HBSE Class 12 Political Science Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

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HBSE Class 12 Political Science Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

Section – A (1 Mark)

1. स्वतंत्रता के बाद भारत में भाषा के आधार पर बना पहला राज्य कौन-सा था?
(a) गुजरात
(b) आंध्र प्रदेश
(c) असम
(d) राजस्थान
उत्तर – (b) आंध्र प्रदेश

2 भारत में नई आर्थिक नीति कब अपनाई गई?
(a) 1989 में
(b) 1985 में
(c) 1950 में
(d) 1991 में
उत्तर – (d) 1991 में

3. भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता कब हुआ?
(a) 1962 में
(b) 1965 में
(c) 1972 में
(d) 1975 में
उत्तर – (c) 1972 में

4. भारत मे संकटकाल की घोषणा कब की गई थी?
(a) 1970 में
(b) 1973 में
(c) 1975 में
(d) 1977 में
उत्तर – (c) 1975 में

5 जम्मू और कश्मीर को किस धारा के द्वारा विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया था?
(a) धारा 360
(b) धारा 365
(c) धारा 370
(d) धारा 372
उत्तर – (c) धारा 370

6. सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(a) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी
(b) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व नियंत्रण होना
(c) जनता को आर्थिक आजादी थी
(d) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था
उत्तर – (c) जनता को आर्थिक आजादी थी

7. मार्शल योजना क्या थी?
(a) अमेरिका द्वारा दी गई आर्थिक सहायता
(b) अमेरिका द्वारा दी गई सैनिक सहायता
(c) अमेरिका द्वारा दी गई वित्तीय सहायता
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

8. दक्षिण एशिया का कौन-सा देश सबसे बड़ा और शक्तिशाली है?
(a) भारत
(b) पाकिस्तान
(c) बांग्लादेश
(d) श्रीलंका
उत्तर – (a) भारत

9. इनमें से किसने खुले द्वार की नीति अपनाई?
(a) चीन ने
(b) दक्षिण कोरिया ने
(c) जापान ने
(d) अमेरिका ने
उत्तर – (a) चीन ने

10. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(a) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।
(b) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।
(c) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण दोनों समान है।
(d) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।
उत्तर – (d) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।

11. भारत में कौन-सा भाषाई फार्मूला लागू किया गया है?
उत्तर – त्रिभाषा फार्मूला (तीन भाषा सूत्र)

12. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का गठन कब हुआ था?
उत्तर – 2004

13. बोरिस येल्तसिन कौन थे?
उत्तर – रूस के पहले राष्ट्रपति

14. वैश्वीकरण के कितने पक्ष हैं?
उत्तर – तीन

15. साम्यवादी पार्टी की स्थापना …………… वर्ष में हुई।
उत्तर – 1925

16. भारत ने पोखरण (राजस्थान) में अपना पहला और दूसरा परमाणु परीक्षण वर्ष …………. और वर्ष ………… में किया।
उत्तर – 1974 और 1998

17. …………….. संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं।
उत्तर – एंटोनियो गुटेरेस

18. 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया। (सही / गलत)
उत्तर – गलत (गरीबी हटाओ का नारा 1971 मे दिया)

19. मालदीव अरब सागर में स्थित दक्षिण एशिया का एक छोटा-सा द्वीपीय राष्ट्र है। (सही / गलत)
उत्तर – सही

20. निम्नलिखित कथन (Assertion) और कारण (Reason) पढ़कर नीचे दिए गए विकल्पों में से एक को चुने :
कथन (A) : वैश्विक ताप वृद्धि निरंतर बढ़ रही है।
कारण (R) : वैश्विक ताप वृद्धि को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ कुछ नहीं कर रहा है।
(a) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(b) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(c) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) गलत है
(d) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है
उत्तर – (c) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) गलत है

Section – B (2 Marks)

21. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर – सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का मतलब है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार है।

22. किन्ही चार ऐसे राज्यों के नाम बताएं जिनमें 1967 में हुए चुनावों के बाद गैर कांग्रेसी सरकारें बनी।
उत्तर – उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल, तमिलनाडु

23. प्रेस सेंसरशिप किसे कहते हैं?
उत्तर – जब किसी राजनीतिक दल द्वारा किसी विशेष जानकारी अथवा सूचना को जन समुदाय तक पहुंचने से रोका अथवा प्रतिबंधित किया जाता है, तो इसे प्रेस सेंसरशिप कहते हैं।

24. धारा 370 को कब और कहाँ से समाप्त किया गया?
उत्तर – धारा 370 को समाप्त करने का निर्णय 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद द्वारा लिया गया था। इस निर्णय के अनुसार जम्मू-कश्मीर का विशेष स्थानांक धारा 370 हटा दिया गया और उसे समाप्त कर दिया गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।

25. सांप्रदायिकता का क्या अर्थ है ?
उत्तर – साम्प्रदायिकता का अर्थ है अपने समुदाय के प्रति एक मजबूत लगाव, यह किसी का अपना धर्म, क्षेत्र या भाषा हो सकता है। यह समुदायों के बीच हितों के अंतर को बढ़ावा देता है जो समुदायों के बीच शत्रुता के प्रति असंतोष पैदा कर सकता है। भारत में सांप्रदायिकता एक विशिष्ट रूप में पायी जाती है।

26. दो धुर्वीयता के अंत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – दूसरे विश्व युद्ध के बाद विश्व दो गुटों में बट गया था एक पूंजीवादी और दूसरा साम्यवादी। पूंजीवादी विचारधारा का समर्थक देश का नेता अमेरिका तथा साम्यवादी विचारधारा का नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था। 25 दिसंबर 1991 को साम्यवाद विचारधारा का समर्थक सोवियत संघ का विघटन होने के बाद विश्व में द्वि-धुर्वीयता का अंत हो गया था।

27. आसियान का पूरा नाम क्या है?
उत्तर – आसियान (ASEAN) का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है। यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन है। इस संगठन को 1967 में बनाया गया था।

28. सार्क के सदस्य देशों की नाम बताओ?
उत्तर – सार्क (SAARC) के आठ सदस्य देश हैं – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव व अफ़गानिस्तान।

29. अस्त्र नियंत्रण से आप क्या समझते हो?
उत्तर – अस्त्र नियंत्रण से तात्पर्य विश्व के देशों द्वारा अस्त्र-शस्त्र की होड़ पर नियंत्रण लगाने से है।

30. निर्जन वन क्या है?
उत्तर – निर्जन वन से आशय इस प्रकार के वनों से है जिसमें मनुष्य एवं जानवर नहीं पाये जाते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध के कई देशों में निर्जन वन पाये जाते हैं।

31. वर्ल्ड सोशल फोरम क्या है?
उत्तर – वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF), नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।

Section – C (3 Marks)

32. भारतीय जनसंघ पार्टी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – भारतीय जनसंघ का गठन-भारतीय जनसंघ का गठन सन् 1951 में हुआ था। इसके संस्थापक अध्यक्ष श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे। प्रारम्भिक वर्षों में इस पार्टी को हिन्दी भाषी राज्यों; जैसे-राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में समर्थन मिला। जनसंघ के नेताओं ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय और बलराज मधोक के नाम शामिल हैं।
जनसंघ की विचारधारा : जनसंघ ने ‘एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र’ के विचार पर बल दिया। इसका मानना था कि देश भारतीय संस्कृति और परम्परा के आधार पर आधुनिक, प्रगतिशील और ताकतवर बन सकता है। जनसंघ ने भारत और पाकिस्तान को एक करके ‘अखण्ड भारत’ बनाने की बात कही। जनसंघ अंग्रेजी को हटाकर हिन्दी को राजभाषा बनाने का पक्षधर था। इसने धार्मिक व सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को रियायत देने की बात का विरोध किया।

33. आर्थिक विकास के भारतीय मॉडल की मुख्य विशेषताएं क्या है?
उत्तर – भारतीय आर्थिक विकास मॉडल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हो सकती हैं :
(i) संविधानिक रूप से समाजवादी – भारतीय आर्थिक मॉडल का मूल सिद्धांत समाजवाद है, जिसमें समाज के अधिकारों और समृद्धि के लिए सरकारी नीतियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
(ii) ग्रामीण केंद्रित – भारतीय आर्थिक मॉडल में ग्रामीण क्षेत्रों को महत्वपूर्ण माना जाता है, और उनके विकास के लिए नीतियों का प्रमुख हस्तक्षेप होता है।
(iii) समृद्धि के संकेत – भारतीय आर्थिक मॉडल में समृद्धि के संकेत के रूप में GDP, परिवहन, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और कृषि को महत्वपूर्ण माना जाता है।
(iv) समरसता – भारतीय आर्थिक मॉडल में समरसता (inclusive growth) का सिद्धांत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें समाज के सभी वर्गों को समृद्धि के लाभ में शामिल करने का प्रयास किया जाता है।

34. कांग्रेस पार्टी की पुनः स्थापना से आप क्या समझते हो?
उत्तर – कांग्रेस पार्टी भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है, और इसके पुनः स्थापना से एक नया संगठनिक और नीतिगत मार्गदर्शन मिल सकता है। इसके साथ ही, कांग्रेस पार्टी की पुनः स्थापना से यह संकेत मिल सकता है कि वे अपने प्रियों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी होने के लिए तैयार हैं। हालांकि, कुछ लोग कह सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी को अपने स्वयं के विचारों, मूल्यों और उद्देश्यों को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वे समर्थन प्राप्त कर सकें। समर्थनकर्ता कह सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी की पुनः स्थापना से उसे पुरानी महिला के समर्थन, जनसमर्थन, और नए और युवा नेतृत्व को प्रोत्साहित करने का मौका मिलेगा। समर्थकों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी को पुनः स्थापित करने से, भारतीय राजनीति में महिला-मुख्यता, युवा-मुख्यता, समुदाय-मुख्यता, और प्रगति-मुख्यता को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हो सकता है। समर्थकों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी को पुनः स्थापित करने से, भारतीय राजनीति में महिला-मुख्यता, युवा-मुख्यता, समुदाय-मुख्यता, और प्रगति-मुख्यता को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हो सकता है।

35. किन्हीं तीन कारकों का विश्लेषण करें जिन्होंने 1970 के दशक की शुरुआत में इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को बढ़ाया।
उत्तर – श्रीमती इंदिरा गांधी की लोकप्रियता के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक :
(i) ‘गरीबी हटाओ’ का लोकप्रिय नारा
(ii) बैंकों का राष्ट्रीयकरण
(iii) प्रिवी पर्स की समाप्ति
(iv) भूमि सुधार कानून और भूमि सीमा अधिनियम

36. पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान क्या थे?
उत्तर – पंजाब समझौता 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच पंजाब में सामान्य स्थिति बनाने के लिए हस्ताक्षरित एक समझौता था, जिसे ‘राजीव गांधी लोंगोवाल समझौते’ के रूप में जाना जाता है।
मुख्य परिणाम :
(i) चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित किया जाएगा।
(ii) पंजाब और हरियाणा के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक अलग आयोग नियुक्त करना।
(iii) पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच रावी-ब्यास नदी के पानी के बंटवारे को निपटाने के लिए एक न्यायाधिकरण स्थापित किया जाएगा।
(iv) पंजाब में सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम को वापस लेना।
(v) पंजाब में उग्रवाद से प्रभावित लोगों को बेहतर इलाज के लिए मुआवजे का प्रावधान करना।

37. ‘भारत में गठबंधन की राजनीति, विचारधारा पर आधारित न होकर अवसरवादिता पर आधारित होती है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – ‘भारत में गठबंधन की राजनीति, विचारधारा पर आधारित न होकर अवसरवादिता पर आधारित होती है’ यह कथन एक व्यापक रूप से सही है। भारतीय राजनीति में गठबंधन अक्सर अवसरों और सामाजिक समर्थन के आधार पर होते हैं, ज्यादातर समाजिक, आर्थिक, या राजनीतिक समर्थन के मामले में।
भारत में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच विचारधारा का मेलमिलाप कम होता है और इसलिए गठबंधनों को अवसरों के मामले में बनाया जाता है। पार्टियों को अपने स्वायत्त स्थानों पर मजबूती प्राप्त करने के लिए उन्हें समर्थन प्राप्त करने के लिए गठबंधन की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, भारतीय समाज में समृद्धि, समरसता, और सहमति को मजबूत करने के लिए भी गठबंधनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अक्सर गठबंधन प्रक्रिया में समाज के विभिन्न समूहों को सम्मिलित करने का काम करते हैं, जिससे समरसता, सहमति, और सहयोग को मजबूत किया जा सके। सम्प्रेषित कथन में ‘अवसरवादिता’ का मतलब है कि गठबंधनों की राजनीति में मुख्यत: समर्थन, सुरक्षा, और समरसता को मुहैया करने के लिए अवसरों पर आधारित होती है, और इसके पीछे किसी विशेष विचारधारा की प्रमुखता नहीं होती।

38. किन बातों के कारण गोर्बाचोव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?
उत्तर – गोर्बाचोव को सोवियत संघ में सुधार करने के लिए कई कारणों से प्रेरित किया गया था। यहाँ कुछ मुख्य कारण दिए जा रहे हैं :
(i) आर्थिक समस्याएं – सोवियत संघ में आर्थिक समस्याएं थीं, जैसे की उत्पादन में कमी, अर्थव्यवस्था में स्थिरता, और भूमि की अनुपयुक्त उपयोग। इन समस्याओं के समाधान के लिए सुधार की आवश्यकता थी।
(ii) राजनीतिक अस्थिरता – सोवियत संघ में राजनीतिक अस्थिरता और प्रतिबंधों की स्थिति थी, जिससे लोगों की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध था। गोर्बाचोव ने इसे सुधारने का प्रस्ताव किया।
(iii) सामाजिक परिवर्तन – सोवियत समाज में सामाजिक परिवर्तन की मांग थी, जैसे की मीडिया की स्वतंत्रता, मनोरंजन की पहुंच, और मनोरंजन की मुक्ति।
(iv) अंतर्राष्ट्रीय दबाव – सोवियत संघ के पास अंतर्राष्ट्रीय दबाव होने के कारण, गोर्बाचोव को सुधार के माध्यमों पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस हुई।
(v) नेतृत्व की प्रेरक – गोर्बाचोव को एक प्रेरक नेता माना जाता था, जिन्होंने सोवियत संघ में सुधार के लिए प्रेरित किया।

39. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
उत्तर – आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से कुछ महत्वपूर्ण तरीकों से अलग है।
• उत्पादन के सेक्टर – चीन की अर्थव्यवस्था आधुनिकीकृत उत्पादन, निर्माण, और निवेश के सेक्टर पर आधारित है, जो कि पहले की तुलना में उत्पादन के सेक्टर पर आधारित थी।
• विदेशी निवेश – चीन में विदेशी निवेश का महत्वपूर्ण स्थान है, जो कि उसकी अर्थव्यवस्था को गहरे संबंधों में बांधता है।
• विदेशी व्यापार – चीन की अर्थव्यवस्था में विदेशी व्यापार का महत्वपूर्ण स्थान है, जो कि पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।
• संकुचित सरकारी निगरानी – चीन में संकुचित सरकारी निगरानी है, जो कि पहले की तुलना में कम है।
• कारोबारी मुकाबला – चीन की अर्थव्यवस्था में कारोबारी मुकाबला का महत्वपूर्ण स्थान है, जो कि पहले की तुलना में अधिक है।
इन सभी प्रमुख कारणों से, आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से कुछ महत्वपूर्ण प्रकार से अलग है।

40. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक प्रणाली स्थाई क्यों नहीं हो पाई है? कोई चार कारण बताइए।
उत्तर – पाकिस्तान में लोकतांत्रिक प्रणाली स्थाई होने में कई कारण हैं। मुख्य कारण :
(i) सैन्य की भूमिका – पाकिस्तान में सैन्य की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और सैन्य ने अक्सर सत्ता पर प्रभाव डाला है। सैन्य के हाथ में शक्ति होने से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप होता है।
(ii) धार्मिक और सामाजिक टेंशन – पाकिस्तान में धार्मिक और सामाजिक टेंशन कई समस्याओं का कारण बनती है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है।
(iii) कुलीनता और भ्रष्टाचार – पाकिस्तान में कुलीनता और भ्रष्टाचार की समस्या भी है, जो लोकतंत्र की स्थापना में बाधक साबित हो सकती है।
(iv) आर्थिक समस्याएं – पाकिस्तान में आर्थिक समस्याएं भी हैं, जो लोकतंत्र की स्थापना को प्रभावित कर सकती हैं। गरीबी, बेरोजगारी, और असमानता के मुद्दे लोकतंत्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

41. परंपरागत और अपरंपरागत सुरक्षा में क्या अंतर है? गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाए रखना इनमें से किस श्रेणी में आता है?
उत्तर – परंपरागत सुरक्षा और अपरंपरागत सुरक्षा में अंतर :
• परंपरागत सुरक्षा – परंपरागत सुरक्षा उस सुरक्षा प्रणाली को कहा जाता है जो पारंपरिक तरीके से संचालित होती है और पुराने दृष्टिकोणों और नीतियों पर आधारित होती है। इसमें सेना, पुलिस, और अन्य सुरक्षा एजेंसियां शामिल होती हैं, जो राष्ट्र की सुरक्षा की देखभाल करती हैं।
• अपरंपरागत सुरक्षा – अपरंपरागत सुरक्षा में नवीनतम तकनीक, सूचना, और विचारशीलता का प्रयोग किया जाता है। इसमें साइबर सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, ग्लोबल सुरक्षा, और अन्य नवाचारी सुरक्षा के माध्यम से सुरक्षा की देखभाल की जाती है।
गठबंधनों का निर्माण करना और उन्हें बनाए रखना परंपरागत सुरक्षा में आता है। गठबंधनें समान हितों के लिए मिलकर काम करती हैं, प्रणालियों को मजबूत करने में मदद करती हैं, और सुरक्षा संदेश को समझने में मदद करती हैं। इसके माध्यम से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और सुरक्षा को मजबूती प्रदान की जा सकती है।

42. विश्व की साझी विरासत का क्या अर्थ है? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है?
उत्तर – ‘विश्व की साझी विरासत’ का मतलब है कि पृथ्वी और उसके संसाधनों का हम सभी का साझा है, और हमें इसे संरक्षित रखने और सुरक्षित बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इसका मतलब है कि हमें पर्यावरण, जैव विविधता, जल, हवा, मिट्टी, वनस्पति, और जीव-जंतु संसाधनों को सावधानी से प्रबंधित करना चाहिए ताकि हम और हमारे आने वाले पीढ़ियाँ इनका आनंद उठा सकें।
इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है :
(i) दोहन – विश्व की साझी विरासत का दोहन होता है जब हम संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करते हैं, बिना सोचे-समझे, और प्राकृतिक संतुलन को ध्वस्त करते हैं। जल, जलवायु, मिट्टी, और वनस्पति के संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण, और उसके प्रभावों के कारण प्राकृतिक संतुलन में हानि पहुंचाता है।
(ii) प्रदूषण – प्रदूषण का मतलब है किसी प्रक्रिया में मिलावट करना, अपमान करना, या प्राकृतिक संतुलन को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों को मिलाना। प्रदूषण में वायु, जल, मिट्टी, और स्वास्थ्य पर प्रक्रियाओं के माध्यम से हानि पहुंचने की संभावना होती है।
इसलिए, हमें समुदाय में “विश्व की साझी विरासत” की महत्वता समझनी चाहिए, और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करके सुरक्षित रहने के प्रति संकल्पित होना चाहिए।

Section – D (5 Marks)

43. राज्य पुनर्गठन आयोग का क्या काम था? इसकी प्रमुख शिफारिशें क्या थी?
उत्तर – केन्द्र सरकार ने सन् 1953 में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के लिए एक आयोग बनाया। फजल अली की अध्यक्षता में गठित इस आयोग का कार्य राज्यों के सीमांकन के मामले पर कार्रवाई करना था। इसने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि राज्यों को सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए।
राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशें :
(i) भारत की एकता व सुरक्षा की व्यवस्था बनी रहनी चाहिए।
(ii) राज्यों का गठन भाषा के आधार पर किया जाए।
(iii) भाषाई और सांस्कृतिक सजातीयता का ध्यान रखा जाए।
(iv) वित्तीय तथा प्रशासनिक विषयों की ओर उचित ध्यान दिया जाए।
इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सन् 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्रशासित प्रदेश बनाए गए।

