HBSE Class 12 Economics Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

Haryana Board (HBSE) Class 12 Economics Pre Board Question Paper 2024 Answer Key. Haryana Board Class 12th Pre Board Question Paper PDF Download 2024. Haryana Board Class 12th Pre Board Question Paper Economics 2024. HBSE Class 12th Economics Pre Board Question Paper Solution 2024. HBSE Economics Pre Board Question Paper 2024 Class 12.

HBSE Class 12 Economics Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

Section – A (Micro Economics)

1. व्यष्टि-अर्थशास्त्र के क्षेत्र में किसको शामिल किया जाता है? (1 Mark)
(a) राष्ट्रीय आय
(b) वस्तु की कीमत का निर्धारण
(c) सामान्य कीमत स्तर का निर्धारण
(d) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
उत्तर – (b) वस्तु की कीमत का निर्धारण

2. सीमांत उपयोगिता निम्न में से हो सकती है : (1 Mark)
(a) शून्य
(b) धनात्मक
(c) ऋणात्मक
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

3. निम्न सूत्र को पूरा करें : (1 Mark)
…………… = TC/Q
(a) AC
(b) MC
(c) AVC
(d) AFC
उत्तर – (a) AC

4. पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार में फर्म होती है : (1 Mark)
(a) कीमत स्वीकारक
(b) कीमत निर्धारक
(c) a और b दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a) कीमत स्वीकारक

5. प्रतिफल के नियम किस सिद्धांत से सम्बंधित है? (1 Mark)
(a) माँग
(b) कीमत निर्धारण
(c) साधन कीमत
(d) उत्पादन
उत्तर – (d) उत्पादन

6. उत्पादन संभावना वक्र ………….. होते है। (उन्नोतोदर / नतोदर) (1 Mark)
उत्तर – नतोदर

7. औसत आगम को ………….. भी कहा जाता है। (कीमत / लागत) (1 Mark)
उत्तर – कीमत

8. उत्पादन के शून्य स्तर पर होने वाली लागत, ………….. के बराबर होती है। (बंधी लागत / परिवर्तनशील लागत) (1 Mark)
उत्तर – बंधी लागत

9. अभिकथन (A) : वस्तु x और वस्तु y के सभी प्राप्य संयोग उपभोक्ता की बजट रेखा से नीचे है। (1 Mark)
कारण (R) : वस्तु x और वस्तु y का प्राप्य संयोजन बजट रेखा के नीचे और साथ-साथ है।
(a) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
(b) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन सत्य है परंतु कारण असत्य है।
(d) अभिकथन असत्य है परन्तु कारण सत्य है।
उत्तर – (d) अभिकथन असत्य है परन्तु कारण सत्य है।

10. अभिकथन (A) : AFC कभी भी OX अक्ष को नहीं छूता है। (1 Mark)
कारण (R) : TFC कभी भी शून्य नहीं हो सकता।
(a) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
(b) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन सत्य है परंतु कारण असत्य है।
(d) अभिकथन असत्य है परन्तु कारण सत्य है।
उत्तर – (a) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।

11. निम्न तालिका की सहायता से औसत लागत और सीमांत लागत ज्ञात करो। (3 Marks)

12. पूर्ति में विस्तार तथा पूर्ति के वृद्धि में अन्तर बताओ। (3 Marks)
उत्तर – यदि अन्य कारकों के समान रहने पर कीमत में वृद्धि होने से वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है तो इसे पूर्ति में विस्तार कहते हैं, जबकि वस्तु की कीमत समान रहने पर यदि अन्य कारकों में अनुकूल परिवर्तन होने से पूर्ति बढ़ जाती है तो इसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं।

