Haryana Board (HBSE) Class 12 Fine Arts Question Paper 2024 Answer Key. BSEH (Board of School Education Haryana) Class 12 Fine Arts Answer Key 2024. HBSE (Haryana Board of School Education) Class 12 Fine Arts Solved Question Paper 2024. BSEH Class 12 Fine Arts Paper 2024 Solution. Download PDF and check accurate answers carefully prepared through my personal understanding, subject knowledge, and dedication to help students based on the syllabus and exam pattern.
HBSE Class 12 Fine Arts Question Paper 2024 Answer Key
1. मुगलों के आक्रमण से कौन-सी चित्रकला शैली समाप्त हुई?
(A) बंगाल शैली
(B) पहाड़ी शैली
(C) दक्षिणी शैली
(D) राजस्थानी शैली
उत्तर – (C) दक्षिणी शैली
2. किशनगढ़ शैली के विख्यात चित्रकार का नाम क्या था?
(A) किशनदास
(B) रुकनुद्दीन
(C) निहाल चन्द
(D) फतह मोहम्मद
उत्तर – (C) निहाल चन्द
3. “चित्रकूट पर भरत राम का मिलन” किस राजस्थानी शैली का चित्र है?
(A) बून्दी शैली
(B) जयपुर शैली
(C) किशनगढ़ शैली
(D) मेवाड़ शैली
उत्तर – (C) किशनगढ़ शैली
4. किस राजा के काल को पहाड़ी चित्रकला शैली का स्वर्णकाल कहा जाता है?
(A) राजा हमीर चन्द
(B) राजा संसार चन्द
(C) राजा दलीप चन्द
(D) राजा राज सिंह
उत्तर – (B) राजा संसार चन्द
5. ‘गीत-गोविंद’ काव्य ग्रंथ की रचना किसने की?
(A) केशवदास
(B) जयदेव
(C) बिहारी
(D) भानुदत्त
उत्तर – (B) जयदेव
6. कांगड़ा शैली का प्रमुख चित्रकार कौन था?
(A) पुरखु
(B) किशनलाल
(C) मनकू
(D) खुशाला
उत्तर – (A) पुरखु
7. जहाँगीर बादशाह के कार्यकाल में पशु-पक्षी चित्रण में कौन-सा चित्रकार सर्वश्रेष्ठ था, जिसने बाज़ का पक्षी चित्रण किया?
(A) मंसूर
(B) मनोहर
(C) बिशनदास
(D) अबुल हसन
उत्तर – (A) मंसूर
8. किस चित्र शैली में बहुमूल्य पत्थरों का प्रयोग किया गया है?
(A) मेवाड़ शैली
(B) मुगल शैली
(C) तंजौर शैली
(D) पटना शैली
उत्तर – (C) तंजौर शैली
9. राष्ट्रीय ध्वज की लम्बाई व चौड़ाई का अनुपात है :
(A) 2 : 3
(B) 4 : 3
(C) 3 : 4
(D) 3 : 2
उत्तर – (D) 3 : 2
10. बंगाल शैली के जन्म का श्रेय किसे जाता है?
(A) अवनीन्द्रनाथ टैगोर
(B) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(C) सतीश गुजराल
(D) मकबूल फिदा हुसैन
उत्तर – (A) अवनीन्द्रनाथ टैगोर
11. “माँ और बच्चा” चित्र किस माध्यम से बनाया गया है?
(A) पोस्टर कलर
(B) वाटर कलर
(C) ऑयल पेंट
(D) टेम्परा
उत्तर – (D) टेम्परा
12. “मदर टेरेसा” चित्र किस चित्रकार द्वारा बनाया गया है?
(A) रामकिंकर बैज
(B) डी० पी० राय चौधरी
(C) एम० एफ० हुसैन
(D) तैयब मेहता
उत्तर – (C) एम० एफ० हुसैन
13. निम्नलिखित में से कौन-सी कृति ‘गरीब परिवार के संघर्ष एवं वेदना’ विषय पर आधारित है?
(A) भँवर
(B) देवी
(C) दीवारों से सरोकार
(D) बच्चे
उत्तर – (A) भँवर
14. इनमें से कौन-सा एक इनग्रेविंग (उत्कीर्णन) और एक एक्वाटिंट (कलमकारी) प्रिंट है?
(A) आदमी, औरत तथा वृक्ष
(B) भँवर
(C) दीवारों से सरोकार
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) आदमी, औरत तथा वृक्ष
15. “चतुर्मुखी” मूर्तिकला का निर्माण किसने किया?