अथवा

राष्ट्र निर्माण के मुख्य तत्वों का वर्णन करो।
उत्तर – राष्ट्र निर्माण के मुख्य तत्व :
(i) जनसंख्या – एक राष्ट्र की जनसंख्या उसकी मुख्य पहचान होती है। जनसंख्या में समानता, सामरिकता और समृद्धि के मामले में महत्वपूर्ण होती है।
(ii) सरकार – सरकार राष्ट्र के नियंत्रण, प्रशासन, और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती है। यह न्यायपालिका, कार्यपालिका, और विधायिका के माध्यम से संचालित होती है।
(iii) संविधान – एक संविधान, राष्ट्र के मूलनियमों, मूलभूत अधिकारों, और संगठन को स्थापित करने के लिए होता है। यह संविधानीकरण, संविधान सुरक्षा, और संविधानिक संशोधन के माध्यम से प्रभावी होता है।
(iv) संस्थाओं का संगठन – राष्ट्र के मुख्य संस्थान, जैसे कि प्रशासनिक, न्यायिक, और सैन्य, की संरचना, कार्य, और प्रबंधन में महत्वपूर्ण होती है।
(v) भूमि – भूमि एक राष्ट्र की महत्वपूर्ण संपदा होती है, जो संसाधनों, कृषि, और प्रगति के मामले में महत्वपूर्ण होती है।
(vi) संस्कृति – संस्कृति, भाषा, कला, साहित्य, और परंपरा एक राष्ट्र की पहचान होती है।
(vii) एकीकरण – एकीकरण, एकता, और समरसता एक राष्ट्र की महत्वपूर्णता होती है, जो समाजिक, सांस्कृतिक, और प्रशासनिक मुद्दों में महत्वपूर्ण होती है।
(viii) प्रतिबद्धता – प्रतिबद्धता, न्याय, समरसता, और समरसता के मुद्दों में महत्वपूर्ण होती है, जो एक राष्ट्र की सुरक्षा, प्रगति, और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है।
(ix) प्रशासनिक प्रक्रिया – प्रशासनिक प्रक्रिया, केंद्रीयकरण, प्रशासनिक प्रक्रिया, और प्रशासनिक सुशासन के मुद्दों में महत्वपूर्ण होती है, जो राष्ट्र के प्रबंधन को प्रभावी बनाती है।
(x) सुरक्षा – सुरक्षा, समरसता, और सुलभता के मुद्दों में महत्वपूर्ण होती है, जो राष्ट्र की सुरक्षा, प्रगति, और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है।

44. विदेश नीति का क्या अर्थ है? भारत की विदेश नीति के मुख्य सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर – विदेश नीति एक देश की बाहरी संबंधों और विदेशी राष्ट्रों के साथ संबंधों को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई नीति है। इसका मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा, समृद्धि, संरक्षण और प्रतिस्थापना को सुनिश्चित करना होता है।
भारत की विदेश नीति के मुख्य सिद्धांतों में निम्नलिखित शामिल हैं :
(i) अपराधिकरण (Non-Alignment) – भारत की विदेश नीति का मुख्य सिद्धांत अपराधिकरण है, जिसका मतलब है किसी एक दल के साथ संबंध स्थापित नहीं करना। भारत ने हमेशा ही स्वतंत्रता, स्वायत्तता, और स्वाधीनता के मामले में अपनी स्वतंत्रता को महत्व दिया है।
(ii) प्राथमिकता (Priority) – भारत की विदेश नीति में प्राथमिकता उसके राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने के लिए होती है। इसका मुख्य उद्देश्य है देश की सुरक्षा, समृद्धि, और समरसता को सुनिश्चित करना।
(iii) समरसता (Harmony) – भारत की विदेश नीति में समरसता को महत्व दिया जाता है, जिसका मतलब है सहयोग, समरसता, और समन्वय को प्रोत्साहित करना।
(iv) सहयोग (Cooperation) – भारत की विदेश नीति में सहयोग को महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अन्य राष्ट्रों के साथ सहयोग, समरसता, और सहयोग के माध्यम से सुरक्षा, प्रगति, और समृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए होता है।
(v) सुलभता (Accessibility) – भारत की विदेश नीति में सुलभता को महत्वपूर्ण माना जाता है, जो संपर्क, पहुंच, और संबंधों को सुलभ बनाए रखने के माध्यम से सुनिश्चित होता है।

अथवा

नेहरू युग के दौरान भारत चीन संबंधों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर – नेहरू युग (1947-1964) के दौरान भारत चीन संबंधों का परीक्षण करते समय, कई महत्वपूर्ण घटनाएं और मोमेंट्स थे। नेहरू के प्रधानमंत्री पद के दौरान, भारत और चीन के बीच कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, जिन्होंने दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित किया।
• हिमालयी विवाद – 1950 में चीनी सेना ने तिब्बत में अपना कब्जा जमा लिया, जिससे हिमालयी क्षेत्र में सीमा समस्या पैदा हुई।
• पंचशील समझौता – 1954 में भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता हुआ, जिसमें सहमति हुई कि दोनों देशों के बीच सीमा समस्याओं को शांतिपूर्ण रूप से हल किया जाएगा।
• हिमालयी युद्ध – 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ, जिसमें चीनी सेना ने हिमालयी क्षेत्र में भारतीय सेना को पराजित कर दिया।
नेहरू के प्रधानमंत्री पद के दौरान, भारत-चीन संबंधों में कई महत्वपूर्ण संकट आए, जिनसे संबंधों में खींचतान आई। हिमालयी विवाद, पंचशील समझौता, और हिमालयी युद्ध के महत्वपूर्ण पलों में, नेहरू युग में भारत-चीन संबंधों का परिप्रेक्ष्य काफी महत्वपूर्ण है।

45. संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका का वर्णन कीजिये।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) में भारत की भूमिका एक महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका है। भारत एक महत्वपूर्ण सदस्य देश है जो UN के संविधान के सदस्य देशों में से एक है। भारत UN के संगठन में अपनी भूमिका को मान्यता और सम्मान से निभाता है। भारत UN में विभिन्न समितियों, परिषदों, और अन्य संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाता है। भारत UN के माध्यम से विश्व के मुद्दों पर अपने पक्ष को प्रकट करता है और अपने सुझावों को प्रस्तुत करता है। भारत UN में विशेष ध्यान को विकसित करने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करता है, जैसे कि विकास, मानवाधिकार, शांति-सुरक्षा, पर्यावरण, आदि। भारत UN में अपनी मुख्यता को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करता है, जिससे कि संगठन में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सके। भारत UN में सहयोगी देशों के साथ मिलकर विश्व की समस्याओं का समाधान करने के प्रयास करता है।
समर्थन, सहयोग, और सक्रियता के माध्यम से, भारत UN में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को सही समय पर प्रकट करता है, जिससे कि संगठन के मुद्दों पर सही निर्णय लेने में मदद मिल सके।

अथवा

संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे को बदलने के लिए सुझाए गए उपायों के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे को बदलने के लिए सुझाए गए उपायों को क्रियान्वयन में लाने में कई कठिनाइयाँ हो सकती हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य कठिनाइयाँ हो सकती हैं:
(i) सहमति की कमी – संयुक्त राष्ट्र संघ में सभी सदस्य देशों के बीच सहमति प्राप्त करना एक मुश्किल काम हो सकता है। विभिन्न देशों के मतभेद और राष्ट्रीय हितों के मध्य समझौता करना कठिन हो सकता है।
(ii) वित्तीय संकट – संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों और परियोजनाओं को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। संसाधनों की कमी और धन का प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है।
(iii) भूमिका और अधिकार – विभिन्न देशों के बीच भूमिका और अधिकार के मुद्दे पर मतभेद हो सकते हैं, जिससे सहमति प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
(iv) संरक्षा – संयुक्त राष्ट्र संघ के कुछ कार्यक्रमों की संरक्षा और सुरक्षा में कमी हो सकती है, जिससे उनके प्रभावकारी क्रियान्वयन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
(v) प्रबंधन – संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रबंधन में कमी होने से कार्यक्रमों की प्रतिदीनता में कमी आ सकती है, जिससे मुश्किलें उत्पन्न हो सकती हैं।
इन कठिनाइयों का मूल्यांकन करने के बाद, सुझाए गए उपायों को प्रायोगिकता में लाने के लिए सही समाधान ढूंढने में महत्वपूर्ण है।

46. वैश्वीकरण के राजनीतिक और आर्थिक पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – राजनीतिक पक्ष :
• संप्रभुता का क्षरण – वैश्वीकरण के कारण राष्ट्रीय सरकारों की संप्रभुता पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं और अन्य देशों के नियम और नीतियां उनके आंतरिक मामलों में प्रभाव डाल सकते हैं।
• अंतर्राष्ट्रीय सहयोग – राजनीतिक वैश्वीकरण का मतलब है देशों के बीच बढ़ता सहयोग, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संधियों और गठबंधनों का निर्माण होता है।
• वैश्विक मुद्दों पर ध्यान – जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, मानवाधिकार जैसे वैश्विक मुद्दे राजनीतिक चर्चा का हिस्सा बन गए हैं और इनके समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक हो गया है।
• डिप्लोमेसी एवं सांस्कृतिक प्रभाव – वैश्वीकरण ने देशों के बीच सांस्कृतिक संवाद को बढ़ाया है और इसने विदेश नीति और डिप्लोमेसी की प्रकृति को भी प्रभावित किया है।
• नीति निर्माण में पारदर्शिता – वैश्वीकरण के कारण नीति निर्माण प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आई है, जिससे नागरिकों को भी राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का अवसर मिलता है।

