Haryana (HBSE) Class 12 Hindi Question Paper 2022 Answer Key. HBSE Class 12 Hindi Solved Question Paper 2022. HBSE Class 12 Hindi Previous Year Question Paper with Answer. HBSE Board Solved Question Paper Class 12 Hindi 2022. HBSE 12th Question Paper Download 2022 Answer Key. HBSE Class 12 Hindi Paper Solution 2022. HBSE Class 12th Hindi Question Paper 2022 PDF Download with Answer Key.
HBSE Class 12 Hindi Question Paper 2022 Answer Key
SET-A,B,C,D (Subjective Questions)
1. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ ।।
सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ ।।
मम हित लागि तजेहु पितु माता । सहेहु बिपिन हिमं आतप बाता ।।
सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनि मम बच बिकलाई।।
Ans. प्रसगं– प्रस्तुत काव्याशं तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के ‘ललंकाकांड’ से अवतरित है। लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर राम विलाप करने लगते हैं। हनुमान औषधि लेने गए हहैं।उनके आने में विलंब हो जाता है तो राम व्याकुल हो जाते हैं।
व्याख्या– वहाँ लक्ष्मण जी को देखकर श्रीराम साधारण मनुष्यों के सामन वचन बोले-आधी रात बीत चुकी पर हनुमान नहीं आए। यह कहकर श्रीरामचंद्र जी ने छोटे भाई लक्ष्मण को उठाकर हृदय से लगा लिया। फिर श्रीराम बोले-हे भाई! तुम मुझे कभी दु:खी नहीं देख सकते थे। तुम्हारा स्वभाव सदा से ही कोमल था। तुमने मेरे हित के लिए माता-पिता को भी छोड़ दिया और वन (जंगल) में जाड़ा, गर्मी तथा हवा (आँधी-तूफान) को भी सहा। हे भाई! वह प्रेम अब कहाँ है? मेरे व्याकुलतापूर्वक वचन सुनकर उठते क्यों नहीं?
2. ‘उषा’ कविता में गाँव की सुबह का गतिशील चित्रण है। स्पष्ट कीजिए।
Ans. कवि के नीले शंख, राख से लीपा हुआ गीला चौका, सिल, स्लेट, नीला जल और गोरी युवती की मखमली देह आदि उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र है। इन्हीं उपमानों के माध्यम से कवि ने सूर्योदय का गतिशील वर्णन किया है। ये उपमान भी कविता को गति प्रदान करते हैं।
3. हरिवंश राय बच्चन अथवा तुलसीदास के जीवन, साहित्य व साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
Ans. हरिवंशराय बच्चन– 1907 में इलाहाबाद में जन्म। 1942 से 1952 तक इलाहाबाद विविद्यालय में प्राध्यापक विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ। 2003 मुम्बई में निधन।
रचनाएँ : मधुशाला, मधुबाला, क्या भूलूँ क्या याद करूँ। प्रेम और सौन्दर्य के कवि। मानवतावाद व वैयक्तिकता का सुन्दर सम्मिश्रण। रहस्यवादी भावना । शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली । तत्सम तद्भव उर्दू अंग्रेजी शब्दावली।
अथवा
तुलसीदासजी– तुलसीदास भारत के ही नहीं, संपूर्ण मानवता तथा संसार के कवि हैं। उनके जन्म से संबंधित प्रमाणिक सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इनका जन्म 1532 ई० स्वीकार किया गया है। तुलसीदास जी के जन्म और जन्म स्थान के संबंध को लेकर सभी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के ‘राजापुर’ गांव में माना जाता है। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरो नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें बाल्यकाल में ही त्याग दिया था। इनका बचपन अनेक कष्टों के बीच व्यतीत हुआ। तुलसीदास जी ने अनेक तीर्थों का भ्रमण किया और ये राम के अनन्य भक्त बन गए। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। 1574 ई० में इन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। 1623 ई० में काशी में इनका निधन हो गया। तुलसीदास को हम हिंदू कवि और संत के रूप में जानते हैं उन्होंने भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की है।
साहित्यिक परिचय : तुलसीदास जी महान लोकनायक और श्री राम के महान भक्त थे। इनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ संपूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है। यह एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भाषा, उद्देश्य, कथावस्तु, संवाद एवं चरित्र चित्रण का बड़ा ही मोहक चित्रण किया गया है। इस ग्रंथ के माध्यम से इन्होंने जिन आदर्शों का भावपूर्ण चित्र अंकित किया है, वे युग-युग तक मानव समाज का पथ-प्रशस्त करते रहेंगे।
इनकी प्रमुख रचनाएं : रामचरितमानस, गीतावली, दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका, पार्वती मंगल, कृष्ण गीतावली
4. निम्नलिखित गद्यांश की संप्रसंग व्याख्या कीजिए :
वर्षा के बादलों के स्वामी है इंद्र, और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए। पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरी समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी भर-भर कर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। देश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से।
Ans. वर्षा के बादलों का स्वामी इंद्र माना जाता है। इंद्र की सेना अर्थात् लडुकों की टोली मेघों से पानी माँगती फिरती थी। लेखक की समझ में यह बात नहीं आती कि चारों ओर पानी की इतनी कमी है और लोगों ने बड़ी कठिनाई से पानी इकट्ठा करके रखा हुआ है फिर वे उस पानी को इन लड़कों पर फेंककर क्यों बर्बाद करते हैं? उन्हें उस पानी का उपयोग अपने लिए करना चाहिए। लेखक इस अधविश्वास से दु:खी है कि लोग इन लड़कों को इंद्र की सेना मानकर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। यदि इंद्र महाराज से ये लड़के (इंद्र की सेना) पानी दिलवा सकते तो ये खुद उसी से पानी क्यों नहीं माँग लेते। ये मुहल्ले भर में पानी माँगते क्यों घूमते फिरते हैं। अंधविश्वासों का नतीजा हमें यह भुगतना पड़ा कि हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और हम उनके गुलाम बनकर रह गए।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) चूरनवाले भगत जी पर बाजार का जादू नहीं चल सकता – क्यों ? ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Ans. भगत जी को अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान है। वह निर्लोभ तथा सन्तोषी है। बाजार में माल बिछा रहता है किन्तु अपनी जरूरत की चीजें जीरा और नमक खरीदने के बाद बाजार में उनकी रुचि नहीं रहती। बाजार का आकर्षण उनके लिए शून्य हो जाता है। उन पर बाजार का जादू नहीं चलता, भगत जी चौक बाजार के बड़े-बड़े शानदार स्टोरों को छोड़ते हुए आगे बढ़ते हैं और एक पंसारी की दुकान पर रुकते हैं। वहाँ से वह जीरा और काला नमक खरीदते हैं। अपनी जरूरत की चीजें बाजार से खरीदकर वह बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। अपनी आवश्यकता पूरी करने के बाद बाजार उनको आकर्षित नहीं कर पाता।
अथवा
सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से मना क्यों कर दिया ?
Ans. साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।
(ख) भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं ?
Ans. भक्तिन एक देहाती अर्थात ग्रामीण महिला थी जो अनपढ़ थी । इसलिए वह बिल्कुल देहाती भाषा का प्रयोग करती थी । भक्तिन एक देहाती होने के साथ-साथ समझदार भी थी । उसका स्वभाव ऐसा बन चुका था कि वह दूसरों को तो अपने मन के अनुसार बना लेती थी लेकिन अपने अंदर किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहती थी । भक्तिन के आ जाने पर महादेवी भी अधिक देहाती हो गई, पर उसे शहर की हवा नहीं लग पाई है। उसने महादेवी को भी देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उनके खाने की आदत डाल दी। वह बताती कि मकई का रात को बना दलिया सवेरे मट्टे से सौंधा लगता है। बाजरे के तिल लगाकर बनाये पुए बहुत अच्छे लगते हैं। ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे दानों की खिचड़ी स्वादिष्ट लगती है। उसके अनुसार सफेद महुए की लापसी संसार भर के हलवे को लजा सकती है। भक्तिन ने लेखिका को अपनी देहाती भाषा भी सिखा दी। इस प्रकार महादेवी भी देहाती बन गई।
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) जनसंचार के विभिन्न माध्यमों की खूबियाँ और खामियाँ बताइए ।
Ans. विभिन्न जनसंचार माध्यमों के लिए लेखन के अलग-अलग तरीके हैं। अखबार और पत्र-पत्रिकाओं में लिखने की अलग शैली है, जबकि रेडियो और टेलीविजन के लिए लिखना एक अलग कला है। चूँकि माध्यम अलग-अलग हैं, इसलिए उनकी जरूरतें भी अलग-अलग हैं। विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन के अलग-अलग तरीकों को समझना बहुत जरूरी है। इन माध्यमों के लेखन के लिए बोलने, लिखने के अतिरिक्त पाठकों- श्रोताओं और दर्शकों की जरूरत को भी ध्यान में रखा जाता है।
हम नियमित रूप से अखबार पढ़ते हैं। इसके अलावा मनोरंजन या समाचार जानने के लिए टी०वी० भी देखते और रेडियो भी सुनते हैं। संभव है कि हम कभी-कभार इंटरनेट पर भी समाचार पढ़ते, सुनते या देखते हैं। हमने गौर किया है कि जनसंचार के इन सभी प्रमुख माध्यमों में, समाचारों के लेखन और प्रस्तुति में अंतर है। कभी ध्यान से किसी शाम या रात को टी०वी० और रेडियो पर सिर्फ़ समाचार सुनें और इंटरनेट पर जाकर उन्हीं समाचारों को फिर से पढ़ें। अगले दिन सुबह अखबार ध्यान से पढ़ने पर ज्ञात होता है कि इन सभी माध्यमों में पढ़े, सुने या देखे गए समाचारों की लेखन-शैली, भाषा और प्रस्तुति में आपको फ़र्क नजर आता है।
अखबार में समाचार पढ़ने और रुककर उस पर सोचने में एक अलग तरह की संतुष्टि मिलती है, जबकि टी०वी० पर घटनाओं की तसवीरें देखकर उसकी जीवतता का एहसास होता है। इस तरह का रोमांच अखबार या इंटरनेट पर नहीं मिल सकता।
रेडियो पर खबरें सुनते हुए हम जितना उन्मुक्त होते हैं, उतना किसी और माध्यम से संभव नहीं है। इंटरनेट अंतरक्रियात्मकता (इंटरएक्टिविटी) और सूचनाओं के विशाल भंडार का अद्भुत माध्यम है, बस एक बटन दबाते ही हम सूचनाओं के अथाह संसार में पहुँच जाते हैं। जिस किसी भी विषय पर हम जानना चाहते हैं, इंटरनेट के जरिये वहाँ पहुँच सकते हैं।
(ख) समाचार कैसे लिखा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
Ans. समाचार लिखना एक तकनीकी कला है। किसी भी व्यक्ति को समचार लिखने के लिए तकनीक को समझना अनिवार्य है। अगर आपके पास विषय की पूरी जानकारी नहीं है और विषय को समझनी की काबिलयत नहीं है तो आप प्रभावी रुप से समाचार नहीं लिख सकते है। इसके लिए आपके पास विषय के बारे में प्रर्याप्त जानकारी होना और जानकारी को प्रदर्शित करने का हुनर होना आवश्यक है। समाचारों में किसी भी व्यक्ति की लंबी-लंबी प्रशंसा न भरें। समाचार लिखना सामाजिक रूप से कड़े उत्तरदायित्व का काम है इसलिए समाचार का संतुलित और पक्षपातरहित होना आवश्यक है। समाचार लेखक को ध्यान रखना चाहिए कि वे समाचार लिख रहे हैं कोई निबंध नहीं, तदनुसार एक समाचार को किसी भी हाल में 1000 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
समाचार, लेखन की सबसे लोकप्रिय शैली है। उल्टा पिरामिड। इसके तीन अंग हैं- इंट्रो, बॉडी व समापन।
इंट्रो या लीड या मुखड़ा– उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लेखन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इंट्रो या लीड या मुखड़ा लेखन है। इंट्रो समाचार का पहला पैराग्राफ होता है, जहां से कोई समाचार शुरू होता है। इंट्रो के आधार पर ही समाचार की गुणवत्ता का निर्धारण होता है। एक आदर्श इंट्रो में किसी समाचार की सबसे महत्वपूर्ण सूचना आ जानी चाहिये और उसे किसी भी हालत में 35 से 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिये। किसी इंट्रो में मुख्यतः छह सवाल का जवाब देने की कोशिश की जाती है क्या हुआ, किसके साथ हुआ, कहां हुआ, हुआ, कब क्यों और कैसे हुआ है। आमतौर पर माना जाता है कि एक आदर्श इंट्रो में सभी छह ककार का जवाब देने के बजाये किसी एक इंट्रो को प्राथमिकता देनी चाहिये। उस एक ककार के साथ एक दो ककार दिये जा सकते हैं।
बॉडी– समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड लेखन शैली में मुखड़े में उल्लिखित तथ्यों की व्याख्या और विश्लेषण समाचार की बॉडी में होती है। किसी समाचार लेखन का आदर्श नियम यह है कि किसी समाचार को ऐसे लिखा जाना चाहिये, जिससे अगर वह किसी भी बिन्दु पर समाप्त हो जाये तो उसके बाद के पैराग्राफ में ऐसा कोई तथ्य नहीं रहना चाहिये, जो उस समाचार के बचे हुऐ हिस्से की तुलना में ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो। अपने किसी भी समापन बिन्दु पर समाचार को पूर्ण, पठनीय और प्रभावशाली होना चाहिये। समाचार की बॉडी में छड़ ककारों में से दो क्यों और कैसे का जवाब देने की कोशिश की जाती है। कोई घटना कैसे और क्यों हुई. यह जानने के लिये उसकी पृष्ठभूमि, परिपेक्ष्य और उसके व्यापक संदर्भों को खंगालने की कोशिश की जाती है। इसके जरिये ही किसी समाचार के वास्तविक अर्थ और असर को स्पष्ट किया जा सकता है।
निष्कर्ष या समापन– समाचार का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि न सिर्फ उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गये हैं बल्कि समाचार के मुखड़े और समापन के बीच एक तारतम्यता भी होनी चाहिये। समाचार में तथ्यों और उसके विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिये कि उससे पाठक को किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिले।
(ग) नए एवं अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में क्या-क्या बाधाएँ आती हैं ?
Ans. नए अथवा अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में अनेक बाधाएँ आती हैं जो इस प्रकार है :
(i) सामान्य रूप से लेखक आत्मनिर्भर होकर अपने विचारों को लिखित रूप देने का अभ्यास नहीं करता।
(ii) लेखक में मौलिक प्रयास तथा अभ्यास करने की प्रवृत्ति का अभाव होता है।
(iii) लेखक के पास विषय से संबंधित सामग्री और तथ्यों का अभाव होता है।
(iv) लेखक की चिंतन शक्ति मंद पड़ जाती है।
(v) लेखक के बौद्धिक विकास के अभाव में विचारों की कमी हो जाती है।
(vi) अप्रत्याशित विषयों पर लेखन करते समय शब्दकोश की कमी हो जाती है।
7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(क) यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल कैसे होती है ?
Ans. यशोधर बाबू बचपन से ही माता-पिता के देहांत हो जाने की वजह से जिम्मेदारियों के बोझ से लद गए थे। वे सदैव पुराने लोगों के बीच रहे, पले, बढ़े अतः वे उन परंपराओं को छोड़ नहीं सकते थे। यशोधर बाबू अपने आदर्श किशनदा से अधिक प्रभावित हैं और आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं। जबकि उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं। वह अपने बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से प्रभावित हैं। वे बेटी के कहे अनुसार नए कपड़े पहनती हैं और बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती। यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ परिवर्तित होती है, लेकिन यशोधर बाबू अभी भी किशनदा के संस्कारों और परंपराओं से चिपके हुए हैं।
(ख) ‘जूझ’ पाठ में खेत में काम करते समय लेखक का अकेलापन कैसे दूर हो गया था ?
Ans. कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक को ढोर चराते हुए, खेतों में पानी लगाते हुए या दूसरे काम करते हुए अकेलेपन की स्थिति बहुत खटकती थी। उसे कोई भी काम करना तभी अच्छा लगता था जबकि उसके साथ कोई बोलने वाला, गपशप करने वाला या हँसी-मजाक करने वाला हो। कविता के प्रति लगाव हो जाने के बाद उसकी मानसिकता में बदलाव आ गया था। उसे अब अकेलेपन से कोई ऊब नहीं होती थी। वह अपने आप से खेलना सीख गया था। पहले से उलट वह अकेला रहना अच्छा मानने लगा था। अकेले रहने से उसे ऊँची आवाज में कविता गाने अभिनय करने या नाचने की स्वतंत्रता का अनुभव होता था जो उसे असीम आनंद से भर देते थे।
(ग) श्री सोंदलगेकर के अध्यापन की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
Ans. मास्टर सौंदलगेकर कुशल अध्यापक, मराठी के ज्ञाता व कवि थे। सुरीले ढंग से स्वयं की व दूसरों की कविताएँ गाते थे। पुरानी-नयी मराठी कविताओं के साथ-साथ उन्हें अनेक अंग्रेजी कविताएँ कंठस्थ थीं। पहले वे एकाध गाकर सुनाते थे – फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते। आनन्दा को कविता या तुकबन्दी लिखने के प्रारम्भिक काल में उन्होंने उसका मार्गदर्शन व सुधार किया, उसका आत्मविश्वास बढ़ाया जिससे वह धीरे-धीरे कविताएँ लिखने में कुशल होकर प्रतिष्ठित कवि बन गया।
(घ) मोहनजोदड़ो में जल निकासी की व्यवस्था कैसे की गई थी ?
Ans. मोहनजोदड़ो में सभी नालियाँ ढकी हुई थीं जो सड़क के दोनों तरफ़ समांतर बनी हुई थीं। हर घर में एक स्नानघर था। घरों के भीतर से गंदा पानी नालियों से बाहर हौदी तक आता था और फिर नालियों के जाल में मिल जाता था। कहीं-कहीं नालियाँ बिना ढकी हुई थीं।
(ङ) अज्ञातवास के समय ऐन की क्या-क्या रुचियाँ थीं ?
Ans. ऐन को पत्रिकाओं से फ़िल्मी कलाकारों के चित्र इकट्ठे करने की रुचि थी। वह फ़िल्मों के बारे में ज्ञान इकट्ठा करती थी; उनकी समीक्षा करती थी; प्रति सप्ताह प्रकाशित होने वाली सिनेमा एंड थियेटर पत्रिका ध्यान से पढ़ती थी। वह फ़िल्मी अभिनेत्रियों की तरह अपने बाल सँवारा करती थी और उन्हें अपना स्टाइल बनाया करती थी। कुछ ही देर बाद फिर से वह अपने घुघराले बालों वाले स्टाइल में ही आ … जाया करती थी।
SET-A (Objective Questions)
Q1. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं ?
(क) तीन
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) छ:
Ans. (ग) पाँच
Q2. ‘जगदीश’ का संधि विच्छेद कीजिए :
(क) जगत + ईश
(ख) जगत् + ईश
(ग) जगद + इश
(घ) जग + दीश
Ans. (ख) जगत् + ईश
Q3. सम् + कल्प में संधि कीजिए :
(क) समकल्प
(ख) सम्कल्प
(ग) संकल्प
(घ) समकलप
Ans. (ग) संकल्प
Q4. सही विग्रह छाँटिए : ‘दूध-दही’