Haryana Board (HBSE) Class 12 Business Studies Half Yearly Question Paper 2024 PDF Download. HBSE Class 12 Business Studies Half Yearly Question Paper 2024. Haryana Board Class 12 Business Studies Half Yearly Exam 2024. HBSE Class 12th Business Studies Half Yearly Paper 2024 Answer. Haryana Board Class 12 Half Yearly Paper PDF Download. Haryana Board Class 12 Business Studies Half Yearly Paper 2024 Solution. हरियाणा बोर्ड कक्षा 12 व्यवसाय अध्ययन अर्धवार्षिक पेपर 2024.
HBSE Class 12 Business Studies Half Yearly Question Paper 2024 Answer Key
Instructions :
• All questions are compulsory.
• Questions (1-10) carry 1 mark each.
• Questions (11-12) carry 3 marks each.
• Questions (13-15) carry 4 marks each.
• Questions (16-17) carry 6 marks each.
1. निम्न में से नियुक्तिकरण का तत्व कौन-सा है?
(a) भर्ती
(b) चयन
(c) प्रशिक्षण
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी
2. निम्न में से कौन-सा नियोजन का प्रकार नहीं है?
(a) कार्यक्रम
(b) नियम
(c) उत्पाद
(d) कार्यविधि
उत्तर – (c) उत्पाद
3. प्रबन्ध एक ……….. शक्ति है।
(a) दृश्य
(b) अदृश्य
(c) पृथक्
(d) सामूहिक
उत्तर – (b) अदृश्य
4. समन्वय का संबंध प्रबन्ध के किस कार्य के साथ है?
(a) नियोजन
(b) संगठन
(c) नियुक्तिकरण
(d) सभी के साथ
उत्तर – (d) सभी के साथ
5. विकेन्द्रीयकरण क्या है?
(a) भारार्पण का संक्षिप्त रूप
(b) भारार्पण का विस्तृत रूप
(c) भारार्पण का मध्य रूप
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (b) भारार्पण का विस्तृत रूप
6. ………….. वैज्ञानिक प्रबन्ध के जन्मदाता हैं। (हेनरी फेयोल / F. W. टेलर)
उत्तर – F. W. टेलर
7. भर्ती एक …………. प्रक्रिया है।
उत्तर – सकारात्मक
8. समूह परम्पराएं किस संगठन ढाँचे में होती हैं?
उत्तर – अनौपचारिक संगठन
9. प्रबंध के 14 सिधांत किसके द्वारा दिए गये है?
उत्तर – हेनरी फेयोल
10. अभिकथन (A) : वित्तीय के साथ-साथ गैर-वित्तीय संस्थानों में भी प्रबंध की आवश्यकता होती है।
कारण (R) : प्रबंध व्यापक है।
उत्तर – अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और एक-दूसरे के साथ संबंधित भी हैं।
11. ‘विज्ञापन के लिए भुगतान करना लाभदायक है’ – अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर – ‘विज्ञापन के लिए भुगतान करना लाभदायक है’ इस कथन के समर्थन में निम्नलिखित कारण दिए जा सकते हैं :
(i) ब्रांड जागरूकता बढ़ाना
(ii) बिक्री में वृद्धि
(iii) प्रतिस्पर्धा में बढ़त
(iv) नई उत्पादों का प्रमोशन
(v) ग्राहक विश्वास
12. नियंत्रण की कोई तीन सीमाएं समझाइए।
उत्तर – नियंत्रण की सीमाएँ निम्नलिखित हैं :
(i) मात्रात्मक प्रमापों के निर्धारण में कठिनाई
(ii) बाह्य कारकों पर नियंत्रण नहीं
(iii) उत्तरदायित्व के निर्धारण में कठिनाई
(iv) कर्मचारियों द्वारा विरोध
(v) महँगा कार्य
13. नियोजन की प्रक्रिया को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – नियोजन (Planning) की प्रक्रिया को संक्षेप में निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जा सकता है :
(i) लक्ष्यों की स्थापना
(ii) वर्तमान स्थिति का विश्लेषण
(iii) विकल्पों का विकास
(iv) विकल्पों का मूल्यांकन
(v) सबसे अच्छे विकल्प का चयन
(vi) योजना का क्रियान्वयन
(vii) नियंत्रण और मूल्यांकन
14. व्यावसायिक वातावरण की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – (i) गतिशील – व्यावसायिक वातावरण अत्यधिक लचीला होता है और बदलता रहता है। यह स्थिर या कठोर नहीं है, इसलिए व्यावसायिक वातावरण की निरंतर निगरानी और स्कैनिंग करना आवश्यक है।
(ii) अनिश्चितता – व्यावसायिक वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है। चूँकि वातावरण बहुत तेज़ी से बदल रहा है, उदाहरण के लिए आईटी, फैशन उद्योग में लगातार और तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं।
(iii) जटिल – कंपनियों पर कारोबारी माहौल के प्रभाव को समझना बहुत मुश्किल है। हालाँकि माहौल को स्कैन करना आसान है लेकिन यह जानना बहुत मुश्किल है कि ये बदलाव कारोबारी फैसलों को कैसे प्रभावित करेंगे। कभी-कभी बदलाव मामूली हो सकता है लेकिन इसका बड़ा असर हो सकता है। उदाहरण के लिए, कर की दर में 5% की वृद्धि करने की सरकारी नीति में बदलाव से कंपनी की आय पर बड़ी मात्रा में असर पड़ सकता है।
15. औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में सात अंतर बताइए।
उत्तर –
औपचारिक संगठन | अनौपचारिक संगठन |
1. औपचारिक संगठन नियमों और विधियों के अधीन होता है। | 1. अनौपचारिक संगठन अधिक लचीला और समर्थनात्मक होता है। |
2. औपचारिक संगठन निर्धारित कार्यक्रमों और क्रियाओं का पालन करता है। | 2. अनौपचारिक संगठन अधिक स्वतंत्रता और अनुमति प्रदान करता है। |
3. औपचारिक संगठन में कार्यकर्ताओं के लिए स्थाई और निरंतर कार्यकाल होता है। | 3. अनौपचारिक संगठन में कार्यकर्ताओं के लिए कार्यकाल अधिक लचीला होता है। |
4. इसका निर्माण किसी योजना को पूरा करने के लिए विचार-विमर्श करके किया जाता है। | 4. इसका निर्माण स्वत: ही सामाजिक संबंधों द्वारा होता है। |
5. इसे किसी तकनीकी उद्देश्य को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया जाता है। | 5. इसका निर्माण सामाजिक संतोष प्राप्त करने के लिए होता है। |
6. इसका आकार बड़ा हो सकता है। | 6. यह प्रायः छोटे आकार का होता है। |
7. इसमें सत्ता का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है। | 7. इसमें सत्ता का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है। |
16. हेनरी फेयोल के किन्हीं आठ सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – हेनरी फेयोल के सिद्धांत :
(i) कार्य का विभाजन – हेनरी का मानना था कि कार्यबल में काम को श्रमिकों के बीच अलग-अलग करने से उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। इसी तरह, उन्होंने यह भी निष्कर्ष निकाला कि कार्य का विभाजन श्रमिकों की उत्पादकता, दक्षता, सटीकता और गति में सुधार करता है। यह सिद्धांत प्रबंधकीय और तकनीकी दोनों ही स्तर के काम के लिए उपयुक्त है।
(ii) अधिकार और जिम्मेदारी – प्रबंधन के ये दो मुख्य पहलू हैं। अधिकार प्रबंधन को कुशलतापूर्वक काम करने में मदद करता है, और जिम्मेदारी उन्हें उनके मार्गदर्शन या नेतृत्व में किए गए काम के लिए जिम्मेदार बनाती है।
(iii) अनुशासन – अनुशासन के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। यह किसी भी परियोजना या किसी भी प्रबंधन के लिए मुख्य मूल्य है। अच्छा प्रदर्शन और समझदारीपूर्ण अंतर्संबंध प्रबंधन कार्य को आसान और व्यापक बनाते हैं। कर्मचारियों का अच्छा व्यवहार उन्हें अपने पेशेवर करियर में सुचारू रूप से निर्माण और प्रगति करने में भी मदद करता है।
(iv) कमान की एकता – इसका मतलब है कि एक कर्मचारी को सिर्फ़ एक ही बॉस रखना चाहिए और उसके आदेश का पालन करना चाहिए। अगर किसी कर्मचारी को एक से ज़्यादा बॉस का पालन करना पड़ता है, तो हितों का टकराव शुरू हो जाता है और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
(v) दिशा की एकता – जो भी व्यक्ति एक ही कार्य में लगा हुआ है, उसका एक ही लक्ष्य होना चाहिए। इसका मतलब है कि एक कंपनी में काम करने वाले सभी लोगों का एक ही लक्ष्य और उद्देश्य होना चाहिए, जिससे काम आसान हो जाए और निर्धारित लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सके।
(vi) व्यक्तिगत हित की अधीनता – यह दर्शाता है कि एक कंपनी को व्यक्तिगत हित के बजाय कंपनी के हित के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। संगठन के उद्देश्यों के अधीन रहें। यह कंपनी में कमांड की पूरी श्रृंखला को संदर्भित करता है।
(vii) पारिश्रमिक – यह किसी कंपनी के कर्मचारियों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पारिश्रमिक मौद्रिक या गैर-मौद्रिक हो सकता है। आदर्श रूप से, यह किसी व्यक्ति द्वारा किए गए प्रयासों के अनुसार होना चाहिए।
(viii) केंद्रीकरण – किसी भी कंपनी में, प्रबंधन या निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार कोई भी अधिकारी तटस्थ होना चाहिए। हालाँकि, यह संगठन के आकार पर निर्भर करता है। हेनरी फेयोल ने इस बात पर जोर दिया कि पदानुक्रम और शक्ति के विभाजन के बीच संतुलन होना चाहिए।
17. प्रबन्ध के किन्हीं पांच कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर – प्रबन्ध के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :
(i) योजना बनाना (Planning) – योजना बनाना प्रबन्ध का प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसमें भविष्य के उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है और उन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्यों और संसाधनों का चयन किया जाता है। योजना बनाते समय विभिन्न वैकल्पिक उपायों का मूल्यांकन और चयन किया जाता है। इसका उद्देश्य संगठन के लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना और उन्हें प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है।
(ii) संगठन (Organizing) – संगठन प्रबन्ध का दूसरा कार्य है, जिसमें संसाधनों का उचित वितरण और समन्वय किया जाता है। इसमें संगठनात्मक संरचना का निर्माण, कार्यों का विभाजन, उत्तरदायित्व का निर्धारण और अधिकारों का वितरण शामिल होता है। संगठन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी संसाधन उचित रूप से उपयोग किए जाएं और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक संगठित ढांचा प्रदान किया जाए।
(iii) कर्मचारी प्रबंधन (Staffing) – कर्मचारी प्रबंधन का कार्य मानव संसाधनों की नियुक्ति, चयन, प्रशिक्षण, विकास, मूल्यांकन और प्रतिपूर्ति से संबंधित है। इसमें कर्मचारियों की भर्ती, चयन, प्रशिक्षण, विकास और मूल्यांकन के कार्य शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संगठन में योग्य और सक्षम कर्मचारी उपलब्ध हों और वे संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम हों।
(iv) नेतृत्व (Leading) – नेतृत्व का कार्य प्रबन्धक को अपने कर्मचारियों को प्रेरित करने, निर्देश देने और मार्गदर्शन देने का कार्य है। इसमें संचार, प्रेरणा, टीम निर्माण और निर्णय लेने जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। नेतृत्व के माध्यम से प्रबन्धक कर्मचारियों के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करता है और उन्हें संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
(v) नियंत्रण (Controlling) – नियंत्रण प्रबन्ध का अंतिम कार्य है, जिसमें संगठन के वास्तविक प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है और इसे योजनाबद्ध लक्ष्यों से तुलना किया जाता है। इसमें प्रदर्शन में सुधार के लिए आवश्यक सुधारात्मक उपायों का निर्धारण और कार्यान्वयन किया जाता है। नियंत्रण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संगठन के उद्देश्यों को प्रभावी और कुशलता से प्राप्त किया जाए और किसी भी विचलन को समय पर ठीक किया जाए।