आर्थिक पक्ष :
• व्यापार और निवेश में वृद्धि – वैश्वीकरण ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया है, जिससे वैश्विक बाजार और प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई है।
• उत्पादन का वैश्विकीकरण – कंपनियां अब वैश्विक स्तर पर उत्पादन करती हैं, जिससे लागत कम होती है और दक्षता में वृद्धि होती है।
• श्रम बाजार में परिवर्तन – वैश्वीकरण के कारण श्रम बाजार में बदलाव आया है, जिससे कुछ देशों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और कुछ में कम हुए हैं।
• मौद्रिक और वित्तीय नीतियों में समन्वय – विश्व बाजार की स्थिरता के लिए देशों को अपनी मौद्रिक और वित्तीय नीतियों में समन्वय करना पड़ता है।
• आर्थिक असमानता – वैश्वीकरण से कुछ देशों और व्यक्तियों को लाभ होता है, जबकि अन्य पीछे छूट जाते हैं, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ सकती है।
• टेक्नोलॉजिकल प्रगति– वैश्वीकरण ने तकनीकी नवाचार और ज्ञान के साझाकरण को प्रोत्साहित किया है, जिससे उत्पादकता और आर्थिक विकास में सुधार होता है।
इन पक्षों का विश्लेषण करते हुए यह समझना महत्वपूर्ण है कि वैश्वीकरण के प्रभाव विभिन्न देशों और समुदायों पर अलग-अलग होते हैं और इससे जुड़ी चुनौतियों का समाधान भी विविध होता है।

अथवा

वैश्वीकरण के उदय के मुख्य कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – वैश्वीकरण के उदय के मुख्य कारणों का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है :
(i) प्रौद्योगिकी का विकास – सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के विकास ने दुनिया भर में संचार और सूचना के आदान-प्रदान को तेजी से बढ़ावा दिया है। इंटरनेट, मोबाइल फोन, और सस्ती संचार तकनीकों ने विभिन्न देशों के बीच जानकारी और सेवाओं का प्रवाह आसान बना दिया है।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में वृद्धि – वैश्वीकरण का एक प्रमुख कारण व्यापार और निवेश के अवसरों की वृद्धि है। विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक नीतियों का उदारीकरण, व्यापार समझौतों, और वैश्विक बाज़ारों के निर्माण ने देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा दिया है।
(iii) परिवहन के साधनों में सुधार – परिवहन के साधनों में क्रांतिकारी सुधार, जैसे हवाई यात्रा, समुद्री जहाज, और सड़क परिवहन की बढ़ती सुविधाओं ने वस्तुओं और लोगों के आवागमन को तेज और सस्ता बना दिया है। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि हुई है।
(iv) बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रसार – बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्विक उत्पादन और वितरण नेटवर्क का निर्माण किया है। ये कंपनियाँ विभिन्न देशों में निवेश करती हैं और वहाँ से उत्पादों और सेवाओं का उत्पादन और वितरण करती हैं, जिससे वैश्वीकरण को बल मिलता है।
(v) वैश्विक आर्थिक नीतियों में बदलाव – कई देशों ने उदारीकरण, निजीकरण, और विनियमन (liberalization, privatization, and deregulation) की नीतियाँ अपनाई हैं, जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिला है और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा मिला है।
(vi) वित्तीय बाजारों का एकीकरण – वैश्विक वित्तीय बाजारों का एकीकरण और पूंजी प्रवाह की स्वतंत्रता ने विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं को आपस में जोड़ दिया है। इसके परिणामस्वरूप, अंतर्राष्ट्रीय निवेश और आर्थिक सहभागिता में वृद्धि हुई है।
(vii) श्रम बल का वैश्वीकरण – वैश्विक श्रम बल की गतिशीलता ने विभिन्न देशों के श्रमिकों को दूसरे देशों में काम करने और जीवन यापन करने के अवसर प्रदान किए हैं। इससे सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान में वृद्धि हुई है।
इन कारणों के परिणामस्वरूप, दुनिया तेजी से एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है, और वैश्वीकरण की प्रक्रिया लगातार बढ़ती जा रही है।

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