HBSE Class 12 Home Science Question Paper 2024 Answer Key

Haryana Board (HBSE) Class 12 Home Science Question Paper 2024 with a fully solved answer key. Students can use this HBSE Class 12 Home Science Solved Paper to match their responses and understand the question pattern. This BSEH Home Science Answer Key 2024 is based on the latest syllabus and exam format to support accurate preparation and revision for the board exams.

HBSE Class 12 Home Science Question Paper 2024 Answer Key

1. इंसान सफल होता है ……………
(A) कड़ी मेहनत से
(B) समय का पाबंद होने से
(C) प्रतिभा होने से
(D) इन सभी से
उत्तर – (D) इन सभी से

2. …………. समाज के ग्रामीण, दूरदराज और वंचित वर्गों की कभी नामांकित नहीं होने वाली और स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को आवासीय विद्यालयों में प्रारंभिक स्तर तक स्कूली शिक्षा में लाने की एक योजना है।
(A) ICDS
(B) ICMR
(C) DFID
(D) KGBV
उत्तर – (D) KGBV (कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय)

3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक कारक है जो भोजन की भंडारण स्थिरता को प्रभावित करता है?
(A) कच्चे माल का प्रकार
(B) प्रयुक्त कच्चे माल की गुणवत्ता
(C) पैकेजिंग की विधि और प्रभावशीलता
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (D) उपर्युक्त सभी

4. कपड़े की देखभाल और रख-रखाव में शामिल है :
(A) गंदगी हटाना
(B) दाग हटाना
(C) परिष्करण प्रक्रिया
(D) ये सभी
उत्तर – (D) ये सभी

5. कपड़ों से सिलवटें हटाने और तह बनाने के लिए क्या करना होगा?
(A) रंगाई
(B) धुलाई
(C) प्रेस
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (C) प्रेस

6. PR का अर्थ है :
(A) Principal Reaction (प्रमुख संबंध)
(B) Public Reaction (जनसंपर्क)
(C) People Reaction (लोगों का रिश्ता)
(D) Press Relation (प्रेस संबंध)
उत्तर – (B) Public Reaction (जनसंपर्क)

7. ज्योति एक बेकरी की मालिक है और वह हर दिन अपने काम में जोखिम भरे फैसले लेती थी। ज्योति एक …………… है।
उत्तर – उद्यमी (Entrepreneur)

8. दूध को खट्टा होने से बचाने के लिए लुई पाश्चर ने …………… प्रक्रिया का आविष्कार किया था।
उत्तर – पाश्चुरीकरण

9. …………. और …………., निगमित संप्रेषण समूह के दो प्रकार हैं।
उत्तर – आंतरिक और बाह्य संप्रेषण

10. कच्चे माल को तैयार और अर्द्ध-तैयार उत्पादों में बदलने के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों और तकनीकों को क्या कहा जाता है?
उत्तर – विनिर्माण प्रक्रिया

11. सरकार ने किस वर्ष वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय नीति अपनाई?
उत्तर – 1999 में

12. तृतीयक रंग योजना में कितने रंग मौजूद होते हैं?
उत्तर – छः

13. अभिकथन (A) : पोषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर द्वारा भोजन ग्रहण किया जाता है, उपयोग में लाया जाता है।
कारण (R) : पोषण, भोजन खाने के सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक पहलुओं से संबंधित नहीं है।
(A) (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(B) (A) और (R) दोनों सत्य हैं लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(C) (A) सत्य है और (R) असत्य है।
(D) (A) असत्य है और (R) सत्य है।
उत्तर – (C) (A) सत्य है और (R) असत्य है।

14. अभिकथन (A) : अतिथि चक्र होटल में आने से पहले ही शुरू हो जाता है।
कारण (R) : कमरे का आरक्षण और दर निर्धारण आगमन पूर्व चरण में होता है।
(A) (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(B) (A) और (R) दोनों सत्य हैं लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(C) (A) सत्य है और (R) असत्य है।
(D) (A) असत्य है और (R) सत्य है।
उत्तर – (A) (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।

15. अभिकथन (A) : उपभोक्ता संगठन जैसे एनजीओ, व्यवसाय की खराब प्रथाओं के खिलाफ नियंत्रण और संतुलन सुनिश्चित करते हैं।
कारण (R) : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 ने ऐसे संगठन को कानूनी अधिकार दिए।
(A) (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(B) (A) और (R) दोनों सत्य हैं लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(C) (A) सत्य है और (R) असत्य है।
(D) (A) असत्य है और (R) सत्य है।
उत्तर – (A) (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।

16. आहार विशेषज्ञ की दो भूमिकाएँ लिखिए।
उत्तर – (i) व्यक्तिगत पोषण योजना बनाना
(ii) जन-स्वास्थ्य और सामुदायिक शिक्षा को बढ़ावा देना

अथवा

उपचारात्मक आहार के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर – (i) रोग की स्थिति को सुधारना और उसे नियंत्रण में रखना
(ii) रोगी की आवश्यकताओं और सहनशीलता के अनुसार आहार को संशोधित करना

17. आई० सी० डी० एस० (ICDS) के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर – (i) 6 वर्ष के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना
(ii) बच्चों के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना

18. हमें भोजन को संसाधित करने और संरक्षित करने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर – (i) भोजन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने और उसे खराब होने से बचाने के लिए।
(ii) सूक्ष्म जीवों (बैक्टीरिया, फफूंद आदि) की वृद्धि को रोककर भोजन की गुणवत्ता और पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए।

19. FSSAI पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर – FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) भारत सरकार की संस्था है जो खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानक तय करती है। इसका उद्देश्य सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करना, नियम बनाना, व्यवसायों को लाइसेंस देना और जनता में जागरूकता फैलाना है।

20. कपड़े की देखभाल और रख-रखाव के दो पहलू क्या है?
उत्तर – (i) सामग्री को भौतिक क्षति से बचाना
(ii) धुलाई या उपयोग के दौरान होने वाले दागों को हटाकर उसके रूप, रंग और बनावट को बनाए रखना।

अथवा

बाजार में उपलब्ध वाशिंग मशीनों के प्रकारों को वर्गीकृत करें।
उत्तर – (i) सेमी-ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन
(ii) फुली ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन

21. अतिथि चक्र क्या है? इसके चरणों के नाम बताइए।
उत्तर – अतिथि चक्र एक प्रक्रिया है जो आतिथ्य उद्योग में मेहमान के होटल में आगमन से लेकर प्रस्थान तक की पूरी यात्रा को दर्शाती है। इसका उद्देश्य प्रत्येक चरण में अतिथि को संतुष्ट करना और बेहतर अनुभव प्रदान करना है। इसके मुख्य चार चरण हैं: आगमन से पहले, आगमन, अधिभोग (प्रवास) और प्रस्थान।

22. आहार चिकित्सा को परिभाषित करें। नियमित एवं संशोधित आहार के बीच अंतर लिखिए।
उत्तर – आहार चिकित्सा एक विशेष प्रकार का पोषण उपचार है, जिसमें विभिन्न रोगों के प्रबंधन या उपचार के लिए आहार और पोषण में विशेष परिवर्तन किए जाते हैं।
नियमित आहार वह होता है जो स्वस्थ व्यक्तियों की दैनिक पोषण आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके विपरीत, संशोधित आहार किसी रोगी की विशेष चिकित्सीय आवश्यकताओं के अनुसार नियमित आहार का परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन पोषक तत्वों की मात्रा, भोजन की बनावट, या किसी एलर्जी/रोग के आधार पर किया जा सकता है। इस प्रकार, आहार चिकित्सा में भोजन को रोगी की स्थिति के अनुरूप अनुकूलित किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार और रोग का नियंत्रण संभव हो सके।

23. किन्हीं दो पदों की व्याख्या करें :
(i) खाद्य विषाक्तता
उत्तर – खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) वह स्थिति है जब दूषित या अशुद्ध भोजन खाने से शरीर में संक्रमण या विषाक्त प्रभाव उत्पन्न होते हैं, जिससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यह आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या विषैले रसायनों के कारण होता है।

(ii) खाद्य संरक्षण
उत्तर – खाद्य संरक्षण (Food Preservation) वह प्रक्रिया है जिसमें भोजन को सड़ने और पोषण ह्रास से बचाकर सुरक्षित रखा जाता है। इसका उद्देश्य भोजन का स्वाद, रंग और पोषण बनाए रखना है। इसके लिए शीतकरण, सुखाना, अचार, कैनिंग और वैक्यूम पैकिंग जैसे तरीके अपनाए जाते हैं।

(iii) खाद्य सुरक्षा
उत्तर – खाद्य सुरक्षा (Food Security) का अर्थ है कि हर व्यक्ति को किसी भी समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो, जिससे उसकी भूख मिटे और स्वास्थ्य सुरक्षित रहे। इसमें भोजन की उपलब्धता, पहुंच और पोषण गुणवत्ता शामिल होती है। इसे सुनिश्चित करने के लिए उत्पादन, वितरण और भंडारण की सही व्यवस्था की जाती है।

