HBSE Class 12th Hindi Solved Question Paper 2019
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SET-A
1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) परदे पर दिखाई गई तसवीर के ओंठों पर क्या थी ?
(क) जगमगाहट
(ख) कसमसाहट
(ग) गुनगुनाहट
(घ) सनसनाहट
Ans. (ख) कसमसाहट
(ii) भाषा को घुमाने-फिराने से बात कैसी हो जाती है ?
(क) पेचीदा
(ख) सरल
(ग) दिव्य
(घ) सौम्य
Ans. (क) पेचीदा
(iii) निराला ने अट्टालिकाओं को क्या कहा है ?
(क) ऐश्वर्य भवन
(ख) सौन्दर्य सदन
(ग) भव्य भवन
(घ) आतंक भवन
Ans. (घ) आतंक भवन
(iv) भरत के बाहुबल एवं शील के प्रशंसक का नाम लिखिए-
(क) मयंद
(ख) अंगद
(ग) सुग्रीव
(घ) पवनकुमार
Ans. (घ) पवनकुमार
(v) साहित्य का रसायन क्या है ?
(क) श्रद्धा
(ख) सम्मान
(ग) कल्पना
(घ) जल्पना
Ans. (ग) कल्पना
2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
यह विचार – वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक हैं
इसलिए कि पल-पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक हैं
संवेदन तुम्हारा है !
Ans. प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से उद्धृत है। इसके रचयिता गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ हैं। इस कविता में कवि ने जीवन में दुख-सुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या– कवि कहता है कि मेरी जिंदगी में जो कुछ है, जैसा भी है, उसे मैं खुशी से स्वीकार करता हूँ। इसलिए मेरा जो कुछ भी है, वह उसको (माँ या प्रिया) अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी-ये सब मौलिक हैं तथा नए हैं। इनकी मौलिकता का कारण यह है कि मेरे जीवन में हर क्षण जो कुछ घटता है, जो कुछ जाग्रत है, उपलब्धि है, वह सब कुछ तुम्हारी प्रेरणा से हुआ है।
विचार- वैभव अनुप्रास, मुक्त छन्द, मानक हिन्दी
अथवा
सबसे तेज बौछारें गई भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए।
Ans. प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ बाल मन की चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण किया है।
व्याख्या– कवि का कथन है कि प्रकृति में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं। तन-मन को भिगो देने वाली तेज बौछारें समाप्त हो गई हैं तथा भादो मास का अंधकार भी समाप्त हो गया है। खरगोश की आंखों के समान लालिमा और चमक से युक्त सवेरा हो गया है। दूसरी ओर उजाला भी अनेक झाड़ियों और अँधेरों को पार करके आ गया है। शरद एक नया उजाला लेकर पदार्पण कर चुका है। कवि शरद ऋतु का मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि शरद अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज गति से चलाते हुए।
3. रघुवीर सहाय अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन, रचनाओं एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans. रघुवीर सहाय– रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनकी संपूर्ण शिक्षा लखनऊ में ही हुई। वहीं से उन्होंने 1951 में अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. किया। रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार थे। आरंभ में उन्होंने प्रतीक में सहायक संपादक के रूप मैं काम किया। फिर वे आकाशवाणी के समाचार विभाग में रहे। कुछ समय तक वे कल्पना के संपादन से भी जुड़े रहे और कई वर्षा तक उन्होंने दिनमान का संपादन किया। उनका निधन 1990 ई. में हुआ।
रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। उनकी कुछ कविताएँ अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक में संकलित हैं। कविता के अलावा उन्होंने रचनात्मक और विवेचनात्मक गद्य भी लिखा है। उनके काव्य-संसार में आत्मपरक अनुभवों की जगह जनजीवन के अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अधिक है। वे व्यापक सामाजिक संदर्भो के निरीक्षण, अनुभव और बोध को कविता में व्यक्त करते हैं।
साहित्यिक विशेषताएँ : रघुवीर सहाय ने काव्य-रचना में पत्रकार की दृष्टि का सर्जनात्मक उपयोग किया है। वे मानते हैं कि अखबार की खबर के भीतर दबी और छिपाई हुई ऐसी अनेक खबरें होती हैं जिनमें मानवीय पीड़ा छिपी रह जाती है। उस छिपी हुई मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति करना कविता का दायित्व है।
रचनाएँ : रघुवीर सहाय की प्रथम समर्थ रचना ‘सीढ़ियों पर धूप’ (1960) है। इसके पश्चात् की रचनाएँ- ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ (1967), ‘हँसो-हँसे जल्दी हँसे’ (1974), ‘लोग भूल गए है’ आदि। ‘लोग भूल गए हैं’ रचना पर उन्हें 1984 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
भाषा-शैली : रघुवीर सहाय की अपनी काव्य-शैली है। उनकी भाषा सरल साफ-सुथरी एव सधी हुई है। उनकी भाषा शहरी होते हुए भी सहज व्यवहार वाली है, सजावट की वस्तु नहीं।
अथवा
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला– सन् 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले में जन्म, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, बंगाली का पूर्ण ज्ञान। अत्यन्त स्वाभिमानी कर्मठ, अध्ययनशील, प्रकृति प्रेमी, त्यागी व्यक्ति। सन् 1961 में इलाहाबाद में निधन।
रचनाएँ : अनामिका, परिमल, गीतिका, बेला, नए पत्ते, तुलसीदास, प्रभावती, समन्वय, मतवाला आदि रचनाओं में वैयक्तिकता, प्रगतिवादिता, विद्रोह की भावना
भाषा शैली : तत्सम तद्भव शब्दावली युक्त भाषा मुक्तक छंद का सुन्दर प्रयोग अनुप्रास, उपमा, रूपक, मानवीकरण व श्लेष अलंकारों का प्रयोग।
4. निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
भोर का नभ
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे घुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने।
Ans. काव्य-सौंदर्य– उक्त पंक्तियों में कवि ने प्रकृति के मनोहारी दृश्य का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रकटीकरण हुआ है, क्योंकि काली सिल को अंधेरे का प्रतीक मान लिया गया है, और लाल केसर सूर्य के प्रकाश को माना गया है। पंक्तियों में कवि ने मुक्तक छंद का प्रयोग किया है। कवि ने कविता में नए बिंबों और प्रतिमानों का प्रयोग कर पंक्तियों को सुंदरतम बना दिया है। कविता की भाषा सरल, सहज और खड़ी बोली में युक्त है, जिसकी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।
5. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘पतंग’ कविता का उद्देश्य लिखिए।
Ans. पतंग कविता का उद्देश्य बाल-युवा मनोविज्ञान की छाया में समस्याओं का सामना करने की मानसिकता बताना है।
(ख) ‘बगुलों के पंख’ कविता का मूलभाव लिखिए।
Ans. ‘बगुलों के पंख’ कविता में प्रकृति का आलम्बन रूप चित्रित है। सौन्दर्य चेतना का अच्छा उदाहरण है।
(ग) ‘गज़ल’ की मूल चेतना पर प्रकाश डालिए।
Ans. ‘गजल’ में शायर का दर्द एवं ठसक है।
6. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) शिरीष की समानता का उपमान है-
(क) बकुल
(ख) अशोक
(ग) अवधूत
(घ) ईश
Ans. (ग) अवधूत
(ii) चार्ली चैप्लिन का बड़ा गुण माना गया है-
(क) हास्य-प्रतिभा
(ख) शृंगार-प्रतिभा
(ग) ओज-प्रतिभा
(घ) भक्ति-प्रतिभा
Ans. (क) हास्य-प्रतिभा
(iii) लुट्टन सिंह के कितने पुत्र थे ?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) एक
(घ) कोई नही
Ans. (ख) दो
(iv) इंदर सेना का दूसरा नाम था-
(क) मेघ-मण्डल
(ख) आखण्डल
(ग) पर्जन्य
(घ) मेढक-मण्डली
Ans. (घ) मेढक-मण्डली
(v) चूरन बेचने वाले को क्या कहते थे ?
