Haryana Board (HBSE) Class 11 Geography Question Paper 2024 Answer Key. HBSE Class 11 Geography Question Paper 2024. Haryana Board Class 11th Geography Solved Question Paper 2024. HBSE Class 11 Question Paper 2024 PDF Download. HBSE Geography Solved Question Paper 2024 Class 11. HBSE 11th Geography Solved Question Paper 2024. HBSE Class 11 Geography Question Paper Download 2024. HBSE Class 11 Geography Solved Question Paper 2024.
HBSE Class 11 Geography Question Paper 2024 Answer Key
Section – A (1 Mark)
1. क्रमबद्ध भूगोल किसने प्रचलित किया?
(a) हार्टशोन
(b) रिटर
(c) हम्बोल्ट
(d) स्टैम्प
उत्तर – (c) हम्बोल्ट
2. लाप्लास ने निहारिका सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(a) 1795
(b) 1797
(c) 1796
(d) 1798
उत्तर – (c) 1796
3. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?
(a) ग्रेनाइट
(b) क्वार्टज
(c) चीका (क्ले) मिट्टी
(d) लवण
उत्तर – (d) लवण
4. निम्न में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं?
(a) विषुवत वृत्त पर
(b) 23.5° उत्तर
(c) 66.5° दक्षिण
(d) 66.5° उत्तर
उत्तर – (b) 23.5° उत्तर
5. निम्न में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
(a) हिंद महासागर
(b) अटलांटिक महासागर
(c) आर्कटिक महासागर
(d) प्रशांत महासागर
उत्तर – (c) आर्कटिक महासागर
6. पृथ्वी उपसौर की स्थिति कब होती है?
(a) अक्टूबर
(b) जुलाई
(c) सितम्बर
(d) जनवरी
उत्तर – (d) जनवरी
7. निम्नलिखित याम्योत्तर में से कौन-सा भारत का मानक याम्योत्तर है?
(a) 69°30′ पूर्व
(b) 75°30′ पूर्व
(c) 82°30′ पूर्व
(d) 90°30′ पूर्व
उत्तर – (c) 82°30′ पूर्व
8. लोकताक झील किस राज्य में स्थित है?
उत्तर – मणिपुर
9. नंदादेवी जीवमंडल निचय किस राज्य में स्थित है?
उत्तर – उत्तराखंड
10. भूकंप की तीव्रता किस पैमाने पर मापी जाती है?
उत्तर – रिक्टर स्केल (सीस्मोग्राफ)
Section – B (2 Marks)
11. मानव भूगोल के उपक्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर – मानव भूगोल के उपक्षेत्रों में संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, निर्वाचन (राजनीतिक) भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल एवं ऐतिहासिक भूगोल आदि शामिल हैं।
12. सुनामी क्या हैं?
उत्तर – सुनामी एक बड़ी प्रकार की अकस्मात प्राकृतिक आपातकालीन घटना है जो समुद्र के नीचे होने वाले भूकंप, ज्वालामुखी, या समुद्र के तट से होने वाले भूस्खलन के कारण उत्पन्न होती है। यह समुद्र की ऊंचाई के अचानक बदलाव के कारण उत्पन्न होती है जिससे बहुत ऊची और तेज लहरें उत्पन्न होती हैं जो समुद्र तट की ओर बढ़ती हैं।
13. ज्वार-भाटा क्या हैं?
