HBSE 12th Hindi Solved Sample Paper 2023
1. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए।
(i) नीडों से झांक रहे बच्चों का ध्यान चिड़िया के परो में क्या भरता है ?
(क) शिथिलता
(ख) विकलता
(ग) चंचलता
(घ) विहवलता
(ii) परदे पर किसकी कीमत बताई गई है ?
(क) अपाहिज
(ख) कैमरामैन
(ग) वक्त
(घ) अभिनेता
(iii) लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप कविता रामचरितमानस के किस कांड से ली गई है ?
(क) बालकांड
(ख) अयोध्या कांड
(ग) लंका कांड
(घ) अरण्यकांड
(iv) कवि ने अपने कर्म की तुलना किससे की है ?
(क) किसान
(ख) साहित्यकार
(ग) धनी
(घ) निर्धन
(v) कवि के अनुसार कौन रात बीतने पर पाप के अध्याय खोलता है ?
(क) यमराज
(ख) चित्रगुप्त
(ग) फरिश्ते
(घ) ईश्वर
(vi) कविता रूपी फसल की कटाई कितनी बार की जा सकती है ?
(क) एक बार
(ख) दो बार
(ग) अनंत बार
(घ) इनमें से कोई नहीं
2. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं
महज एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे
प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक “आरोह भाग-2” में संकलित “आलोक धन्वा” द्वारा रचित “पतंग” नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कोमल बच्चों की इच्छाओं और क्रियाकलापों का चित्रण किया है।
व्याख्या : कवि कमल बच्चों के क्रियाकलापों का चित्रण करते हुए कहते हैं कि जब बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाने के लिए मकानों की छतों के खतरनाक किनारों पर दौड़ते हैं तो उन्हें अन्य कोई बचाने नहीं आता बल्कि उनके रोमांचित शरीर का संगीत ही उनकी रक्षा करता है, उन्हें गिरने से बचाता है। कवि का अभिप्राय है कि यह कोमल बच्चे अपनी इसी रोमांच के सहारे खतरनाक स्थानों को भी पार कर अपनी मंजिल पर पहुंच जाते हैं। जो पतंग मात्र एक धागे के सहारे असीम आकाश में उड़ रही होती है तो वह भी अपनी डोलती ऊंचाइयों से कोमल बच्चों को सहारा प्रदान करती है। यह कोमल बच्चे असीम आकाश में उड़ने वाली पतंगों के साथ-साथ अपने र्ंद्रों के सहारे स्वयं भी उड़ रहे हैं। बाल मन की ऊंचाइयों को छू रही पतंगों के साथ आकाश में उड़ना चाहता है। वह उनकी हदों को पार करना चाहता है। वैसे भी इन कोमल बच्चों का कोमल मन भी इन्हीं पतंगों के साथ उड़ रहा होता है।
अथवा
मेरा जो होता – सा लगता है होता-सा संभव है
सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यो का घेरा है,
कार्यों का वैभव है
अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था,
जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हें प्यारा है।
प्रसंग : प्रस्तुत पक्तियां ”मुक्तिबोध” की रचना “सहर्ष स्वीकारा है” में से अवतरित हैं। इसमें कवि ने अपनी प्रत्येक अनुभूति, परिस्थिति और स्थिति पर अपने प्रिय की छाप का अनुभव किया है। यही कारण है कि वह प्रत्येक क्षण एवं स्थिति को सहर्ष स्वीकार कर लेता है। कवि अँधेरी गुफा के अदंर भी प्रिय के संवेदना का अनुभव करता है।
व्याख्या : हे प्रिय! मेरे जीवन में जो कुछ भी है या जो कुछ मेरा होता-सा लगता है (वह शायद मेरा हो जाए) वह सब तुम्हारे कारण ही है। मेरी जो सत्ता है, मेरी जो स्थितियाँ हैं, मेरी जो स्थितियाँ हो सकती हैं, मेरी उन्नति या अवनति की जो संभावनाएँ हैं, वे सभी तुम्हारे कारण हैं। मेरा हर्ष-विषाद, उन्नति- अवनति सदा तुम्हारे कारण हैं। मेरा हर्ष-विषाद, उन्नति- अवनति सदा तुम्हीं से जुड़ी रही हैं। हे प्रिय! मेरे जीवन में जो भी सुख-दु:ख, सफलताएँ- असफलताएँ हैं, मैंने उन्हें प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि तुमने उन सबको अपना माना है, वे सब तुम्हें प्रिय हैं। जो तुम्हें प्रिय हैं, उन्हें अस्वीकार कर पाना मेरे लिए असंभव है।
3. तुलसीदास अथवा आलोक धन्वा के जीवन रचनाओं एवं भाषा शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
तुलसीदासजी : तुलसीदास भारत के ही नहीं, संपूर्ण मानवता तथा संसार के कवि हैं। उनके जन्म से संबंधित प्रमाणिक सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इनका जन्म 1532 ई० स्वीकार किया गया है। तुलसीदास जी के जन्म और जन्म स्थान के संबंध को लेकर सभी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के ‘राजापुर’ गांव में माना जाता है। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरो नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें बाल्यकाल में ही त्याग दिया था। इनका बचपन अनेक कष्टों के बीच व्यतीत हुआ। तुलसीदास जी ने अनेक तीर्थों का भ्रमण किया और ये राम के अनन्य भक्त बन गए। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। 1574 ई० में इन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। 1623 ई० में काशी में इनका निधन हो गया। तुलसीदास को हम हिंदू कवि और संत के रूप में जानते हैं उन्होंने भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की है।
साहित्यिक परिचय : तुलसीदास जी महान लोकनायक और श्री राम के महान भक्त थे। इनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ संपूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है। यह एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें भाषा, उद्देश्य, कथावस्तु, संवाद एवं चरित्र चित्रण का बड़ा ही मोहक चित्रण किया गया है। इस ग्रंथ के माध्यम से इन्होंने जिन आदर्शों का भावपूर्ण चित्र अंकित किया है, वे युग-युग तक मानव समाज का पथ-प्रशस्त करते रहेंगे।
इनकी प्रमुख रचनाएं : रामचरितमानस, गीतावली, दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका, पार्वती मंगल, कृष्ण गीतावली
अथवा
आलोक धन्वा : आलोक धन्वा का जन्म 1948 ई. में मुंगेर (बिहार) में हुआ। सातवें-आठवें दशक के जनांदोलनों से जुड़े हुए कवि आलोक धन्वा ने बहुत छोटी अवस्था में अपनी गिनी-चुनी कविताओं से अपार लोकप्रियता अर्जित की। सन् 72-73 में प्रकाशित इनकी आरंभिक कविताएं हिंदी के अनेक गंभीर काव्यप्रेमियों को जबानी याद रही हैं। आलोचकों का तो मानना है कि उनकी कविताओं ने हिंदी कवियों और कविताओं को कितना प्रभावित किया, इसका मूल्यांकन अभी ठीक से हुआ नहीं है। इतनी व्यापक ख्याति के बावजूद या शायद उसी की वजह से बनी हुई अपेक्षाओं के दबाव के चलते, आलोक धन्वा ने कभी थोक के भाव में लेखन नहीं किया। सन् 72 से लेखन आरंभ करने के बाद उनका पहला और अभी तक का एकमात्र काव्य–संग्रह सन् 98 में प्रकाशित हुआ। काव्य-सग्रह के अलावा वे पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर में अध्ययन-मंडलियों का संचालन किया और रंगकर्म तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।
प्रमुख रचनाएँ : पहली कविता ‘जनता का आदमी’, 1972 में प्रकाशित उसके बाद ‘भागी हुई लड़कियाँ’, ब्रूनो की बेटियों से प्रसिद्धि’, ‘दुनिया रोज बनती है’ एकमात्र संग्रह।
प्रमुख सम्मान : राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान।
4. कविताओं के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) सूर्योदय होने से उषा का कौन-सा जादू टूट रहा है ?
सूर्योदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। नीले आकाश में फैलती प्रात:कालीन सफेद किरणें जादू के समान प्रतीत होती हैं। उषा काल में आकाश का सौंदर्य क्षण- क्षण परिवर्तित होता है। उस समय प्रकृति के कार्य-व्यापार ही ‘उषा का जादू’ है। निर्मल नीला आकाश, काली सिर पर पुते केसर-से रंग, स्लेट पर लाल खड़िया चाक, नीले जल में नहाती किसी गोरी नायिका की झिलमिलाती देह आदि दृश्य उषा के जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय के होते ही ये सभी दृश्य समाप्त हो जाता है। इसी को उषा का जादू टूटना कहा गया है।
(ii) कवि किस दृश्य को रोककर रखना चाहता है और क्यों ?
कवि उस सौंदर्य को थोड़ी देर के लिए अपने से दूर रोके रखना चाहता है क्योंकि वह उस दृश्य पर मुग्ध हो चुका है। उसे इस रमणीय दृश्य के लुप्त होने का भय है।
5. निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए।
(i) कितने वर्ष की अवस्था में भक्तिन विधवा हो गई ?
(क) 28 वर्ष
(ख) 26 वर्ष
(ग) 29 वर्ष
(घ) 36 वर्ष
(ii) जीजी के लड़के ने पुलिस की लाठी किस आंदोलन में खाई थी ?
(क) राष्ट्रीय आंदोलन
(ख) भूदान आंदोलन
(ग) अवज्ञा आंदोलन
(घ) नमक आंदोलन
(iii) लुट्टन पहलवान कितने वर्ष तक अजेय रहा ?
(क) 10 वर्ष
(ख) 15 वर्ष
(ग) 18 वर्ष
(घ) 20 वर्ष
(iv) शिरीष के फूल को संस्कृत साहित्य में कैसा माना गया है ?
(क) कोमल
(ख) सख्त
(ग) मुलायम
(घ) कठोर
(v) सफिया अपने भाइयों से मिलने कहाँ जा रही थी ?
(क) ढाका
(ख) लाहौर
(ग) अमृतसर
(घ) कराची
(vi) दंगल का स्थान किसने ले लिया था ?
(क) क्रिकेट ने
(ख) फुटबॉल ने
(ग) घोड़ों की रेस ने
(घ) भाला फेंक ने
6. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हैं, गांधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब-तब हूक उठती है- हाय, वह अवधूत आज कहाँ है।
प्रसंग : लोकप्रिय लेखक “हजारी प्रसाद द्विवेदी” ने “शिरीष के फूल” पाठ को लिखा है। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने ऐसी कई रचनाएं लिखी हैं।
व्याख्या : गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि शिरीष का वृक्ष अवधूत के समान सभी प्रकार की परिस्थितियों में अपने अस्तित्व की रक्षा में समर्थ है। वह बाहरी परिवर्तनों से विचलित नहीं होता। उसमे गजब की सहनशक्ति है। वह वायुमंडल से अपना रस खींचकर कोमल और कठोर बना रहता है। वह हर परिस्थिति में कुशलतापूर्वक जी लेता है। शिरीष के फूल की महात्मा गाँधी से तुलना की है।
अथवा
लोक संयमी भी होते हैं। बेफिजूल सामान को फिजूल समझते हैं। वे पैसे को बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वे पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वे पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा उन्हें दरकार नहीं है। बस खुद पैसे से जुड़ा होने पर उनका मन गर्व से भरा फूला रहता है।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश के पाठ का नाम “बाजार दर्शन” है। इस गद्यांश के लेखक का नाम “जैनेंद्र कुमार” है।
व्याख्या : कुछ लोग संयमी होते हैं। वे पैसे को बचाकर रखते हैं। वे फिजूल का सामान नहीं खरीदते। वे पैसे को व्यर्थ नहीं बहाते। ऐसे लोग बुद्धि का प्रयोग करते हुए पैसे को जोड़ते हैं और जोड़ते चले जाते हैं। वे पैसे की पावर को समझते तो हैं पर वे उसके प्रयोग से बचते हैं। वे अपने पास पैसा जुड़ा होने पर गर्व का अनुभव करते हैं। संयमी और बुद्धिमान लोग पैसे की पावर को समझते हैं।
7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?
भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी है। लक्ष्मी धन की देवी को माना जाता है। विडंबना देखिए कि लक्ष्मी यानी की भक्तिन के जीवन में धन कहीं नहीं था। अतः उसे अपना नाम विरोधाभास प्रतीत होता है। लक्ष्मी नाम होने के बाद भी वह कंगाल है। लोगों द्वारा इस नाम को बुलाना उसे स्वयं का उपहास लगता है। अतः वह अपने असली नाम को छुपाना चाहती है। जब भक्तिन से लेखिका ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम तो बताया मगर साथ में लेखिका से निवेदन किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से पुकारा नहीं जाए। लेखिका ने उसकी बात मान ली। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने ही दिया था। लेखिका ने उसकी कंठीमाला को देखकर यह नामकरण किया था।
(ii) लोगों ने लड़कों की टोली को मेंढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने- आपको इंद्रसेना कहकर क्यों बुलाती थी?
लड़कों की टोली घर-घर जाकर पानी की माँग किया करते थे। लोग अपने घरों से पानी निकालकर इनके ऊपर डाला करते थे। इनके दो नाम थे मेंढक मंडली तथा इंदर सेना। जिन लोगों को इन बच्चों का चीखना-चिल्लाना, उछलना-कूदना तथा इनके कारण होने वाले कीचड़ से चिढ़ थी, उन्होंने इन्हें मेढक-मंडली का नाम दिया था। इनके कारण बादलों के राजा इंद्र प्रसन्न होते थे। लोगों से जा-जाकर यह इंद्र से प्रार्थना करने के लिए विवश करते थे। यही कारण था कि यह स्वयं को इंदर सेना कहकर बुलाती थी।
(iii) चार्ली चैपलिन की लोकप्रियता का वर्णन कीजिए।
चार्ली चैप्लिन ने हास्य और करुणा का समावेश करके अपने अभिनय की नूतनता के दम पर लोकप्रियता प्राप्त की। उसकी फिल्मों में उसके जीवन के कटु-मधु अनुभव जीवंत रूप लिए हुए हैं। चार्ली चैप्लिन को हास्यावतार माना गया है। करुणा और हास्य के मिश्रण से नवीन सौंदर्यशास्त्र को उसने सामने रखा। राजकपूर की ‘आवारा’ फिल्म पर चार्ली का सीधा प्रभाव है। गांधी और नेहरू ने भी चार्ली से संपर्क किया था। चाली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे। वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे। कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।
8. ‘वितान भाग-2’ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उतर दीजिए।
(i) गाँव भर में लेखक का कोल्हू सबसे पहले क्यों शुरू होता था ?
लेखक के दादा का मानना था कि जल्दी कोल्हू शुरू करने से गुड़ कि अच्छी कीमत मिलती है। जब सभी तरफ गुड़ बनने लगता था, तो गुड़ के दामों में गिरावट आ जाती थी। इसी कारण से लेखक के दादा सबसे पहले कोल्हू शुरू किया करते थे।
(ii) यशोधर बाबू ने आजीवन अपना घर क्यों नहीं बनाया ?
किशनदा ने उनसे कहा था की मूर्ख लोग मकान बनवाते हैं, सयाने लोग उसमें रहते हैं। उनकी इस उक्ति से प्रभावित होकर उन्होंने आजीवन सरकारी क्वार्टर में रहने का निश्चय किया।
(iii) खेत में काम करते समय लेखक का अकेलापन कैसे दूर हो गया था ?
‘जूझ’ पाठ में खेत में काम करते समय लेखक अपने अकेलेपन में कविताओं को सूर, ताल, छंद और एक सही यति-गति के साथ गाया करता था। वह कविता गाते समय अभिनय भी किया करता था। खेत में काम करते समय वह अपने मराठी अध्यापक श्री सोंदलगेकर के हाव-भाव व आरोह-अवरोह पर कविताएं गाने लगा। कविता के प्रति लगाव से अकेलापन दूर हो गया।
(iv) ‘अतीत में दबे पांव’ पाठ के आधार पर सिंधु घाटी की सभ्यता की विशेषता बताइए।
सिंधु घाटी अपने आप में प्रसिद्ध घाटी है, सिंधु घाटी में कला या सुरुचि का महत्व है। सिंधु घाटी में वास्तुकला या नगर-नियोजन ही नहीं, धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, मृद्-भांड, उन पर चित्रित मनुष्य, वनस्पति और पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने, केश-विन्यास, आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों का लिपि रूप सभ्यता को तकनीक-सिद्धि से ज्यादा कला-सिद्धि दर्शाता है। सिंधु घाटी में नगर में कुओं का प्रबंध था। कुएँ पक्की ईटों के बने थे।
(v) ऐन फ्रैंक के नारी विषयक विचारों का विवेचन कीजिए।
ऐन नारी की खराब स्थिति के लिए पुरुषों को ज़िम्मेदार मानती है। उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। ऐन फ्रैंक ने अपना मत दिया कि साधारण नारी भी जननी के रूप में समाज को योगदान देती हैं। सौंदर्यमयी महिलाओं के योगदान को पुरुष वर्ग हलके में न ले। आज समय बदल चुका है। पूरी दुनिया में शिक्षा का प्रसार बढ़ा है।
9. अभिव्यक्ति और माध्यम के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उतर दीजिए।
(i) भारत में पहला छापा खाना कब लगा ?
(क) सन 1526 में
(ख) सन 1556 में
(ग) सन 1566 में
(घ) सन 1626 में
(ii) किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर किया गया लेखन कहलाता है-
(क) विशेष लेखन
(ख) क्रियात्मक लेखन
(ग) सकारात्मक लेखन
(घ) रचनात्मक लेखन
(iii) नाटक के तत्व कौन-कौन से है स्पष्ट कीजिए।
कथावस्तु
पात्र या चरित्र चित्रण
देशकाल या परिवेश
संवाद और भाषा
शैली
अभिनेता
उद्देश्य
(iv) समाचार लेखन के छ: ककार कौन से हैं? विस्तार से बताइए।
कौन – घटना को अंजाम देने वाला कौन था ?
क्या – क्या घटना हुई ?
कब – घटना कब हुई ?
कहाँ – घटना कहाँ हुई ?
क्यों – घटना क्यों हुई ?
कैसे – घटना कैसे हुई ?
10. नैतिक शिक्षा के आधार पर प्रश्नो के उत्तर दीजिए।
(i) किस घटना से सिद्ध होता है कि सिद्धार्थ बचपन से ही दयालु थे ?
करुणा के भाव उनमें जन्म से जागृत थे। देवदत्त उनका चचेरा भाई था। एक बार उसने तीर से एक हंस को मार गिराया। सिद्धार्थ ने उसकी चिकित्सा कर उस हंस की जान बचाई। सिद्धार्थ ने हंस की सेवा की और जब वह स्वस्थ हो गया, तो उसे मुक्त कर दिया। इस घटना से सिद्ध होता है कि सिद्धार्थ बचपन से ही दयालु थे।
(ii) अब्दुल हमीद की शहादत ने क्या सिद्ध कर दिया ?
खुद करे।
(iii) अर्जुन ने युद्ध के विषय में श्रीकृष्ण से क्या कहा ?
खुद करे।
(iv) सच्चे भक्त की पहचान क्या होती है ?
जो व्यक्ति किसी प्राणी से द्वेष नहीं करता है, जो सबका मित्र है और सबसे प्रेम करता है, जो अहंकार और मोहमाया आदि से रहित है, जो सबके प्रति दया, करुणा व प्रेम रखता है, जो सुख-दुःख में समभाव से रहता है। क्षमाशील व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में भगवान् का सच्चा भक्त है।
11. व्याकरण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) वागीश्वर (संधि विच्छेद कीजिए)
वाक् + ईश्वर (क् + ई = ग, व्यंजन संधि)
(ii) प्रति + अंग (संधि कीजिए)
प्रत्यंग (यण संधि)
(iii) मखमल के झूले पड़े हाथी-सा टीला में निहित अलंकार का नाम बताइए।
उपमा अलंकार है क्योंकि यहाँ टीला की तुलना हाथी से की गई है। उपमेय- जिसकी उपमा दी जाय, उपर्युक्त पंक्ति में टीला उपमेय है। उपमान- जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है, उपर्युक्त पंक्ति में हाथी उपमान है।
(iv) चौराहा समस्त पद का विग्रह करके समास का नाम बताइए
चार राहों का समूह (द्विगु समास)
(v) अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण लिखिए।
जहां पर कोई अक्षर बार-बार आये या उस वर्ण को बार-बार दुहराया जाए, वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है। जैसे – रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम ।।
उपर्युक्त उदाहरण में ‘र’ वर्ण कई बार आया है अतः यहां पर अनुप्रास अलंकार है।
(vi) शुद्ध वाक्य का चयन कीजिए-
(क) लड़की आँख से कानी है।
(ख) लड़की कानी आँख से है।
(ग) लड़की की आँख कानी है।
(घ) लड़की कानी हैं।
(vii) शुद्ध वाक्य का चयन कीजिए-
(क) मेरे पास एक पैन है।
(ख) पैन केवल मेरे पास है।
(ग) एक पैन है मेरे पास ।
(घ) केवल मात्र एक पैन है।
(viii) चक्रधर शब्द में समास हैं।
चक्र धारण करने वाला – श्री कृष्ण (बहुब्रीहि समास)
(ix) स्वर संधि की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।
दो स्वरों के आपस में मिलने से जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं, जैसे-देव + इंद्र = देवेंद्र।