HBSE Class 11 Business Studies Question Paper 2024 Answer Key

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HBSE Class 11 Business Studies Question Paper 2024 Answer Key

1. हरे कृष्णा इंडस्ट्रीज लि० व रामा इंडस्ट्रीज लि० वे कंपनियां हैं जो प्राथमिक स्तर पर निष्कर्षित माल को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करती हैं। इन कंपनियों द्वारा निर्मित माल या तो अंतिम उपभोग के लिए प्रयोग में लाया जाता है या दूसरे उद्योगों में आगे की प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है।
उद्योग के उस प्रकार को पहचानिए जिससे ये कंपनियाँ संबंधित हैं :
(a) प्राथमिक उद्योग
(b) गौण / द्वितीयक उद्योग
(c) निर्माणी उद्योग
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (b) गौण / द्वितीयक उद्योग

2. भारतीय रेलवे सार्वजनिक उपक्रमों के …………. प्रारूप का उदाहरण है।
(a) विभागीय उपक्रम
(b) सार्वजनिक निगम
(c) सरकारी कम्पनी
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (a) विभागीय उपक्रम

3. एक व्यक्ति यदि Rs. 50,000 मूल्य के माल का बीमा Rs. 70,000 का करवाता है और यदि सारा माल क्षतिग्रस्त हो जाए, तो बीमा कंपनी केवल वास्तविक हानि अर्थात् Rs. 50,000 का ही भुगतान करेगी। इसके विपरीत, यदि कोई व्यक्ति Rs. 50,000 मूल्य के माल का Rs. 30,000 का बीमा करवाता है और सारा माल क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो बीमा कंपनी केवल Rs. 30,000 का ही भुगतान करेगी।
बीमा का सिद्धान्त बताइए जिससे उपरोक्त उदाहरण संबंधित है :
(a) निकटतम कारण
(b) क्षतिपूर्ति
(c) अधिकार समर्पण
(d) हानि को न्यूनतम करना
उत्तर – (b) क्षतिपूर्ति

4. ई-बिजनेस का एक घटक है जिसमें लेन-देनों के एक छोर पर व्यावसायिक फर्म और दूसरे छोर पर इसके ग्राहक होते हैं। ई-बिजनेस का यह रूप एक व्यवसाय के लिए हर समय अपने ग्राहकों के संपर्क में रहना संभव बनाता है।
ई-बिजनेस के घटक का नाम बताइए :
(a) B2B कॉमर्स
(b) B2C कॉमर्स
(c) इंट्रा-B कॉमर्स
(d) C2C कॉमर्स
उत्तर – (b) B2C कॉमर्स

5. जन निक्षेप (Public Deposits) वह निक्षेप है जो सीधे …………. से प्राप्त किए जाते हैं।
(a) जनता
(b) संचालक
(c) अंकेक्षक
(d) स्वामी
उत्तर – (a) जनता

6. उद्यमिता के परिणाम को निम्न में से क्या कहा जाता है?
(a) उद्यमी
(b) उद्यमिता
(c) उपक्रम
(d) उद्यमी व उद्यमिता
उत्तर – (c) उपक्रम

7. माल की घर पर सुपुर्दगी की सुविधा प्रायः …………. के द्वारा दी जाती है।
(a) थोक व्यापारी
(b) फुटकर व्यापारी
(c) एजेंट
(d) उत्पादक
उत्तर – (b) फुटकर व्यापारी

8. इंडेंट में …………. का उल्लेख किया जाता है।
(a) माल के नाम
(b) माल की किस्म
(c) माल के मूल्य
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर – (d) उपरोक्त सभी

9. ………….. व्यावसायिक अनिश्चितता का उदाहरण नहीं है। (माँग का गलत अनुमान / भूकंप)
उत्तर – भूकंप

10. सार्वजनिक कम्पनी में सदस्यों की अधिकतम संख्या …………. है। (50 / की कोई सीमा नहीं)
उत्तर – की कोई सीमा नहीं

11. ……….. सामान्य बीमा के अंतर्गत आता है। (अग्नि बीमा / जीवन बीमा)
उत्तर – अग्नि बीमा

12. निर्यातकर्ता के लिए पूरा जहाज किराए पर लेने को ………….. कहते हैं। (चार्टर पार्टी / जहाजी बिल)
उत्तर – चार्टर पार्टी

13. प्रत्येक कंपनी के लिए अंतर्नियम जमा कराना अनिवार्य है। (सत्य / असत्य)
उत्तर – असत्य

14. भारत में सभी पेटेंट 30 वर्ष के लिए मान्य होते हैं। (सत्य / असत्य)
उत्तर – असत्य

15. GST पद्धति के अंतर्गत ‘कर के ऊपर कर’ लगता है न कि केवल मूल्यं वृद्धि पर। (सत्य / असत्य)
उत्तर – असत्य

16. “इसका अभिप्राय सभी वाणिज्यिक क्रियाओं को कम्प्यूटर नेटवर्क (अर्थात इंटरनेट) के माध्यम से पूरा करना है।” उपरोक्त कथन व्यवसाय के उभरते हुए साधनों से संबंधित है। इसे पहचानिए।
उत्तर – ई-कॉमर्स / ई-व्यवसाय

17. “इसका अभिप्राय उस व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह से है, जो एक व्यावसायिक इकाई को अस्तित्व में लाने के लिए विभिन्न कार्य करता है।” उपरोक्त कथन कम्पनी की स्थापना की मदों से संबंधित है। इसे पहचानिए।
उत्तर – प्रवर्तक (Promoter)

18. “इसका अभिप्राय उन अंशों से है जो वार्षिक लाभांश के भुगतान व समापन के समय पूँजी वापसी के अधिकार में प्राथमिकता रखते हैं।” उपरोक्त कथन अंशों के एक प्रकार से संबंधित है। इसे पहचानिए।
उत्तर – अधिमान अंश (Preference Share)

19. अभिकथन (A) : विभागीय उपक्रमों द्वारा अर्जित राजस्व को सरकारी खजाने में जमा कराया जाता है।
कारण (R) : यह सरकार की आय का एक स्त्रोत है।
(a) अभिकथन (A) व कारण (R) दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(b) अभिकथन (A) व कारण (R) दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(c) अभिकथन (A) सत्य है लेकिन कारण (R) असत्य है
(d) अभिकथन (A) तथा कारण (R) दोनों असत्य हैं।
उत्तर – (a) अभिकथन (A) व कारण (R) दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।

20. अभिकथन (A) : एक व्यावसायिक इकाई द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा ही उसके अस्तित्व एवं विकास के लिए औचित्य प्रदान करती है।
कारण (R) : व्यवसाय की उन्नति एवं विकास तभी संभव है जब समाज को लगातार सेवा उपलब्ध होती रहे।
(a) अभिकथन (A) व कारण (R) दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(b) अभिकथन (A) व कारण (R) दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(c) अभिकथन (A) सत्य है लेकिन कारण (R) असत्य है
(d) अभिकथन (A) तथा कारण (R) दोनों असत्य हैं।
उत्तर – (a) अभिकथन (A) व कारण (R) दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।

21. साझेदारी के कोई तीन लाभ बताइए।
उत्तर – साझेदारी के तीन मुख्य लाभ हैं :
(i) पूँजी और संसाधनों का अधिक उपलब्धता
(ii) जोखिमों का विभाजन
(iii) विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता का लाभ

22. उपभोक्ताओं के प्रति व्यवसाय के कोई तीन उत्तरदायित्व बताइए।
उत्तर – उपभोक्ताओं के प्रति व्यवसाय के तीन मुख्य दायित्व हैं :
(i) उचित मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएं प्रदान करना
(ii) ग्राहकों की शिकायतों का तुरंत समाधान करना
(iii) सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पादों की आपूर्ति करना

23. अंशों एवं ऋणपत्रों में कोई तीन अंतर बताइए।
उत्तर – मुख्य अंतर इस प्रकार हैं :
(i) अंश कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि ऋणपत्र कंपनी के लिए ऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं।
(ii) अंशधारकों को लाभांश मिलता है, जो कंपनी के मुनाफे का हिस्सा होता है, जबकि ऋणपत्रधारकों को ब्याज मिलता है, जो एक निश्चित दर पर भुगतान किया जाता है।
(iii) अंशों की तुलना में ऋणपत्र अधिक सुरक्षित होते हैं क्योंकि वे आमतौर पर कंपनी की संपत्ति पर प्रभार (charge) द्वारा सुरक्षित होते हैं।

अथवा

आधुनिक व्यवसाय में वित्त के कोई तीन महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर – आधुनिक व्यवसाय में वित्त के तीन महत्त्व :
(i) वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना
(ii) विकास और विस्तार के लिए पूँजी प्रदान करना
(iii) जोखिमों का प्रबंधन करना

24. फुटकर व्यापारी की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – फुटकर व्यापारी की तीन मुख्य विशेषताएं हैं :
(i) थोक विक्रेताओं से सामान खरीदना और उपभोक्ताओं को छोटी मात्रा में बेचना
(ii) ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत संपर्क बनाए रखना
(iii) विभिन्न प्रकार के सामानों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराना

अथवा

उपभोक्ता सहकारी भण्डारों के कोई तीन लाभ बताइए।
उत्तर – उपभोक्ता सहकारी भंडारों के तीन मुख्य लाभ हैं :
(i) उचित मूल्य पर सामान उपलब्ध कराना
(ii) मिलावट रहित सामान की उपलब्धता
(iii) सदस्यों को बचत करने के लिए प्रोत्साहित करना

25. व्यवसाय तथा रोजगार में चार अंतर लिखिए।
उत्तर – व्यवसाय और रोजगार में चार मुख्य अंतर इस प्रकार हैं :
(i) व्यवसाय में लाभ और हानि दोनों की संभावना होती है, जबकि रोजगार में वेतन या मजदूरी निश्चित होती है और जोखिम कम होता है।
(ii) व्यवसाय शुरू करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है, जबकि रोजगार में आमतौर पर पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है।
(iii) व्यवसाय का मालिक व्यवसाय का स्वामी होता है, जबकि रोजगार में कर्मचारी किसी और के लिए काम करता है।
(iv) व्यवसाय में, मालिक को व्यवसाय के संचालन पर नियंत्रण होता है, जबकि रोजगार में, कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा निर्धारित कार्यों को करना होता है।

26. इंटरनेट से आपका क्या अभिप्राय है? इसके दो लाभों का वर्णन करें।
उत्तर – इंटरनेट एक वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क है जो दुनिया भर के लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़ता है। इसके माध्यम से हम जानकारी का आदान-प्रदान, संचार, ऑनलाइन खरीददारी, शिक्षा, मनोरंजन आदि कार्य कर सकते हैं।
इंटरनेट के दो लाभ :
(i) सूचना तक आसान पहुँच – इंटरनेट पर किसी भी विषय से संबंधित जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सकती है, जिससे शिक्षा, शोध और व्यवसायिक निर्णय आसान हो जाते हैं।
(ii) ऑनलाइन लेन-देन की सुविधा – इंटरनेट के माध्यम से हम बैंकिंग, शॉपिंग, बिल भुगतान, आदि कार्य घर बैठे आसानी से कर सकते हैं, जिससे समय और श्रम की बचत होती है।

अथवा

बीमा के किन्ही चार सिद्धान्तों का वर्णन करें।
उत्तर – बीमा के चार प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन :
(i) क्षतिपूर्ति का सिद्धान्त – बीमाकर्ता (Insurance Company) बीमाधारक को उसकी वास्तविक हानि की ही भरपाई करता है, उससे अधिक नहीं। इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं, हानि की पूर्ति करना है।
(ii) न्यूनतम हानि का सिद्धान्त – बीमाधारक का कर्तव्य होता है कि वह किसी भी दुर्घटना या क्षति की स्थिति में हानि को यथासंभव कम करने का प्रयास करे।
(iii) अधिकार समर्पण का सिद्धान्त – बीमा कंपनी, हानि की भरपाई के बाद, बीमाधारक के स्थान पर खड़ी हो जाती है और उसे हानि पहुँचाने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
(iv) सर्वोत्तम आस्था का सिद्धान्त – बीमाधारक और बीमाकर्ता दोनों को एक-दूसरे को पूरी और सच्ची जानकारी देना अनिवार्य होता है। कोई भी तथ्य छुपाना अनुचित माना जाता है।

27. ई-व्यवसाय क्या है? परंपरागत व्यवसाय व ई-व्यवसाय के कोई दो अंतर लिखिए।
उत्तर – ई-व्यवसाय (E-Business) का अर्थ है सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को इंटरनेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से संचालित करना। इसमें खरीद-बिक्री, भुगतान, संचार, सेवाएँ आदि कार्य ऑनलाइन किए जाते हैं।
परंपरागत व्यवसाय और ई-व्यवसाय के दो मुख्य अंतर :
(i) परंपरागत व्यवसाय के लिए भौतिक स्थान (दुकान, दफ़्तर) की आवश्यकता होती है जबकि ई-व्यवसाय को इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी संचालित किया जा सकता है।
(ii) परंपरागत व्यवसाय के लिए सामान्यतः कार्य समय सीमित होता है जबकि ई-व्यवसाय कभी भी, कहीं भी संचालित हो सकता है।

28. एक छोटे व्यवसाय की किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – एक छोटे व्यवसाय की चार प्रमुख समस्याएँ :
(i) पूंजी की कमी – छोटे व्यवसायों को बैंकों व वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करना कठिन होता है, जिससे वे अपनी उत्पादन क्षमता और विस्तार योजनाओं को सीमित कर पाते हैं।
(ii) तकनीकी ज्ञान की कमी – अधिकांश छोटे व्यवसायों में आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित कर्मचारी व उत्पादन के उन्नत साधनों की कमी होती है।
(iii) विपणन समस्याएँ – छोटे व्यवसायों के पास प्रचार-प्रसार के सीमित साधन होते हैं, जिससे वे अपने उत्पादों को बड़े बाज़ार में प्रभावी ढंग से नहीं बेच पाते।
(iv) मूल्य प्रतिस्पर्धा – बड़े उद्योग सस्ते दामों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बेचते हैं, जिससे छोटे व्यवसायों के लिए बाजार में टिके रहना कठिन हो जाता है।

29. थोक व्यापारियों द्वारा निर्माताओं अथवा उत्पादकों को दी जाने वाली किन्हीं चार सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – यहाँ थोक व्यापारियों (Wholesalers) द्वारा निर्माताओं अथवा उत्पादकों को दी जाने वाली चार प्रमुख सेवाएँ :
(i) बड़े पैमाने पर माल की खरीद – थोक व्यापारी उत्पादकों से बड़ी मात्रा में माल खरीदते हैं, जिससे उत्पादकों को उत्पादन की निरंतरता बनी रहती है।
(ii) भंडारण सुविधा – थोक व्यापारी माल को अपने गोदामों में सुरक्षित रखते हैं, जिससे उत्पादक को भंडारण की चिंता नहीं रहती।
(iii) विपणन में सहायता – थोक व्यापारी उत्पादों को खुदरा विक्रेताओं तक पहुँचाते हैं, जिससे उत्पादकों को विपणन का झंझट नहीं झेलना पड़ता।
(iv) जोखिम में कमी – थोक व्यापारी माल का स्वामित्व ले लेते हैं, जिससे माल की हानि या बिक्री न होने का जोखिम उत्पादक से हटकर थोक व्यापारी पर आ जाता है।

30. अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय के किन्हीं चार महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय के चार मुख्य महत्त्व हैं :
(i) राजस्व में वृद्धि – अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करके, कंपनियां अपने राजस्व को बढ़ा सकती हैं। घरेलू बाजारों में सीमित अवसर हो सकते हैं, लेकिन विदेशी बाजारों में विस्तार करके, कंपनियां अधिक ग्राहकों तक पहुंच सकती हैं और अधिक बिक्री कर सकती हैं।
(ii) प्रतिस्पर्धा में कमी – घरेलू बाजार में, एक कंपनी को कई प्रतिस्पर्धियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में, प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है, खासकर यदि कंपनी विशिष्ट उत्पादों या सेवाओं की पेशकश करती है जो अन्य देशों में उपलब्ध नहीं हैं।
(iii) उत्पाद जीवनकाल में वृद्धि – घरेलू बाजार में, एक उत्पाद का जीवनकाल सीमित हो सकता है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में, एक उत्पाद को नए और अधिक विस्तारित जीवनकाल का अनुभव हो सकता है।
(iv) विशेषज्ञता हासिल करने का अवसर – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कंपनियों को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने का अवसर प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी जो विशेष रूप से उन्नत विनिर्माण तकनीकों में विशेषज्ञ है, वह उन देशों में निर्यात कर सकती है जहां इन तकनीकों का अभाव है।

अथवा

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) क्या है? इसके दो मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना, उच्च रोजगार और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और गरीबी को कम करना है।
इसके दो मुख्य उद्देश्य हैं :
(i) वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना – IMF सदस्य देशों के बीच मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय भुगतान और विनिमय दर प्रणालियों में स्थिरता आती है।
(ii) वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना – IMF वित्तीय संकटों को रोकने और उनका प्रबंधन करने के लिए काम करता है, और सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

31. सहकारी संगठन का क्या अर्थ है? इसकी कोई चार विशेषताएँ समझाइए।
उत्तर – सहकारी संगठन (Cooperative Organization) एक ऐसा संगठन है जिसमें लोग स्वेच्छा से अपने आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक हितों की पूर्ति के लिए मिलकर काम करते हैं। यह एक लोकतांत्रिक संगठन होता है जहाँ सदस्यों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
सहकारी संगठन की चार मुख्य विशेषताएं :
(i) स्वैच्छिक सदस्यता – कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से सहकारी समिति का सदस्य बन सकता है और जब चाहे तब सदस्यता छोड़ सकता है।
(ii) लोकतांत्रिक प्रबंधन – सहकारी समिति का प्रबंधन लोकतांत्रिक तरीके से किया जाता है। प्रत्येक सदस्य को मत देने का समान अधिकार होता है, चाहे उसने समिति में कितना भी पूंजी लगाया हो।
(iii) सेवा उद्देश्य – सहकारी समिति का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों को सेवा प्रदान करना होता है, न कि लाभ कमाना।
(iv) सदस्यों के हित के लिए कार्य – सहकारी समिति का गठन सदस्यों के पारस्परिक हितों की पूर्ति के लिए किया जाता है।

अथवा

कम्पनी संगठन की किन्हीं छः सीमाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – कम्पनी संगठन की छः प्रमुख सीमाएं :
(i) जटिल गठन प्रक्रिया – कंपनी का गठन एक लंबी और कानूनी प्रक्रिया है जिसमें पंजीकरण, दस्तावेज़ीकरण और सरकारी औपचारिकताएँ पूरी करनी होती हैं, जो समय और धन दोनों की माँग करती हैं।
(ii) कानूनी नियंत्रण – कंपनी पर विभिन्न अधिनियमों और सरकारी नियमों का कठोर पालन आवश्यक होता है, जिससे इसकी गतिविधियों पर कई तरह की कानूनी पाबंदियाँ होती हैं।
(iii) स्वामित्व और प्रबंधन में अलगाव – कंपनी के मालिक (अंशधारी) और प्रबंधन (निर्देशक मंडल) अलग होते हैं, जिससे कई बार हितों का टकराव और गैर-जिम्मेदार प्रबंधन देखने को मिलता है।
(iv) निर्णय लेने में विलंब – महत्वपूर्ण निर्णय बोर्ड मीटिंग, अनुमोदन और विभिन्न स्तरों पर विचार-विमर्श के बाद लिए जाते हैं, जिससे निर्णय प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
(v) गोपनीयता में कमी – कंपनी को अपने वित्तीय विवरण और अन्य जानकारी सार्वजनिक करनी होती है, जिससे व्यापारिक गोपनीयता बनाए रखना कठिन हो जाता है।
(vi) करों का दोहरा भार – कंपनी के मुनाफे पर पहले कॉर्पोरेट टैक्स लगता है, फिर जब लाभांश अंशधारकों को बाँटा जाता है तो उस पर भी व्यक्तिगत कर लगता है।

32. सार्वजनिक निगमों की किन्हीं छः विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सार्वजनिक निगम की विशेषताएँ :
(i) कानूनी सत्ता – सार्वजनिक निगम कानून द्वारा गठित एक स्वतंत्र संस्था होती है। इसे संसद या विधानसभा के अधिनियम द्वारा स्थापित किया जाता है।
(ii) सरकारी स्वामित्व – सार्वजनिक निगम का पूरा स्वामित्व सरकार के पास होता है। यह सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्यम होता है।
(iii) स्वायत्तता – इन संस्थाओं को प्रबंधन में स्वतंत्रता दी जाती है। ये अपने निर्णय स्वयं ले सकती हैं, लेकिन सरकार के मार्गदर्शन में।
(iv) वित्तीय स्वतंत्रता – सार्वजनिक निगमों को स्वयं धन अर्जित करने और खर्च करने की स्वतंत्रता होती है। लेकिन कुछ बड़े निर्णयों के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक होती है।
(v) सेवा का उद्देश्य – इनका मुख्य उद्देश्य जनता को सेवाएँ देना होता है, न कि केवल लाभ कमाना। ये सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देती हैं।
(vi) सरकारी उत्तरदायित्व – हालाँकि निगम स्वतंत्र होते हैं, परंतु वे सरकार को उत्तरदायी होते हैं और संसद या विधानसभा के प्रति जवाबदेह होते हैं।

33. कम्पनी के समामेलन से क्या अभिप्राय है? इसकी विधि का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर – समामेलन (Amalgamation) का अर्थ है दो या दो से अधिक कंपनियों का मिलकर एक नई कंपनी का निर्माण करना या एक कंपनी का दूसरी में विलीन हो जाना।
समामेलन की विधि :
(i) प्रस्ताव का निर्माण – संबंधित कंपनियों के निदेशक मंडल (Board of Directors) द्वारा समामेलन की योजना तैयार की जाती है।
(ii) स्वीकृति प्राप्त करना – इस योजना को संबंधित अंशधारकों, ऋणदाताओं तथा नियामक निकायों (जैसे NCLT) से अनुमोदित करवाया जाता है।
(iii) संपत्ति और दायित्वों का मूल्यांकन – दोनों कंपनियों की संपत्तियों और देनदारियों का मूल्यांकन करके उनकी कुल पूंजी का निर्धारण किया जाता है।
(iv) विनिमय अनुपात तय करना – नई कंपनी में पुराने अंशधारकों को दिए जाने वाले अंशों का विनिमय अनुपात निर्धारित किया जाता है।
(v) कानूनी स्वीकृति एवं पंजीकरण – समामेलन योजना को कंपनी अधिनियम के अनुसार न्यायालय/NCLT से विधिक मंजूरी दिलवाकर नई कंपनी का पंजीकरण किया जाता है।
(vi) नई कंपनी का संचालन – पंजीकरण के बाद नई कंपनी औपचारिक रूप से अपना व्यापार आरंभ करती है और पुरानी कंपनियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

अथवा

पार्षद सीमानियम तथा पार्षद अंतर्नियम में कोई छः अंतरभेद कीजिए।
उत्तर – पार्षद सीमानियम तथा पार्षद अंतर्नियम में अंतर :

पार्षद सीमानियम (Memorandum of Association)पार्षद अंतर्नियम (Articles of Association)
1. यह कंपनी का संविधान या मुख्य दस्तावेज होता है।1. यह कंपनी का आंतरिक प्रबंधन दस्तावेज होता है।
2. यह कंपनी की बाहरी सीमाओं को निर्धारित करता है।2. यह कंपनी के अंदरूनी नियमों को नियंत्रित करता है।
3. इसके बिना कंपनी का पंजीकरण नहीं हो सकता।3. यह दस्तावेज वैकल्पिक होता है; यदि न हो तो Table F लागू होता है।
4. इसमें कंपनी के उद्देश्य, नाम, स्थिति आदि का उल्लेख होता है।4. इसमें निदेशकों की शक्तियाँ, बैठकों के नियम आदि का उल्लेख होता है।
5. यह कंपनी की गतिविधियों की सीमा तय करता है, इसका उल्लंघन शून्य (Void) होता है।5. यह आंतरिक नियम होते हैं, उल्लंघन पर केवल जुर्माना या कार्रवाई हो सकती है।
6. इसे केवल विशेष प्रस्ताव और न्यायालय की अनुमति से ही बदला जा सकता है।6. इसमें संशोधन अपेक्षाकृत सरल होता है, सिर्फ विशेष प्रस्ताव से हो सकता है।

 

34. दीर्घकालीन वित्त प्राप्त करने के लिए समता अंश जारी करने की कोई छः सीमाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – समता अंश (Equity Shares) वह अंश होते हैं जिनके धारक कंपनी के वास्तविक मालिक होते हैं, परंतु इन्हें लाभांश या पूंजी वापसी में कोई निश्चित गारंटी नहीं होती। दीर्घकालीन वित्त जुटाने के लिए समता अंश महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन इनमें कुछ सीमाएँ भी होती हैं, जो नीचे दी गई हैं :
(i) लाभांश पर अनिश्चितता – समता अंशधारकों को लाभांश तभी मिलता है जब कंपनी लाभ कमाती है और निदेशक मंडल इसे स्वीकृत करता है। इस कारण निवेशकों को निश्चित आय नहीं मिलती।
(ii) विकेन्द्रीकृत नियंत्रण का खतरा – यदि अधिक संख्या में अंश जारी कर दिए जाएँ, तो कंपनी के नियंत्रण में विभाजन हो सकता है जिससे प्रबंधन पर प्रभाव पड़ सकता है।
(iii) अधिशेष अंश पूँजी का उपयोग सीमित – एक बार अंश पूँजी जुट जाने के बाद, इसे वापस नहीं किया जा सकता, जिससे वित्तीय लचीलापन सीमित हो जाता है।
(iv) अधिक लागत – समता अंश जारी करना अन्य स्रोतों की तुलना में महंगा होता है क्योंकि इसमें विज्ञापन, अंश पुस्तिका, अंश दलालों का कमीशन आदि शामिल होते हैं।
(v) विलंबित प्रक्रिया – समता अंश जारी करने की प्रक्रिया लंबी और कानूनी औपचारिकताओं से भरी होती है, जैसे SEBI की अनुमति, प्रॉस्पेक्टस, स्टॉक एक्सचेंज में सूचीकरण आदि।
(vi) अत्यधिक निर्भरता पर जोखिम – यदि कोई कंपनी केवल समता अंश पूँजी पर निर्भर रहती है, तो उसे कठिन समय में ऋण प्राप्त करना कठिन हो सकता है, जिससे उसकी क्रेडिट रेटिंग पर असर पड़ता है।

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