HBSE Class 12 Business Studies Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

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HBSE Class 12 Business Studies Pre-Board Question Paper 2024 Answer Key

Section – A (1 Mark)

1. वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता ………… हैं।
उत्तर – फ्रेडरिक विंस्लो टेलर

2. निम्न में से कौन-सा नियोजन का प्रकार नहीं है?
(a) कार्यक्रम
(b) नियम
(c) उत्पाद
(d) कार्यविधि
उत्तर – (c) उत्पाद

3. समूह परम्पराएं किस संगठन ढाँचे में होती हैं?
उत्तर – अनौपचारिक संगठन

4. निम्न में से नियुक्तिकरण का तत्व कौन-सा है?
(a) भर्ती
(b) चयन
(c) प्रशिक्षण
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

5. निम्न में से संदेशवाहन का माध्यम कौन-सा है?
(a) लिखित
(b) मौखिक
(c) लिखित एवम् मौखिक
(d) औपचारिक
उत्तर – (c) लिखित एवम् मौखिक

6. ‘शेविंग क्रीम ट्यूब’ निम्न में से किसका उदाहरण है?
(a) परिवहन पैकेजिंग
(b) प्राथमिक पैकेजिंग
(c) द्वितीयक पैकेजिंग
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (b) प्राथमिक पैकेजिंग

7. चालू संपत्तियों तथा चालू दायित्वों के अंतर को …………… कहते है?
(a) शुद्ध कार्यशील पूँजी
(b) सकल कार्यशील पूँजी
(c) स्थाई पूँजी
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (a) शुद्ध कार्यशील पूँजी

8. सही विकल्प का चयन कीजिए –
कथन 1 : प्रबंध व्यापक है।
कथन 2 : वित्तीय के साथ-साथ गैर-वित्तीय संस्थानों में भी प्रबंध की आवश्यकता होती है।
(a) कथन 1 सत्य है, परन्तु कथन 2 असत्य है।
(b) दोनों कथन असत्य हैं।
(c) दोनों कथन सत्य हैं, परन्तु दोनों का एक दूसरे के साथ संबंध नहीं है
(d) दोनों कथन सत्य हैं और कथन 2 को कथन 1 से निष्कर्ष लिया गया है।
उत्तर – (d) दोनों कथन सत्य हैं और कथन 2 को कथन 1 से निष्कर्ष लिया गया है।

9. चयन किस तरह की प्रक्रिया है?
उत्तर – नकारात्मक प्रक्रिया

10. नियंत्रण व्यक्तियों से सम्बन्धित है। (सत्य/असत्य)
उत्तर – असत्य

11. वस्तु निर्माण का विचार आते ही …………..
पक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
(a) क्रय
(b) विक्रय
(c) विपणन
(d) उत्पादन
उत्तर – (c) विपणन (Marketing)

12. सही विकल्प का चयन कीजिए –
कथन 1 : व्यक्तिगत बिक्री विपणन के लिए एक अत्यधिक प्रभावी और वैयक्तिकृत दृष्टिकोण है जिसमें बिक्री प्रतिनिधि और संभावित ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क शामिल होता है।
कथन 2 : व्यक्तिगत बिक्री ग्राहकों के साथ सार्थक संबंध स्थापित करने और बिक्री संदेश को व्यक्तिगत जरूरतों के अनुरूप बनाने में एक अनूठा लाभ प्रदान करती है। जनसंचार चैनलों के विपरीत, व्यक्तिगत बिक्री वास्तविक समय की प्रतिक्रिया की अनुमति देती है, जिससे बिक्रीकर्ताओं को चिंताओं को दूर करने, विश्वास बनाने और ग्राहक की प्रतिक्रियाओं के आधार पर अपने दृष्टिकोण को अनुकूलित करने में सक्षम बनाया जाता है।
(a) कथन 1 सत्य है, परन्तु कथन 2 असत्य है।
(b) दोनों कथन असत्य हैं।
(c) दोनों कथन सत्य हैं, परन्तु दोनों का एक दूसरे के साथ संबंध नहीं है
(d) दोनों कथन सत्य हैं और कथन 2 को कथन 1 से निष्कर्ष लिया गया है।
उत्तर – (d) दोनों कथन सत्य हैं और कथन 2 को कथन 1 से निष्कर्ष लिया गया है।

13. ग्राहक बाजार का ………….. होता है।
उत्तर – राजा

14. प्रबंध के 14 सिधांत किसके द्वारा दिए गये है?
उत्तर – हेनरी फेयोल

15. प्रबन्ध यथार्थ विज्ञान है। (सत्य/असत्य)
उत्तर – सत्य

16. नियोजन एक मानसिक अभ्यास है। (सत्य/असत्य)
उत्तर – सत्य

17. भर्ती एक …………. प्रक्रिया है।
उत्तर – सकारात्मक

18. ………….. विपणन विचारधारा उपभोक्ता कल्याण पर जोर देती है।
उत्तर – सामाजिक

19. विपणन मिश्रण कितने प्रकार का होता है?
उत्तर – चार

20. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम …………. क्षेत्रों पर लागू है।
(a) निजी
(b) सार्वजनिक
(c) सहकारी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

Section – B (3 Marks)

21. व्यावसायिक वातावरण की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – (i) गतिशील – व्यावसायिक वातावरण अत्यधिक लचीला होता है और बदलता रहता है। यह स्थिर या कठोर नहीं है, इसलिए व्यावसायिक वातावरण की निरंतर निगरानी और स्कैनिंग करना आवश्यक है।
(ii) अनिश्चितता – व्यावसायिक वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है। चूँकि वातावरण बहुत तेज़ी से बदल रहा है, उदाहरण के लिए आईटी, फैशन उद्योग में लगातार और तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं।
(iii) जटिल – कंपनियों पर कारोबारी माहौल के प्रभाव को समझना बहुत मुश्किल है। हालाँकि माहौल को स्कैन करना आसान है लेकिन यह जानना बहुत मुश्किल है कि ये बदलाव कारोबारी फैसलों को कैसे प्रभावित करेंगे। कभी-कभी बदलाव मामूली हो सकता है लेकिन इसका बड़ा असर हो सकता है। उदाहरण के लिए, कर की दर में 5% की वृद्धि करने की सरकारी नीति में बदलाव से कंपनी की आय पर बड़ी मात्रा में असर पड़ सकता है।

22. नियोजन की प्रक्रिया को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – नियोजन (Planning) की प्रक्रिया को संक्षेप में निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जा सकता है :
(i) लक्ष्यों की स्थापना
(ii) वर्तमान स्थिति का विश्लेषण
(iii) विकल्पों का विकास
(iv) विकल्पों का मूल्यांकन
(v) सबसे अच्छे विकल्प का चयन
(vi) योजना का क्रियान्वयन
(vii) नियंत्रण और मूल्यांकन

23. नियंत्रण की कोई तीन सीमाएं समझाइए।
उत्तर – नियंत्रण की सीमाएँ निम्नलिखित हैं :
(i) मात्रात्मक प्रमापों के निर्धारण में कठिनाई
(ii) बाह्य कारकों पर नियंत्रण नहीं
(iii) उत्तरदायित्व के निर्धारण में कठिनाई
(iv) कर्मचारियों द्वारा विरोध
(v) महँगा कार्य

24. ‘विज्ञापन के लिए भुगतान करना लाभदायक है’ – अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर – ‘विज्ञापन के लिए भुगतान करना लाभदायक है’ इस कथन के समर्थन में निम्नलिखित कारण दिए जा सकते हैं :
(i) ब्रांड जागरूकता बढ़ाना
(ii) बिक्री में वृद्धि
(iii) प्रतिस्पर्धा में बढ़त
(iv) नई उत्पादों का प्रमोशन
(v) ग्राहक विश्वास

Section – C (4 Marks)

25. प्रबन्ध के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर – प्रबन्ध के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :
(i) योजना बनाना (Planning) – योजना बनाना प्रबन्ध का प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसमें भविष्य के उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है और उन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्यों और संसाधनों का चयन किया जाता है। योजना बनाते समय विभिन्न वैकल्पिक उपायों का मूल्यांकन और चयन किया जाता है। इसका उद्देश्य संगठन के लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना और उन्हें प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है।
(ii) संगठन (Organizing) – संगठन प्रबन्ध का दूसरा कार्य है, जिसमें संसाधनों का उचित वितरण और समन्वय किया जाता है। इसमें संगठनात्मक संरचना का निर्माण, कार्यों का विभाजन, उत्तरदायित्व का निर्धारण और अधिकारों का वितरण शामिल होता है। संगठन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी संसाधन उचित रूप से उपयोग किए जाएं और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक संगठित ढांचा प्रदान किया जाए।
(iii) कर्मचारी प्रबंधन (Staffing) – कर्मचारी प्रबंधन का कार्य मानव संसाधनों की नियुक्ति, चयन, प्रशिक्षण, विकास, मूल्यांकन और प्रतिपूर्ति से संबंधित है। इसमें कर्मचारियों की भर्ती, चयन, प्रशिक्षण, विकास और मूल्यांकन के कार्य शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संगठन में योग्य और सक्षम कर्मचारी उपलब्ध हों और वे संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम हों।
(iv) नेतृत्व (Leading) – नेतृत्व का कार्य प्रबन्धक को अपने कर्मचारियों को प्रेरित करने, निर्देश देने और मार्गदर्शन देने का कार्य है। इसमें संचार, प्रेरणा, टीम निर्माण और निर्णय लेने जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। नेतृत्व के माध्यम से प्रबन्धक कर्मचारियों के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करता है और उन्हें संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
(v) नियंत्रण (Controlling) – नियंत्रण प्रबन्ध का अंतिम कार्य है, जिसमें संगठन के वास्तविक प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है और इसे योजनाबद्ध लक्ष्यों से तुलना किया जाता है। इसमें प्रदर्शन में सुधार के लिए आवश्यक सुधारात्मक उपायों का निर्धारण और कार्यान्वयन किया जाता है। नियंत्रण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संगठन के उद्देश्यों को प्रभावी और कुशलता से प्राप्त किया जाए और किसी भी विचलन को समय पर ठीक किया जाए।

26. नियोजन की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर – नियोजन (Planning) की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
(i) भविष्य-केन्द्रित (Future-oriented) – नियोजन एक भविष्य-केन्द्रित प्रक्रिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य आने वाले समय में होने वाली घटनाओं और स्थितियों का पूर्वानुमान लगाना और उनके अनुसार तैयार रहना होता है। यह संगठन को संभावित चुनौतियों और अवसरों के लिए तैयार रहने में मदद करता है। भविष्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर योजनाएँ बनाई जाती हैं, जिससे संगठन को दिशा और मार्गदर्शन मिलता है।
(ii) लक्ष्य-उन्मुख (Goal-oriented) – नियोजन की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है। इसमें स्पष्ट और सटीक उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्यों और संसाधनों की योजना बनाई जाती है। नियोजन के माध्यम से संगठन के सभी सदस्यों को एक सामान्य दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
(iii) सतत प्रक्रिया (Continuous Process) – नियोजन एक सतत प्रक्रिया है, जो निरंतर चलती रहती है। यह एक बार की घटना नहीं है, बल्कि बदलते हुए परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार योजनाओं को निरंतर संशोधित और अद्यतन किया जाता है। संगठन को विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारकों के आधार पर अपनी योजनाओं का पुनर्मूल्यांकन और सुधार करना पड़ता है।
(iv) सभी प्रबन्ध स्तरों पर लागू (Applicable at All Management Levels) – नियोजन की आवश्यकता संगठन के सभी प्रबन्ध स्तरों पर होती है। यह न केवल उच्च प्रबन्धकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मध्य और निम्न स्तर के प्रबन्धकों के लिए भी आवश्यक है। हर स्तर पर अलग-अलग प्रकार की योजनाएँ बनाई जाती हैं, जो संगठन के व्यापक लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान करती हैं। उच्च स्तर पर रणनीतिक योजनाएँ बनाई जाती हैं, जबकि निम्न स्तर पर कार्यनीतिक और परिचालन योजनाएँ बनाई जाती हैं।
इन विशेषताओं के माध्यम से नियोजन संगठन की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

27. अधिकार अंतरण के कोई चार महत्व बताइए।
उत्तर – अधिकार अंतरण का महत्व निम्नलिखित है :
(i) प्रबंधकों के कार्यभार में कमी – अधिकार अन्तरण की प्रक्रिया में विभिन्न कार्यों को पूरा करने संबंधी कर्तव्य व अधिकार सर्वोच्च प्रबंध, मध्य प्रबंध को तथा मध्य प्रबंध प्रथम श्रेणी प्रबंध को अन्तरित कर देता है तथा इससे अधीनस्थ कर्मचारी कार्य को पूरा करने का उत्तरदायित्व ले लेते है।
(ii) समन्वय का साधन – अधिकार अन्तरण एक ऐसी संगठन संरचना का आधार होता है जिसमें प्रत्येक प्रबंधक तथा अधीनस्थ के कर्तव्य व अधिकार सुनिश्चित व स्पष्ट होते है।
(iii) प्रबंधकीय प्रभावपूर्णता में वृद्धि – अधिकार अन्तरण के परिणामस्वरूप प्रबंधकों की कार्य कुशलता में वृद्धि हो जाती है क्योंकि इसमें प्रबंधक कम महत्वपूर्ण कार्यों को अपने अधीनस्थ से कराने में समर्थ हो जाता है तथा महत्वपूर्ण कार्यों पर अधिक ध्यान दे पाता है। प्रबंधक को अपने अधीनस्थों के सहयोग एवं उनके कौशल का भी ज्ञान हो जाता है।
(iv) कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि – अधिकार-अन्तरण के अन्तर्गत अधीनस्थों को अनेक महत्वपूर्ण कार्य सौंपे जाते है, जिन्हें सफलतापूर्वक सम्पन्न करने पर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ती है तथा उन्हें कार्य सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है। इससे कर्मचारियों का मनोबल ऊँचा उठता है तथा उपक्रम की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है।

28. ‘नियंत्रण और नियोजन के बीच घनिष्ठ और विपरीत पारस्परिक संबंध है’ – कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – “नियंत्रण और नियोजन के बीच घनिष्ठ और विपरीत पारस्परिक संबंध है” – इस कथन की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है :
• घनिष्ठ संबंध (Close Relationship) :
(i) परस्पर पूरकता (Mutual Complementarity) – नियोजन और नियंत्रण परस्पर पूरक हैं। नियोजन भविष्य के कार्यों के लिए एक मार्गदर्शिका प्रदान करता है, जबकि नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि इन योजनाओं के अनुसार कार्य किए जा रहे हैं। नियोजन बिना नियंत्रण के अधूरा है क्योंकि नियंत्रण ही यह सुनिश्चित करता है कि योजनाएँ सही तरीके से लागू हो रही हैं।
(ii) उद्देश्यों की प्राप्ति (Achievement of Objectives) – नियोजन और नियंत्रण दोनों का मुख्य उद्देश्य संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति है। नियोजन लक्ष्यों को स्थापित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है, जबकि नियंत्रण इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में की गई प्रगति को मापता और सुनिश्चित करता है।
(iii) फीडबैक प्रक्रिया (Feedback Process) – नियंत्रण के माध्यम से प्राप्त फीडबैक नियोजन प्रक्रिया को सुधारने में सहायक होता है। नियंत्रण से प्राप्त जानकारी के आधार पर योजनाओं में आवश्यक संशोधन और सुधार किए जा सकते हैं, जिससे भविष्य की योजनाएँ अधिक प्रभावी बनती हैं।

• विपरीत संबंध (Contradictory Relationship) :
(i) अनुकूलन बनाम सुधार (Flexibility vs. Corrective Action) – नियोजन अक्सर एक निश्चित ढांचे में काम करता है और स्थिरता को प्राथमिकता देता है। इसके विपरीत, नियंत्रण सुधारात्मक कार्यवाही पर जोर देता है और आवश्यकतानुसार योजनाओं में परिवर्तन की मांग कर सकता है। इससे नियोजन की स्थिरता और नियंत्रण की लचीलेपन में विरोधाभास उत्पन्न हो सकता है।
(ii) लंबी अवधि बनाम अल्प अवधि (Long-term vs. Short-term) – नियोजन आमतौर पर दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर आधारित होता है और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखता है। दूसरी ओर, नियंत्रण अल्पकालिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखता है और वर्तमान प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। यह दीर्घकालिक और अल्पकालिक दृष्टिकोणों में विरोधाभास पैदा कर सकता है।
(iii) रचनात्मकता बनाम अनुशासन (Creativity vs. Discipline) – नियोजन में रचनात्मकता और नवाचार की आवश्यकता होती है, जबकि नियंत्रण अनुशासन और नियमों के पालन पर जोर देता है। रचनात्मकता और नवाचार कभी-कभी नियमों और अनुशासन के साथ विरोधाभासी हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion) : नियोजन और नियंत्रण के बीच घनिष्ठ और विपरीत संबंध यह दर्शाते हैं कि दोनों प्रक्रियाएँ एक दूसरे के पूरक हैं और साथ ही एक दूसरे के साथ कुछ विरोधाभास भी रखती हैं। यह संबंध सुनिश्चित करता है कि संगठन के लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से और कुशलतापूर्वक प्राप्त किया जा सके। इन दोनों के बीच सही संतुलन बनाए रखना प्रबन्धन की महत्वपूर्ण चुनौती है।

29. किसी संगठन में वित्तीय व्यवस्था निर्णय को प्रभावित करने वाले चार घटकों का वर्णन करो।
उत्तर – वित्त व्यवस्था निर्णय को प्रभावित करने वाले घटक :
(i) जोखिम – समता अंशों की तुलना में ऋण पूँजी सर्वाधिक जोखिम वाली होती है। अत: जोखिम की दृष्टिकोण से इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(ii) निर्गमन लागतें – ऐसे स्रोत जिसकी निर्गमन लागत कम हो, को प्राथमिकता देनी चाहिए। जैसे- निर्गमन लागतों के दृष्टिकोण से संचित लाभ (Retained Profit) सबसे उपयुक्त स्रोत है। अत: इसका प्रयोग करना चाहिए।
(iii) लागत – वित्त के सभी स्रोतों की लागत भिन्न होती है। ऋण पर ब्याज (Interest), पूर्वाधिकार अंश पूँजी पर निश्चित दर से दिया जाने वाला लाभांश (Dividend) तथा समता अंश पूँजी पर समता अंशधारियों की कम्पनी से अपेक्षाएँ। (Expectations) लागत के रूप में होती हैं। यदि परिस्थितियाँ अनुकूल हो तो ऋण पूँजी का चयन करके सस्ते वित्त का लाभ उठाया जा सकता है।
(iv) रोकड़ प्रवाह स्थिति – यदि कम्पनी की रोकड़ प्रवाह स्थिति अच्छी हो तो ऋण पर ब्याज या मूल राशि की वापसी का भुगतान आसानी से किया जाता है। अतः सस्ते वित्त का लाभ उठाने के लिए ऋण पूँजी को प्राथमिकता दी जा सकती है। किन्तु जब नकद प्रवाह की कमी हो तो स्वामित्व कोष को प्राथमिकता दी जा सकती है।

30. उपभोक्ता के किन्हीं चार दायित्वों की व्याख्या करें।
उत्तर – एक उपभोक्ता को वस्तुओं और सेवाओं को खरीदते, उपयोग करते और उपभोग करते समय निम्नलिखित जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए :
(i) उपभोक्ता को बाजार में उपलब्ध विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए, ताकि वह उनकी विशेषताओं और कीमतों की तुलना करके बुद्धिमानी से चुनाव कर सके।
(ii) उपभोक्ता को हमेशा मानकीकृत सामान ही खरीदना चाहिए क्योंकि वे गुणवत्ता आश्वासन प्रदान करते हैं। इसलिए, बिजली के सामान पर ISI मार्क, खाद्य उत्पादों पर FPO मार्क, आभूषणों पर हॉलमार्क आदि देखें।
(iii) उपभोक्ता को वस्तुओं के उपयोग और रखरखाव से जुड़े विभिन्न जोखिमों के बारे में अवश्य जानना चाहिए। उसे निर्माता के निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए।
(iv) उपभोक्ता को लेबल को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए, ताकि मूल्य, मात्रा, सामग्री, उपयोग, सामग्री, समाप्ति तिथि आदि के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।
(v) उपभोक्ता को हमेशा कैश मेमो मांगना चाहिए, क्योंकि यह खरीद का प्रमाण होता है जो धोखेबाज विक्रेता/निर्माता के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के समय आवश्यक होता है।
(vi) उपभोक्ता को प्राप्त वस्तुओं या सेवाओं में किसी भी प्रकार की कमी होने पर शिकायत दर्ज करानी होगी।

Section – D (6 Marks)

31. हेनरी फेयोल के किन्हीं छः सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – (i) कार्य का विभाजन – हेनरी का मानना था कि कार्यबल में काम को श्रमिकों के बीच अलग-अलग करने से उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। इसी तरह, उन्होंने यह भी निष्कर्ष निकाला कि कार्य का विभाजन श्रमिकों की उत्पादकता, दक्षता, सटीकता और गति में सुधार करता है। यह सिद्धांत प्रबंधकीय और तकनीकी दोनों ही स्तर के काम के लिए उपयुक्त है।
(ii) अधिकार और जिम्मेदारी – प्रबंधन के ये दो मुख्य पहलू हैं। अधिकार प्रबंधन को कुशलतापूर्वक काम करने में मदद करता है, और जिम्मेदारी उन्हें उनके मार्गदर्शन या नेतृत्व में किए गए काम के लिए जिम्मेदार बनाती है।
(iii) अनुशासन – अनुशासन के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। यह किसी भी परियोजना या किसी भी प्रबंधन के लिए मुख्य मूल्य है। अच्छा प्रदर्शन और समझदारीपूर्ण अंतर्संबंध प्रबंधन कार्य को आसान और व्यापक बनाते हैं। कर्मचारियों का अच्छा व्यवहार उन्हें अपने पेशेवर करियर में सुचारू रूप से निर्माण और प्रगति करने में भी मदद करता है।
(iv) कमान की एकता – इसका मतलब है कि एक कर्मचारी को सिर्फ़ एक ही बॉस रखना चाहिए और उसके आदेश का पालन करना चाहिए। अगर किसी कर्मचारी को एक से ज़्यादा बॉस का पालन करना पड़ता है, तो हितों का टकराव शुरू हो जाता है और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
(v) दिशा की एकता – जो भी व्यक्ति एक ही कार्य में लगा हुआ है, उसका एक ही लक्ष्य होना चाहिए। इसका मतलब है कि एक कंपनी में काम करने वाले सभी लोगों का एक ही लक्ष्य और उद्देश्य होना चाहिए, जिससे काम आसान हो जाए और निर्धारित लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सके।
(vi) व्यक्तिगत हित की अधीनता – यह दर्शाता है कि एक कंपनी को व्यक्तिगत हित के बजाय कंपनी के हित के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। संगठन के उद्देश्यों के अधीन रहें। यह कंपनी में कमांड की पूरी श्रृंखला को संदर्भित करता है।
(vii) पारिश्रमिक – यह किसी कंपनी के कर्मचारियों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पारिश्रमिक मौद्रिक या गैर-मौद्रिक हो सकता है। आदर्श रूप से, यह किसी व्यक्ति द्वारा किए गए प्रयासों के अनुसार होना चाहिए।
(viii) केंद्रीकरण – किसी भी कंपनी में, प्रबंधन या निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार कोई भी अधिकारी तटस्थ होना चाहिए। हालाँकि, यह संगठन के आकार पर निर्भर करता है। हेनरी फेयोल ने इस बात पर जोर दिया कि पदानुक्रम और शक्ति के विभाजन के बीच संतुलन होना चाहिए।

32. औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में छः अंतर बताइए।
उत्तर –

औपचारिक संगठन अनौपचारिक संगठन
1. औपचारिक संगठन नियमों और विधियों के अधीन होता है। 1. अनौपचारिक संगठन अधिक लचीला और समर्थनात्मक होता है।
2. औपचारिक संगठन निर्धारित कार्यक्रमों और क्रियाओं का पालन करता है। 2. अनौपचारिक संगठन अधिक स्वतंत्रता और अनुमति प्रदान करता है।
3. औपचारिक संगठन में कार्यकर्ताओं के लिए स्थाई और निरंतर कार्यकाल होता है। 3. अनौपचारिक संगठन में कार्यकर्ताओं के लिए कार्यकाल अधिक लचीला होता है।
4. इसका निर्माण किसी योजना को पूरा करने के लिए विचार-विमर्श करके किया जाता है। 4. इसका निर्माण स्वत: ही सामाजिक संबंधों द्वारा होता है।
5. इसे किसी तकनीकी उद्देश्य को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया जाता है। 5. इसका निर्माण सामाजिक संतोष प्राप्त करने के लिए होता है।
6. इसका आकार बड़ा हो सकता है। 6. यह प्रायः छोटे आकार का होता है।
7. इसमें सत्ता का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है। 7. इसमें सत्ता का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है।

 

33. एक कम्पनी के पूँजी ढाँचे को निर्धारित करने वाले किन्हीं छः घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – एक कम्पनी के पूंजी ढांचे को निर्धारित करने वाले छ: मुख्य घटक हो सकते हैं :
(i) नकद – कम्पनी की नकद धनराशि उसकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित करती है, जैसे लिक्विडिटी और वित्तीय संरचना।
(ii) ऋण – इस में कंपनी के द्वारा लिया गया धन शामिल होता है, जो उसकी ऋण लाभांश और वित्तीय लचीलापन पर प्रभाव डालता है।
(iii) इंतिजाम – यह उसके वित्तीय इंतिजाम, जैसे कम्पनी की प्राथमिकताएं और धन्यवादी प्रतिबंधों के साथ संबंधित होता है।
(iv) संपत्ति – कंपनी की निर्मित संपत्ति, जैसे की भूमि, संरचनाएँ और उपकरण, इसके पूंजी ढांचे का महत्वपूर्ण घटक हो सकती है।
(v) स्टॉकहोल्डर्स पुँजी – कंपनी के स्टॉकहोल्डर्स द्वारा प्रदान की गई पूंजी, जो उसकी संपत्ति और वित्तीय संरचना को प्रभावित करती है।
(vi) आदान-प्रदान – यह कंपनी के वित्तीय गतिविधियों, जैसे निवेश, उत्पादन और विपणन, को प्रभावित कर सकता है।

34. विपणन किसे कहते हैं? इसके चार कार्यों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर – विपणन एक व्यापारिक प्रक्रिया है जिसमें उत्पाद या सेवाओं को बाजार में पेश किया जाता है ताकि ग्राहकों को उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने का अवसर मिले। यह व्यापारिक गतिविधि के अंतर्गत उत्पादों या सेवाओं को बाजार में प्रस्तुत करने, बिक्री को बढ़ाने, और ब्रांड को प्रमोट करने का काम करता है।
विपणन की चार आधारशिला है – 4P’s (Product, Price, Place, Promotion)
• उत्पाद (Product) – यह संगठन द्वारा दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं को संदर्भित करता है। इसे लाभों के एक बंडल के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो एक विपणक उपभोक्ता को कीमत के लिए प्रदान करता है। उत्पाद हवाई यात्रा, दूरसंचार आदि जैसी सेवा का रूप भी ले सकता है।
• मूल्य (Price) – यह किसी उत्पाद या सेवा के लिए ली जाने वाली राशि है। किसी उत्पाद की मांग, शामिल लागत, उपभोक्ता की भुगतान करने की क्षमता, समान उत्पादों के लिए प्रतिस्पर्धियों द्वारा लगाए गए मूल्य, सरकारी प्रतिबंध आदि।

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