13. किसी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ क्या हैं? संक्षेप में समझाइये। (4 Marks)
उत्तर – किसी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ हैं :
(i) क्या उत्पादन किया जाए? इस समस्या के दो आयाम हैं: कौन सी वस्तु और सेवाओं का उत्पादन किया जाना है तथा किस मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाना है।
(ii) कैसे उत्पादन किया जाए? यह उत्पादन की तकनीक को संदर्भित करता है: श्रम गहन तकनीक और पूंजी गहन तकनीक।
(iii) किसके लिए उत्पादन किया जाए? यह समस्या अर्थव्यवस्था में उत्पादन के वितरण से संबंधित है। इसके दो पहलू हैं: आय का कारक वितरण और आय का पारस्परिक वितरण।

14. पैमाने के प्रतिफल के नियम से क्या अभिप्राय है? (4 Marks)
उत्तर – पैमाने का प्रतिफल नियम-दीर्घकाल में फार्म उत्पादन के सभी साधनों में परिवर्तन कर सकती है। दीर्घकाल में दो या अधिक साधनों में अनुपातिक वृद्धि और उत्पादन मात्रा के संबंध के पैमाने को प्रतिफल कहते हैं।
पैमाने के प्रतिफल के तीन नियम है :
(i) पैमाने का वर्धमान प्रतिफल – दो या अधिक साधनों में अनुपातिक वृद्धि करने पर यदि कुल भौतिक उत्पाद में अधिक अनुपात वृद्धि होती है तो इसे पैमाने का वर्धमान प्रतिफल कहते हैं।
(ii) पैमाने का समता प्रतिफल – दो या अधिक साधनों में अनुपातिक वृद्धि करने पर यदि कुल भौतिक उत्पाद में समान अनुपात में वृद्धि होती है तो इसे पैमाने का समता प्रतिफल कहते हैं।
(iii) पैमाने का ह्रासमान प्रतिफल – दो या अधिक साधनों में आनुपातिक वृद्धि करने पर यदि कुल भौतिक उत्पाद में कम अनुपात में वृद्धि होती है तो इसे पैमाने का ह्रासमान प्रतिफल कहते हैं।

15. मांग एवं पूर्ति दोनों के परिवर्तन का मूल्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? (4 Marks)
उत्तर – माँग एवं पूर्ति दोनों के परिवर्तन के मूल्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है :
(i) यदि माँग पूर्ति की तुलना में अधिक बढ़ती है तो संतुलन कीमत बढ़ेगी।
(ii) यदि माँग तथा पूर्ति में बराबर की वृद्धि होती है तो संतुलन कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(iii) यदि पूर्ति माँग की तुलना में अधिक बढ़ती है तो संतुलन कीमत में कमी होगी।

16. मांग की कीमत लोच को मापने की कुल व्यय विधि की व्याख्या करें। (6 Marks)
उत्तर – इस विधि का प्रतिपादन प्रो. मार्शल ने किया था। इस विधि में वस्तु के मूल्य में परिवर्तन के परिणामस्वरूप कुल व्यय में परिवर्तन की मात्रा तथा परिवर्तन की दिशा निर्धारित की जाती है। (कुल व्यय = वस्तु का मूल्य × वस्तु की माँग)
इस विधि से माँग की लोच के केवल तीन अंश ज्ञात किए जा सकते हैं :
(i) इकाई से अधिक लोच (Ed > 1) – जब कीमत में कमी के कारण कुल व्यय बढ़ता है या माँग की कीमत लोच में वृद्धि के कारण कुल व्यय घटता है तो यह एक से अधिक होती है।
(ii) इकाई के बराबर लोच (Ed = 1) – जब माँग की कीमत लोच में वृद्धि या कमी के कारण कुल व्यय स्थिर रहता है तो यह एक के बराबर होता है।
(iii) इकाई से कम लोच (Ed < 1) – जब कीमत में कमी के कारण कुल व्यय घटता है या माँग की कीमत लोच में वृद्धि के कारण कुल व्यय बढ़ता है तो यह एक से कम होती है।

17. पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार की मुख्य विषेशताओ का वर्णन करे।
उत्तर – पूर्ण प्रतियोगिता, बाजार की वह दशा होती है जिसमें क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है। इसमें कोई भी एक क्रेता अथवा विक्रेता व्यक्तिगत रूप से वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता। समस्त बाजार में वस्तु का एक ही मूल्य होता है।
पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार की मुख्य विशेषताएं :
(i) क्रेताओं और विक्रेताओं की अधिक संख्या – पूर्ण प्रतियोगी बाजार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है जिसके कारण कोई भी विक्रेत्ता अथवा क्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाता। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता में एक क्रेता अथवा एक विक्रेता बाजार में माँग अथवा पूर्ति की दशाओं को प्रभावित नहीं कर सकता।
(ii) एक समान वस्तुएँ – पूर्ण प्रतियोगिता में एक उद्योग की सभी फर्म पूर्णतया एक रूप की वस्तुओं का उत्पादन कर सकती है। इसका अर्थ यह है कि विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ रंग, रूप, गुण एवं वजन में बिल्कुल एक-सी होती हैं और उनमें कोई भी अंतर नहीं होता क्योंकि फर्मे अविभेदित (एक समान) वस्तुओं का उत्पादन कर रही है, बाजार मूल्य भी एक जैसा होगा। कोई भी फर्म बाजार मूल्य से कम या अधिक नहीं हो सकती।
(iii) एक समान कीमत का प्रचलन – पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की सभी जगह एक ही कीमत होती है, जिस पर कितनी ही मात्रा का क्रय और विक्रय किया जा सकता है।

Section – B (Macro Economics)

18. शेष विश्व क्षेत्र वह कहलाता जो : (1 Mark)
(a) उत्पादन करता है।
(b) उपभोग करता है।
(c) मुद्रा उधार देता है।
(d) आयात व निर्यात करता है।
उत्तर – (d) आयात व निर्यात करता है।

19. निम्न में से किसे अन्तिम उपभोग व्यय में शामिल नहीं किया जाता है? (1 Mark)
(a) निजी अंतिम उपभोग व्यय
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय
(c) निर्माण पर व्यय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (c) निर्माण पर व्यय

20. निम्न में से किसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है? (1 Mark)
(a) पुराने मकान की बिक्री
(b) गृहिणी की सेवायें
(c) हस्तांतरण भुगतान
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

21. निम्न में से कौन-सा सही है? (1 Mark)
(a) NDPMP = GNPMP – मूल्यह्रास
(b) NNPFP = GNPMP + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय
(c) GNP = GDP + निवल अप्रत्यक्ष कर
(d) GDPFP = GDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर
उत्तर – (d) GDPFP = GDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर

22. निम्न में से कौन-सी गैर-राजस्व प्राप्ति नहीं है? (1 Mark)
(a) फीस
(b) जुर्माना
(c) अनुदान
(d) आय कर
उत्तर – (d) आय कर

23. भारत में नोट जारी करने का एकाधिकार ……………. बैंक के पास है। (RBI / SBI) (1 Mark)
उत्तर – RBI

24. अवितरित लाभ, …………….. का एक भाग होता है। (मजदूरी / लाभ) (1 Mark)
उत्तर – लाभ

25. यदि सीमांत उपभोग प्रवृति = 0.5 है, तो गुणक होगा …………. (1 Mark)
उत्तर : K = 1/(1-MPC) = 1/(1-0.5) = 1/0.5 = 2

26. अभिकथन (A) : भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक है। (1 Mark)
कारण (R) : भारत में रिजर्व बैंक राजकोषीय नीति का संचालक है।
(a) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
(b) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन सत्य है परंतु कारण असत्य है।
(d) अभिकथन असत्य है परन्तु कारण सत्य है।
उत्तर – (c) अभिकथन सत्य है परंतु कारण असत्य है।

27. अभिकथन (A) : सरकार को राजस्व घाटा रोकने के लिए सब्सिडी कम करनी चाहिए। (1 Mark)
कारण (R) : LPG सिलेंडर पर सब्सिडी देना राजस्व व्यय का एक हिस्सा है।
(a) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।
(b) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) अभिकथन सत्य है परंतु कारण असत्य है।
(d) अभिकथन असत्य है परन्तु कारण सत्य है।
उत्तर – (a) अभिकथन और कारण दोनों सत्य है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या है।

28. प्रेरित निवेश व स्वचालित निवेश में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –

प्रेरित निवेश स्वचालित निवेश
1. आय और उत्पादन स्तर पर निर्भर करता है। 1. आय और उत्पादन स्तर से स्वतंत्र होता है।
2. आर्थिक चक्रों के साथ बदलता रहता है। 2. आर्थिक चक्रों से स्वतंत्र होकर अधिक स्थिर रहता है।
3. मुख्य रूप से व्यवसायिक मुनाफा बढ़ाने के लिए किया जाता है। 3. मुख्य रूप से सामाजिक कल्याण, आधारभूत संरचना विकास और दीर्घकालिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
4. मांग और उत्पादन की अपेक्षाओं से प्रभावित होता है। 4. सरकार की योजनाओं और नीतियों द्वारा निर्देशित होता है।

 

29. अंतिम वस्तुओं और मध्यवर्ती वस्तुओं में क्या भेद होता है ? उदाहरण सहित बताएं। (3 Marks)
उत्तर –

अन्तिम वस्तुएँ मध्यवर्ती वस्तुएँ
1.अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जो उपभोक्ताओं के पास पहुँचती हैं। 1. मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उपयोग अन्तिम वस्तुओं के उत्पादन में किया जाता है।
2. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में शामिल होती हैं क्योंकि ये अंतिम उपयोग की वस्तुएं हैं। 2. GDP में शामिल नहीं होतीं, क्योंकि इन्हें दोहरी गिनती से बचने के लिए अंतिम उत्पाद के मूल्य में सम्मिलित किया जाता है।
3. अन्तिम वस्तुओं का मूल्य राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाता है। 3. मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं होता है।
4. उदाहरण- चॉकलेट, बिस्कुट, ब्रेड, अलमारी व टेलीविजन आदि। 4. उदाहरण- आटा, कपास, गेहूँ, स्टील आदि।

 

30. राजकोषीय घाटा क्या है तथा इसका क्या महत्त्व है? संक्षेप में बताइए। (4 Marks)
उत्तर – राजकोषीय घाटा तब उत्पन्न होता है जब सरकार की कुल खर्च उसकी कुल आय से अधिक हो जाती है, जिसमें उधार को शामिल नहीं किया जाता।
राजकोषीय घाटा आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि :
(i) अर्थव्यवस्था में निवेश – सरकार अक्सर घाटे को पूरा करने के लिए उधार लेती है, जिससे बुनियादी ढांचे और अन्य सार्वजनिक सेवाओं में निवेश किया जा सकता है।
(ii) मुद्रास्फीति – अत्यधिक राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह मुद्रा की आपूर्ति को बढ़ा सकता है।
(iii) आर्थिक विकास – सीमित अवधि के लिए घाटा अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित कर सकता है, विशेषकर मंदी के समय में।
(iv) ऋण का बोझ – दीर्घकालिक घाटा सरकार के ऋण के स्तर को बढ़ा सकता है, जो भविष्य में करदाताओं पर बोझ डाल सकता है।
(v) वित्तीय स्थिरता – अत्यधिक घाटा वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है और निवेशकों का विश्वास कम कर सकता है।
राजकोषीय घाटा एक आवश्यक आर्थिक उपकरण हो सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता होती है।