(A) एक्का यादगिरी राव
(B) पी० वी० जानकी राम
(C) अमरनाथ सहगल
(D) रामकिंकर बैज
उत्तर – (A) एक्का यादगिरी राव
16. इनमें से कौन-सी कृति “अमरनाथ सहगल” द्वारा निर्मित की गई है?
(A) संथाल परिवार
(B) क्रीज़ अनहर्ड (अनसुना शोर)
(C) गणेश
(D) चतुर्मुखी
उत्तर – (B) क्रीज़ अनहर्ड (अनसुना शोर)
17. किशनगढ़ शैली में “नारी सौन्दर्य” के चित्रण का वर्णन करें।
उत्तर – किशनगढ़ शैली में “नारी सौन्दर्य” का चित्रण अत्यन्त आकर्षक और आदर्शवादी रूप में किया गया है। यहाँ की नायिकाएँ लंबी, तीखे नयन-नक्श वाली, कमान जैसी भौंहों, लम्बी नाक, नुकीली ठुड्डी और कमनीय शरीर संरचना के साथ चित्रित की गई हैं। इस शैली की नारी आकृति को “बनी–ठनी” के चित्र में सर्वोच्च रूप से दर्शाया गया है।
अथवा
पहाड़ी शैली के चित्रकारों ने चित्रों में किस प्रकार के रंगों का संयोजन किया है?
उत्तर – पहाड़ी शैली के चित्रकारों ने अपने चित्रों में चमकीले और जीवंत रंगों का प्रयोग किया। इनमें लाल, पीला, हरा और नीला जैसे रंगों का विशेष संयोजन किया गया। ये रंग प्रकृति से प्राप्त खनिजों और वानस्पतिक स्रोतों से तैयार किए जाते थे। रंगों के इस कलात्मक प्रयोग से चित्रों में सौन्दर्य, आकर्षण और भावनाओं की अभिव्यक्ति और भी प्रबल हो जाती थी।
18. अकबर ने चित्रकारों को किस प्रकार प्रोत्साहन दिया?
उत्तर – अकबर ने चित्रकला को दरबार में विशेष संरक्षण दिया। उसने फतेहपुर सीकरी और दरबार में चित्रशाला स्थापित की तथा चित्रकारों को उच्च पद, वेतन और सम्मान प्रदान किया। अकबर स्वयं भी चित्रकला में गहरी रुचि रखता था, इसलिए उसने चित्रकारों को धार्मिक ग्रंथों, ऐतिहासिक घटनाओं और दरबारी जीवन पर आधारित चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रकार उसकी प्रेरणा से चित्रकला का अद्भुत विकास हुआ।
अथवा
“तंजौर शैली” अन्य शैलियों से किस प्रकार भिन्न थी?
उत्तर – “तंजौर शैली” अन्य शैलियों से भिन्न इसलिए थी क्योंकि इसमें चित्रों में भव्यता और चमक पर विशेष जोर दिया गया। यहाँ की नायिकाएँ गोल-मटोल, अलंकृत और रत्नों, सोने व चांदी के पत्तों से सजाई जाती थीं। पृष्ठभूमि सामान्यतः सुनहरी या चमकदार रंगों से भरी होती थी। तंजौर चित्रों में धार्मिक विषयों को भी अत्यंत भव्य और सजावटी रूप में प्रस्तुत किया गया, जो इसे अन्य राजस्थानी या पहाड़ी शैलियों से अलग बनाता है।
19. “कृष्ण गोवर्धन पर्वत धारण करते हुए” चित्र का विवरण दें।
उत्तर – इस चित्र में भगवान कृष्ण को अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाए हुए दर्शाया गया है। वे ऐसा ब्रजवासियों और उनके पशुओं को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाने के लिए कर रहे हैं। चित्र में पर्वत को हरे-भरे पेड़-पौधों से भरा हुआ दिखाया गया है, जिसके नीचे गोपी-गोपिकाएँ, ग्वाले और गायें शरण लिए हुए हैं। कृष्ण के शांत और आत्मविश्वासी मुखमंडल से उनकी ईश्वरीय शक्ति और करुणा झलकती है। यह चित्र उनकी महान लीला को प्रकट करता है, जिसमें उन्होंने इंद्र का अहंकार तोड़ा और ब्रजवासियों के रक्षक रूप में अपनी दिव्यता का परिचय दिया।
अथवा
“चाँद बीबी पोलो खेलते हुए” (चौगान) चित्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर – “चाँद बीबी पोलो खेलते हुए (चौगान)” चित्र गोलकुंडा शैली की 18वीं शताब्दी की लघु चित्रकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें अहमदनगर की शासक चाँद बीबी को अपनी सहेलियों के साथ घोड़े पर सवार होकर चौगान (पोलो) खेलते हुए दिखाया गया है। उनके हाथ में पोलो की छड़ी है और वे गेंद को मारते हुए गतिशील और उत्साही प्रतीत होती हैं। चित्र में घोड़े की गति, खेल का रोमांच और खिलाड़ियों की सज-धज स्पष्ट दिखाई देती है। पृष्ठभूमि में झील, पेड़ और चट्टानें दिखाई देती हैं, जो मैदान और वातावरण को वास्तविक बनाती हैं। यह चित्र नारी साहस, शौर्य, खेल-कौशल और दक्कन की शाही और उदार जीवनशैली को दर्शाता है।
20. बंगाल शैली की स्थापना में किन कलाकारों की भूमिका रही है? वर्णन करें।
उत्तर – बंगाल शैली, जिसे बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट भी कहा जाता है, 20वीं सदी की शुरुआत में भारतीय कला में एक महत्वपूर्ण आंदोलन था। इसके संस्थापक अवनीन्द्रनाथ टैगोर थे, जिन्होंने भारतीय परंपराओं और मुगल-राजपूत चित्रकला से प्रेरित कला को बढ़ावा दिया। उनके शिष्य नंदलाल बोस ने शैली को लोकप्रिय बनाया और ग्रामीण जीवन को चित्रित किया। रवींद्रनाथ टैगोर ने इस शैली को समर्थन और मंच प्रदान किया। इन कलाकारों ने बंगाल शैली के माध्यम से भारतीय कला को राष्ट्रीय और स्वदेशी पहचान दिलाई।
अथवा
“माँ और बच्चा” चित्र का वर्णन करें।
उत्तर – यह चित्र मातृत्व और स्नेह का प्रतीक है। इसमें एक माँ को अपने बच्चे को गले में लेकर बैठा हुआ दिखाया गया है। माँ के चेहरे पर कोमलता और स्नेह झलकता है, जबकि बच्चा माँ की गोदी में सुरक्षित और शांत प्रतीत होता है। चित्र की रंग संयोजन को नरम और हल्का रखा गया है, जिससे शांति और प्रेम का भाव स्पष्ट होता है। यह चित्र मानवीय संवेदनाओं, मातृत्व के प्यार और सुरक्षा की भावना को प्रभावशाली रूप में प्रकट करता है।
21. हमारे राष्ट्रीय ध्वज को किस नाम से पुकारा जाता है? इसकी रंग योजना का भी वर्णन करें।
उत्तर – हमारे राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” कहा जाता है। इसमें तीन क्षैतिज पट्टियाँ होती हैं। ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की होती है, जो साहस और त्याग का प्रतीक है। बीच में सफेद पट्टी होती है, जो शांति और पवित्रता का संदेश देती है और इसके मध्य में नीला अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं जो धर्म और न्याय का प्रतीक हैं। नीचे की पट्टी हरा रंग की होती है, जो समृद्धि और हरी-भरी भूमि का संकेत देती है। यह तिरंगा भारतीयता, एकता और राष्ट्रीय गौरव को दर्शाता है।
अथवा
अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया चित्र “यात्रा का अन्त” का वर्णन करें।
उत्तर – अवनीन्द्रनाथ टैगोर का 1913 में बनाया गया चित्र “यात्रा का अंत” (Journey’s End) टेम्परा माध्यम से कागज पर चित्रित है और यह राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा, नई दिल्ली में संग्रहित है। इसमें एक ऊंट को लंबी यात्रा के बाद निढाल और थका हुआ दिखाया गया है, पीठ पर सामान लदा हुआ है और वह धीरे-धीरे नीचे की ओर दबता हुआ चलता है। चित्र में उसकी थकावट, भूख-प्यास और शोषण भावनात्मक रूप से स्पष्ट हैं। पृष्ठभूमि में सूर्यास्त का दृश्य यात्रा की समाप्ति और थकावट को दर्शाता है। नाजुक रेखाओं और चमकदार रंगों का संयोजन इसे बंगाल शैली की मार्मिक और संवेदनशील चित्रकला बनाता है।
22. “राजा रवि वर्मा” के चित्रों की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर – “राजा रवि वर्मा” ने अपने चित्रों में भारतीय पौराणिक कथाओं और महाकाव्यों जैसे रामायण तथा महाभारत के पात्रों को अत्यंत जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। उनके चित्रों में यूरोपीय शैली की यथार्थवादी तकनीक, जैसे छायांकन और अनुपात, तथा भारतीय संस्कृति और भावनाओं का सुंदर मेल दिखाई देता है। उन्होंने कला को केवल राजदरबार तक सीमित न रखकर छापाखाने की सहायता से आम जनता तक पहुँचाया, जिसके कारण शकुंतला, लक्ष्मी और द्रौपदी वस्राहरण जैसे उनके चित्र घर-घर में प्रसिद्ध हो गए।
अथवा
प्रसिद्ध महिला चित्रकारों में अमृता शेरगिल के चित्रों के विषय का उल्लेख करें।
उत्तर – अमृता शेरगिल ने अपनी पेंटिंग्स में भारतीय ग्रामीण स्त्रियों की दिनचर्या, उनकी पीड़ा, संघर्ष और सौंदर्य को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में महिलाओं के समूह, विवाह-पूर्व तैयारियाँ (ब्राइड्स टॉयलेट), ग्रामीण महिलाएँ (थ्री गर्ल्स, द स्टोरी टेलर), आत्म-चित्र और बच्चियों के चित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उन्होंने भारतीय परंपरा, जीवंत रंगों और सरल आकृतियों के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति की गहराई और महिला संवेदना को कलात्मक अभिव्यक्ति दी।
23. मेवाड़ शैली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – मेवाड़ शैली की मुख्य विशेषताएँ :
(i) रंग योजना – मेवाड़ शैली के चित्रों में लाल, पीला, हरा और नीला जैसे चमकीले तथा गाढ़े रंगों का प्रयोग किया जाता है। ये रंग चित्रों को जीवंत बनाते हैं और दर्शकों के मन में आकर्षण उत्पन्न करते हैं।
(ii) विषय-वस्तु – इस शैली में मुख्य रूप से रामायण, भागवत पुराण और कृष्ण-लीला से संबंधित धार्मिक प्रसंग चित्रित किए जाते हैं। साथ ही दरबारी जीवन, शिकार, त्यौहार और विवाह जैसे लोक जीवन के दृश्य भी चित्रों में देखे जा सकते हैं।
(iii) मानव आकृतियाँ – चित्रों की आकृतियाँ छोटे कद की, गोल चेहरे और बड़ी अभिव्यक्तिपूर्ण आँखों वाली होती हैं। पात्रों के हाव-भाव और भावनाएँ बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं, जिससे चित्र जीवंत प्रतीत होते हैं।
(iv) प्राकृतिक चित्रण – मेवाड़ शैली में प्राकृतिक दृश्यों का सूक्ष्म चित्रण मिलता है। चित्रों की पृष्ठभूमि में पेड़, पहाड़, झील, फूल और अन्य प्राकृतिक तत्व सजावटी ढंग से बनाए जाते हैं, जो चित्रों को गहराई और सौंदर्य प्रदान करते हैं।
(v) पहनावा और आभूषण – पात्रों के परिधान पारंपरिक और राजसी होते हैं। रंगों का सुंदर संयोजन और आभूषणों का विस्तृत प्रयोग चित्रों को भव्यता और आकर्षण प्रदान करता है।
अथवा
कांगड़ा शैली के लघु चित्रों की विषय-वस्तु का वर्णन करें।
उत्तर – कांगड़ा शैली के लघु चित्रों की विषय-वस्तु :
(i) धार्मिक और पौराणिक कथाएँ: कांगड़ा चित्रकला में मुख्य रूप से हिंदू धर्म के महाकाव्यों जैसे रामायण, महाभारत, और श्रीकृष्ण लीला के दृश्य चित्रित किए जाते हैं। इन चित्रों में भगवान, रानी, वीर और अन्य पात्रों की कथाओं को सजीव रूप में दिखाया जाता है।
(ii) प्रकृति और लोकजीवन – चित्रों में प्राकृतिक दृश्यों का विशेष महत्व है। इसमें फूल-पत्ते, नदियाँ, पहाड़, जंगल और ग्रामीण जीवन के दृश्य बड़ी बारीकी से दर्शाए जाते हैं। यह शैली प्राकृतिक सुंदरता और ग्रामीण परिवेश को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है।
(iii) नाजुक भाव और सजीव चेहरे – पात्रों के चेहरे को बहुत कोमल और भावपूर्ण दिखाया जाता है। उनके हाव-भाव, आँखों की झिलमिलाहट और हाथ-पाँव की मुद्रा कथाओं की गहराई को प्रकट करती है।
(iv) संगीत और नृत्य – कृष्ण लीला और रास-लीला जैसी कथाओं में संगीत, नृत्य और वाद्य यंत्रों का चित्रण मिलता है। इससे चित्रों में कहानी का रोमांच और उत्सव का माहौल स्पष्ट होता है।
(v) सुस्पष्ट रंग और सजावट – प्राकृतिक रंगों का प्रयोग कर चित्रों को सजाया जाता है। लाल, नीला, हरा और पीला रंग पात्रों और पृष्ठभूमि को जीवंत बनाते हैं। साथ ही, छोटे-छोटे नक्काशी और सजावटी डिज़ाइन चित्र की सुंदरता बढ़ाते हैं।
24. जहाँगीरकालीन चित्रों की विषय-वस्तु का उल्लेख करें।
उत्तर –जहाँगीरकालीन चित्रों की विषय-वस्तु :
(i) राजसी जीवन और दरबार – जहाँगीरकालीन चित्रों में मुख्य रूप से मुगल दरबार, शाही भव्यता, दरबारी उत्सव और राजा-महाराजाओं के जीवन के दृश्य चित्रित किए गए हैं। यह शैली राजसी वैभव और शाही आदर्शों को उजागर करती है।
(ii) प्राकृतिक दृश्य और जीव-जंतु – इस काल की चित्रकला में पशु-पक्षियों, फूलों, पेड़ों और प्राकृतिक परिदृश्यों का विस्तृत और सूक्ष्म चित्रण मिलता है। विशेष रूप से पक्षियों और जानवरों की नाजुक बारीकियां दर्शाई जाती हैं।
(iii) व्यक्तित्व चित्रण – चित्रों में शाही परिवार और दरबारी व्यक्तियों के चेहरे और भाव-भंगिमा को बहुत सजीवता और यथार्थता के साथ दिखाया गया है।
(iv) शिकार के दृश्य – आखेट का चित्रण, जिसमें शिकारी धनुष-बाण और भाले लिए हुए दिखते हैं, भी जहाँगीर के काल में एक महत्वपूर्ण विषय था। यह शाही मनोरंजन और शिकार कला को दर्शाता है।
(v) धार्मिक, उत्सव और जीवन शैली – कुछ चित्रों में सूफी संतों, धार्मिक अनुष्ठानों, संगीत, नृत्य और रोजमर्रा की जीवन शैली को भी सूक्ष्म और नाजुक रंगों के साथ चित्रित किया गया, जिससे चित्रों में जीवन की सहजता और भव्यता दोनों झलकती हैं।
अथवा
दक्षिणी शैली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर – दक्षिणी शैली (दक्षिण भारतीय चित्रकला) की मुख्य विशेषताएँ :
(i) धार्मिक एवं पौराणिक विषयवस्तु – दक्षिण भारतीय चित्रकला में मुख्य रूप से हिंदू देवताओं, देवी-देवताओं, महाकाव्य कथाओं, और धार्मिक अनुष्ठानों के दृश्य चित्रित किए जाते हैं। विशेष रूप से रामायण, महाभारत, कृष्ण लीला, और शिव-पार्वती के विवाह जैसे दृश्य प्रमुख होते हैं।
(ii) सजीव रंग और सजावट – चित्रों में चमकीले और सघन रंगों का प्रयोग होता है, जैसे लाल, पीला, हरा, नीला आदि। साथ ही, चित्रों में बारीक सजावटी डिज़ाइन और अलंकरण दिखाई देता है, जो चित्रों की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
(iii) प्राकृतिक दृश्य और जीवन शैली – चित्रों में नदियाँ, पेड़-पौधे, पहाड़ और ग्रामीण जीवन का सुक्ष्म चित्रण मिलता है। साथ ही लोक जीवन, त्यौहार और संगीत-नृत्य के दृश्य चित्रित किए जाते हैं, जो दक्षिण भारतीय संस्कृति को दर्शाते हैं।
(iv) सजीव भाव और मुद्राएँ – पात्रों के चेहरे भावपूर्ण और अभिव्यक्तिपूर्ण होते हैं। हाथ-पाँव की मुद्राएँ, नयनाभिव्यक्ति और वस्त्रों की लहराती बनावट चित्रों को जीवंत बनाती हैं, जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं।
(v) मंदिरों और स्थापत्य का चित्रण – चित्रों में मंदिरों, देवालयों और भव्य स्थापत्य की झलक मिलती है। यह शैली धार्मिक वातावरण और देवताओं की गरिमा को उजागर करती है, जो दक्षिण भारतीय संस्कृति की विशेषता है।