उत्तर – ज्वार-भाटा (Tides) एक प्राकृतिक घटना है जो मुख्य रूप से पृथ्वी, चंद्रमा, और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बलों के प्रभाव से होती है। यह घटना समुद्र के जलस्तर में नियमित बदलाव के रूप में प्रकट होती है। ज्वार भाटा समुद्र में आता हैं अर्थात जब समुद्र का पानी अपनी औसत से ऊपर उठता हैं, तो उसे हम ज्वार कहते हैं और जब वह अपनी औसत सतह से नीचे चला जाता हैं, तो उसे हम भाटा कहते हैं। समुद्र का पानी सामान्य सतह से 24 घंटे (एक दिन) में दो बार ऊपर उठ जाता हैं और दो बार नीचे चला जाता हैं। पानी के ऊपर और नीचे जाने की प्रक्रिया को ही हम ज्वार भाटा कहते हैं।
14. भारत के पश्चिमी तट पर स्थित तटीय राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर – गुजरात, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल।
15. मानसूनी वर्षा की दो मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर – मानसूनी वर्षा की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
(i) मौसमी प्रकृति – मानसूनी वर्षा एक विशिष्ट मौसम में होती है, आमतौर पर भारत में जून से सितंबर के बीच।
(ii) असमान वितरण – मानसूनी वर्षा का वितरण भौगोलिक दृष्टि से असमान होता है। कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है, जैसे कि पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर भारत, जबकि अन्य क्षेत्रों, जैसे कि राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में, अपेक्षाकृत कम वर्षा होती है।
अथवा
सामाजिक वाणिकी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर – सामाजिक वाणिकी (Social Forestry) से अभिप्राय है उस वनरोपण और वन प्रबंधन की प्रक्रिया से, जिसमें स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना, स्थानीय संसाधनों की सुरक्षा करना, और समुदायों की आजीविका में सुधार करना है।
16. सूखे के दो प्रभाव लिखें।
उत्तर – सूखे के कई प्रभाव होते है :
(i) मिट्टी में नमी की कमी से फसलों की पैदावार घट जाती है। किसान की आय में कमी आती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है।
(ii) जल स्रोतों का सूखना या जलस्तर का कम होना, पीने के पानी की कमी को जन्म देता है।
(iii) सूखे के कारण वनस्पतियों और जीवों के लिए जल की कमी होती है, जिससे उनके जीवन पर खतरा मंडराने लगता है।
अथवा
तराई से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – तराई एक भौगोलिक क्षेत्र है जो हिमालय की तलहटी और भारतीय गंगा के मैदानी इलाकों के बीच स्थित है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से भारत और नेपाल में फैला हुआ है और अपनी विशिष्ट भूगोल और जलवायु के लिए जाना जाता है। हिमालय से आने वाली नदियां कई बार भाबर क्षेत्र में लुप्त होती हैं या फिर इनका प्रवाह कम हो जाता है, जबकि तराई क्षेत्र में आने पर नदियों का प्रवाह अधिक दिखने लगता है।
Section – C (3 Marks)
17. पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर –
पार्थिव ग्रह | जोवियन ग्रह |
1. पार्थिव ग्रह ठोस और चट्टानी होते हैं। | 1. जोवियन ग्रह गैसीय और तरल होते हैं। |
2. पार्थिव ग्रह छोटे और घने होते हैं। | 2. जोवियन ग्रह बड़े और कम घने होते हैं। |
3. पार्थिव ग्रह सूर्य के निकट होते हैं। | 3. जोवियन ग्रह सूर्य से दूर होते हैं। |
18. अपक्षय क्या है? भौतिक अपक्षय का वर्णन करें।
उत्तर – अपक्षय का मतलब होता है धीरे-धीरे कम होना या टूटना। भौतिक अपक्षय, जिसे यांत्रिक अपक्षय के रूप में भी जाना जाता है, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बाहरी ताकतों द्वारा चट्टानें टूटती हैं या आकार और बनावट बदलती हैं।
19. जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या है?
उत्तर – जैव विविधता को तीन स्तरों में विभक्त किया जा सकता है :
(i) प्रजाति विविधता
(ii) आनुवंशिक विविधता
(iii) पारिस्थितिक तंत्र विविधता
20. डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर –
डेल्टा | ज्वारनदमुख |
1. नदी द्वारा बहाकर लाए गए अवसादों के मुहाने पर हुए त्रिभुजाकार जमाव को डेल्टा कहते हैं। | 1. नदी के मुहाने पर बनी सँकरी व गहरी घाटी को ज्वारनदमुख कहते हैं। |
2. डेल्टा बहुत ही समतल और उपजाऊ मैदान होता है। | 2. ये नदियाँ मैदानों का निर्माण नहीं करतीं। |
3. गंगा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी, व महानदी नदियाँ डेल्टा बनाती हैं। | 3. भारत की नर्मदा तथा तापी नदियाँ ज्वारनदमुख बनाती हैं। |
21. भूमंडलीय तापन के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर – ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में वृद्धि को भूमंडलीय तापन कहा जाता है।
भूमंडलीय तापन के प्रभाव :
(i) वैश्विक औसत तापमान बढ़ रहा है, जिससे गर्मी की लहरें अधिक तीव्र और लंबी हो रही हैं। कई क्षेत्रों में अधिक बाढ़ और सूखे की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे कृषि और जल आपूर्ति पर असर पड़ रहा है।
(ii) ग्लेशियरों और ध्रुवीय बर्फ की चादरों के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है।
(iii) कई प्रजातियाँ अपने निवास स्थान के तापमान में बदलाव के कारण विलुप्त हो रही हैं।
(iv) अत्यधिक गर्मी, सूखा, और बाढ़ के कारण फसल उत्पादन में गिरावट हो रही है।
अथवा
वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर – वन संरक्षण के लिए विश्वभर में कई कदम उठाए गए हैं :
(i) नए पेड़ लगाना (वनीकरण) और कटे हुए जंगलों को पुनः स्थापित करना (पुनर्वनीकरण) पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण कदम हैं। कई देशों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
(ii) कई देशों ने वन्यजीव अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और बायोस्फीयर रिजर्व स्थापित किए हैं जहाँ वनों और वन्यजीवों को संरक्षण मिलता है।
(iii) कई देशों में वन्यजीव संरक्षण के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं जो अवैध कटाई, शिकार और वनों की क्षति को रोकते हैं।
(iv) वन संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाई जा रही है, जिससे वे वन संरक्षण के लाभ समझ सकें और उसे बढ़ावा दे सकें।
(v) जनता को वन संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
22. भूस्खलन क्या है? भूस्खलन के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर – भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है जिसमें पृथ्वी की सतह का एक भाग जैसे मिट्टी, चट्टानें, मलबा आदि ढलान के साथ तेजी से नीचे की ओर खिसकते हैं। यह प्रक्रिया प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों दोनों के कारण हो सकती है। भूस्खलन के सामान्य कारणों में भारी वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, मानव निर्मित ढलानों की अस्थिरता और वनस्पति की कमी शामिल हैं।
भूस्खलन के प्रभाव :
(i) भूस्खलन से मिट्टी की ऊपरी परत का कटाव होता है, जिससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती है।
(ii) भूस्खलन से घर, सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे नष्ट हो जाते हैं, जिससे भारी आर्थिक नुकसान होता है।
(iii) भूस्खलन से लोगों की जान जा सकती है और कई लोग घायल हो सकते हैं। भूस्खलन के कारण लोग अपने घरों से विस्थापित हो जाते हैं, जिससे उनके जीवन में अस्थिरता आती है।
अथवा
अन्तः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?
उत्तर – अन्तः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (Intertropical Convergence Zone, ITCZ) एक मौसम विज्ञान संबंधी क्षेत्र है जो पृथ्वी के भूमध्य रेखा के निकट स्थित होता है। यह वह क्षेत्र है जहाँ उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध से आने वाली व्यापारिक हवाएँ (ट्रेड विंड्स) आपस में मिलती हैं। इस क्षेत्र में हवाओं के अभिसरण के कारण निम्न दबाव क्षेत्र बनता है, जिससे गर्म, नम हवा ऊपर उठती है और बादलों का निर्माण होता है। ITCZ का प्रभाव पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के मौसम और जलवायु पर गहरा होता है। इसके अध्ययन से वैज्ञानिक मौसम और जलवायु परिवर्तन की बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं।
Section – D (5 Marks)
23. कार्स्ट प्रदेश में भूमिगत जल के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर – कार्स्ट प्रदेश एक भूवैज्ञानिक क्षेत्र है जो घुलनशील चट्टानों, जैसे कि चूना पत्थर, डोलोमाइट और जिप्सम, की विशेषताओं द्वारा निर्मित होता है। इन क्षेत्रों में भूमिगत जल के कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं और कई विशिष्ट भू-आकृतियों को जन्म देते हैं। यहाँ भूमिगत जल के कार्यों का वर्णन किया गया है :
(i) घुलन और विलेपन – कार्स्ट प्रदेश में भूमिगत जल जब चूना पत्थर या अन्य घुलनशील चट्टानों के संपर्क में आता है, तो यह चट्टानों को घुला देता है। यह प्रक्रिया कार्बोनिक एसिड के रूप में होती है, जो वर्षा के पानी और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के मिश्रण से बनता है। घुलन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप भूमिगत गुफाएँ बनती हैं। ये गुफाएँ समय के साथ बड़ी और अधिक जटिल हो सकती हैं।
(ii) सिंकरहोल का निर्माण – ये तब बनते हैं जब भूमिगत जल चट्टानों को घुलाकर उनकी सतह को कमजोर कर देता है, जिससे सतह का हिस्सा धंस जाता है और एक गोलाकार या अंडाकार गड्ढा बन जाता है
(iii) पानी की भूमिगत धाराएँ – कार्स्ट क्षेत्रों में भूमिगत जल धाराएँ और जलवाहक होते हैं, जो पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाते हैं। ये भूमिगत जल स्रोत कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
(iv) स्थलगर्भी झीलें (सबसर्फेस लेक्स) – घुलन और विलेपन प्रक्रियाओं के कारण बनने वाली भूमिगत गुफाओं में जल इकट्ठा हो सकता है, जिससे भूमिगत झीलें बन जाती हैं। ये झीलें अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र और जल संसाधनों के रूप में महत्वपूर्ण होती हैं।
(v) स्टैलैक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स का निर्माण – स्टैलैक्टाइट्स चूना पत्थर की गुफाओं की छत से नीचे की ओर लटकती संरचनाएँ होती हैं, जो घुले हुए कैल्शियम कार्बोनेट के पुनः जमा होने से बनती हैं। स्टैलेग्माइट्स गुफा की फर्श पर ऊपर की ओर बढ़ने वाली संरचनाएँ होती हैं, जो पानी की बूंदों के टपकने से बनती हैं।
अथवा
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का वर्णन करें।
उत्तर – पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को मुख्य रूप से तीन प्रमुख परतों में विभाजित किया गया है: भूपर्पटी (Crust), मेंटल (Mantle), और क्रोड (Core)। इन परतों को उनके भौतिक और रासायनिक गुणों के आधार पर विभाजित किया गया है। यहाँ प्रत्येक परत का विवरण दिया गया है :
1. भूपर्पटी (Crust)
• संरचना : यह पृथ्वी की सबसे बाहरी परत है और सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, और ऑक्सीजन जैसे तत्वों से बनी होती है।
• मोटाई : महाद्वीपीय भूपर्पटी लगभग 30-50 किमी मोटी होती है, जबकि महासागरीय भूपर्पटी लगभग 5-10 किमी मोटी होती है।
प्रकार –
• महाद्वीपीय भूपर्पटी : यह ग्रेनाइटिक संरचना की होती है और हल्की होती है।
• महासागरीय भूपर्पटी : यह बेसाल्टिक संरचना की होती है और घनी होती है।
2. मेंटल (Mantle)
• संरचना : यह परत सिलिकेट खनिजों से बनी होती है और लोहे और मैग्नीशियम की अधिक मात्रा होती है।
• मोटाई : मेंटल लगभग 2,900 किमी मोटी होती है।
विभाजन –
• ऊपरी मेंटल : यह भूपर्पटी के नीचे स्थित होती है और इसमें लिथोस्फेयर (भूपर्पटी और ऊपरी मेंटल का ठोस भाग) और एस्थेनोस्फेयर (आंशिक रूप से पिघली हुई और लचीली परत) शामिल होते हैं।
• निचला मेंटल : यह परत ठोस होती है और बहुत उच्च तापमान और दबाव में होती है।
• गुण : मेंटल में कंवेक्षन धाराएँ चलती हैं, जो प्लेट विवर्तनिकी (प्लेट टेक्टॉनिक्स) को नियंत्रित करती हैं।
3. क्रोड (Core)
• संरचना : यह मुख्य रूप से लोहे और निकेल से बनी होती है।
• मोटाई : क्रोड की मोटाई लगभग 3,500 किमी होती है।
विभाजन –
• बाह्य क्रोड : यह तरल अवस्था में होती है। मोटाई लगभग 2,200 किमी होती है। बाह्य क्रोड में विद्युत प्रवाह के कारण पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
• आन्तरिक क्रोड : यह ठोस अवस्था में होती है। मोटाई लगभग 1,200 किमी होती है। आन्तरिक क्रोड का तापमान और दबाव बहुत अधिक होता है।
24. वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें।
उत्तर – वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर फैली हुई गैसों की एक परत है। यह परत कई गैसों से मिलकर बनी है और इसकी संघटन कई महत्वपूर्ण घटकों से बनी है। वायुमंडल का संघटन निम्नलिखित है :
(i) नाइट्रोजन – वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली गैस है। इसकी मात्रा लगभग 78% है। नाइट्रोजन पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का एक मुख्य स्रोत है।
(ii) ऑक्सीजन – वायुमंडल का दूसरा सबसे बड़ा घटक है। इसकी मात्रा लगभग 21% है। ऑक्सीजन जीवों के लिए जीवनदायिनी गैस है, जो श्वसन क्रिया में आवश्यक होती है।
(iii) आर्गन – यह एक निष्क्रिय गैस है और इसकी मात्रा लगभग 0.93% है। आर्गन किसी भी रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं लेता।
(iv) कार्बन डाइऑक्साइड – इसकी मात्रा वायुमंडल में लगभग 0.04% है। यह गैस पौधों के लिए प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है और ग्रीनहाउस प्रभाव में भी योगदान देती है।
(v) अन्य गैसें – इनमें नियोन, हीलियम, मीथेन, क्रिप्टन, हाइड्रोजन, और ज़ेनन शामिल हैं। ये गैसें बहुत ही कम मात्रा में पाई जाती हैं।
(vi) जल वाष्प – वायुमंडल में जल वाष्प की मात्रा स्थान और समय के अनुसार बदलती रहती है, यह 0% से 4% तक हो सकती है। जल वाष्प वायुमंडल की आद्रता, बादलों का निर्माण और वर्षा के लिए जिम्मेदार होता है।
(vii) एयरोसोल – ये छोटे कण होते हैं जो वायुमंडल में तैरते रहते हैं। इनमें धूल, समुद्री नमक, जैविक कण, और मानव द्वारा उत्पन्न प्रदूषक शामिल हैं।
अथवा
संघनन के कौन-कौन से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – संघनन (Condensation) वह प्रक्रिया है जिसमें वाष्प या गैस तरल में बदल जाती है। संघनन के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं: ओस, तुषार, कोहरा, बादल और कुहासा।
• ओस बनने की प्रक्रिया – दिन में सूरज की गर्मी से जल स्रोतों (जैसे नदियाँ, झीलें, महासागर) से जलवाष्प का निर्माण होता है। रात में, जब सतह का तापमान गिर जाता है, तो सतह के पास की हवा भी ठंडी हो जाती है। ठंडी सतह के संपर्क में आने पर हवा में मौजूद जलवाष्प संघनित होकर जल की छोटी-छोटी बूंदों में बदल जाती है। यह बूंदें सतह पर ओस के रूप में दिखाई देती हैं।
• तुषार बनने की प्रक्रिया – जल स्रोतों से जलवाष्प का निर्माण होता है। जब तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरता है, तो सतह और उसके पास की हवा का तापमान भी बहुत कम हो जाता है। इस स्थिति में जलवाष्प तरल में बदलने के बजाय सीधे ठोस बर्फ के कणों में बदल जाता है। यह तुषार के रूप में सतह पर जम जाता है।
25. उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर – उत्तर भारतीय नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ और उनके बीच भिन्नताएँ निम्नलिखित हैं :
• उत्तर भारतीय नदियाँ – अधिकांश उत्तर भारतीय नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और ग्लेशियरों से पोषित होती हैं। जैसे, गंगा, यमुना, और सिंधु। इन नदियों का जल प्रवाह पूरे वर्ष रहता है, विशेषकर मानसून के दौरान और गर्मियों में भी। ये नदियाँ व्यापक और गहरी घाटियाँ बनाती हैं। सिंचाई और जलप्रवाह के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उदाहरण के लिए, गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान अत्यधिक उपजाऊ है। ये नदियाँ बारहमासी होती हैं, यानी इनमें साल भर पानी रहता है।
• प्रायद्वीपीय नदियाँ – अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियाँ दक्कन के पठार से निकलती हैं। जैसे, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, और नर्मदा। इन नदियों का जल प्रवाह मानसून के मौसम में अधिक होता है और शुष्क मौसम में काफी कम हो जाता है। ये नदियाँ उथली घाटियाँ बनाती हैं और इनमें कई बार झरने और चट्टानें मिलती हैं। प्रायद्वीपीय नदियाँ क्षेत्रीय जल प्रणाली के रूप में काम करती हैं, जिनका महत्व स्थानीय सिंचाई और जलापूर्ति में है। ये नदियाँ अधिकतर अनिश्चित होती हैं, यानी इनमें जल स्तर मौसमी होता है।
भिन्नताएँ :
(i) उत्तर भारतीय नदियाँ हिमालय से और प्रायद्वीपीय नदियाँ दक्कन के पठार से निकलती हैं।
(ii) उत्तर भारतीय नदियों का जल प्रवाह बारहमासी होता है जबकि प्रायद्वीपीय नदियों का जल प्रवाह मौसमी होता है।
(iii) उत्तर भारतीय नदियाँ विस्तृत और गहरी घाटियाँ बनाती हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ उथली घाटियाँ बनाती हैं।
(iv) उत्तर भारतीय नदियाँ अधिक उपजाऊ मैदान बनाती हैं, जैसे गंगा का मैदान, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ अपेक्षाकृत कम उपजाऊ मैदान बनाती हैं।
अथवा
भारत के प्रायद्वीपीय पठार का वर्णन करें।
उत्तर – भारत का प्रायद्वीपीय पठार देश के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसे त्रिकोणीय आकार का क्षेत्र माना जाता है। यह पश्चिम में अरावली पर्वत श्रृंखला से लेकर पूर्व में राजमहल पहाड़ियों तक फैला हुआ है, और दक्षिण में कर्नाटक तक विस्तार पाता है।
• प्रमुख विशेषताएँ – इस पठार के उत्तर में विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियाँ हैं, जबकि इसके दक्षिण में पश्चिमी और पूर्वी घाट हैं। इस क्षेत्र की औसत ऊँचाई 600 से 900 मीटर के बीच होती है। उत्तरी-पश्चिमी भाग, जो कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों को कवर करता है। पूर्वी भाग, जिसमें झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ हिस्से शामिल हैं। मध्य और दक्षिणी भाग, जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के हिस्सों में फैला हुआ है।
• भू-रचना और बनावट – यह क्षेत्र मुख्यतः आग्नेय और कायांतरित शैलों से बना है। ग्रेनाइट, गनीस और बैसल्ट यहाँ की प्रमुख चट्टानें हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और महानदी हैं। ये नदियाँ ज्यादातर पूर्व की ओर बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। यह क्षेत्र खनिज संसाधनों में समृद्ध है, खासकर लोहा, कोयला, बॉक्साइट, और मैंगनीज।
• जलवायु और वनस्पति – यहाँ की जलवायु मुख्यतः उष्णकटिबंधीय है, जिसमें ग्रीष्मकाल में तापमान बहुत अधिक होता है और वर्षा मानसूनी होती है। क्षेत्र में शुष्क और शुष्क पतझड़ी वनस्पति पाई जाती है। यहाँ साल, सागौन, और बांस के वृक्ष प्रमुख रूप से मिलते हैं।
• आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व – इस क्षेत्र की मिट्टी विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने के लिए उपयुक्त है, जैसे कपास, तिलहन, गन्ना, और दलहन। यहाँ कई औद्योगिक केंद्र स्थित हैं, विशेषकर पुणे, हैदराबाद, और बेंगलुरु। इस क्षेत्र का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत अधिक है। यहाँ विभिन्न भाषाएँ और सांस्कृतिक परंपराएँ पाई जाती हैं।
26. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाएँ :
(i) महानदी (उड़ीसा)
(ii) चिल्का झील (उड़ीसा)
(iii) अरावली पर्वत (राजस्थान)
(iv) सुंदरवन (पश्चिम बंगाल)
(v) K2 शिखर (जम्मू कश्मीर)
उत्तर –