Ans. दोहा : यह मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके विषम (प्रथम तथा तीसरे) चरणों में 13-13 मात्राएँ तथा सम (दूसरे व चौथे) चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
2. विद्यालय में स्वच्छ जल की व्यवस्था करवाने के बारे में मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।
Ans.
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय
मॉडल संस्कृति स्कूल,
बाढ़डा, चरखी दादरी
दिनांक : 10 मार्च, 2022
विषय – स्वच्छ जल की व्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में पिछले कुछ दिनों से पीने का पानी स्वच्छ नहीं आ रहा है। पानी में छोटे-छोटे कीड़े भी आ रहे हैं व पानी में बदबू भी आती है। गंदा तथा दुर्गंध युक्त पानी पीने के कारण छात्रों का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। अतः आपसे अनुरोध है कि आप कर्मचारियों से कहकर पानी की टंकी की सफाई हर सप्ताह करवाने की कृपा करें, जिससे छात्रों को पीने योग्य स्वच्छ पानी मिल सके।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रवि कुमार
कक्षा- दसवीं ‘ब’
अथवा
मोबाइल गेम्स का दुष्परिणाम बताते हुए छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।
Ans.
भिवानी
मेरे प्यारे छोटे भाई
रोहित
विषय- मोबाइल गेम्स का दुष्परिणाम बताते हुए पत्र।
मोबाइल फोन आजकल हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। हर किसी के लिए आज के समय में मोबाइल इतना आवश्यक हो गया है की उन्हें अपने सेहत का भी ख्याल नहीं रहता, लेकिन ये बात भी सच है की अगर आप किसी भी चीज का आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल करते हैं, तो आपके स्वास्थ्य के लिए यह बहुत ही हानिकारक हो सकता है, मोबाइल गेम्स भी उनमें से एक है।
फोन से निकलने वाले रेडिएशन से कैंसर का खतरा हो सकता है। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में रखते हैं, तो ट्यूमर होने की आशंका हो सकती है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मिनरल लिक्विड समाप्त हो सकता है। इससे आपके सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
मोबाइल गेम्स बच्चों के लिए बहुत नुकसानदायक है। बच्चे दिन भर मोबाइल गेम्स में व्यस्त रहते और अपनी पढ़ाई को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए ज्यादा मोबाइल गेम्स ना खेले।
तुम्हारा भाई
साहिल
3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :
(क) पर्यावरण संरक्षण
(ख) इंटरनेट का महत्त्व
(ग) योग और स्वास्थ्य
(घ) विद्यार्थी और अनुशासन
(ङ) मेरा प्रिय नेता
Ans. खुद करे।
4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा।।
आयेसु काह कहिय किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।। सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरि करनी करि करिअ लराई।। सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।
प्रश्न :
(i) प्रस्तुत काव्यांश के कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
Ans. प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य-पुस्तक क्षितिज (भाग-दो) में संकलित ‘राम-परशुराम-लक्ष्मण संवाद’ से लिया गया है जिसे मूल रूप से गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा रचित महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के बालकांड से ग्रहण किया गया है।
(ii) प्रस्तुत काव्यांश में निहित भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
Ans. तुलसीदास जी कृत बालकाण्ड के इस पद में श्री राम परशुराम जी के क्रोध को शांत करने के लिए विनय कर रहे हैं लेकिन परशुराम जी का क्रोध शांत नहीं होता है और वे लक्ष्मण जी से भी कटु वचनों का उपयोग करते हैं। परशुराम जी से श्री राम जी कहते हैं की शिव जी का धनुष तोड़ने वाला कोई आपका ही दास होगा। आपका क्या आदेश है, आपको क्या कहना है मुससे कहिये। इस पर क्रोधित परशुराम जी कहने लगे की सेवक तो वह होता है जो सेवा का कार्य करे। धनुष तोड़कर तो उसने लड़ाई का कार्य किया है। यह तो शत्रुता का कार्य है। जिसने भी शिव जी का धनुष तोडा है वह मेरा ऐसे ही शत्रु है जैसे सहस्रबाहु मेरा शत्रु है। वह व्यक्ति जिसने शिव जी का धनुष तोडा है वह राजाओं के समूह को छोड़कर सामने आए अन्यथा समस्त राजा मेरे हाथों मारे जायेंगे।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क) ‘कन्यादान’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
Ans. इस कविता में उस दृश्य का वर्णन है जब एक माँ अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है। बेटियाँ ब्याह के बाद पराई हो जाती हैं। जिस बेटी को कोई भी माता पिता बड़े जतन से पाल पोसकर बड़ी करते हैं, वह शादी के बाद दूसरे घर की सदस्य हो जाती है। इसके बाद बेटी अपने माँ बाप के लिए एक मेहमान बन जाती है। इसलिए लड़की के लिए कन्यादान शब्द का प्रयोग किया जाता है। जाहिर है कि जिस संतान को किसी माँ ने इतने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे किसी अन्य को सौंपने में गहरी पीड़ा होती है। बच्चे को पालने में माँ को कहीं अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है, इसलिए उसे दान करते वक्त लगता है कि वह अपनी आखिरी जमा पूँजी किसी और को सौंप रही हो।
(ख) ‘उत्साह’ कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
Ans. उत्साह कविता के केंद्र भाव है कि उसमें कवि चाहता है कि बादल पुहाना बरसने की बजाय गरजने के लिए कहता है क्योंकि सभी जानते हैं कि बादल के गरजने से मनुष्य के अंदर क्रांति की भावना जाएगी और वह यह भी जानता है कि सुहाने या बरसने से मनुष्य के अंदर क्रांति की भावना नहीं जग सकती।
(ग) पठित पदों के आधार पर गोपियों का योग साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
Ans. प्रस्तुत पदों में योग साधना के ज्ञान को निरर्थक बताया गया है। यह ज्ञान गोपियों के अनुसार अव्यवाहरिक और अनुपयुक्त है। उनके अनुसार यह ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि ये एक बीमारी है। वो भी ऐसा रोग जिसके बारे में तो उन्होंने पहले कभी न सुना है और न देखा है। इसलिए उन्हें इस ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। उन्हें योग का आश्रय तभी लेना पड़ेगा जब उनका चित्त एकाग्र नहीं होगा। परन्तु कृष्णमय होकर यह योग शिक्षा तो उनके लिए अनुपयोगी है। उनके अनुसार कृष्ण के प्रति एकाग्र भाव से भक्ति करने वाले को योग की ज़रूरत नहीं होती।
6. लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक क्यों कहा है ?
Ans. लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा है क्योंकि उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा था और वे लोगों को अपने शुभ आशीशों से भर देते थे। वे जिससे भी एक बार मिल लेते थे, सुख दुख में हमेशा उनके साथ रहते थे। किसी भी मानव का दुख उनसे देखा नहीं जाता था और उसका कष्ट दूर करने के लिए पूरा प्रयत्न करते थे।
अथवा
‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
Ans. लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब के माध्यम से लेखक ने समाज के उस सामंती वर्ग पर व्यंग्य किया है, जो वास्तविकता से दूर एक बनावटी जीवन-शैली का आदी है। समाज में आज भी ऐसी दिखावटी संस्कृति दिखाई देती हैं जिनके अधीन लोग यथार्थ से दूर केवल दिखावे के लिए अपने सनकी व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं ।
7. निम्नलिखित गद्यांश से संबंधित नीचे लिखे प्रश्न का उत्तर दीजिए :
आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार सी कर उठी। यह क्या है – यह कौन है ! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर। बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं, मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं।
प्रश्न : प्रस्तुत गद्यांश के लेखक का नाम और पाठ का नाम बताते हुए, स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने भगत के संगीत को जादू क्यों कहा है ?
Ans. लेखक–रामवृक्ष बेनीपुरी, पाठ–बालगोबिन भगत
आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शन को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने बालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!
8. यशपाल अथवा स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय देते हुए, उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
Ans. यशपाल– सन् 1903 में फिरोजपुर छावनी (पंजाब) में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा काँगड़ा उच्चतर लाहौर से । भगत सिंह एवं सुखदेव से परिचय। स्वाधीनता संग्राम से जुड़े। सन् 1976 में निधन।
कहानी संग्रह : ज्ञानदान तर्क का तूफान पिंजरे की उड़ान । उपन्यास : झूठा सच। अमिता पार्टी कामरेड। दादा कामरेड़।
साहित्यिक विशेषताएँ : सामाजिक विषमता, राजनीतिक पाखंड एवं रूढ़ियों के विरुद्ध । देश विभाजन की त्रासदी का चित्रण सजीव एवं स्वाभाविक भाषा । यथार्थवादी शैली।
अथवा
स्वयं प्रकाश– इनका जन्म सन् 1947 ई० में मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी इंदौर में ही संपन्न हुई। उच्चशिक्षा के रूप में स्वयं प्रकाश जी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग तक की शिक्षा ग्रहण की और एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में राजस्थान राज्य में नौकरी की। कुछ समय नौकरी करने के पश्चात उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली। आज स्वयं प्रकाश जी भोपाल (म० प्र०) में निवास करते हैं और वहाँ ‘वसुधा’ नामक पत्रिका के संपादन से जुड़े हैं।
साहित्यिक विशेषताएँ : स्वयं प्रकाश के साहित्य पर आदर्शवादी विचारधारा का काफी प्रभाव है। इनकी कृतियों में देश, समाज, नगर-गाँव की सुख-समृद्धि देखने की आकांक्षा प्रकट हुई है। भारतीय सांस्कृतिक जीवन-मूल्य उनमें प्रवाहित हुए हैं। मध्यमवर्गीय जीवन के कुशल चितेरे स्वयं प्रकाश की कहानियों में वर्ग-शोषण के विरुद्ध चेतना है तो हमारे सामाजिक जीवन में जाति, संप्रदाय और लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव के विरुद्ध प्रतिकार का स्वर भी है। रोचक किस्सागोई शैली में लिखी गई उनकी कहानियाँ हिंदी की वाचिक परंपरा को समृद्ध करती हैं ।
9. ‘कृतिका (भाग-2)’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) सिक्किम के अधिकतर लोगों की जीविका का साधन क्या है ?
Ans. सिक्किम के अधिकतर लोगों की जीविका का साधन वहाँ के चाय के बागान में काम करना है। वे सड़क निर्माण के कार्य में भी मजदूरी करके अपनी जीविका चलाते हैं। वे आलू की खेती करते हैं और आलू द्वारा अपना जीवकोपार्जन करते हैं। वे धान की भी खेती करते हैं।
(ख) ‘साना-साना हाथ जोड़ि ……..’ प्रार्थना के भाव का वर्णन कीजिए।
Ans. जिसका अर्थ था छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूं कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो।
(ग) ‘माता का अँचल’ पाठ में साँप निकलने की घटना से भोलानाथ एवं साथियों की क्या हालत हुई ?
Ans. चूहे के बिल से निकले सांप को देखकर भोलानाथ और उसके साथियों ही हालत डर कर बहुत बुरी हुई। भोलानाथ डर के मारे गिरता हुआ भाग-भाग कर घर की और भागता है उसे भागते रास्ते में बहुत चोट लगती है। वह अपने पिता के पास न जा कर सीधे अपने माँ के पास जाकर आंचल में छुप गया।
(घ) मूर्तिकार जॉर्ज के नाप की नाक की खोज में देश-दौरे पर किस-किस प्रांत में पहुँचा ?
Ans. बम्बई, गुजरात, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, केरल, पंजाब, दिल्ली
(ङ) रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के ऐश्वर्य का वर्णन कीजिए।
Ans. अखबारों ने प्रकाशित किया कि रानी ने एक ऐसा हलके नीले रंग का सूट बनवाया है, जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मँगाया गया है जिस पर करीब चार सौ पौंड का खर्च आया है। महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक का दिन शानदार झांकियों और रस्मों का दिन था, जिसे दुनिया भर में मनाया गया था और एक लंबे तथा ऐतिहासिक शासनकाल की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया गया।