HBSE Class 9 Physical Education Half Yearly Question Paper 2024 Answer Key

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HBSE Class 9 Physical Education Half Yearly Question Paper 2024 Answer Key

Instructions :
• All questions are compulsory.
• Questions (1-8) carry 1 mark each.
• Questions (9-11) carry 2 marks each.
• Questions (12-13) carry 3 marks each
• Questions (14-15) carry 5 marks each.

1. स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ है :
(a) स्वस्थ दिमाग
(b) स्वस्थ आत्मा
(c) स्वस्थ शरीर
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

2. ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
(a) उर्दू
(b) पंजाबी
(c) संस्कृत
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (c) संस्कृत

3. ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
(a) 7 अप्रैल
(b) 14 अप्रैल
(c) 5 मई
(d) 2 अक्टूबर
उत्तर – (a) 7 अप्रैल

4. संतोष ट्रॉफी ……….… खेल से सम्बन्धित है।
उत्तर – फुटबॉल

5. श्वास को बाहर निकालने की क्रिया को ………… कहते हैं।
उत्तर – रेचक

6. हमें किस प्रकार का भोजन करना चाहिए?
उत्तर – संतुलित व पौष्टिक भोजन

7. ‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है’ – यह कथन किसका है?
उत्तर – अरस्तू

8. अभिकथन (A) : शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य सर्वांगीण विकास करना है।
कारण (R) : शारीरिक शिक्षा के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं भावनात्मक आदि विकास के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
उत्तर – अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं और कारण (R), अभिकथन (A) की सही व्याख्या है।

9. वज्रासन के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – वज्रासन घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। यह संस्कृत के शब्द ‘वज्र’ से बना है, जिसका अर्थ आकाश से गिरने वाली बिजली है। इसे डायमंड पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस योगासन में बैठकर प्राणायाम, कपालभाति व अनुलोम-विलोम किया जा सकता है।

10. संतुलित आहार किसे कहते है?
उत्तर – जिस भोजन में हमारे शरीर की आवश्यकता के अनुसार सभी पोषक पदार्थ उचित मात्रा में पाए जाएँ, संतुलित आहार कहलाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, विटामिन, मिनरल्स, और फाइबर जैसे सभी पोषक तत्वों का संतुलन होता है। जैसे- सब्जियाँ, फल, अनाज, दाल, मीट, दूध आदि।

11. व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – किसी व्यक्ति विशेष के शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक पक्षों के कल्याण को व्यक्तिगत स्वास्थ्य के रूप में जाना जा सकता है। अतः वह शारीरिक रूप से रोगमुक्त, बलशाली, कुशल एवं प्रफुल्ल होना चाहिए तथा मानसिक रूप से उत्साही, सक्रिय एवं विवेकशील होना चाहिए और इनके साथ-साथ उसका पारिवारिक एवं सामाजिक अनुकूलन सही होना चाहिए।

12. अच्छी मुद्रा क्या है?
उत्तर – अच्छी मुद्रा से अभिप्राय व्यक्ति के शरीर का ठीक एवं उचित संतुलन में होना है। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का संतुलन विभिन्न क्रियाओं; जैसे उठना, बैठना, खड़े होना, लिखना, पढ़ना, लेटना आदि को करते हुए उचित या अच्छा होना चाहिए। वास्तव में एक खड़े हुए व्यक्ति का उचित आसन उस अवस्था में होगा, जब उसके शरीर का भार उसके दोनों पैरों पर एक-समान होगा। अच्छी मुद्रा बनाए रखने से पीठ, गर्दन और कंधों में दर्द को कम किया जा सकता है, सांस लेने की क्षमता में सुधार होता है, और समग्र शारीरिक कार्यक्षमता बढ़ती है। अच्छी मुद्रा और उचित आसन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अच्छी मुद्राएं और उचित आसन हमें स्थिरता, संतुलन, शांति और समझौता की भावना प्रदान करते हैं। इससे हमारी मानसिक तनाव कम होता है और हम अपनी सोच को संतुलित रख पाते हैं।

13. प्राणायाम से आप क्या समझते हैं? प्राणायाम की कितनी अवस्थाएँ हैं, वर्णन कीजिए।
उत्तर – प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है- प्राण व आयाम। प्राण का अर्थ है श्वास और आयाम का अर्थ है नियंत्रण व नियमन। इस प्रकार जिसके द्वारा श्वास के नियम व नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है, उसे प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम के अभ्यास में मुख्य रूप से तीन अवस्थाएँ होती हैं, जो श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया को नियंत्रित और विनियमित करती हैं।
इन अवस्थाओं का वर्णन निम्नलिखित है :
(i) पूरक (श्वास लेना) – पूरक का अर्थ है श्वास को अंदर लेना। इस अवस्था में श्वास को गहराई से और धीरे-धीरे लिया जाता है, जिससे फेफड़ों में अधिकतम वायु भरी जा सके।
(ii) कुम्भक (श्वास को रोकना) – कुम्भक का अर्थ है श्वास को रोकना या धारण करना। यह अवस्था श्वास को अंदर लेने के बाद की जाती है।
(iii) रेचक (श्वास छोड़ना) – रेचक का अर्थ है श्वास को बाहर छोड़ना। इस अवस्था में श्वास को धीरे-धीरे और पूर्ण रूप से बाहर निकाला जाता है।

14. “स्वास्थ्य ही धन है” की विवरणात्मक व्याख्या करते हुए, स्वास्थ्य के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर – “स्वास्थ्य ही धन है” एक प्रसिद्ध कहावत है जो हमारे जीवन में स्वास्थ्य के महत्त्व को रेखांकित करती है। इसका तात्पर्य यह है कि भौतिक संपत्ति और धन की तुलना में अच्छा स्वास्थ्य अधिक मूल्यवान और महत्वपूर्ण है। स्वस्थ शरीर और मन के बिना, कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का पूर्ण आनंद नहीं ले सकता, चाहे उसके पास कितना भी धन हो।
स्वास्थ्य के महत्त्व का वर्णन :
(i) शारीरिक स्वास्थ्य – स्वस्थ व्यक्ति ऊर्जावान और उत्पादक होता है। वह अपने दैनिक कार्यों को अधिक कुशलता से कर सकता है और अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकता है। अच्छा स्वास्थ्य बीमारियों और संक्रमणों से बचाव करता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और स्वस्थ जीवनशैली से व्यक्ति बीमारियों से दूर रहता है।
(ii) मानसिक स्वास्थ्य – मानसिक स्वास्थ्य अच्छे विचारों, सकारात्मक दृष्टिकोण और भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। यह चिंता, अवसाद और तनाव से बचाव करता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति बेहतर संबंध बना सकता है और उन्हें बनाए रख सकता है। वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशहाल जीवन जी सकता है।
(iii) आर्थिक पहलू – स्वस्थ व्यक्ति बेहतर कार्य क्षमता और ऊर्जावान दृष्टिकोण के कारण अधिक उपार्जन कर सकता है। वह अधिक समय तक और अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। अच्छा स्वास्थ्य होने से चिकित्सा खर्चों में कमी आती है। बीमारियों से बचाव करने वाले स्वस्थ व्यक्ति को अस्पताल और दवाओं पर कम खर्च करना पड़ता है।
(iv) सामाजिक और व्यक्तिगत विकास – स्वस्थ व्यक्ति समाज में अधिक सक्रिय योगदान दे सकता है। वह सामुदायिक कार्यों, सेवाओं और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेकर समाज की प्रगति में सहायक हो सकता है। स्वस्थ शरीर और मन से व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं का अधिकतम उपयोग कर सकता है। वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।
(v) जीवन की गुणवत्ता – स्वस्थ व्यक्ति जीवन का पूर्ण आनंद ले सकता है। वह यात्रा कर सकता है, अपने शौक पूरे कर सकता है, और जीवन के हर पहलू का आनंद उठा सकता है। अच्छा स्वास्थ्य दीर्घायु का कारण बनता है और व्यक्ति को लंबा और सुखी जीवन जीने का अवसर देता है।

15. आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा का महत्त्व कई पहलुओं में देखा जा सकता है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य और फिटनेस को बढ़ावा देती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक कौशल और समग्र जीवन गुणवत्ता में भी सुधार करती है। यहां आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा के महत्त्व पर विस्तृत विवरण दिया गया है :
(i) स्वास्थ्य और फिटनेस – नियमित शारीरिक गतिविधि हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, और अन्य क्रोनिक बीमारियों को रोकने में मदद करती है। यह बच्चों और युवाओं के शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे उनकी मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती बढ़ती है।
(ii) मानसिक स्वास्थ्य – शारीरिक गतिविधि से एंडोर्फिन रिलीज होते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। शारीरिक शिक्षा बच्चों और युवाओं में आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देती है, जिससे वे अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं।
(iii) सामाजिक कौशल और टीम वर्क – खेल और अन्य शारीरिक गतिविधियां टीम वर्क और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे बच्चे और युवा एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना सीखते हैं। शारीरिक शिक्षा नेतृत्व और संचार कौशल को विकसित करने में भी मदद करती है, क्योंकि इसमें कई बार नेतृत्व की भूमिका निभानी पड़ती है।
(iv) शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार – शारीरिक गतिविधि से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार होता है, जिससे ध्यान, स्मृति और समस्या समाधान क्षमता बढ़ती है। शोध से पता चला है कि नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल छात्रों का अकादमिक प्रदर्शन बेहतर होता है।
(v) जीवन कौशल का विकास – शारीरिक शिक्षा समय प्रबंधन और अनुशासन की सीख देती है, जो जीवन के हर पहलू में महत्वपूर्ण होते हैं। शारीरिक चुनौतियों का सामना करने से संकल्प और दृढ़ता जैसे जीवन कौशल का विकास होता है।
(vi) आनंद और मनोरंजन – शारीरिक गतिविधियां जीवन का आनंद बढ़ाती हैं और मनोरंजन का एक अच्छा स्रोत होती हैं। शारीरिक शिक्षा सक्रिय जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है, जिससे व्यक्ति जीवनभर सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं।

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