अथवा

निम्न के पूर्ण रूप लिखिए :
(i) HACCP
उत्तर – Hazard Analysis and Critical Control Points

(ii) WTQ
उत्तर – Weighted Triple Quality

(iii) ISO
उत्तर – International Organization for Standardization

(iv) NNP
उत्तर – Net National Product

(v) FAMS
उत्तर – Food Analysis and Management System

(vi) GMP
उत्तर – Good Manufacturing Practice

24. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) का मतलब जन्म से लेकर 8 साल की उम्र तक के बच्चों की देखभाल, पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा से है, जो उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास की मजबूत नींव रखता है। यह बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए खेल-आधारित और छात्र-केंद्रित गतिविधियों का उपयोग करता है। इस दौरान बच्चों को नए अनुभव और सीखने के अवसर मिलते हैं, जो उनके सामाजिक कौशल और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाते हैं। साथ ही, यह उन्हें जीवनभर सीखने और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।

अथवा

ECCE के मुख्य सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर – ECCE (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा) के मुख्य सिद्धांत हैं बाल-केंद्रित दृष्टिकोण, खेल के माध्यम से सीखना, समग्र विकास पर जोर और विकासात्मक रूप से उपयुक्त अभ्यास (DAP)। इन सिद्धांतों का उद्देश्य बच्चों के शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को सुरक्षित, पोषणकारी और प्रेरक वातावरण में बढ़ावा देना है। यह बच्चों की रचनात्मकता, आत्म-विश्वास और जीवनभर सीखने की रुचि को भी प्रोत्साहित करता है। साथ ही, ये सिद्धांत उन्हें अपनी क्षमताओं के अनुसार स्वतंत्रता और निर्णय लेने का अनुभव देने में मदद करते हैं।

25. SOS बाल ग्राम पर एक नोट लिखें।
उत्तर – SOS बाल ग्राम एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो अनाथ और जरूरतमंद बच्चों को सुरक्षित, प्यार भरा और स्थायी घर प्रदान करता है। यहाँ बच्चों की देखभाल, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक विकास का पूरा ध्यान रखा जाता है। SOS बाल ग्राम का उद्देश्य बच्चों को एक परिवार का माहौल देना और उन्हें समाज में आत्म-निर्भर और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए तैयार करना है। इसके अलावा, यह बच्चों में आत्म-सम्मान, सामाजिक कौशल और रचनात्मक प्रतिभा को भी विकसित करता है, ताकि वे भावी चुनौतियों का सामना साहस और आत्मविश्वास के साथ कर सकें। SOS बाल ग्राम बच्चों के सर्वांगीण विकास और खुशहाल जीवन के लिए समर्पित एक सुरक्षित एवं पोषणकारी संस्था है।

26. फैशन चक्र क्या है? फैशन चक्र के विभिन्न चरणों के नाम बताइए।
उत्तर – फैशन चक्र वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोई फैशन शैली अपनी शुरुआत से लेकर अंत तक लोकप्रियता के चक्रीय पथ से गुजरती है। इस चक्र के पाँच मुख्य चरण हैं: परिचय, वृद्धि, शिखर, पतन और अप्रचलन। ये चरण दिखाते हैं कि कैसे एक नया डिज़ाइन बाजार में आता है, धीरे-धीरे लोगों में लोकप्रिय होता है, चरम पर पहुँचकर अपनाया जाता है और अंततः समय के साथ पुराना होकर अप्रचलित हो जाता है। फैशन चक्र यह भी स्पष्ट करता है कि बाजार और उपभोक्ता की रुचियाँ समय के साथ बदलती रहती हैं।

27. विकास संचार क्या है? विकास संचार में कुछ कैरियर विकल्पों के नाम बताइए।
उत्तर – विकास संचार वह प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संचार का प्रभावी उपयोग किया जाता है। यह सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है और लोगों तथा विभिन्न हितधारकों को जोड़ता है। इसका उद्देश्य लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर जानकारी प्रदान करना और उन्हें सशक्त बनाना है। विकास संचार में कुछ प्रमुख करियर विकल्प हैं: विकास पत्रकार, रेडियो जॉकी, सामुदायिक रेडियो, गैर-सरकारी संगठन (NGO) और दूरदर्शन जैसे सरकारी संस्थान।

28. हमारे देश में प्रमुख पोषण संबंधी समस्याओं पर चर्चा करें।
उत्तर – भारत में प्रमुख पोषण संबंधी समस्याओं का विवरण इस प्रकार है :
(i) कुपोषण – कुपोषण तब होता है जब शरीर को पर्याप्त कैलोरी, प्रोटीन और ऊर्जा नहीं मिलती। यह बच्चों में शारीरिक विकास को प्रभावित करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। गरीब आर्थिक स्थिति और असंतुलित आहार इसके मुख्य कारण हैं।
(ii) अतिपोषण – अतिपोषण तब होता है जब शरीर को जरूरत से अधिक कैलोरी और वसा मिलती है। यह मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों का कारण बनता है। शहरी जीवनशैली और जंक फूड का अधिक सेवन इसे बढ़ाता है।
(iii) सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी – आयरन, आयोडीन, विटामिन A और D जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी शरीर में विभिन्न रोग उत्पन्न कर सकती है। यह बच्चों में विकास रुकावट और महिलाओं में रक्ताल्पता जैसी समस्याएँ लाती है। संतुलित आहार और फोर्टिफाइड फूड इसे कम कर सकते हैं।
(iv) मोटापा और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ – असंतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और तनाव के कारण मोटापा और मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में आम है। नियमित व्यायाम और संतुलित भोजन इसे नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
(v) जल और स्वच्छता की कमी – अस्वच्छ पानी और गंदा वातावरण संक्रमण और दस्त जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं। ये बीमारियाँ पोषण अवशोषण को प्रभावित करती हैं और बच्चों की सेहत पर बुरा असर डालती हैं। साफ पानी और स्वच्छता के उपाय इसे रोक सकते हैं।

अथवा

हमारी सरकार द्वारा संचालित पोषण कार्यक्रमों की व्याख्या करें।
उत्तर – भारत सरकार द्वारा संचालित पोषण कार्यक्रमों का उद्देश्य बच्चों, महिलाओं और गर्भवती माताओं में पोषण स्तर सुधारना और कुपोषण को कम करना है। प्रमुख कार्यक्रम और उनका विवरण इस प्रकार है :
(i) मिड-डे मील योजना – यह योजना स्कूलों में सभी बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराती है। इसका उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना, उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करना और स्कूल उपस्थिति बढ़ाना है।
(ii) प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – यह योजना गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इससे माताओं और नवजात बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम होती है।
(iii) एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) – इस योजना के तहत 0 से 6 वर्ष के बच्चों और माताओं को पोषण, स्वास्थ्य जांच और प्राथमिक शिक्षा दी जाती है। इसका उद्देश्य बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करना और माताओं के स्वास्थ्य में सुधार लाना है।
(iv) आयोडीन युक्त नमक अभियान – इस कार्यक्रम के माध्यम से नमक में आयोडीन मिलाकर आयोडीन की कमी से होने वाले गॉइटर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जाता है। यह कार्यक्रम पूरे देश में पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
(v) राष्ट्रीय पोषण मिशन – यह मिशन बच्चों, गर्भवती महिलाओं और माताओं में कुपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और जन्म के समय कम वजन जैसी समस्याओं को कम करने के लिए शुरू किया गया है। यह मिशन सभी संबंधित योजनाओं को जोड़कर जन आंदोलन के रूप में पोषण सुधार को बढ़ावा देता है।

29. उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से डिज़ाइन के सिद्धांतों को समझाइए।
उत्तर – डिज़ाइन के सिद्धांत वे मूल नियम हैं जिनकी मदद से किसी वस्त्र, घर की सजावट या कला-रचना को सुंदर, संतुलित और उपयोगी बनाया जाता है। ये सिद्धांत रंग, आकार और पैटर्न को सही तरीके से व्यवस्थित करने में सहायता करते हैं, जिससे संपूर्ण रूप आकर्षक और प्रभावी दिखाई देता है।
• डिज़ाइन के सिद्धांत :
(i) संतुलन – संतुलन का अर्थ है डिज़ाइन में तत्वों का समान और उचित वितरण, जिससे वस्तु आकर्षक, स्थिर और व्यवस्थित दिखाई देती है। संतुलन दृश्य भार को बराबर बनाए रखता है। उदाहरण के लिए, कमरे की सजावट में एक तरफ बड़ा सोफ़ा और दूसरी ओर दो हल्की कुर्सियाँ रखने से संतुलन बनता है। वस्त्रों में भारी दुपट्टे के साथ सरल कुर्ती पहनने से भी संतुलन प्राप्त होता है।
(ii) अनुपात – अनुपात से तात्पर्य डिज़ाइन के विभिन्न भागों के बीच आकार और मात्रा का उचित संबंध है। सही अनुपात वस्तु या पहनावे को प्राकृतिक, सुंदर और सामंजस्यपूर्ण बनाता है। जैसे लंबी कद वाली व्यक्ति पर लंबी स्ट्रेट कुर्ती अनुपात को संतुलित करती है। छोटे कमरे में बहुत बड़ा फर्नीचर रखना अनुपात को बिगाड़ देता है।
(iii) सामंजस्य – सामंजस्य का अर्थ है डिज़ाइन के सभी तत्वों, जैसे रंग, आकृति, बनावट और पैटर्न का ऐसा उपयुक्त मेल कि संपूर्ण रूप शांत, सुसंगठित और सुंदर दिखे। जैसे कमरे में परदे, सोफ़ा कवर, कुशन और दीवारों के रंग एक-दूसरे के अनुरूप हों तो सामंजस्य बनता है। साड़ी, ब्लाउज़ और आभूषणों का एक ही रंग-थीम में चयन भी सामंजस्य दर्शाता है।
(iv) विविधता – विविधता डिज़ाइन में नयापन और आकर्षण पैदा करती है ताकि रूप एकरस न लगे। यह रंग, पैटर्न, बनावट या आकृतियों में हल्के बदलाव से उत्पन्न होती है। जैसे सादी कुर्ती में सुंदर नेक डिज़ाइन या अलग तरह के बटन लगाना। कमरे में समान रंग योजना में एक आकर्षक पेंटिंग या सजावटी कुशन जोड़ना भी विविधता है।
(v) जोर / प्रमुखता – जोर का अर्थ है डिज़ाइन में किसी विशेष भाग को मुख्य आकर्षण बनाना ताकि देखने वाले का ध्यान सबसे पहले वहीं जाए। यह डिज़ाइन में फोकस पॉइंट बनाता है। जैसे कपड़ों में आकर्षक नेकलाइन या सुंदर ब्रोच लगाना, और कमरे में एक मुख्य दीवार पर बड़ी पेंटिंग या शोपीस रखना।

अथवा

डिजाइन के तत्त्व क्या हैं? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर – डिज़ाइन के तत्त्व वे मूल आधार हैं जिनकी सहायता से किसी भी वस्त्र, सजावट, चित्र या गृह-सज्जा को आकर्षक, संतुलित और अर्थपूर्ण बनाया जाता है। ये तत्त्व मिलकर किसी डिज़ाइन का रूप, माहौल और भावनात्मक प्रभाव तय करते हैं।
• मुख्य तत्त्व इस प्रकार हैं :
(i) रेखा – रेखा डिज़ाइन का प्राथमिक आधार है। यह दिशा, गति और संरचना को दर्शाती है। सीधी रेखाएँ दृढ़ता और शक्ति का संकेत देती हैं, जबकि घुमावदार रेखाएँ कोमलता, प्रवाह और सुंदरता का अनुभव कराती हैं।
(ii) आकार – रेखाओं से घिरा दो-आयामी क्षेत्र आकार कहलाता है। आकार ज्यामितीय (वृत्त, वर्ग, त्रिभुज) या प्राकृतिक (पत्तियाँ, फूल आदि) हो सकते हैं। यह डिज़ाइन को पहचान और स्वरूप प्रदान करता है।
(iii) रूप – रूप तीन-आयामी संरचना है जिसमें ऊँचाई, चौड़ाई और गहराई होती है, जैसे घन, गोला या सिलेंडर। रूप डिज़ाइन को वास्तविकता और ठोसपन देता है।
(iv) रंग – रंग डिज़ाइन को आकर्षण, भावनाएँ और वातावरण प्रदान करते हैं। रंग के तीन गुण होते हैं: रंगत, मान और तीव्रता। रंगों का चयन मूड और उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जाता है।
(iv) बनावट – किसी सतह को देखने या छूने पर जो अनुभव होता है, उसे बनावट कहते हैं। यह मुलायम, खुरदरी, चमकदार या दानेदार हो सकती है। बनावट से डिज़ाइन में गहराई और विविधता आती है।
(v) स्थान – डिज़ाइन में भरे और खाली हिस्सों को स्थान कहा जाता है। उचित स्थान का उपयोग डिज़ाइन को सुव्यवस्थित, संतुलित और साफ-सुथरा रूप देता है।
(vi) मूल्य / स्वर – यह प्रकाश और अंधकार के शेड या गहराई को दर्शाता है। इससे डिज़ाइन में विपरीतता, दृश्य प्रभाव और स्पष्टता बढ़ती है।

30. उपभोक्ताओं के सामने आने वाली प्रमुख समस्याओं के बारे में लिखें।
उत्तर – उपभोक्ताओं की प्रमुख समस्याएँ :
(i) निम्न गुणवत्ता और नकली उत्पाद – बाज़ार में मिलावटी, नकली तथा खराब गुणवत्ता वाली वस्तुएँ आसानी से मिल जाती हैं। ऐसे उत्पाद उपभोक्ता के पैसे की हानि के साथ उसके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी हानिकारक होते हैं।
(ii) भ्रामक विज्ञापन – कंपनियाँ आकर्षक और बढ़ा-चढ़ाकर किए गए विज्ञापनों से उपभोक्ता को भ्रमित करती हैं। इससे उपभोक्ता गलत या अधूरी जानकारी के आधार पर वस्तु खरीद लेता है।
(iii) माप-तौल में गड़बड़ी – कुछ दुकानदार गलत तराज़ू, कम वजन या कम पैकिंग के माध्यम से उपभोक्ता को वास्तविक मात्रा से कम वस्तु देते हैं, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
(iv) अतिरिक्त मूल्य वसूलना – कई बार व्यापारी निर्धारित मूल्य (MRP) से अधिक राशि वसूलते हैं। जानकारी की कमी या विवशता के कारण उपभोक्ता गलत मूल्य चुकाने को बाध्य हो जाता है।
(v) बिक्री-पश्चात सेवाओं की कमी – उत्पाद खराब होने पर वारंटी, मरम्मत और बदलने की सुविधा समय पर नहीं मिलती। इससे उपभोक्ता को असुविधा और तनाव का सामना करना पड़ता है।
(vi) उत्पाद बदलने और शिकायत निवारण में कठिनाई – दोषपूर्ण वस्तु को बदलने या शिकायत दर्ज कराने में दुकानदार टालमटोल करते हैं। उपभोक्ता को कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं और उसे न्याय पाने में कठिनाई होती है।

अथवा

सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को दिए गए अधिकारों की व्याख्या करें।
उत्तर – उपभोक्ताओं के अधिकार :
(i) सुरक्षा का अधिकार – उपभोक्ताओं को ऐसे उत्पादों और सेवाओं से सुरक्षा पाने का अधिकार है जो उनके स्वास्थ्य, जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसका उद्देश्य खतरनाक और निम्न-गुणवत्ता वाली वस्तुओं से बचाव सुनिश्चित करना है।
(ii) सूचना का अधिकार – उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवत्ता, मात्रा, सामग्री, मूल्य, निर्माण एवं समाप्ति तिथि और उपयोग संबंधी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। सरकार ने यह जानकारी उत्पाद की पैकेजिंग पर अनिवार्य की है, ताकि उपभोक्ता सही निर्णय ले सकें।
(iii) चुनने का अधिकार – उपभोक्ताओं को बिना किसी दबाव या जोर–जबरदस्ती के विभिन्न उत्पादों और सेवाओं में से अपनी पसंद चुनने का अधिकार है। उन्हें प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विकल्प मिलना चाहिए।
(iv) सुनवाई का अधिकार – यदि उपभोक्ता किसी उत्पाद या सेवा से असंतुष्ट है, तो उसे अपनी शिकायत दर्ज कराने और समस्या के समाधान की माँग करने का अधिकार है। उपभोक्ता उत्पाद बदलवाने, धनवापसी या मरम्मत जैसी सेवाओं की मांग कर सकता है।
(v) क्षतिपूर्ति का अधिकार – उपभोक्ता को किसी भी प्रकार के शोषण, धोखाधड़ी या दोषपूर्ण वस्तु के कारण हुए नुकसान की भरपाई पाने का अधिकार है। कंपनियाँ उपभोक्ता को हुए आर्थिक या अन्य नुकसान के लिए जिम्मेदार होती हैं।
(vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों, कानूनों और सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी और शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, ताकि वे धोखाधड़ी और शोषण से बच सकें। इस उद्देश्य के लिए सरकार और विभिन्न संगठन जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं।