशी से स्वीकार करता हूँ। इसलिए मेरा जो कुछ भी है, वह उसको (माँ या प्रिया) अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी-ये सब मौलिक हैं तथा नए हैं। इनकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर क्षण जो कुछ घटता है, जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।
विचार- वैभव अनुप्रास, मुक्त छन्द, मानक हिन्दी
अथवा
सबसे तेज बौछारें गई भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए।
Ans. प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ बाल मन की चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण किया है।
व्याख्या– कवि का कथन है कि प्रकृति में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं। तन-मन को भिगो देने वाली तेज बौछारें समाप्त हो गई हैं तथा भादो मास का अंधकार भी समाप्त हो गया है। खरगोश की आंखों के समान लालिमा और चमक से युक्त सवेरा हो गया है। दूसरी ओर उजाला भी अनेक झाड़ियों और अँधेरों को पार करके आ गया है। शरद एक नया उजाला लेकर पदार्पण कर चुका है। कवि शरद ऋतु का मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि शरद अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज गति से चलाते हुए।
3. रघुवीर सहाय अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन, रचनाओं एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans. रघुवीर सहाय– रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनकी संपूर्ण शिक्षा लखनऊ में ही हुई। वहीं से उन्होंने 1951 में अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. किया। रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार थे। आरंभ में उन्होंने प्रतीक में सहायक संपादक के रूप मैं काम किया। फिर वे आकाशवाणी के समाचार विभाग में रहे। कुछ समय तक वे कल्पना के संपादन से भी जुड़े रहे और कई वर्षा तक उन्होंने दिनमान का संपादन किया। उनका निधन 1990 ई. में हुआ।
रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। उनकी कुछ कविताएँ अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक में संकलित हैं। कविता के अलावा उन्होंने रचनात्मक और विवेचनात्मक गद्य भी लिखा है। उनके काव्य-संसार में आत्मपरक अनुभवों की जगह जनजीवन के अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अधिक है। वे व्यापक सामाजिक संदर्भो के निरीक्षण, अनुभव और बोध को कविता में व्यक्त करते हैं।
साहित्यिक विशेषताएँ : रघुवीर सहाय ने काव्य-रचना में पत्रकार की दृष्टि का सर्जनात्मक उपयोग किया है। वे मानते हैं कि अखबार की खबर के भीतर दबी और छिपाई हुई ऐसी अनेक खबरें होती हैं जिनमें मानवीय पीड़ा छिपी रह जाती है। उस छिपी हुई मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति करना कविता का दायित्व है।
रचनाएँ : रघुवीर सहाय की प्रथम समर्थ रचना ‘सीढ़ियों पर धूप’ (1960) है। इसके पश्चात् की रचनाएँ- ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ (1967), ‘हँसो-हँसे जल्दी हँसे’ (1974), ‘लोग भूल गए है’ आदि। ‘लोग भूल गए हैं’ रचना पर उन्हें 1984 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
भाषा-शैली : रघुवीर सहाय की अपनी काव्य-शैली है। उनकी भाषा सरल साफ-सुथरी एव सधी हुई है। उनकी भाषा शहरी होते हुए भी सहज व्यवहार वाली है, सजावट की वस्तु नहीं।
अथवा
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला– सन् 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले में जन्म, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, बंगाली का पूर्ण ज्ञान। अत्यन्त स्वाभिमानी कर्मठ, अध्ययनशील, प्रकृति प्रेमी, त्यागी व्यक्ति। सन् 1961 में इलाहाबाद में निधन।
रचनाएँ : अनामिका, परिमल, गीतिका, बेला, नए पत्ते, तुलसीदास, प्रभावती, समन्वय, मतवाला आदि रचनाओं में वैयक्तिकता, प्रगतिवादिता, विद्रोह की भावना
भाषा शैली : तत्सम तद्भव शब्दावली युक्त भाषा मुक्तक छंद का सुन्दर प्रयोग अनुप्रास, उपमा, रूपक, मानवीकरण व श्लेष अलंकारों का प्रयोग।
4. निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
भोर का नभ
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे घुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने।
Ans. काव्य-सौंदर्य– उक्त पंक्तियों में कवि ने प्रकृति के मनोहारी दृश्य का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रकटीकरण हुआ है, क्योंकि काली सिल को अंधेरे का प्रतीक मान लिया गया है, और लाल केसर सूर्य के प्रकाश को माना गया है। पंक्तियों में कवि ने मुक्तक छंद का प्रयोग किया है। कवि ने कविता में नए बिंबों और प्रतिमानों का प्रयोग कर पंक्तियों को सुंदरतम बना दिया है। कविता की भाषा सरल, सहज और खड़ी बोली में युक्त है, जिसकी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।
5. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘पतंग’ कविता का उद्देश्य लिखिए।
Ans. पतंग कविता का उद्देश्य बाल-युवा मनोविज्ञान की छाया में समस्याओं का सामना करने की मानसिकता बताना है।
(ख) ‘बगुलों के पंख’ कविता का मूलभाव लिखिए।
Ans. ‘बगुलों के पंख’ कविता में प्रकृति का आलम्बन रूप चित्रित है। सौन्दर्य चेतना का अच्छा उदाहरण है।
(ग) ‘गज़ल’ की मूल चेतना पर प्रकाश डालिए।
Ans. ‘गजल’ में शायर का दर्द एवं ठसक है।
6. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) शिरीष की समानता का उपमान है-
(क) बकुल
(ख) अशोक
(ग) अवधूत
(घ) ईश
Ans. (ग) अवधूत
(ii) चार्ली चैप्लिन का बड़ा गुण माना गया है-
(क) हास्य-प्रतिभा
(ख) शृंगार-प्रतिभा
(ग) ओज-प्रतिभा
(घ) भक्ति-प्रतिभा
Ans. (क) हास्य-प्रतिभा
(iii) लुट्टन सिंह के कितने पुत्र थे ?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) एक
(घ) कोई नही
Ans. (ख) दो
(iv) इंदर सेना का दूसरा नाम था-
(क) मेघ-मण्डल
(ख) आखण्डल
(ग) पर्जन्य
(घ) मेढक-मण्डली
Ans. (घ) मेढक-मण्डली
(v) चूरन बेचने वाले को क्या कहते थे ?
(क) भगत जी
(ख) नाथ जी
(ग) जोगी जी
(घ) व्यास जी
Ans. (क) भगत जी
7. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दिन भर के कार्य-भार से छुट्टी पाकर जब मैं कोई लेख समाप्त करने या भाव को छंदबद्ध करने बैठती हूँ, तब छात्रावास की रोशनी बुझ चुकती है। मेरी हिरनी सोना तख्त के पैताने फर्श पर बैठकर पागुर करना बंद कर देती है। कुत्ता बसंत मचिया पर पंजों में मुख रखकर आँखें मूँद लेता है और बिल्ली गोधूलि मेरे तकिए पर सिकुड़कर सो रहती है।
Ans. प्रसंग– पाठ-भक्तिन, लेखिका- महादेवी वर्मा, महादेवी वर्मा का सर्वहिताय दर्शन पशु-प्रेम के रूप में चित्रित है।
व्याख्या– खुद करे।
वर्णन शैली, मानक हिन्दी
अथवा
मन खाली नहीं रहना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए। जो बंद हो जाएगा, वह शून्य हो जाएगा। शून्य होने का अधिकार बस परमात्मा का है जो सनातन भाव से संपूर्ण है। शेष सब अपूर्ण है।
Ans. प्रसंग– पाठ-जैनेन्द्र कुमार, लेखक- जैनेन्द्र कुमार, मन की शून्यता को लेकर वेदांत दर्शन को चित्रित किया गया है। बाज़ार और खाली मन का कोई सम्बन्ध नहीं है।
व्याख्या– खुद करे।
विवेचन शैली, मानक हिन्दी
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) लुट्टन सिंह की पहलवानी का वर्णन कीजिए।
Ans. लुट्टन सिंह ने चाँद सिंह और काले खाँ को पराजित करके अपनी पहलवानी का सिक्का जमाया।