(क) भगत जी
(ख) नाथ जी
(ग) जोगी जी
(घ) व्यास जी
Ans. (क) भगत जी
7. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दिन भर के कार्य-भार से छुट्टी पाकर जब मैं कोई लेख समाप्त करने या भाव को छंदबद्ध करने बैठती हूँ, तब छात्रावास की रोशनी बुझ चुकती है। मेरी हिरनी सोना तख्त के पैताने फर्श पर बैठकर पागुर करना बंद कर देती है। कुत्ता बसंत मचिया पर पंजों में मुख रखकर आँखें मूँद लेता है और बिल्ली गोधूलि मेरे तकिए पर सिकुड़कर सो रहती है।
Ans. प्रसंग– पाठ-भक्तिन, लेखिका- महादेवी वर्मा, महादेवी वर्मा का सर्वहिताय दर्शन पशु-प्रेम के रूप में चित्रित है।
व्याख्या– खुद करे।
वर्णन शैली, मानक हिन्दी
अथवा
मन खाली नहीं रहना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए। जो बंद हो जाएगा, वह शून्य हो जाएगा। शून्य होने का अधिकार बस परमात्मा का है जो सनातन भाव से संपूर्ण है। शेष सब अपूर्ण है।
Ans. प्रसंग– पाठ-जैनेन्द्र कुमार, लेखक- जैनेन्द्र कुमार, मन की शून्यता को लेकर वेदांत दर्शन को चित्रित किया गया है। बाज़ार और खाली मन का कोई सम्बन्ध नहीं है।
व्याख्या– खुद करे।
विवेचन शैली, मानक हिन्दी
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) लुट्टन सिंह की पहलवानी का वर्णन कीजिए।
Ans. लुट्टन सिंह ने चाँद सिंह और काले खाँ को पराजित करके अपनी पहलवानी का सिक्का जमाया।
(ख) आदर्श समाज की कल्पना पर प्रकाश डालिए।
Ans. आदर्श समाज की कल्पना के बिन्दु हैं- गतिशीलता, स्वतन्त्रता और समानता।
(ग) ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में भ्रष्टाचार पर किस प्रकार से व्यंग्य किया गया है ?
Ans. ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में भ्रष्ट लोगों की कथनी और करनी में अन्तर बताकर भ्रष्टाचार पर व्यंग्य किया है।
9. ‘वितान’ (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) यशोधर पंत के स्वभाव को रेखांकित कीजिए।
Ans. यशोधर पंत का स्वभाव दकियानूसी विचारों से बोझिल था। वे आधुनिक सभ्यता को अपने स्वभाव में स्थान न दे सके।
(ख) गुड़ के विषय में दादा के व्यापारिक ज्ञान पर प्रकाश डालिए।
Ans. आनन्दा के दादा का विचार था कि गन्ने से गुड़ जल्दी बनाकर अच्छा भाव पाना चाहिए। बाद में गुड़ मीठा अधिक अवश्य होता है, परन्तु तब गुड़ की आवक अधिक होने से दाम कम मिलता है।
(ग) मास्टर सौंदलगेकर के काव्य-ज्ञान का विश्लेषण कीजिए।
Ans. मास्टर सौंदलगेकर आनन्दा के शिक्षक थे। वे मराठी में कविता लिखते थे। उन्हें भाषा, अलंकार, छन्द आदि का अच्छा ज्ञान था।
(घ) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर बौद्ध स्तूप की संरचना का वर्णन कीजिए।
Ans. 1922 ई0 में राखलदास बनर्जी के संकेत पर खुदाई होने से मिला बौद्ध स्तूप एक पुराने टीले पर बनी एक ऊँची संरचना है। यह पुरानी ईंटों से बना है। चबूतरे पर भिक्षुओं के कमरे भी हैं।
(ङ) ऐन फ्रैंक के नारी विषयक विचारों का विवेचन कीजिए।
Ans. ऐन फ्रैंक ने अपना मत दिया कि साधारण नारी भी जननी के रूप में समाज को योगदान देती हैं। सौंदर्यमयी महिलाओं के योगदान को पुरुष वर्ग हलके में न ले।
10. (क) ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) भारत में पहला छापाखाना कब खुला ?
Ans. भारत में पहला छापाखाना 1556 ईo में खुला।
(ii) किसी खबर का घटनास्थल से सीधा प्रसारण क्या कहलाता है ?
Ans. सीधा प्रसारण लाइव कहलाता है।
(iii) उलटा पिरामिड शैली के कितने भाग होते हैं ?
Ans. उलटा पिरामिड शैली के तीन भाग होते हैं- मुखड़ा, बाॅडी एवं समापन।
(iv) आमतौर पर रेडियो नाटक की अवधि कितनी मानी गई है ?
Ans. आमतौर पर रेडियो नाटक की अवधि 15 मिनट से 30 मिनट होती है।
11.(क) निम्नलिखित के यथानिर्देश उत्तर दीजिए :
(i) जगज्जीवन (संधि विच्छेद कीजिए)
Ans. जगत् + जीवन
(ii) पुरः + धा (संधि कीजिए)
Ans. पुरोधा
(iii) स्वर संधि के कोई दो भेद लिखिए
Ans. दीर्घ संधि, गुण संधि
(ख) निम्नलिखित के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
(i) अव्ययीभाव समास की परिभाषा लिखिए
Ans. अव्यय के भाव को प्रस्तुत करने वाला समस्तपद अव्ययीभाव समास कहलाता है।
(ii) वनगमन (समास का विग्रह कीजिए)
Ans. वन को गमन
(iii) चक्रधर (समास का नाम लिखिए)
Ans. बहुव्रीहि समास
(ग) वाक्य शुद्ध कीजिए-
(i) श्याम और उसका भाई खेलने जाता है।
Ans. श्याम और उसका भाई खेलने जाते हैं।
(ii) उदयपुर में अनेकों झीलें हैं।
Ans. उदयपुर में अनेक झीलें हैं।
(घ)(i) रूपक अलंकार की परिभाषा लिखिए।
Ans. उपमेय पर उपमान के स्पष्ट आरोप को रूपक अलंकार कहते हैं।
(ii) ‘जथा पंख बिनु खग अति दीना’ में कौन-सा अलंकार है ?
Ans. उपमा अलंकार
SET-B
1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) पतंगों की ऊँचाइयाँ कैसी कही गई हैं ?
(क) फड़कती
(ख) कड़कती
(ग) धड़कती
(घ) सरकती
Ans. (ग) धड़कती
(ii) कवि से शरारती बच्चे की तरह कौन खेल रही थी ?
(क) बात
(ख) रात
(ग) सौगात
(घ) विमाता
Ans. (क) बात
(iii) भवितव्यता किसे डराती है ?
(क) संघाती को
(ख) छाती को
(ग) बिलखाती को
(घ) घराती को
Ans. (ख) छाती को
(iv) ‘विप्लव’ शब्द का अर्थ क्या है ?
(क) क्षान्ति
(ख) शान्ति
(ग) भ्रान्ति
(घ) क्रान्ति
Ans. (घ) क्रान्ति
(v) कैसे बादल छाए हुए थे ?
(क) विकरारे
(ख) कजरारे
(ग) गोरे
(घ) बिखरे
Ans. (ख) कजरारे
2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
सुत बित नारि भवन परिवारा ।
होहिं जाहिं जग बारहिं बारा ।।
अस बिचारि जियँ जागहुँ ताता ।
मिलइ न जगत सहोदर भ्राता ।।
Ans. प्रसगं– लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप – तुलसीदास
व्याख्या– यह चौपाई लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगने के समय भगवान श्रीराम के विलाप के सन्दर्भ की है ।भगवान श्रीराम रोते हुए कहते हैं कि इस संसार मे सुत अर्थात पुत्र, बित अर्थात धन,नारि अर्थात स्त्री, भवन अर्थात घर यामहल ,परिवार जन्म जन्म में मिलेंगे लेकिन सहोदर भाई बार बार नहीं मिलेगा ऐसा जानकर हे भाई लक्ष्मण जाग जाओ। यह चौपाई भाई का महत्व दिखाती है।
चौपाई छन्द अवधी साहित्यिक भाषा
अथवा
झूमने लगे फल,
रस अलौकिक,
अमृत धाराएँ फूटती
रोपाई क्षण की
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।
Ans. प्रसगं– प्रस्तुत पक्तियाँ उमाशंकर जोशी द्वारा रचित कविता ‘छोटा मेरा खेल’ से अवतरित हैं। इस छोटी-सी कविता में कवि-कर्म के हर चरण को बाँधने की कोशिश की गई है।
व्याख्या– फिर पौधा झूमने लगता है, उस पर फल लग जाते हैं। उनमें रस समा जाता है और रस की अमृत धाराएँ फूट निकलती हैं। इसी प्रकार साहित्यिक रचना से भी अलौकिक रस- धारा फूटने लगती है। यह उस क्षण में होने वाली रोपाई का ही परिणाम है। साहित्यिक रचना से भी अमृत धाराएँ निकलने लगती हैं। यह रस- धारा अनंत काल तक फसल की कटाई होने पर भी कम नहीं होती अर्थात् उत्तम साहित्य कालजयी होता है और असंख्य पाठकों द्वारा बार-बार पढ़ा जाता है। फिर भी उसकी लोकप्रियता कम नहीं होती।
3. तुलसीदास अथवा आलोक धन्वा के जीवन, रचनाओं एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans. तुलसीदासजी– तुलसीदास भारत के ही नहीं, संपूर्ण मानवता तथा संसार के कवि हैं। उनके जन्म से संबंधित प्रमाणिक सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इनका जन्म 1532 ई० स्वीकार किया गया है। तुलसीदास जी के जन्म और जन्म स्थान के संबंध को लेकर सभी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के ‘राजापुर’ गांव में माना जाता है। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरो नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें बाल्यकाल में ही त्याग दिया था। इनका बचपन अनेक कष्टों के बीच व्यतीत हुआ। तुलसीदास जी ने अनेक तीर्थों का भ्रमण किया और ये राम के अनन्य भक्त बन गए। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। 1574 ई० में इन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। 1623 ई० में काशी में इनका निधन हो गया। तुलसीदास को हम हिंदू कवि और संत के रूप में जानते हैं उन्होंने भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की है।
साहित्यिक परिचय : तुलसीदास जी महान लोकनायक और श्री राम के महान भक्त थे। इनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ संपूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है। यह एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भाषा, उद्देश्य, कथावस्तु, संवाद एवं चरित्र चित्रण का बड़ा ही मोहक चित्रण किया गया है। इस ग्रंथ के माध्यम से इन्होंने जिन आदर्शों का भावपूर्ण चित्र अंकित किया है, वे युग-युग तक मानव समाज का पथ-प्रशस्त करते रहेंगे।
इनकी प्रमुख रचनाएं : रामचरितमानस, गीतावली, दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका, पार्वती मंगल, कृष्ण गीतावली
अथवा
आलोक धन्वा– आलोक धन्वा का जन्म 1948 ई. में मुंगेर (बिहार) में हुआ। सातवें-आठवें दशक के जनांदोलनों से जुड़े हुए कवि आलोक धन्वा ने बहुत छोटी अवस्था में अपनी गिनी-चुनी कविताओं से अपार लोकप्रियता अर्जित की। सन् 72-73 में प्रकाशित इनकी आरंभिक कविताएं हिंदी के अनेक गंभीर काव्यप्रेमियों को जबानी याद रही हैं। आलोचकों का तो मानना है कि उनकी कविताओं ने हिंदी कवियों और कविताओं को कितना प्रभावित किया, इसका मूल्यांकन अभी ठीक से हुआ नहीं है। इतनी व्यापक ख्याति के बावजूद या शायद उसी की वजह से बनी हुई अपेक्षाओं के दबाव के चलते, आलोक धन्वा ने कभी थोक के भाव में लेखन नहीं किया। सन् 72 से लेखन आरंभ करने के बाद उनका पहला और अभी तक का एकमात्र काव्य–संग्रह सन् 98 में प्रकाशित हुआ। काव्य-सग्रह के अलावा वे पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर में अध्ययन-मंडलियों का संचालन किया और रंगकर्म तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।
प्रमुख रचनाएँ : पहली कविता ‘जनता का आदमी’, 1972 में प्रकाशित उसके बाद ‘भागी हुई लड़कियाँ’, ब्रूनो की बेटियों से प्रसिद्धि’, ‘दुनिया रोज बनती है’ एकमात्र संग्रह।
प्रमुख सम्मान : राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान।
4. निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य लिखिए :
शस्य अपार, हिल-हिल, खिल-खिल,
हाथ हिलाते, तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
Ans. काव्य-सौंदर्य– प्रस्तुत काव्यांश निराला द्वारा रचित ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘बादल राग’ कविता से अवतरित है। इस काव्यांश में कवि ने पौधों का मानवीकरण किया है। कवि ने छोटे पौधों पर चेतना का आरोप किया है। खड़ी बोली भाषा का प्रयोग है जिसमें तत्सम, तद्भव शब्दों का प्रयोग है। प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। यहाँ छोटे पौधे निम्न वर्ग के जनसामान्य का प्रतीक हैं। बादल क्रांति का प्रतीक है। ‘हिल-हिल’, ‘खिल-खिल’ में पुनरावृत्ति होने से पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की शोभा है। मुक्तक छंद का प्रयोग है। लाक्षणिकता एवं छंदात्मकता के कारण सौंदर्य की अभिवृद्धि हुई है। बिंब-योजना भावपूर्ण है।
5. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘उषा’ कविता में निहित प्रकृति-सौंदर्य की विवेचना कीजिए।
Ans. प्रातः कालीन नभ को विभिन्न उपमानों से प्रदर्शित किया है। नभ नीले शंख के समान, राख से लीपे हुए चैके के समान, लाल केसर से धुली हुई काली सिल के सदृश जैसे उपमानों से अलंकारिक रूप में प्रकृति चित्रण किया गया है।
(ख) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का मूलभाव लिखिए।
Ans. ‘बात सीधी थी पर’ कविता कथ्य और माध्यम के द्वन्द्व को उजागर करती है। वक्ता एवं साहित्यकार इस द्वन्द्व के शिकार होते हैं। वे प्रसाद गुण को भुलाकर भाषा की सहजता को नहीं अपना पाते। दिमागी कसरत के स्थान पर भाषा का प्रयोग सहूलियत के साथ होना चाहिए।
(ग) ‘दिन जल्दी जल्दी ढलता है’, के आधार पर आशा और निराशा के क्रम को स्पष्ट कीजिए।
Ans. सूर्यास्त के समय पथिक अपनी मंजिल को पाने की आशा से जल्दी-जल्दी चलता है। चिड़ियों के बच्चे प्रत्याशा में थे। यह ध्यान आते ही चिड़ियों के पर चंचल हो उठे। वियोगी व्यक्ति निराश होकर चलने लगा। गुजरता समय लक्ष्य को पाने का संबल देता है।
6. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) बाजार को किसका जाल कहा गया है ?
(क) शैतान का
(ख) हैवान का
(ग) देवताओं का
(घ) मुनियों का
Ans. (क) शैतान का
(ii) शिरीष के फूल को संस्कृत साहित्य में कैसा माना गया है ?
(क) कठोर
(ख) चैकोर
(ग) प्रघोर
(घ) कोमल
Ans. (घ) कोमल
(iii) भारतीय काव्यशास्त्र में क्या नहीं मिलता ?
(क) रस-सिद्धान्त
(ख) करुणा का हास्य में बदलना
(ग) रीति-सिद्धान्त
(घ) ध्वनि-सिद्धान्त
Ans. (ख) करुणा का हास्य में बदलना
(iv) भक्तिन किससे डरती थी ?
(क) बादल से
(ख) हिरन से
(ग) कारागार से
(घ) संसार से
Ans. (ग) कारागार से
(v) जेठ के बाद कौन-सा महीना आता है ?
