Haryana Board (HBSE) Class 12 Physical Education Question Paper 2024 with a fully solved answer key. Students can use this HBSE Class 12 Physical Education Solved Paper to match their responses and understand the question pattern. This BSEH Physical Education Answer Key 2024 is based on the latest syllabus and exam format to support accurate preparation and revision for the board exams.
HBSE Class 12 Physical Education Question Paper 2024 Answer Key
1. फ्रैक्चर क्या है?
उत्तर – फ्रैक्चर (अस्थि-भंग) एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें हड्डी की निरंतरता भंग हो जाती है। इसमें हड्डी का टूटना, दरार आना या हड्डी का छिल जाना शामिल होता है। यह प्रायः किसी आघात, गिरने, चोट लगने या हड्डी पर अत्यधिक तनाव पड़ने के कारण होता है।
2. फार्टलेक प्रशिक्षण विधि है। (हाँ / नहीं)
उत्तर – हाँ
3. व्यायाम से सहनशीलता बढ़ती है। (हाँ / नहीं)
उत्तर – हाँ
4. खेल चोटों से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर – खेल चोटों से बचने के लिए उचित वार्म-अप और कूल-डाउन करना, सही तकनीक एवं नियमों का पालन करना, उपयुक्त और सुरक्षित खेल उपकरणों का उपयोग करना, सुरक्षित मैदान पर अभ्यास करना तथा अपने शारीरिक फिटनेस स्तर को बनाए रखना आवश्यक है।
5. विटामिन-सी का मुख्य स्रोत क्या है?
(A) दूध
(B) केला
(C) अमरूद
(D) अण्डा
उत्तर – (C) अमरूद
6. मोच क्या है?
उत्तर – मोच वह चोट है जिसमें स्नायुबंधन (लिगामेंट) सामान्य सीमा से अधिक खिंचने, मरोड़ खाने या आंशिक रूप से फटने से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। स्नायुबंधन दो हड्डियों को जोड़कर जोड़ को स्थिर रखते हैं, इसलिए इनमें चोट लगने पर दर्द और सूजन हो जाती है। यह चोट अधिकतर टखने, घुटने और कलाई के जोड़ों में पाई जाती है।
7. आधुनिक ओलम्पिक खेलों का संस्थापक किसे मानते हैं?
उत्तर – पियरे डी कूबर्टिन
8. कच्ची अस्थि-भंग से कौन प्रभावित होता है?
उत्तर – कच्ची अस्थि-भंग (ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर) सबसे ज़्यादा बच्चों को प्रभावित करती है, क्योंकि उनकी हड्डियाँ अधिक लचीली और विकासशील होती हैं।
9. फार्टलेक प्रशिक्षण विधि किस देश में विकसित हुई?
(A) भारत
(B) अमेरिका
(C) स्वीडन
(D) इंग्लैण्ड
उत्तर – (C) स्वीडन
10. लड़कियों के लिए मेडिसिन बाल-पुट टेस्ट का वजन कितना होता है?
उत्तर – 1 किलोग्राम
11. क्या खेलों में योजना का महत्त्व है?
उत्तर – हाँ, खेलों में योजना का बहुत महत्त्व है क्योंकि यह लक्ष्यों को प्राप्त करने, संसाधनों का कुशल उपयोग और सफलता सुनिश्चित करने में सहायक होती है।
12. क्या महिलाओं के लिए खेल भागीदारी लाभकारी है?
उत्तर – हाँ, महिलाओं के लिए खेल भागीदारी अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, आत्मविश्वास बढ़ाती है, नेतृत्व कौशल विकसित करती है, और लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है।
13. अभिकथन (A) : लीग टूर्नामेंट को बेहतर माना जाता है।
कारण (R) : इसमें सक्षम टीम जीतती है।
(A) अभिकथन (A) सही, कारण (R) गलत है
(B) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
(C) अभिकथन (A) गलत, कारण (R) सही है
(D) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं
उत्तर – (B) अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
14. भुजंगासन का अर्थ क्या है?
उत्तर – भुजंगासन (Cobra Pose) एक योगासन है जिसमें शरीर की मुद्रा साँप के फन की तरह उठी होती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने, पीठ की मांसपेशियों को सक्रिय करने और शरीर के लचीलापन बढ़ाने में लाभकारी है।
15. नॉक-आउट टूर्नामेंट क्या है?
उत्तर – नॉक-आउट टूर्नामेंट वह प्रतियोगिता है जिसमें हारने वाली टीम या खिलाड़ी तुरंत बाहर हो जाता है और जीतने वाली टीम अगले दौर में बढ़ती है। यह प्रक्रिया अंतिम विजेता के घोषित होने तक चलती है। यह प्रतियोगिता तेज होती है, लेकिन इसमें जोखिम होता है कि एक मजबूत टीम भी शुरुआती दौर में बाहर हो सकती है।
16. गति के नियमों का वर्णन करें।
उत्तर – गति के नियम (न्यूटन के गति के नियम) खेलों और शारीरिक गतिविधियों में बल, त्वरण और गति के संबंध को समझने में महत्वपूर्ण हैं :
(i) प्रथम नियम (जड़त्व का नियम) – कोई वस्तु अपनी स्थिति या गति में तब तक बनी रहती है जब तक उस पर बाहरी असंतुलित बल न लगे।
(ii) द्वितीय नियम (बल/संवेग का नियम) – किसी वस्तु पर लगाया गया बल उसके द्रव्यमान और उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है। सूत्र: F = ma
(iii) तृतीय नियम (क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम) – प्रत्येक क्रिया के लिए समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
अथवा
शरीर क्रिया-विज्ञान को परिभाषित करें।
उत्तर – शरीर क्रिया-विज्ञान (Physiology) जीव विज्ञान की वह शाखा है जो जीवित प्राणियों के कार्यों का अध्ययन करती है। शारीरिक शिक्षा में यह अध्ययन करता है कि व्यायाम और गतिविधियों के दौरान मानव शरीर के अंग, तंत्र और कोशिकाएँ कैसे कार्य करते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं। इससे प्रशिक्षण के प्रभाव, स्वास्थ्य और फिटनेस को समझने में मदद मिलती है।
17. प्राथमिक चिकित्सा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) उस तत्काल और प्रारंभिक देखभाल को कहते हैं जो किसी चोट या बीमारी के तुरंत बाद घायल या बीमार व्यक्ति को दी जाती है। इसका उद्देश्य जीवन बचाना, स्थिति बिगड़ने से रोकना और पेशेवर चिकित्सा सहायता आने तक सुधार करना है। इसमें छोटे घावों की सफाई, पट्टी बांधना और आपातकाल में सीपीआर जैसी तकनीकें शामिल होती हैं, और यह किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है।
अथवा
खेल पोषण क्या है?
उत्तर – खेल पोषण (Sports Nutrition) वह विज्ञान है जो एथलीटों और शारीरिक रूप से सक्रिय व्यक्तियों के लिए सही आहार और पोषक तत्वों के सेवन का अध्ययन करता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा प्रदान करना, प्रदर्शन सुधारना, थकान कम करना और प्रशिक्षण तथा खेल के बाद शरीर की ठीक होने में मदद करना है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिजों का संतुलित सेवन सुनिश्चित किया जाता है।
18. आइसोकाइनेटिक व्यायाम क्या हैं?
उत्तर – आइसोकाइनेटिक व्यायाम वे व्यायाम हैं जिनमें मांसपेशियाँ या जोड़ अपनी पूरी गति सीमा में एक समान गति और अधिकतम प्रतिरोध के साथ काम करते हैं। इन्हें विशेष मशीनों (जैसे आइसोकाइनेटिक डायनेमोमीटर) द्वारा किया जाता है। यह व्यायाम मांसपेशियों की शक्ति, सहनशीलता, लचीलापन और चोट से जल्दी उबरने में मदद करता है, साथ ही खेल प्रदर्शन को सुधारने में भी प्रभावी है।
19. स्कोलियोसिस विकृति का वर्णन करें।
उत्तर – स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी की वह विकृति है जिसमें रीढ़ पार्श्व रूप से मुड़कर ‘S’ या ‘C’ आकार की हो जाती है। इससे कंधे और कूल्हे असमान दिख सकते हैं और शरीर झुक सकता है। गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है। यह जन्मजात, मांसपेशियों या तंत्रिका की समस्या से हो सकती है, लेकिन अक्सर इसका कारण अज्ञात होता है। उपचार में व्यायाम, ब्रेस (Bracing) या गंभीर मामलों में सर्जरी शामिल होती है।
20. इंट्राम्यूरल गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर – इंट्राम्यूरल गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य छात्रों में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य और फिटनेस सुधारना और सभी छात्रों को खेलों और गतिविधियों में भाग लेने का अवसर देना है। यह नेतृत्व, टीम वर्क और खेल भावना जैसे गुणों को विकसित करता है, छात्रों का आत्मविश्वास और व्यक्तित्व बढ़ाता है, तथा उन्हें रचनात्मक और मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर भी प्रदान करता है। इससे छात्रों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास में संतुलन आता है।
21. बी० एम० आई० की गणना करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर – बी० एम० आई० की गणना करने का सूत्र है :
BMI = W/H² = वजन/ऊँचाई²
जहाँ W = वजन (किलोग्राम) और H = ऊँचाई (मीटर) है।
BMI (Body Mass Index) शरीर में वसा का अनुमान लगाने और स्वास्थ्य स्थिति (अतिवजन, सामान्य वजन या कम वजन) को जानने में मदद करता है।
22. बाल्यावस्था के दौरान विकास की विशेषताओं की व्याख्या करें।
उत्तर – बाल्यावस्था (लगभग 6-12 वर्ष) के दौरान विकास की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
• शारीरिक विकास – इस अवधि में बच्चे तेजी से बढ़ते हैं। हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, शरीर का संतुलन और समन्वय बेहतर होता है, और मोटर कौशल जैसे दौड़ना, कूदना, पकड़ना और थ्रो करना विकसित होते हैं।
• मानसिक विकास – बच्चों की सोचने, समझने और समस्या सुलझाने की क्षमता बढ़ती है। ध्यान और स्मरण शक्ति मजबूत होती है, और वे नई चीज़ें सीखने और समझने में अधिक सक्षम होते हैं।
• सामाजिक और भावनात्मक विकास – इस समय बच्चों में आत्म-विश्वास, सहयोग और नेतृत्व जैसी क्षमताएँ विकसित होती हैं। वे मित्रता, समूह में काम करना और सामाजिक नियमों का पालन करना सीखते हैं। भावनाओं को व्यक्त करना और दूसरों के साथ सामंजस्य बनाए रखना भी इस अवधि की खास विशेषता है।
अथवा
खेलों में मनोविज्ञान की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर – खेलों में मनोविज्ञान की भूमिका :
(i) प्रदर्शन में सुधार – खेल मनोविज्ञान मानसिक तकनीकों जैसे विज़ुअलाइज़ेशन और सकारात्मक आत्म‑चर्चा से खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है और शारीरिक कौशल और मानसिक क्षमता का समन्वय मजबूत करता है।
(ii) तनाव और दबाव का प्रबंधन – यह खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं के दौरान चिंता और दबाव से निपटने की रणनीतियाँ सिखाता है, जिससे वे शांत और केंद्रित रह पाते हैं।
(iii) आत्मविश्वास और प्रेरणा – खेल मनोविज्ञान आत्मविश्वास बढ़ाता है और खिलाड़ियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
(iv) एकाग्रता और फोकस – यह खिलाड़ियों को वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना सिखाता है, जिससे खेल के दौरान ध्यान भटकने से बचा जा सके।
(v) मानसिक स्वास्थ्य – खेल मनोविज्ञान मानसिक तनाव, अवसाद और चिंता को नियंत्रित करने में मदद करता है।
(vi) टीम और चयन प्रक्रिया – यह टीम के संचार, सामंजस्य और प्रदर्शन को सुधारने में मदद करता है और कोचों को खिलाड़ियों के चयन में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
23. मधुमेह रोग क्या है? संक्षेप में लिखें।
उत्तर – मधुमेह (Diabetes Mellitus) एक दीर्घकालिक रोग है जिसमें शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी या प्रभावहीनता के कारण रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। इंसुलिन रक्त शर्करा को कोशिकाओं तक पहुंचाकर ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। जब इंसुलिन काम नहीं करता, तो ग्लूकोज रक्त में जमा रहता है, जिससे रक्त शर्करा बढ़ जाती है। इसके सामान्य लक्षणों में अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान, धुंधली दृष्टि और वजन में बदलाव शामिल हैं। समय के साथ उच्च रक्त शर्करा आंखों, गुर्दे, नसों और हृदय को प्रभावित कर सकती है। उचित आहार, नियमित व्यायाम और चिकित्सकीय देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
अथवा
गोल कंथों के क्या कारण हैं?
उत्तर – गोल कंधों का मुख्य कारण गलत मुद्रा है, खासकर जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक झुककर काम करता है या मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन की ओर झुका रहता है। इसके साथ ही छाती और ऊपरी पीठ की मांसपेशियों में असंतुलन कंधों को आगे की ओर खींच देता है। आधुनिक जीवनशैली में डेस्क पर लगातार बैठना, स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करना और व्यायाम के दौरान छाती के अभ्यास तो ज्यादा लेकिन पीठ के अभ्यास कम करना इस समस्या को और बढ़ा देता है। तनाव की स्थिति में व्यक्ति स्वाभाविक रूप से कंधे सिकोड़ने लगता है, और कुछ लोगों में आनुवंशिक कारण भी गोल कंधों के विकास में योगदान करते हैं।
24. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शारीरिक गतिविधियाँ किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर – विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शारीरिक गतिविधियाँ उनकी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सेहत को कई स्तरों पर बेहतर बनाती हैं। नियमित गतिविधियाँ मांसपेशियों की ताकत, शरीर के समन्वय, संतुलन और लचीलेपन को बढ़ाती हैं, साथ ही हृदय की कार्यक्षमता सुधारकर मोटापे के खतरे को कम करती हैं। मानसिक रूप से ये गतिविधियाँ आत्म-विश्वास बढ़ाती हैं, तनाव और चिंता को कम करती हैं तथा ध्यान और एकाग्रता की क्षमता को मजबूत बनाती हैं। सामाजिक रूप से यह बच्चों को दूसरों के साथ संवाद करना, सहयोग करना और समूह में कार्य करना सिखाती हैं, जिससे उनके सामाजिक कौशल स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं।
25. योग के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर – योग स्वस्थ, संतुलित और जागरूक जीवन जीने की एक प्राचीन भारतीय कला और विज्ञान है। ‘योग’ शब्द संस्कृत धातु ‘युज’ से बना है, जिसका अर्थ है जुड़ना, जोड़ना या एकत्व स्थापित करना। योग शास्त्रों के अनुसार, योग का अभ्यास व्यक्तिगत चेतना को सार्वभौमिक चेतना से जोड़ता है, जिससे मन, शरीर और प्रकृति के बीच पूर्ण सामंजस्य स्थापित होता है। नियमित योगाभ्यास शारीरिक शक्ति, लचीलेपन और संतुलन को बढ़ाता है, मानसिक शांति और एकाग्रता विकसित करता है, तथा व्यक्ति को भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से अधिक मजबूत बनाता है। इसलिए योग को संपूर्ण स्वास्थ्य, तनाव-नियंत्रण और जीवन-उन्नति का अत्यंत प्रभावी माध्यम माना जाता है।
26. लीग टूर्नामेंट क्या है?
उत्तर – लीग टूर्नामेंट एक ऐसा खेल प्रारूप है जिसमें प्रत्येक टीम या खिलाड़ी सभी अन्य टीमों के खिलाफ मैच खेलते हैं, और इन मैचों के परिणामों के आधार पर अंक तालिका बनती है, जिससे अंत में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम विजेता घोषित होती है। इस प्रणाली का लाभ यह है कि सभी टीमों को बराबरी के अवसर मिलते हैं, वे अपने खेल कौशल को कई मैचों के माध्यम से दिखा पाती हैं और नियमित मुकाबलों के कारण दर्शकों की रुचि भी लंबे समय तक बनी रहती है। हालांकि, लीग टूर्नामेंट का आयोजन बहुत लंबा हो सकता है क्योंकि हर टीम को कई मैच खेलने होते हैं, जिससे खिलाड़ियों में थकान बढ़ सकती है और कुछ दर्शक इसे कम रोमांचक महसूस कर सकते हैं, क्योंकि अंतिम परिणाम तक पहुँचने में अधिक समय लगता है।
27. गामक विकास क्या है?
उत्तर – गामक विकास से तात्पर्य बालक की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के समन्वित कार्य द्वारा शारीरिक गतिविधियों पर नियंत्रण प्राप्त करने की प्रक्रिया से है। जन्म के बाद बच्चा हाथ-पैर चलाने से लेकर बैठने, खड़े होने, चलने और दौड़ने जैसी गतिविधियों में क्रमिक प्रगति करता है, जो इसी विकास का हिस्सा है। गामक विकास में शक्ति, संतुलन, गति और अंगों के संचालन की क्षमता का विकास शामिल होता है। यह दो प्रकार का होता है: स्थूल गामक कौशल (जैसे दौड़ना, कूदना) और सूक्ष्म गामक कौशल (जैसे लिखना, पकड़ना, बटन लगाना)। इससे बच्चा अपने शरीर को अधिक नियंत्रित, संतुलित और प्रभावी ढंग से चलाना सीखता है, जो उसके समग्र शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
28. व्यायाम का मांसपेशी संस्थान पर प्रभाव स्पष्ट करें।
उत्तर – व्यायाम का मांसपेशियों पर प्रभाव :
(i) शक्ति और सहनशक्ति में वृद्धि – नियमित व्यायाम मांसपेशी कोशिकाओं की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है, जिससे मांसपेशियों की ताकत, कार्यकुशलता और सहनशक्ति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है।
(ii) मांसपेशियों की मरम्मत और मजबूती – तीव्र व्यायाम के दौरान मांसपेशी तंतुओं में सूक्ष्म-चोटें आती हैं, जिनकी मरम्मत के दौरान मांसपेशियाँ और अधिक मोटी, मजबूत और सक्षम बन जाती हैं। इसी प्रक्रिया को हाइपरट्रॉफी कहा जाता है।
(iii) लचीलापन और संतुलन में सुधार – व्यायाम से मांसपेशियों और जोड़ों में नियंत्रित खिंचाव आता है, जिससे लचीलापन बढ़ता है, गति-सीमा सुधरती है तथा चोट लगने की संभावना कम होती है। यह जोड़ों के आसपास की संरचनाओं को मजबूत कर शरीर के संतुलन में भी सुधार करता है।
(iv) रक्त परिसंचरण में वृद्धि – व्यायाम हृदय और रक्त वाहिकाओं को अधिक सक्रिय बनाता है, जिससे मांसपेशियों तक ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्व अधिक मात्रा में पहुँचते हैं, परिणामस्वरूप उनकी कार्यक्षमता और पुनर्प्राप्ति क्षमता दोनों बढ़ती हैं।
(v) विषैले पदार्थों के निष्कासन और चयापचय में सुधार – व्यायाम पसीने के माध्यम से शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही यह कंकाल मांसपेशियों में चयापचय प्रक्रियाओं को सक्रिय करता है, जिससे थकान कम होती है और मांसपेशियाँ अधिक समय तक कार्य करने में सक्षम रहती हैं।
अथवा
खेलों में प्रशिक्षण के महत्त्व को विस्तार से लिखें।
उत्तर – खेल प्रशिक्षण का महत्त्व :
(i) शारीरिक क्षमता का विकास – नियमित प्रशिक्षण से खिलाड़ी की शक्ति, सहनशक्ति, गति, लचीलापन और समन्वय में निरंतर सुधार होता है। यह शरीर को अधिक सक्षम बनाता है, जिससे खिलाड़ी लंबी अवधि तक थकान के बिना उच्च स्तर पर प्रदर्शन कर पाता है।
(ii) कौशल और तकनीक में निपुणता – प्रशिक्षण खिलाड़ियों को खेल-विशेष तकनीकें, नियम, चालें, और कौशल का सही प्रयोग सिखाता है। नियमित अभ्यास से उनका कौशल परिष्कृत होता जाता है, जिससे वे प्रतियोगिता में अधिक सटीक और प्रभावी प्रदर्शन कर सकें।
(iii) मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास – प्रशिक्षण मानसिक रूप से खिलाड़ी को मजबूत बनाता है। यह तनाव, दबाव और चिंता से निपटने की क्षमता विकसित करता है और कठिन परिस्थितियों में भी शांत व केंद्रित रहने में मदद करता है। लगातार सुधार होने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
(iv) चोटों की रोकथाम – सही तरीके से किया गया प्रशिक्षण वार्म-अप, स्ट्रेचिंग और मांसपेशी सुदृढ़ीकरण पर जोर देता है। इससे मांसपेशियाँ और जोड़ मजबूत होते हैं, शरीर लचीला बनता है और खेल गतिविधियों के दौरान चोट लगने की संभावनाएँ काफी कम हो जाती हैं।
(v) रणनीतिक एवं सामरिक समझ का विकास – प्रशिक्षण खिलाड़ियों को खेल की रणनीतियों, विरोधियों की चालों और सही समय पर निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है। इससे खिलाड़ी खेल की परिस्थिति को बेहतर समझकर सही सामरिक कदम उठाता है।
(vi) अनुशासन, सहयोग और खेल भावना का निर्माण – प्रशिक्षण नियमितता, समय-पालन, अनुशासन और टीम वर्क की भावना को बढ़ाता है। साथ ही यह ईमानदारी, नियमों का पालन, जीत और हार दोनों को स्वीकार करने जैसी खेल भावना को भी मजबूत करता है।
29. सहनक्षमता को विकसित करने के उपाय सुझाएँ।
उत्तर – सहनक्षमता को विकसित करने के उपाय :
(i) एरोबिक व्यायाम का नियमित अभ्यास – दौड़ना, तेज चाल, साइक्लिंग, तैराकी या जम्पिंग जैसे एरोबिक व्यायाम हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। ये व्यायाम शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुधारकर मांसपेशियों को अधिक समय तक कार्य करने योग्य बनाते हैं, जिससे सहनक्षमता स्वाभाविक रूप से बढ़ती है।
(ii) इंटरवल ट्रेनिंग का उपयोग – तेज और धीमी गति वाले व्यायाम को निश्चित अंतराल पर बदल-बदलकर करना (Interval Training) शरीर पर नियंत्रित दबाव डालता है। इससे हृदय–तंत्र और मांसपेशियाँ अधिक मेहनत सहने की अभ्यस्त हो जाती हैं, परिणामस्वरूप स्टैमिना तेजी और प्रभावी तरीके से विकसित होता है।
(iii) लंबी अवधि का कम तीव्रता वाला अभ्यास – मध्यम गति से लंबे समय तक दौड़ना, जॉगिंग करना या साइक्लिंग करना शरीर को निरंतर कार्य करने की क्षमता प्रदान करता है। यह प्रशिक्षण मांसपेशियों में धैर्य, ताकत और ऊर्जा का बेहतर उपयोग विकसित करता है, जिससे थकान देर से महसूस होती है।
(iv) संतुलित आहार और पर्याप्त जल सेवन – कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं, जबकि प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। पानी शरीर को हाइड्रेटेड रखकर कार्यक्षमता बनाए रखता है। सही पोषण और जल सेवन शरीर को लगातार ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे सहनक्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है।
(v) नियमितता और क्रमिक प्रगति – सहनक्षमता धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए निरंतर अभ्यास और धीरे-धीरे प्रशिक्षण की अवधि तथा तीव्रता बढ़ाना आवश्यक है। नियमितता शरीर को अनुकूलित करती है, जिससे स्टैमिना स्थायी रूप से विकसित होता है और खिलाड़ी अधिक समय तक बिना थके प्रदर्शन कर पाता है।
अथवा
अस्थि-भंग के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर – अस्थि-भंग (हड्डी टूटना) तब होता है जब हड्डी अपनी सहन-सीमा से अधिक दबाव, आघात या कमजोरी का सामना करती है। इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं :
(i) अत्यधिक बाहरी आघात – सड़क दुर्घटनाएँ, तेज टक्कर, ऊँचाई से गिरना या खेलों में अचानक जोरदार संपर्क हड्डी पर तीव्र बल डालते हैं, जिससे वह तुरंत टूट सकती है। ऐसे आघात शरीर को प्रतिक्रिया का समय नहीं देते, इसलिए चोट अधिक गंभीर हो जाती है।
(ii) अत्यधिक भार या गलत मोड़ – अचानक भारी वजन उठाने, शरीर का गलत दिशा में मुड़ जाना या तेज खिंचाव आने पर हड्डी पर असामान्य दबाव पड़ता है, जिससे उसकी संरचना टूटने लगती है। यह कारण विशेषकर श्रमिकों और खिलाड़ियों में आम होता है।
(iii) हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस) – बढ़ती उम्र, हार्मोनल परिवर्तन और कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियाँ कमजोर व भंगुर हो जाती हैं, जिससे बहुत हल्के झटके पर भी फ्रैक्चर हो सकता है। इस स्थिति में हड्डी का खनिज घनत्व लगातार घटता रहता है।
(iv) पोषण की कमी – कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन-D की दीर्घकालिक कमी हड्डियों की मजबूती को काफी कम कर देती है, जिससे वे साधारण दैनिक गतिविधियों में भी अधिक संवेदनशील होकर टूटने लगती हैं। संतुलित पोषण की कमी बच्चों और बुजुर्गों दोनों में जोखिम बढ़ाती है।
(v) चिकित्सीय एवं रोगजन्य कारण – हड्डियों में होने वाले संक्रमण, ट्यूमर, हार्मोनल असंतुलन और अन्य दीर्घकालिक बीमारियाँ हड्डियों की संरचना को अंदर से क्षतिग्रस्त कर देती हैं, जिसके कारण पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर बिना किसी बड़े आघात के भी हो सकते हैं।
(vi) स्ट्रेस फ्रैक्चर – लगातार दौड़ना, कूदना या एक ही हड्डी पर बार-बार दबाव पड़ने से उसमें सूक्ष्म दरारें बन जाती हैं, जिन्हें स्ट्रेस फ्रैक्चर कहा जाता है। ये समस्या अक्सर खिलाड़ियों, सैनिकों और अधिक शारीरिक मेहनत वाले लोगों में दिखाई देती है।
30. प्रशिक्षण के दौरान अतिभार और अनुकूलन में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर – प्रशिक्षण के दौरान अतिभार और अनुकूलन खेल विज्ञान के दो अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथा परस्पर आश्रित सिद्धांत हैं। अतिभार (Overload) वह स्थिति है जिसमें खिलाड़ी अपनी सामान्य कार्यक्षमता से अधिक भार, तीव्रता या अवधि वाला प्रशिक्षण करता है, जिससे शरीर पर अतिरिक्त शारीरिक और जैविक तनाव उत्पन्न होता है। यह बढ़ा हुआ तनाव शरीर के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरता है, जिसे पूरा करने के लिए वह अपनी ऊर्जा प्रणालियों, मांसपेशियों, हड्डियों और हृदय-श्वसन तंत्र पर अधिक प्रभावी ढंग से काम करने को मजबूर होता है। परिणामस्वरूप शरीर में अनुकूलन (Adaptation) की प्रक्रिया आरंभ होती है, जिसमें मांसपेशियों का विकास, शक्ति और सहनशक्ति में वृद्धि, हृदय-फेफड़ों की क्षमता में सुधार तथा तंत्रिका-समन्वय का उन्नयन शामिल होता है। अनुकूलन शरीर द्वारा प्रशिक्षण की बढ़ी हुई मांगों के अनुसार स्वयं को ढालने और भविष्य में उस भार को अधिक दक्षता से वहन करने की क्षमता प्रदान करता है। अतिभार के बिना शरीर में कोई सुधार या विकास शुरू नहीं होता, वहीं अनुकूलन के बिना प्रदर्शन में वृद्धि संभव नहीं है। इस कारण अतिभार अनुकूलन का प्रमुख उत्प्रेरक (Stimulus) माना जाता है और अनुकूलन प्रशिक्षण की प्रभावशीलता का प्रत्यक्ष परिणाम। इस प्रकार दोनों सिद्धांत मिलकर खिलाड़ी की क्षमता, प्रदर्शन और फिटनेस को स्थायी रूप से उन्नत करते हैं, जो किसी भी खेल प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता का आधार होते हैं।
अथवा
शारीरिक पुष्टि को प्रभावित करने वाले कारणों का वर्णन करें।
उत्तर – शारीरिक पुष्टि को प्रभावित करने वाले कारण :
(i) अनुवांशिकता – माता-पिता से प्राप्त गुण शरीर की ऊँचाई, हड्डियों की बनावट, मांसपेशियों की क्षमता और शारीरिक संरचना निर्धारित करते हैं। यह शारीरिक पुष्टि का सबसे प्रमुख आधार होता है और जन्मजात विशेषताएँ विकास की सीमा तय करती हैं।
(ii) पोषण – संतुलित और पौष्टिक आहार शरीर को वृद्धि, ऊतक निर्माण और ऊर्जा के लिए आवश्यक तत्व प्रदान करता है। पोषण की कमी से हड्डियाँ, मांसपेशियाँ और अंग कमजोर हो जाते हैं, जिससे शारीरिक पुष्टि प्रभावित होती है।
(iii) व्यायाम और शारीरिक गतिविधि – नियमित व्यायाम मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाता है। खेल-कूद, योग और फिटनेस गतिविधियाँ शरीर की आकृति को संतुलित, आकर्षक और स्थायी बनाती हैं।
(iv) स्वास्थ्य स्थिति – लंबी बीमारियाँ, संक्रमण या हार्मोनल असंतुलन शरीर की वृद्धि दर को धीमा कर देते हैं। स्वस्थ शरीर में पोषक तत्वों का प्रभाव अधिक होता है, जिससे शारीरिक पुष्टि बेहतर होती है।
(v) हार्मोन का प्रभाव – वृद्धि हार्मोन, थायरॉयड हार्मोन और यौन हार्मोन शरीर की ऊँचाई, मांसपेशियों की शक्ति और चयापचय को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन संतुलन सही होने पर शरीर सुडौल और मजबूत बनता है।
(vi) नींद और विश्राम – पर्याप्त नींद शरीर में वृद्धि हार्मोन के स्राव को बढ़ाती है। नींद शरीर की मरम्मत, ऊर्जा पुनःपूर्ति और विकास को सक्रिय करती है, जिससे शारीरिक पुष्टि में सुधार होता है।
(vii) मानसिक तनाव – अत्यधिक तनाव हार्मोन संतुलन को बिगाड़कर भूख, नींद और ऊर्जा को कम करता है। मानसिक दबाव लंबे समय तक शारीरिक विकास और मांसपेशियों की वृद्धि को प्रभावित करता है।
(viii) पर्यावरणीय और जीवनशैली कारक – स्वच्छ वातावरण, उचित जलवायु, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और संतुलित जीवनशैली शरीर के विकास और संरचना को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। अस्वच्छ वातावरण, प्रदूषण और अनुचित दिनचर्या शारीरिक पुष्टि को कमजोर कर सकते हैं।