31. निवेश गुणक की अवधारणा से क्या अभिप्राय है? सीमांत उपभोग प्रवृति और गुणक के बीच संबंध की व्याख्या कीजिए। (4 Marks)
उत्तर – गुणक राष्ट्रीय आय पर निवेश में परिवर्तन के प्रभाव का एक माप है। यह निवेश और आय के बीच संबंध स्थापित करता है। यह निवेश में परिवर्तन के कारण आय में परिवर्तन को मापता है। गुणक का आकार सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। MPC और K के बीच सीधा संबंध है। MPC जितनी अधिक होगी K का मूल्य अधिक होगा और इसके विपरीत। K = ΔY/ΔI = आय में परिवर्तन / निवेश में परिवर्तन मूल्य गुणक और MPC के बीच संबंध इस प्रकार है: K=1/1-MPC समीकरण दर्शाता है कि MPC का मूल्य जितना अधिक होगा गुणक का मूल्य उतना ही अधिक होगा। कारण यह है कि उपभोग पर व्यय जितना अधिक होगा उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादकों की आय में उतनी ही अधिक वृद्धि होगी।

32. भुगतान शेष के चालू खाते तथा पूँजी खाते के प्रमुख घटक लिखिए। (4 Marks)
उत्तर – भुगतान शेष के चालू खाते और पूँजी खाते में अंतर इस प्रकार से है :
(i) चालू खाते में वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात और एकपक्षीय अंतरणों का विवरण होता है, जबकि पूँजी खाते में वे सभी लेन-देन दर्ज होते हैं जिनमें एक देश के निवासियों द्वारा शेष विश्व से पूँजीगत सम्पत्तियों तथा दायित्वों का आदान-प्रदान होता है।
(ii) चालू खाते के लेन-देन प्रवाह के रूप में होते हैं, जबकि पूँजी खाते के लेन-देन स्टॉक के रूप में होते हैं।
(iii) चालू खाते संबंधी लेन-देन देश की चालू आय में परिवर्तन लाते हैं, जबकि पूँजी खाते के लेन-देन देश के पूंजीगत स्टॉक को प्रभावित करते हैं ।

33. मुद्रा क्या है ? इसके प्राथमिक कार्यों की व्याख्या करें। (6 Marks)
उत्तर – मुद्रा एक ऐसी वस्तु या माध्यम है जिसे सामान्यतः वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए स्वीकार किया जाता है। यह आर्थिक लेन-देन को सुविधाजनक बनाने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह आधिकारिक प्रमाण होता है जो माल और सेवाओं को खरीदने के लिए और ऋणों व करों के भुगतान के लिए स्वीकार्य होता है।
मुद्रा के मुख्यतः चार प्राथमिक कार्य होते हैं :
(i) माध्यम के रूप में – मुद्रा वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान का साधन है। यह एक सामान्य माध्यम प्रदान करती है जिसके माध्यम से लेन-देन किया जा सकता है। उदाहरण: जब कोई व्यक्ति एक दुकान से कपड़े खरीदता है, तो वह मुद्रा का उपयोग करके भुगतान करता है। इस प्रकार, मुद्रा खरीदार और विक्रेता के बीच लेन-देन को सुविधाजनक बनाती है।
(ii) मूल्य मापन इकाई – मुद्रा वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापने की एक सामान्य इकाई प्रदान करती है, जिससे विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य की तुलना करना आसान हो जाता है। उदाहरण: जब हम कहते हैं कि एक पेंसिल की कीमत 10 रुपये है और एक किताब की कीमत 200 रुपये है, तो हम मूल्य मापन इकाई के रूप में रुपये का उपयोग कर रहे हैं।
(iii) मूल्य का भंडारण – मुद्रा समय के साथ अपनी मूल्य को बनाए रखने का एक माध्यम है। यह लोगों को अपनी संपत्ति को भविष्य के उपयोग के लिए संग्रहीत करने की अनुमति देती है। उदाहरण: अगर किसी व्यक्ति के पास 1000 रुपये हैं, तो वह इसे भविष्य में उपयोग के लिए बचा सकता है, यह जानते हुए कि इन 1000 रुपयों का मूल्य समय के साथ बना रहेगा।
(iv) भविष्य में भुगतान का मानक – मुद्रा भविष्य के लेन-देन के लिए एक मानक के रूप में कार्य करती है। यह उधार और कर्ज को आसान बनाती है। उदाहरण: जब कोई व्यक्ति बैंक से ऋण लेता है, तो वह भविष्य में इसे चुकाने का वादा करता है, और यह भुगतान मुद्रा में किया जाता है। इस प्रकार, मुद्रा भविष्य में भुगतान के लिए एक मानक स्थापित करती है।

34. राष्ट्रीय आय मापने की मूल्य वृद्धि विधि की व्याख्या करें। (6 Marks)
उत्तर – राष्ट्रीय आय को मापने की मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) एक आर्थिक तकनीक है जो किसी देश की अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापती है। इस विधि के अंतर्गत, प्रत्येक उत्पादन प्रक्रिया में जोड़ा गया मूल्य गणना में लिया जाता है। इसका अर्थ है कि हम प्रत्येक उत्पादन स्तर पर मूल्य वृद्धि को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना करते हैं।
मूल्य वृद्धि विधि की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जाती है :
1. सकल उत्पादन (Gross Output) की गणना – किसी विशिष्ट अवधि में किसी उद्योग या क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य प्राप्त किया जाता है।
2. मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Consumption) को घटाना – उन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को घटाया जाता है जो उत्पादन की प्रक्रिया में उपयोग किए गए थे। ये वस्तुएं और सेवाएं अन्य उद्योगों द्वारा उत्पादित होती हैं और सीधे अंतिम उपभोक्ताओं के लिए नहीं होतीं।
3. मूल्य वृद्धि (Value Added) की गणना – सकल उत्पादन में से मध्यवर्ती उपभोग को घटाने के बाद जो बचता है, वही मूल्य वृद्धि होती है। इसे निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जा सकता है: (मूल्य वृद्धि = सकल उत्पादन – मध्यवर्ती उपभोग)
4. सभी क्षेत्रों की मूल्य वृद्धि को जोड़ना – अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों (जैसे कृषि, उद्योग, सेवाएं) की मूल्य वृद्धि को जोड़कर राष्ट्रीय आय की कुल गणना की जाती है।

उदाहरण : मान लीजिए कि एक देश में तीन मुख्य उद्योग हैं: कृषि, विनिर्माण, और सेवाएं।
कृषि क्षेत्र :
सकल उत्पादन: ₹100 करोड़
मध्यवर्ती उपभोग: ₹30 करोड़
मूल्य वृद्धि: ₹100 करोड़ – ₹30 करोड़ = ₹70 करोड़
विनिर्माण क्षेत्र :
सकल उत्पादन: ₹200 करोड़
मध्यवर्ती उपभोग: ₹120 करोड़
मूल्य वृद्धि: ₹200 करोड़ – ₹120 करोड़ = ₹80 करोड़
सेवा क्षेत्र :
सकल उत्पादन: ₹150 करोड़
मध्यवर्ती उपभोग: ₹50 करोड़
मूल्य वृद्धि: ₹150 करोड़ – ₹50 करोड़ = ₹100 करोड़
अब, राष्ट्रीय आय = कृषि क्षेत्र की मूल्य वृद्धि + विनिर्माण क्षेत्र की मूल्य वृद्धि + सेवा क्षेत्र की मूल्य वृद्धि
= ₹70 करोड़ + ₹80 करोड़ + ₹100 करोड़
= ₹250 करोड़
इस प्रकार, इस विधि से प्राप्त राष्ट्रीय आय ₹250 करोड़ होगी।

निष्कर्ष – मूल्य वृद्धि विधि राष्ट्रीय आय को मापने का एक महत्वपूर्ण और सटीक तरीका है क्योंकि यह प्रत्येक उत्पादन प्रक्रिया में जोड़ी गई वास्तविक आर्थिक गतिविधि को मापती है। यह विधि यह सुनिश्चित करती है कि केवल उन मूल्यों को ही गिना जाए जो वास्तव में अर्थव्यवस्था में जोड़े गए हैं, जिससे दोहरी गणना की संभावना कम हो जाती है।

Leave a Comment

error: