Haryana Board (HBSE) Class 10 Physical Education SAT-1 Question Paper 2026 Answer Key. Get the Students Assessment Test (SAT) Class 10 Physical Education question paper with complete solution, accurate answer key, and expert preparation tips. The Haryana Board of School Education (HBSE) conducts SAT as an important assessment for Class 10 students. Best resource for Haryana Board Class 10 SAT Physical Education exam practice, quick revision, and scoring better marks.
HBSE Class 10 Physical Education SAT-1 Question Paper 2026 Answer Key
Instructions :
• All questions are compulsory.
• Questions (1-5) carry 1 mark each.
• Questions (6) carry 2 marks.
• Questions (7) carry 3 marks.
• Questions (8) carry 5 marks.
1. सी. के. नायडू ट्रॉफी किस खेल से संबंधित है?
(A) क्रिकेट
(B) फुटबाल
(C) हॉकी
(D) बास्केटबॉल
उत्तर – (A) क्रिकेट
2. किस विटामिन की कमी से बांझपन / नपुंसकता नामक रोग होता है?
(A) विटामिन A
(B) विटामिन B
(C) विटामिन C
(D) विटामिन E
उत्तर – (D) विटामिन E
3. SGFI की फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर – School Games Federation of India
4. प्रोटीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ……………ने किया।
उत्तर – जोंस जैकब बर्जीलियस
5. अभिकथन (A) : नीरज चोपड़ा का संबंध जैवलिनथ्रो से है।
कारण (R) : नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए ओलंपिक खेलों में 2012 व 2024 में पदक जीता।
(A) अभिकथन और कारण दोनों सही है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या करता है।
(B) अभिकथन और कारण दोनों सही है और कारण, अभिकथन की सही व्याख्या करता है।
(C) अभिकथन सही है लेकिन कारण गलत है।
(D) अभिकथन गलत है लेकिन कारण सही है।
उत्तर – (C) अभिकथन सही है लेकिन कारण गलत है।
6. भोजन पकाने की कौन-कौन सी विधियां हैं?
उत्तर – भोजन पकाने की मुख्य विधियां निम्नलिखित हैं :
• उबालना : भोजन को पानी में डालकर पकाना।
• भाप में पकाना : भोजन को भाप से पकाना।
• तलना : भोजन को तेल या घी में सेंकना।
• भूनना : भोजन को सीधे आग या गर्म माध्यम से पकाना।
• बेकिंग : भोजन को ओवन या तंदूर में गर्म हवा से पकाना।
• स्टूइंग : धीमी आंच पर पानी में पकाना, जैसे सूप आदि।
7. एशियाई खेलों पर एक नोट लिखें।
उत्तर – एशियाई खेल (Asiad/Asian Games) एशिया की सबसे बड़ी बहु-खेल प्रतियोगिता है और ओलंपिक के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन माना जाता है। इन खेलों का आयोजन प्रत्येक चार वर्ष में एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA) के तहत किया जाता है और इसका उद्देश्य एशियाई देशों के बीच दोस्ती और सहयोग बढ़ाना है। पहला खेल 1951 में नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जिसमें 11 देशों ने भाग लिया। भारत ने 1951 और 1982 में मेजबानी की। इन खेलों में एथलेटिक्स, तैराकी, हॉकी, कबड्डी, बैडमिंटन आदि खेल शामिल हैं। प्रतीक चिन्ह उगते सूरज के साथ जुड़े छल्ले हैं और ध्येय वाक्य “सदैव प्रगतिशील” है। प्रत्येक खेल में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक दिए जाते हैं।
8. संतुलित आहार क्या है? संतुलित भोजन के आवश्यक घटकों का वर्णन करो।
उत्तर – संतुलित आहार वह आहार है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व (जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज, पानीऔर फाइबर) उचित मात्रा में होते हैं। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, विकास और मरम्मत में सहायता करता है, और रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। संतुलित आहार लेने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों बेहतर रहते हैं और शरीर सक्रिय और तंदुरुस्त रहता है।
• संतुलित भोजन के आवश्यक घटक :
(i) कार्बोहाइड्रेट – यह शरीर का मुख्य ऊर्जा स्रोत है। इससे मांसपेशियों और मस्तिष्क को सक्रिय रहने की शक्ति मिलती है। पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट से शरीर थकता नहीं है और दैनिक कार्य आसानी से किए जा सकते हैं। प्रमुख स्रोत: चावल, गेहूं, रोटी, आलू।
(ii) प्रोटीन – प्रोटीन शरीर के ऊतक निर्माण, वृद्धि और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर रोगों से बचाव करता है। प्रमुख स्रोत: दाल, अंडा, दूध, मांस, पनीर।
(iii) वसा – वसा ऊर्जा का भंडार है और शरीर के अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है। यह शरीर में आवश्यक विटामिन के अवशोषण में मदद करती है और तापमान बनाए रखने में सहायक होती है। प्रमुख स्रोत: घी, तेल, मक्खन, मेवे।
(iv) विटामिन और खनिज – ये शरीर के सभी कार्यों को सुचारु रूप से चलाने, हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य बनाए रखने, रक्त निर्माण और प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। प्रमुख स्रोत: हरी सब्जियाँ, फल, दूध, अंडा।
(v) पानी – पानी शरीर में पोषक तत्वों के परिवहन, अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह हर कोशिका और अंग के लिए आवश्यक है।
(vi) फाइबर – फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है और भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है। प्रमुख स्रोत: फल, सब्जियाँ, दलहन।
अथवा
प्रदूषण किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का विस्तार पूर्वक वर्णन करो।
उत्तर – प्रदूषण वह स्थिति है जब पर्यावरण के किसी भी घटक (जैसे वायु, जल या मिट्टी) के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में अवांछनीय परिवर्तन आ जाता है, जिसका मुख्य कारण हानिकारक पदार्थों, गैसों या अपशिष्टों का मिलना होता है। यह परिवर्तन मनुष्य, जीव-जंतुओं, पौधों और सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और पर्यावरण को अस्वच्छ तथा जीवन के लिए हानिकारक बना देता है।
• प्रदूषण के प्रमुख प्रकार :
(i) वायु प्रदूषण – वायु में धूल, धुआँ, हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि) का अत्यधिक मिश्रण वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्य रूप से वाहनों, उद्योगों, कोयला और डीज़ल जलाने तथा कृषि रसायनों के प्रयोग से फैलता है। इसके परिणामस्वरूप श्वसन रोग, अस्थमा, आँखों में जलन, अम्लीय वर्षा, ओज़ोन परत की हानि और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
(ii) जल प्रदूषण – जब घरेलू गंदा पानी, औद्योगिक रासायनिक अपशिष्ट, कीटनाशक और तेल आदि नदियों, तालाबों या भूजल में मिल जाते हैं, तो जल प्रदूषण होता है। इसके कारण जल पीने योग्य नहीं रहता, मछलियाँ व अन्य जलजीव नष्ट हो जाते हैं, तथा हैजा, टाइफाइड, पेचिश जैसे जलजनित रोग फैलते हैं।
(iii) ध्वनि प्रदूषण – जब ध्वनि का स्तर प्राकृतिक सीमा से अधिक हो जाता है और वह मानव तथा जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है, तो ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। यह प्रायः ट्रैफिक, हवाई जहाज, लाउडस्पीकर, निर्माण कार्य और औद्योगिक मशीनों से उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप सुनने की क्षमता में कमी, नींद की समस्या, मानसिक तनाव और रक्तचाप की वृद्धि होती है।
(iv) भूमि प्रदूषण – भूमि में हानिकारक रसायनों, प्लास्टिक, औद्योगिक कचरे या कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता घट जाती है, जिसे भूमि प्रदूषण कहते हैं। इससे फसलों की उत्पादन क्षमता कम होती है, मिट्टी विषैली बनती है और भूमिगत जल भी प्रदूषित हो जाता है।
(v) प्रकाश एवं विकिरण प्रदूषण – शहरों की अत्यधिक कृत्रिम रोशनी, विज्ञापन बोर्डों की चमक और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले विकिरण पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इसका असर मनुष्य की नींद, जैविक घड़ी और जीव-जंतुओं के प्राकृतिक व्यवहार पर पड़ता है। अधिक विकिरण से कैंसर जैसी बीमारियाँ भी हो सकती हैं।