(क) आषाढ़
(ख) श्रावण
(ग) भाद्रपद
(घ) चैत्र
Ans. (क) आषाढ़
7. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविधि हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए।
Ans. प्रसंग– मेरा कल्पना का आदर्श समाज – बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर। आदर्श समाज के गुणों का वर्णन किया गया है।
व्याख्या– खुद करे
विशेष : विवेचन शैली, मानक हिन्दी
अथवा
जाड़े का दिन। अमावस्या की रात ठंडी और काली। मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव भयार्त्त शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था। पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य ! अँधेरा और निस्तब्धता ।
Ans. प्रसंग– पहलवान की ढोलक – फणीश्वर नाथ रेणु। कहानी के वातावरण को प्रस्तुत किया गया है।
व्याख्या– खुद करे
विशेष : मानक हिन्दी, वर्णन शैली
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) बाजार के जादू का वर्णन कीजिए।
Ans. बाजार में रूप का जादू है। अनेकानेक चीजें मन को आकर्षित कर लेती हैं। भरी जेब बाजार के जादू को समझने में सहायक होती है।
(ख) धर्मवीर भारती की जीजी की धार्मिक आस्था का चित्रण कीजिए।
Ans. धर्मवीर भारती की जीजी हिन्दुओं के सभी रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों तथा त्योहारों को पूरी आस्था से संपन्न करती थीं। वे अपने साथ धर्मवीर भारती को भी अनुष्ठान के कार्य में लगा लेती थीं।
(ग) चार्ली चैप्लिन की लोकप्रियता का विवेचन कीजिए।
Ans. चार्ली चैप्लिन ने हास्य और करुणा का समावेश करके अपने अभिनय की नूतनता के दम पर लोकप्रियता प्राप्त की। उसकी फिल्मों में उसके जीवन के कटु-मधु अनुभव जीवंत रूप लिए हुए हैं। चार्ली चैप्लिन को हास्यावतार माना गया है। करुणा और हास्य के मिश्रण से नवीन सौंदर्यशास्त्र को उसने सामने रखा। राजकपूर की ‘आवारा’ फिल्म पर चार्ली का सीधा प्रभाव है। गांधी और नेहरू ने भी चार्ली से संपर्क किया था। चाली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे। वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे। कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।
9. ‘वितान’ (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) किशनदा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
Ans. किशनदा स्वयं संयमी एवं कर्त्तव्यपरायण थे। उन्होंने यशोधर पंत को अच्छी जीवन शैली सिखाई। उन्हें नौकरी दी और यथासमय सहायता प्रदान की। किशनदा ने अपने क्षेत्र के अनेक युवाओं को अपने यहाँ शरण दी एवं उन्हें नौकरी हेतु प्रेरित किया।
(ख) यशोधर बाबू की बेटी की आधुनिकता को स्पष्ट कीजिए।
Ans. यशोधर बाबू की बेटी पतलून एवं सैंडो पहनती थी। पिता के टोेकने पर भी वह आधुनिक वेश धारण करती थी। वह डाक्टरी की उच्चतम शिक्षा के लिए अमेरिका जाने हेतु तुली हुई थी। उसने प्रस्तावित वर कई बार अस्वीकृत कर दिए थे।
(ग) वसंत पाटील के विद्यार्थी जीवन का विवेचन कीजिए।
Ans. वसंत पाटील आनन्दा का सहपाठी था। वह शरीर से दुर्बल था, परंतु पढ़ाई में होशियार था। वह घर में भी पढ़ता था और कक्षा में शांत रहता। अन्य विद्यार्थियों के सवालों की जाँच भी वही करता था। वह कक्षा का माॅनीटर था और कक्षा में सम्मान का पात्र।
(घ) महाकुंड की संरचना का वर्णन कीजिए।
Ans. स्तूप के टीले के निकट महाकुंड बना हुआ है। महाकुंड चालीस फीट लम्बा तथा पचास फीट चैड़ा है। इसकी गइराई सात फीट है। कुंड की दीवारें चूने और चिरोड़ी से चिनी गई हंै। कुंड में पानी की व्यवस्था के लिए एक विशाल कुआँ है। कुंड से पानी को निकालने के लिए पक्की ईंटों वाली ढकी हुई नालियाँ हैं।
(ङ) मिसेज वान दान की प्रकृति का विश्लेषण कीजिए।
Ans. मिसेज वान दान एक जड़मति महिला थी। वह अनेक बीमारियों का शिकार थी, परंतु ऐन फ्रैंक को बीमार बताती थी। वह ऐन की पोशाकों को छोटी बताती थी, क्योंकि उसकी पोशाकें और भी अधिक छोटी पड़ गई थीं। वह अपरिचित विषयों पर बहुत अधिक बोलकर अपनी कुंठित प्रकृति का परिचय देती थी।
10.(क) ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) टेलीविजन किस प्रकार का माध्यम है ?
Ans. टेलीविज़न देखने और सुनने का माध्यम है।
(ii) वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय किसे है ?
Ans. वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय तहलका डाॅटकाॅम को है।
(iii) मीडिया में ‘बीट’ का क्या अर्थ है ?
Ans. संवाददाताओं के बीच रुचि के अनुकूल काम का विभाजन बीट कहलाता है।
(iv) रंगमंच किस विधा में होता है ?
Ans. रंगमंच नाटक विधा में होता है।
11.(क) निम्नलिखित के यथानिर्देश उत्तर दीजिए :
(i) विसर्ग संधि की परिभाषा लिखिए
Ans. विसर्ग एवं स्वर या व्यंजन के योग से निर्मित शब्द रचना को विसर्ग सन्धि कहते हैं।
(ii) वागीश्वर (संधि विच्छेद कीजिए)
Ans. वाक् + ईश्वर
(iii) प्रति + अंग (संधि कीजिए)
Ans. प्रत्यंग
(ख) निम्नलिखित के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
(i) कर्मधारय समास की परिभाषा लिखिए।
Ans. विशेषण और विशेष्य के योग से बने समस्तपद को कर्मधारय समास कहते हैं।
(ii) ज्ञानकोश (समास का नाम लिखिए)
Ans. तत्पुरुष समास
(iii) हलधर (समास का विग्रह कीजिए)
Ans. हल को धारण करने वाला है जो अर्थात् बलराम, बहुव्रीहि समास
(ग)(i) श्लेष अलंकार की परिभाषा लिखिए।
Ans. आवृत्ति शून्य, एक ही शब्द में निहित दो या अधिक अर्थ देने वाला अलंकार श्लेष है।
(ii) ‘शब्द के अंकुर फूटे’ में अलंकार छांँटिए।
Ans. शब्द रूपी अंकुर, रूपक अलंकार
(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए-
(i) गधे भौंकते हैं।
Ans. कुत्ते भौंकते हैं। अथवा गधे रेंकते हैं।
(ii) सुन्दरतापन प्रशंसनीय है।
Ans. सुन्दरता प्रशंसनीय है।
SET-C
1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) पतंगबाजों के पैर कैसे कहे गए हैं ?
(क) साफ
(ख) बेचैन
(ग) सुन्दर
(घ) सपाट
Ans. (ख) बेचैन
(ii) दूरदर्शन का कार्यक्रम कैसा बनाया जाता है ?
(क) रोचक
(ख) दिव्य
(ग) भव्य
(घ) अतीन्द्रिय
Ans. (क) रोचक
(iii) ‘परिवेष्टित’ शब्द का अर्थ क्या है ?
(क) पगड़ीधारी
(ख) जनेऊधारी
(ग) परिवर्तन
(घ) चारों ओर से घिरा हुआ
Ans. (घ) चारों ओर से घिरा हुआ
(iv) ‘निज जननी के एक कुमारा’ पंक्ति किस पात्र ने कही है ?
(क) भरत ने
(ख) लक्ष्मण ने
(ग) राम ने
(घ) हनुमान ने
Ans. (ग) राम ने
(v) ‘फितरत’ शब्द का क्या अर्थ है ?
(क) आकर्षण
(ख) विकर्षण
(ग) आदत
(घ) सलामत
Ans. (ग) आदत
2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
तिरती है समीर सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया।
Ans. प्रसंग– बादल राग – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’। समुद्र में बादल के उद्भव की स्थिति को चित्रित किया गया है।
व्याख्या– कवि बादल का क्रांति के रूप में आह्वान करते हुए कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल, जिस प्रकार वायु सागर पर तैरती रहती है। मानवीय जीवन में अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मंडराती रहती है। ठीक उसी प्रकार संसार के दग्ध हृदय पर तेरी कठोर क्रांति रूपी माया छाई हुई है अर्थात मानव जीवन में सूखा अस्थायी है। हवा के समान सुख चंचल और अस्थिर है। जीवन में सुखों पर सदैव दुख के बादल मंडराते रहते हैं। मानव जीवन में सुख-दुख की छाया का आवागमन चलता रहता है। वे कभी भी स्थिर नहीं रहते। संसार के दुख से दुखी और जले हुए हृदय कठोर क्रांति का मायावी विस्तार फैला हुआ है।
विशेष : मुक्त छन्द, मानक हिन्दी
अथवा
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष
शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
Ans. प्रसगं– प्रस्तुत पक्तियाँ उमाशंकर जोशी द्वारा रचित कविता ‘छोटा मेरा खेल’ से अवतरित हैं। इस छोटी-सी कविता में कवि-कर्म के हर चरण को बाँधने की कोशिश की गई है।
व्याख्या– विचारों का यह बीज कल्पना के रसायन पीकर अर्थात् कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है। बीज तो गलकर नि:शेष हो जाता है, पर उसमें से अंकुर फूट निकलते हैं और छोटा पौधा नए कोमल पत्तों एवं फूलों से लदकर झुक जाता है। रचना-प्रक्रिया में भी इसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। हृदय में जो विचार बीज रूप में आता है वही कल्पना का आश्रय लेकर विकसित होकर रचना का रूप ले लेता है। यह बीज रचना और अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाता है। इस रचना में शब्दों के अंकुर फूट निकलते हैं। अंतत: कृति (रचना) एक संपूर्ण स्वरूप धारण कर लेती है। इस प्रक्रिया मे कवि स्वयं विगलित हो जाता है।
विशेष : मुक्त छन्द, मानक हिन्दी
3. तुलसीदास अथवा रघुवीर सहाय के जीवन, रचनाओं एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans. तुलसीदासजी– तुलसीदास भारत के ही नहीं, संपूर्ण मानवता तथा संसार के कवि हैं। उनके जन्म से संबंधित प्रमाणिक सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इनका जन्म 1532 ई० स्वीकार किया गया है। तुलसीदास जी के जन्म और जन्म स्थान के संबंध को लेकर सभी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के ‘राजापुर’ गांव में माना जाता है। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरो नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें बाल्यकाल में ही त्याग दिया था। इनका बचपन अनेक कष्टों के बीच व्यतीत हुआ। तुलसीदास जी ने अनेक तीर्थों का भ्रमण किया और ये राम के अनन्य भक्त बन गए। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। 1574 ई० में इन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। 1623 ई० में काशी में इनका निधन हो गया। तुलसीदास को हम हिंदू कवि और संत के रूप में जानते हैं उन्होंने भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की है।
साहित्यिक परिचय : तुलसीदास जी महान लोकनायक और श्री राम के महान भक्त थे। इनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ संपूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है। यह एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भाषा, उद्देश्य, कथावस्तु, संवाद एवं चरित्र चित्रण का बड़ा ही मोहक चित्रण किया गया है। इस ग्रंथ के माध्यम से इन्होंने जिन आदर्शों का भावपूर्ण चित्र अंकित किया है, वे युग-युग तक मानव समाज का पथ-प्रशस्त करते रहेंगे।
इनकी प्रमुख रचनाएं : रामचरितमानस, गीतावली, दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका, पार्वती मंगल, कृष्ण गीतावली
अथवा
रघुवीर सहाय– रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनकी संपूर्ण शिक्षा लखनऊ में ही हुई। वहीं से उन्होंने 1951 में अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. किया। रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार थे। आरंभ में उन्होंने प्रतीक में सहायक संपादक के रूप मैं काम किया। फिर वे आकाशवाणी के समाचार विभाग में रहे। कुछ समय तक वे कल्पना के संपादन से भी जुड़े रहे और कई वर्षा तक उन्होंने दिनमान का संपादन किया। उनका निधन 1990 ई. में हुआ।
रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। उनकी कुछ कविताएँ अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक में संकलित हैं। कविता के अलावा उन्होंने रचनात्मक और विवेचनात्मक गद्य भी लिखा है। उनके काव्य-संसार में आत्मपरक अनुभवों की जगह जनजीवन के अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अधिक है। वे व्यापक सामाजिक संदर्भो के निरीक्षण, अनुभव और बोध को कविता में व्यक्त करते हैं।
साहित्यिक विशेषताएँ : रघुवीर सहाय ने काव्य-रचना में पत्रकार की दृष्टि का सर्जनात्मक उपयोग किया है। वे मानते हैं कि अखबार की खबर के भीतर दबी और छिपाई हुई ऐसी अनेक खबरें होती हैं जिनमें मानवीय पीड़ा छिपी रह जाती है। उस छिपी हुई मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति करना कविता का दायित्व है।
रचनाएँ : रघुवीर सहाय की प्रथम समर्थ रचना ‘सीढ़ियों पर धूप’ (1960) है। इसके पश्चात् की रचनाएँ- ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ (1967), ‘हँसो-हँसे जल्दी हँसे’ (1974), ‘लोग भूल गए है’ आदि। ‘लोग भूल गए हैं’ रचना पर उन्हें 1984 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
भाषा-शैली : रघुवीर सहाय की अपनी काव्य-शैली है। उनकी भाषा सरल साफ-सुथरी एव सधी हुई है। उनकी भाषा शहरी होते हुए भी सहज व्यवहार वाली है, सजावट की वस्तु नहीं।
4. निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
बात ने, जो शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा
क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा।
Ans. प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कुँवर नारायण द्वारा कविता कत सी ‘बात थी पर’ से अवतरित हैं। कवि बताता है कि जब हम सीधी-सादी बात को व्यर्थ के शब्द-जाल मई में उलझा देते हैं तब तथ्य और भाषा का सही सामजंस्य नहीं बैठ पाता और बात स्पष्ट नहीं हो पाती।
कवि बात की तुलना एक शरारती बच्चे से देता है। एक शरारती बच्चा कवि से पूछ बैठता है कि क्या उसने (कवि ने) भाषा का मही प्रयोग नहीं सीख। है। माथे से पसीना पोंछना उसकी द्विविधा को झलका देता है। भाषा को सहूलियत के साथ बरतना सीखना होगा, तभी हमारी बात का अपेक्षित प्रभाव पड़ सकेगा। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है। जब ऐसा होता है तब किसी अतिरिक्त दबाव या अतिरिक्त मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। वह सहूलियत के साथ हो जाता है।
5. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) लक्ष्मण के उपचार का वर्णन कीजिए।
Ans. हनुमान रणभूमि में घायल लक्ष्मण के उपचार के लिए लंका से सुषेण वैद्य को लाए। वैद्य ने हनुमान द्वारा लाई गई संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार किया। लक्ष्मण हर्षित होते हुए उठ पड़े। हनुमान ने वैद्य को यथास्थान पहुँचाया।
(ख) उषा के सौंदर्य का विश्लेषण कीजिए।
Ans. सूर्योदय से पूर्व आकाश की शोभा को उषा का सौन्दर्य कहा जाता है। कवि ने उषा के सौन्दर्य को भोर के नभ के रूप में नीले शंख, राख से लीपा हुआ चैका, स्लेट पर लाल खड़िया, जल में झिलमिलाती गौर काया जैसे उपमानों द्वारा चित्रित किया है।
(ग) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता का उद्देश्य लिखिए।
Ans. ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता के उद्देश्य के रूप में निराशा से आशा की ओर पग बढ़ाने की प्रेरणा दी गई है। दुख से सुख की ओर जाने के लिए चिड़िया तथा यात्री का अच्छा उदाहरण दिया गया है।
6. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) लेखक ने काल्पनिक जगत की वस्तु किसे कहा है ?
(क) ममता को
(ख) समता को
(ग) उदारता को
(घ) लघुता को
Ans. (ख) समता को
(ii) ‘कृषीवल’ शब्द का क्या अर्थ है ?
(क) किसान
(ख) मजदूर
(ग) बैल
(घ) अन्न
Ans. (क) किसान
(iii) अमृतसर और लाहौर से सम्बद्ध महिला कौन थी ?
(क) रतिया
(ख) सुखिया
(ग) सफिया
(घ) दतिया
Ans. (ग) सफिया
(iv) कला का सम्बन्ध किससे है ?
(क) वेदांत से
(ख) तर्कशास्त्र से
(ग) चिकित्साशास्त्र से
(घ) साहित्य से
Ans. (घ) साहित्य से
(v) दंगल का स्थान किसने ले लिया था ?
(क) क्रिकेट ने
(ख) फुटबाल ने
(ग) घोड़ों की रेस ने
(घ) भाला फेंक ने
Ans. (ग) घोड़ों की रेस ने
7. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
लोग संयमी भी होते हैं। वे फिजूल सामान को फिजूल समझते हैं। वे पैसे बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वे पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वे पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा उन्हें दरकार नहीं है। बस खुद पैसे के जुड़ा होने पर उनका मन गर्व से भरा फूला रहता है।
Ans. प्रसंग– बाजार दर्शन – जैनेन्द्र कुमार। संयमी लोगों की मानसिकता को बाजार दर्शन से जोड़ा गया है।
व्याख्या– खुद करे
विशेष : विदेशज शब्दों का प्रयोग, पावर, दरकार, फिजूल, विवेचन शैली, मानक हिन्दी
अथवा
अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं ? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं।
Ans. प्रसंग– काले मेघा पानी दे – धर्मवीर भारती। आधुनिक भारतीय समाज पर भ्रष्टाचार के प्रसंग में करारा व्यंग्य किया गया है।
व्याख्या– खुद करे
विशेष : स्वार्थ साधना पर व्यंग्य होने से व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग हुआ है। विवेचन शैली, मानक हिन्दी
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) भक्तिन के जीवन की विवेचना कीजिए।
Ans. महादेवी वर्मा के संपर्क में आने से पहले भक्तिन लक्ष्मी ने गरीबी, अत्याचार और शोषण के आयाम देखें। कवयित्री महादेवी से भक्तिन का अपनापन स्तुत्य है।
(ख) ‘नमक’ पाठ के आधार पर वतन की स्मृति का विश्लेषण कीजिए।
Ans. लाहौर और अमृतसर से जुड़ी सफिया का वतन लाहौर था। कलकत्ता निवासी कस्टम अफसर का वतन ढाका था। वतन की सहज स्मृतियों का मनोवैज्ञानिक वर्णन किया गया है।
(ग) लुट्टन सिंह के जीवन की त्रासदी का वर्णन कीजिए।
Ans. पहलवान लुट्टन सिंह की त्रासदी का अध्याय विलायत से लौटे राजकुमार द्वारा दंगल के स्थान पर घोड़ों की रेस से आरम्भ हुआ। हैजा के प्रकोप से पहले पहलवान के दोनों बेटे चले गए और फिर पहलवान भी।
9. ‘वितान’ (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) घर बनाने के विषय में यशोधर बाबू के दृष्टिकोण का उल्लेख कीजिए।
Ans. यशोधर बाबू ने परिवार के सदस्यों के कहने पर भी डी0 डी0 ए0 फ्लैट के लिए पैसे जमा नहीं किए। वे किशनदा के इस कथन से सहमत थे – मूर्ख लोग मकान बनाते हैं, सयाने उनमें रहते हैं। जब तक सरकारी नौकरी तब तक सरकारी क्वार्टर। रिटायर होने पर पुश्तैनी घर।
(ख) दादा ने आनंदा के साथ कैसा व्यवहार किया ?
Ans. जब आनंदा पाँचवीं कक्षा में था तभी खेतों में काम करने के लिए दादा ने उसकी पढ़ाई छुड़वा दी। दादा का कहना था कि खेत में पानी लगाने वाला नहीं मिलता। दादा आनंदा को कभी मनोरंजन के नाम पर पैसे नहीं देता था। जब आनंदा पढ़ता था तब भी वह उससे काम की सख्ती करता था। दत्ताराव ने दादा को सही रास्ता दिखाया।
(ग) मंत्री नामक मास्टर के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।
Ans. मंत्री नामक मास्टर आनंदा के कक्षा अध्यापक थे। वे कक्षा में छड़ी का प्रयोग नहीं करते थे। गणित के सवाल में गलती होती तो प्यार से उसे समझा देते थे। शरारती की गर्दन पकड़कर पीठ पर घूसा लगाते थे। उनका सख्त अनुशासन था।
(घ) रईसों की बस्ती का विश्लेषण कीजिए।
Ans. गढ़ की चारदीवारी के बाहर पूरब की बस्ती रईसों की बस्ती थी। शहर की मुख्य सड़क इसे स्पर्श करती थी। मुख्य सड़क से लगने वाली गलियों में रईसों के घर थे। इस वास्तुकला को चण्डीगढ़ को बसाने में काम लाया गया। इस बस्ती में कुओं का पूरा प्रबन्ध था।
(ङ) सिनेमा-प्रेम को लेकर ऐन फ्रैंक के विचारों का विवेचन कीजिए।
Ans. मिस्टर कुगलर हर सोमवार ऐन फ्रैंक को सिनेमा और थिएटर की पत्रिकाएँ दे जाते थे। उन्हें पढ़कर ऐन फिल्म देखने वाले परिचितों को फिल्म की कहानी और समीक्षा तक सुना देती थी। ऐन की मम्मी तथा निकटवर्ती जन यह मानते थे कि ऐन कलापे्रमी अवश्य है।
10.(क) ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) टीo वीo की खबरों के सन्दर्भ में ड्राई एंकर क्या है ?
Ans. बिना दृश्य के खबर के बारे में एंकर द्वारा दी गई सूचनाएँ ड्राई एंकर हैं।
(ii) उलटा पिरामिड शैली के सभी तीन हिस्सों के नाम लिखिए।
Ans. उलटा पिरामिड शैली के हिस्से – इंट्रो, बाॅडी और समापन हैं।
(iii) पूर्णकालिक पत्रकार किसे कहते हैं ?
Ans. समाचार संगठन के नियमित वेतनभोगी कर्मचारी को पूर्णकालिक पत्रकार कहते हैं।
(iv) किन्हीं दो ककारों के नाम लिखिए।
Ans. ककारों के नाम – कहाँ, कब, क्यों, कैसे, क्या और कौन (कोई दो)
11.(क) निम्नलिखित के यथानिर्देश उत्तर दीजिए-
(i) गायक (संधि विच्छेद कीजिए)
Ans. गै + अक
(ii) रम् + अनीक (संधि कीजिए)
Ans. रमणीक
(iii) स्वर संधि की परिभाषा लिखिए
Ans. दो पदों के निकटवर्ती स्वरों के योग से बने विकार को स्वर सन्धि कहते हैं।
(ख) निम्नलिखित के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
(i) पदयात्रा (समास का विग्रह कीजिए)
Ans. पदों के द्वारा यात्रा
(ii) चतुर्वेद (समास का नाम लिखिए)
Ans. द्विगु समास
(iii) अव्ययीभाव समास की परिभाषा लिखिए
Ans. अव्यय का भाव देने वाले समस्तपद को अव्ययीभाव समास कहते हैं।
(ग)(i) उत्पे्रक्षा अलंकार की परिभाषा लिखिए
Ans. उपमेय में उपमान की संभावना को उत्पे्रक्षा अलंकार कहते हैं।
(ii) ‘ऐ जीवन के पारावार’ में अलंकार छांँटिए
Ans. जीवन रूपी समुद्र (रूपक अलंकार)
जीवन = जिंदगी एवं पानी (श्लेष अलंकार)
(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए-
(i) कृपया करके मुझे यह काम करने दो।
Ans. कृपया मुझे यह काम करने दो।
(ii) माधुर्यता एक गुण है।
Ans. माधुर्य/मधुरता एक गुण है।
SET-D
1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) नभ में पंक्तिबद्ध कौन थे ?
(क) हंस
(ख) चातक
(ग) बगुले
(घ) पिक
Ans. (ग) बगुले
(ii) ‘निकर’ शब्द का क्या अर्थ है ?
(क) समूह
(ख) निकट
(ग) निकष
(घ) हस्त
Ans. (क) समूह
(iii) ‘शीर्ण शरीर’ किसे कहा गया है ?
(क) बालक को
(ख) महिला को
(ग) सैनिक को
(घ) किसान को
Ans. (घ) किसान को
(iv) पतंगबाजों के पैर कैसे कहे गए हैं ?
(क) साफ
(ख) बेचैन
(ग) सपाट
(घ) सुन्दर
Ans. (ख) बेचैन
(v) सीधी बात किसके चक्कर में फँस गई ?
(क) ध्वनि के
(ख) भाषा के
(ग) रीति के
(घ) रस के
Ans. (ख) भाषा के
2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं
महज एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे।
Ans. प्रसगं– प्रस्तुत काव्याशं आलोक धधन्वा द्वारा रचित कविता ‘पतंग’ से अवतरित है। इस कविता में कवि पतंग के माध्यम से बाल मन की इच्छाओं का सुदंर चित्रण करता है। बालक आसमान में उड़ती पतंगों की ऊँचाइयों को छूना चाहता है।
व्याख्या– उस समय उन्हें इस खतरे से उनके शरीर का संगीत ही बचाता है। इससे वे भय पर विजय पा जाते हैं। उन्हें थामने का काम केवल पतग कर लेती है और यह पतग स्वयं भी एक धागे कै सहारे उड़ती रहती है। इन पतंगों के सहारे बच्चे भी उड़ते प्रतीत होते हैं।
अथवा
मेरा जो होता-सा लगता है, होता-सा संभव है
सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यों का घेरा है,
कार्यों का वैभव है
अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है
सहर्ष स्वीकारा है
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हें प्यारा है।
Ans. प्रसगं– प्रस्तुत पक्तियां मुक्तिबोध की रचना ‘सहर्ष स्वीकारा है’ में से अवतरित हैं। इसमें कवि ने अपनी प्रत्येक अनुभूति, परिस्थिति और स्थिति पर अपने प्रिय की छाप का अनुभव किया है। यही कारण है कि वह प्रत्येक क्षण एवं स्थिति को सहर्ष स्वीकार कर लेता है। कवि अँधेरी गुफा के अदंर भी प्रिय के संवेदना का अनुभव करता है।
व्याख्या– जो कुछ मेरा होता-सा लगता है (वह शायद मेरा हो जाए) वह सब तुम्हारे कारण ही है। मेरी जो सत्ता है, मेरी जो स्थितियाँ हैं, मेरी जो स्थितियाँ हो सकती हैं, मेरी उन्नति या अवनति की जो संभावनाएँ हैं, वे सभी तुम्हारे कारण हैं। मेरा हर्ष-विषाद, उन्नति- अवनति सदा तुम्हारे कारण हैं। मेरा हर्ष-विषाद, उन्नति- अवनति सदा तुम्हीं से जुड़ी रही हैं। हे प्रिय! मेरे जीवन में जो भी सुख-दु:ख, सफलताएँ- असफलताएँ हैं, मैंने उन्हें प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि तुमने उन सबको अपना माना है, वे सब तुम्हें प्रिय हैं। जो तुम्हें प्रिय हैं, उन्हें अस्वीकार कर पाना मेरे लिए असंभव है। भाव यह है कि कवि के जीवन की प्रत्येक उपलब्धि, संपन्नता, हर्ष-विषाद आदि सभी कुछ प्रिय की ही देन है। यही कारण है कि कवि का जो कुछ था, जो कुछ है और जो कुछ होता-सा लगता है, को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया है।
विशेष : इस सशक्त कविता में कवि ने अपने जीवन के समस्त खट्टे-मीठे अनुभवों, कोमल-तीखी अनुभूतियों और सुख-दुःख को इसलिए सहर्ष स्वीकार कर लिया है क्योंकि इन सब पर प्रिय का प्रभाव है। वह प्रत्येक परिस्थिति को उसी की देन मानता है। भाषा प्रवाहमयी और सरल है।
3. आलोक धन्वा अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन, रचनाओं एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans. आलोक धन्वा– आलोक धन्वा का जन्म 1948 ई. में मुंगेर (बिहार) में हुआ। सातवें-आठवें दशक के जनांदोलनों से जुड़े हुए कवि आलोक धन्वा ने बहुत छोटी अवस्था में अपनी गिनी-चुनी कविताओं से अपार लोकप्रियता अर्जित की। सन् 72-73 में प्रकाशित इनकी आरंभिक कविताएं हिंदी के अनेक गंभीर काव्यप्रेमियों को जबानी याद रही हैं। आलोचकों का तो मानना है कि उनकी कविताओं ने हिंदी कवियों और कविताओं को कितना प्रभावित किया, इसका मूल्यांकन अभी ठीक से हुआ नहीं है। इतनी व्यापक ख्याति के बावजूद या शायद उसी की वजह से बनी हुई अपेक्षाओं के दबाव के चलते, आलोक धन्वा ने कभी थोक के भाव में लेखन नहीं किया। सन् 72 से लेखन आरंभ करने के बाद उनका पहला और अभी तक का एकमात्र काव्य–संग्रह सन् 98 में प्रकाशित हुआ। काव्य-सग्रह के अलावा वे पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर में अध्ययन-मंडलियों का संचालन किया और रंगकर्म तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।
प्रमुख रचनाएँ : पहली कविता ‘जनता का आदमी’, 1972 में प्रकाशित उसके बाद ‘भागी हुई लड़कियाँ’, ब्रूनो की बेटियों से प्रसिद्धि’, ‘दुनिया रोज बनती है’ एकमात्र संग्रह।
प्रमुख सम्मान : राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान।
अथवा
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला– सन् 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले में जन्म, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, बंगाली का पूर्ण ज्ञान। अत्यन्त स्वाभिमानी कर्मठ, अध्ययनशील, प्रकृति प्रेमी, त्यागी व्यक्ति। सन् 1961 में इलाहाबाद में निधन।
रचनाएँ : अनामिका, परिमल, गीतिका, बेला, नए पत्ते, तुलसीदास, प्रभावती, समन्वय, मतवाला आदि रचनाओं में वैयक्तिकता, प्रगतिवादिता, विद्रोह की भावना
भाषा शैली : तत्सम तद्भव शब्दावली युक्त भाषा मुक्तक छंद का सुन्दर प्रयोग अनुप्रास, उपमा, रूपक, मानवीकरण व श्लेष अलंकारों का प्रयोग।
4. निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य लिखिए :
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने।
Ans. उक्त पंक्तियों में कवि ने प्रकृति के मनोहारी दृश्य का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार की का प्रकटीकरण हुआ है, क्योंकि काली सिल को अंधेरे का प्रतीक मान लिया गया है, और लाल केसर सूर्य के प्रकाश को माना गया है। पंक्तियों में कवि ने मुक्तक छंद का प्रयोग किया है। कवि ने कविता में नए बिंबों और प्रतिमानों का प्रयोग कर पंक्तियों को सुंदरतम बना दिया है। कविता की भाषा सरल, सहज और खड़ी बोली में युक्त है, जिसकी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।
5. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का मूलभाव लिखिए।
Ans. ‘बात सीधी थी पर’ कविता के व्यंजना के सहारे प्रसाद गुण एवं अभिधा के प्रयोग की नसीहत दे डाली है।
(ख) बादल के क्रांतिकारी रूप का वर्णन कीजिए।
Ans. बादल को क्रांतिकारी का प्रतीक बनाकर प्रतीकात्मक प्रकृति वर्णन को उच्च वर्ग या शोषक वर्ग तथा शोषित वर्ग के संघर्ष के रूप में साम्यवादी चेतना से जोड़ दिया है।
(ग) राम के प्रलाप का विश्लेषण कीजिए।
Ans. भाई का भाई के प्रति प्रगाढ़ प्रेम आतुरता, पिता के वचन को भंग करने की असहज कल्पना, नारी को तिरस्कृत स्थान पर रखना, स्वयं का अवसाद में डूब जाना जैसे रूपों में प्रलाप बनकर उभरा है।
6. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए :
(i) शिरीष की बड़ी विशेषता क्या है ?
(क) दिव्यता
(ख) मस्ती
(ग) भव्यता
(घ) प्रगल्भता
Ans. (ख) मस्ती
(ii) भक्तिन के ओंठ कैसे थे ?
(क) पतले
(ख) मोटे
(ग) कटे-फटे
(घ) अवर्णनीय
Ans. (क) पतले
(iii) सफिया अपने को क्या कहती थी ?
(क) मुगल
(ख) पठान
(ग) शेख
(घ) सैयद
Ans. (घ) सैयद
(iv) बालक चार्ली का मकान किसके पास था ?
(क) सिनेमा घर के
(ख) दवाखाने के
(ग) कसाईखाने के
(घ) मन्दिर के
Ans. (ग) कसाईखाने के
(v) पंजाबी जमायत किसके पक्ष में थी ?
(क) काले खाँ के
(ख) चाँदसिंह के
(ग) लुट्टन के
(घ) छोटे सिंह के
Ans. (ख) चाँदसिंह के
7. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और कठोर है। गाँधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब-तब हूक उठती है – हाय, वह अवधूत आज कहाँ है !
Ans. प्रसंग– शिरीष के फूल – हजारी प्रसाद द्विवेदी। शिरीष की स्थिरता को महात्मा गांधी से जोड़ने की ललित कल्पना की गई है।
व्याख्या– खुद करे
विशेष : ललित निबंध की तरंग शैली, मानक हिन्दी
अथवा
अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी। आकाश में तारे चमक रहे थे। पृथ्वी पर कहीं प्रकाश का नाम नहीं। आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी।
Ans. प्रसंग– पहलवान की ढोलक – फणीश्वर नाथ रेणु। रात्रि के वातावरण को आंचलिक वातावरण से जोड़ने का प्रयास किया गया है।
व्याख्या– खुद करे
विशेष : मानक हिन्दी, वर्णन शैली
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) आदर्श समाज की कल्पना का चित्रण कीजिए।
Ans. आदर्श समाज में वांछित परिवर्तन हेतु गतिशीलता होनी चाहिए। स्वतन्त्रता का व्यावहारिक रूप, ऊँच-नीच के भाव की शून्यता यथोचित रोजगार तथा समता की भावना आदर्श समाज की कल्पना को चरितार्थ करने वाले लक्षण हैं।
(ख) चार्ली चैप्लिन की लोकप्रियता क्यों है ?
Ans. चार्ली चैप्लिन ने हास्य और करुणा का समावेश करके अपने अभिनय की नूतनता के दम पर लोकप्रियता प्राप्त की। उसकी फिल्मों में उसके जीवन के कटु-मधु अनुभव जीवंत रूप लिए हुए हैं। चार्ली चैप्लिन को हास्यावतार माना गया है। करुणा और हास्य के मिश्रण से नवीन सौंदर्यशास्त्र को उसने सामने रखा। राजकपूर की ‘आवारा’ फिल्म पर चार्ली का सीधा प्रभाव है। गांधी और नेहरू ने भी चार्ली से संपर्क किया था। चाली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे। वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे। कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।
(ग) महादेवी वर्मा ने भक्तिन में क्या दुर्गुण देखे ?
Ans. महादेवी वर्मा ने भक्तिन में न तो सत्यवादी हरिश्चन्द का रूप देखा और न ही इधर-उधर पड़े पैसों के विषय में ‘नरों वा कुंजरों वा’ कहते देखा। महादेवी वर्मा के साथ रहने के विषय में किसी को साल बताने के लिए वह अतिशयोक्ति का प्रयोग करती थी। ऐसा बोलने से मानो वह सौ वर्ष के पड़ाव को पार कर चुकी थी। सिर घुटाने को लेकर महादेवी वर्मा के रोके भी नहीं रुकी।
9. ‘वितान’ (भाग-2) के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) जाॅन और मिस्टर क्लीमेन ने अज्ञातवास में भूमिगत व्यक्तियों की सहायता किस प्रकार की ?
Ans. जाॅन और मिस्टर क्लीमेट दूसरे विश्वयुद्ध के समय जर्मनों के अत्याचारों से अज्ञातवास में छिपे लोगों को बचाने के लिए खाना, समाचार पत्र, दवाइयाँ, उपहार आदि लाते तथा वहाँ से निकल भागने के विषय में आश्वस्त करते थे।
(ख) मिस्टर डसेल के व्यक्तित्व का चित्रण कीजिए।
Ans. अज्ञातवास में ऐन फ्रैंक ने मिस्टर डसेल को पर्याप्त समझा। वे पुराने विचारों को महत्त्व देते थे तथा उसी अनुशासन को मानते थे। उन्हें बच्चे बहुत प्रिय थे। उनके साथ खेलने में भरपूर रस प्राप्त करते थे। लम्बे भाषण देना उनकी आदत थी।
(ग) मोहनजोदड़ो के अजायबघर का वर्णन कीजिए।
Ans. मोहनजोदड़ो के अजायबघर में प्रदर्शित चीजों में औजार तो हैं, परंतु कोई हथियार नहीं है। विद्वान यह मानते हैं कि सिन्धु सभ्यता में अनुशासन की प्रधानता थीं, अतः शासन ताकत के बल पर नहीं चलता था। ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य, माप-तौल पत्थर, आइना, बैलगाड़ी आदि चीजें अजायबघर में दिखाई पड़ती हैं।
(घ) मास्टर सौंदलगेकर के कविता-प्रेम का विवेचन कीजिए।
Ans. मास्टर सौंदलगेकर आनन्दा के शिक्षक थे। वे मराठी में कविता लिखते थे। उन्हें काव्यशास्त्र के विषय में जानकारी थी। भाषा, अलंकार, छन्द, रसादि से वे परिचित थे। उन्होंने आनन्दा के काव्य.प्रेम को कविता के क्षेत्र में विकसित करने में सहायता की।
(ङ) किशनदा और यशोधर पंत की मित्रता की समीक्षा कीजिए।
Ans. किशनदा और यशोधर पंत आधुनिक उत्तराखण्ड के थे, परंतु उनकी मित्रता दिल्ली में हुई। किशनदा आजीवन अविवाहित रहे। उन्होंने यशोधर को नौकरी दिलाई तथा जीवन शैली नियमित कराई। सात्विक जीवन शैली के कारण किशनदा यशोधर को प्रभावित करते रहे।
10.(क) ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) रेडियो किस प्रकार का माध्यम है ?
Ans. रेडियो श्रव्य माध्यम है।
(ii) ‘राजस्थान पत्रिका’ किस भाषा का समाचार-पत्र है ?
Ans. राजस्थान पत्रिका हिन्दी भाषा का समाचार पत्र है।
(iii) रंगमंच किस साहित्यिक विधा से सम्बद्ध है ?
Ans. रंगमंच नाटक का प्रमुख तत्त्व है।
(iv) आमतौर पर रेडियो नाटक की अवधि कितनी होती है ?
Ans. आमतौर पर रेडियो नाटक की अवधि 15 मिनट से 30 मिनट होती है।
11.(क) निम्नलिखित के यथानिर्देश उत्तर दीजिए-
(i) सिंधु + ऊर्मि (संधि कीजिए)।
Ans. सिंधूर्मि
(ii) चिदाकार (संधि विच्छेद कीजिए)।
Ans. चित् + आकार
(iii) परिणाम (संधि का नाम लिखिए)।
Ans. व्यंजन संधि
(ख) निम्नलिखित के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
(i) अनुचिंतन (समास का नाम लिखिए)।
Ans. अव्ययीभाव समास
(ii) अल्पाहार (समास का विग्रह कीजिए)।
Ans. अल्प है जो आहार
(iii) बहुव्रीहि समास की परिभाषा लिखिए।
Ans. जब दो पद गौण रहकर तीसरे पद का संकेत करते हैं, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
(ग)(i) मानवीकरण अलंकार की परिभाषा लिखिए।
Ans. किसी भाव या वनस्पति आदि को मानव के रूप में चित्रित करना मानवीकरण अलंकार है।
(ii) ‘हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से’ में अलंकार छाँटिए।
Ans. हौले-हौले (पुनरुक्ति अलंकार)
(घ) वाक्य शुद्ध कीजिए-
(i) वह वापस लौट आया।
Ans. वह लौट आया।
(ii) सोहन जल से पौधों को सींचता है।
Ans. सोहन पौधों को सींचता है।