HBSE 10th Social Science Solved Sample Paper 2023
Q1. सही उत्तर चुनें।
(i) सरस्वती सिंधु सभ्यता की खुदाई किस वर्ष की गई थी?
(A) 1922-23
(B) 1920-21
(C) 1921-22
(D) 1923-29
(ii) सरस्वती सिंधु सभ्यता के नगरों में क्या-क्या विशेषताएं पाई जाती हैं?
(A) मेटल वाली सड़कें
(B) ड्रेनेज
(C) अन्न भंडार
(D) उपरोक्त सभी
(iii) मिस्त्र का राजा/शासक कहा जाता था?
(A) महाराजा
(B) वांग
(C) फराओ
(D) प्रशासक
(iv) गायत्री मंत्र किस “वेद” से लिया गया है?
(A) सामवेद
(B) यजुर्वेद
(C) ऋग्वेद
(D) अर्थवेद
Q2. सरस्वती सिंधु सभ्यता के नगर नियोजन की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
सिंधु सभ्यता एक नियोजित सभ्यता थी, जिसमें मकान पक्की ईंटों से बने थे सड़कें एक दूसरे को समकोण बनाते हुए काटती थी, सड़कें और गलियां 9 से 34 फुट चौड़ी थी और कहीं कहीं पर आधे मील तक सीधी चली जाती थी। मोहनजोदड़ो की हर गली में सार्वजनिक कुआं होता था और अधिकांश मकानों में निजी कुएं एवं स्नान गृह होते थे।
Q3. गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्यों का वर्णन करें?
गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य –
(i) दुःख अर्थात् संसार दुःखमय है।
(ii) दुःख-समुदय अर्थात् दुःखों का कारण भी हैं।
(iii) दुःख-निरोध अर्थात् दुःखों का अन्त सम्भव है।
(iv) दुःख-निरोध-मार्ग अर्थात् दुःखों के अन्त का एक मार्ग है।
Q4. मध्यकाल में भारत में किसानों की स्थिति कैसी थी?
मध्यकाल के दौरान, लोग अपनी आजीविका को बनाए रखने के लिए विभिन्न व्यावसायिक शिल्प और अन्य प्रथाओं को अपनाते थे। कृषि, व्यापार और वाणिज्य, कारीगर शिल्प और इसी तरह की अन्य प्रथाएँ थीं। समय के साथ इन गतिविधियों में बदलाव आया। राज्य अपने शासन को बनाए रखने के लिए लोगों पर उनके उत्पाद और संसाधनों के आधार पर कर लगाता था।
Q5. ईसाई धर्म और इस्लाम में क्या समानताएं हैं?
ईसाई और मुसलमान मानते हैं कि केवल एक ही ईश्वर है। वे दोनों मानते हैं कि उनके धर्म का पालन करना उनके लिए अच्छा है क्योंकि यह सद्भाव और शांति पैदा करता है। ईसाइयों और मुसलमानों का मानना है कि शरीर पवित्र है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। इस्लाम व ईसाइयत दोनों इस विषय में एकमत हैं कि आत्मा का केवल एक ही जन्म होता है तथा मृत्यु के बाद उसे निश्चित रूप से या तो हमेशा के लिए स्वर्ग की प्राप्ति होती है या नरक की प्राप्ति होती है।
Q6. भारत पर साम्राज्यवाद के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का उल्लेख करें।
साम्राज्यवाद की विशेषताएँ – साम्राज्यवाद में समुद्र पार के देशों की विजय पर बल दिया जाता है। साम्राज्यवादी शक्तियाँ अपने लाभ के लिए औपनिवेशिक देशों के मूल साधनों का भी शोषण करती हैं। साम्राज्यवाद की तीसरी प्रमुख विशेषता व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना है ।
सकारात्मक प्रभाव –
(i) राष्ट्रीय भावना का विकास
(ii) नए उद्योगों की स्थापना
(iii) सड़क परिवहन एवं रेल परिवहन का विकास
(iv) पश्चिमी शिक्षा लागू होना। इससे अन्य देशों की राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी होना।
नकारात्मक प्रभाव –
(i) अपने देश के उद्योगों के लिए कच्चा माल सस्ते दामों में खरीदना और अपने देश में निर्मित माल को मँहगे/अधिक दामों में बेचना।
(ii) निजी उद्योगों पर अनेक प्रतिबंध लगाना
(iii) किसानों का अधिक-से-अधिक आर्थिक शोषण करना ।
(iv) भारत के लोगों से भेदभाव करना; जैसे उनको उच्च पदों पर न रखना आदि।
अथवा
सरस्वती सिंधु सभ्यता के पतन के कारणों को विस्तार से समझाइए।
सिंधु सभ्यता के पतन के कारण निम्नलिखित हैं –
(i) आर्यों का आक्रमण – बहुत से विद्वानों का यह मानना है कि आर्यों के आक्रमण से यह सभ्यता नष्ट हुई होगी। कुछ व्यक्तियों के ऐसे अस्थिपंजर मिले है जिन पर पर आक्रमण साफ स्पष्ट होता है। अतः भूतत्व विज्ञान का आधार पर ऐसा स्पष्ट होता प्रतीत होता है कि आर्यों ने इस सभ्यता को नष्ट किया।
(ii) जल प्लावन – प्रसिद्ध भूगर्भशास्त्री साहनी का विचार है कि सिंधु सभ्यता के विनाश का प्रमुख कारण जल प्लावन था। इस समय सम्भवतः रावी एवं सिंधु नदी के प्रवाह की दिशा मे परिवर्तन होने अथवा बाढ़ आने से ऐसा हुआ होगा।
(iii) जनसंख्या मे वृद्धि – इसके अलावा सिंधु सभ्यता के पतन के सम्बन्ध मे यह भी कहा जाता है कि जनसंख्या मे वृद्धि होने से आय मे कमी हो गई। अतः यहाँ के लोग कहीं और चले गए तथा उनकी सभ्यता बेआश्रित ही नष्ट हो गई।
(iv) जलवायु मे परिवर्तन – कुछ विद्वानों यह मानते है कि जलवायु मे परिवर्तन होने के कारण इस सभ्यता का विनाश हुआ। लेकिन रक्स (Raikes) डायसन, जूनियर (Dyson) आदि विद्वानों का मत है कि कोई ऐसा जलवायु मे परिवर्तन नही हुआ जिसके कारण सिंधु घाटी सभ्यता नष्ट हुई।
(v) प्रशासनिक शिथिलता – जान मार्शल को मोहन जोदड़ो के उत्खनन मे ऊपरी स्तरों से कतिपय ऐसे साक्ष्य मिले थे, जिनके आधार पर उन्होंने प्रस्तावित किया कि नगर प्रशासन मे शिथिलता सी आ गई थी, नागरिको का स्तर गिरता जा रहा था। फलतः परवर्ती चरण के निर्माण मे सड़को एवं गलियों का अतिक्रमण होने लगा था। तब निर्माण मे पुरानी ईंटो का इस्तेमाल होने लगा था। दीवारो की चौड़ाई कम होने लगी थी। इसी प्रकार अन्य नागरिक बसाहटों मे भी नागरिक जीवन मे ह्रास दिखाई पड़ता है। पक्की ईंटो के स्थान पर कच्ची ईंटो का प्रयोग होने लगा था। नगरीय बस्तियों का आकार घटने लगा था। फलतः यहाँ की सभ्यता पतन की ओर अग्रसर हुई।
(vi) संक्रामक रोग – कुछ ने मलेरिया जैसे रोग के बड़े पैमाने पर फैलने पर लोगो का स्वास्थ्य गिर जाने की संभावना व्यक्त की है और कुछ ने तो कंकालों की हड्डीयों का अध्ययन कर मत व्यक्त किया है कि मलेरिया के कारण हड्डियों का ठीक-ठीक विकास नही हो पाया था। इतिहास मे ऐसे प्रमाण मिलते है जब पूरी की पूरी बस्तियों को ऐसे रोगों ने अपने प्रभाव से उजाड़ दिया हो।
(vii) बाहरी आक्रमण – अनेक इतिहासकार सिंधु सभ्यता के पतन का एक प्रमुख कारण बाह्रा आक्रमण मानते है। अनेक संस्कृतियों का वैदेशिक आक्रमणों के कारण पतन हुआ है। टाॅयनबी का भी विचार है कि जब किसी भी सभ्यता मे सम्पन्नता आती है तो दैनिक आवश्यकताओं की आसानी से पूर्ति होने के कारण लोग आलसी एवं विलासी हो जाते है। अतः शत्रुओं को उन पर आक्रमण करने का अवसर प्राप्त हो जाता है। ऐसा सम्भव हो सकता है कि सिंधु सभ्यता के साथ भी ऐसा ही हुआ हो।
Q7. भारत के दिए गए रूपरेखा मानचित्र पर निम्नलिखित स्थानों को दर्शाइए :
(i) हड़प्पा
(ii) तराइन
(iii) झांसी
Q8. सही उत्तर चुनें।
(i) श्रीलंका कब आज़ाद हुआ?
(A) 1947
(B) 1948
(C) 1949
(D) 1950
(ii) कौन सा देश “होल्डिंग टुगेदर” संघ है?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) श्रीलंका
(D) यूएसए
(iii) भारतीय जनता पार्टी का गठन किस वर्ष हुआ था?
(A) 1985
(B) 1980
(C) 1945
(D) 1885
(iv) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किस वर्ष हुआ था?
(A) 1980
(B) 1895
(C) 1885
(D) 1985
(v) SPA किस देश से संबंधित है?
(A) भूटान
(B) नेपाल
(C) श्रीलंका
(D) बेल्जियम
Q9. पावर शेयरिंग क्या है?
यह मान लिया गया था कि सरकार की सारी शक्ति एक व्यक्ति या एक स्थान पर स्थित व्यक्तियों के समूह में होनी चाहिए। अन्यथा, quick decisions लेना और उन्हें लागू करना बहुत कठिन होगा। लेकिन लोकतंत्र के उदय के साथ ये धारणाएं बदल गई हैं।
Q10. बहुदलीय प्रणाली क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
जब किसी राज्य में दो से अधिक राजनीतिक दल महत्वपूर्ण होते हैं अथवा अनेक दल होते हैं और उनकी स्थिति सामान्यता समानता की होती है तथा 2 से अधिक दल मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में होते हैं तो उस देश की व्यवस्था बहुदलीय प्रणाली कहलाते हैं।
भारत का उदाहरण ले सकते हैं जहाँ INC, BJP, AAP आदि पार्टियों को चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद सरकार बनाने का अधिकार है, इसलिए जिस देश में कई पार्टियों को सरकार बनाने का अधिकार है, उसे बहुदलीय प्रणाली (मल्टी पार्टी सिस्टम) कहा जा सकता है।
Q11. दबाव समूह क्या है? कुछ उदाहरण दीजिए।
दबाव समूह वह संगठित तथा असंगठित समूह होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करते हैं तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। उनकी कुछ उद्देश्य होते हैं तथा वे सरकार पर दबाव डालकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयास करते हैं। साधारणतया इन समूहों के सदस्य वे लोग होते हैं जिनके कुछ सामान्य हित होते हैं। ये प्रत्यक्ष रुप से कभी भी चुनाव नहीं लड़ते बल्कि ये अपने प्रभाव से सत्ता को नियंत्रण में रखते हैं । ये सीधे रूप से राजनीतिक सत्ता पर नियंत्रण नहीं रखते हैं। उदाहरण- लेबर यूनियन, छात्र संघ, व्यापारी संघ, किसान संगठन आदि।
Q12. भारत में महिलाओं को अभी भी विभिन्न तरीकों से भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कैसे करना पड़ता है?
जब शुरुआती दिनों में, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह नहीं, देवदासी प्रथा और बहुत कुछ जैसे गंभीर मुद्दे थे। हालांकि उनमें से अधिकांश अब प्रचलित नहीं हैं, फिर भी नए मुद्दे हैं जिनका महिलाओं को सामना करना पड़ता है। हो सकता है कि वे एक जैसे न हों लेकिन वे अभी भी उतने ही गंभीर हैं जितने पहले वाले थे। वे एक देश के विकास में बाधा डालते हैं और महिलाओं को हीन महसूस कराते हैं।
सबसे पहले, महिलाओं के खिलाफ हिंसा भारत में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली एक बहुत ही गंभीर समस्या है। यह लगभग हर दिन विभिन्न रूपों में हो रहा है। लोग कुछ करने के बजाय उस पर आंख मूंद लेते हैं। घरेलू हिंसा आपके विचार से अधिक बार होती है। इसके अलावा, दहेज-संबंधी उत्पीड़न, जननांग विकृति और भी बहुत कुछ है।
अगला, हमारे पास लैंगिक भेदभाव के मुद्दे भी हैं। महिलाओं को पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता है। उन्हें लगभग हर जगह भेदभाव का सामना करना पड़ता है, चाहे कार्यस्थल पर या घर पर। छोटी-छोटी बच्चियां भी इस भेदभाव का शिकार हो जाती हैं। पितृसत्ता एक महिला के जीवन को अन्यायपूर्ण तरीके से तय करती है।
इसके अलावा, महिला शिक्षा की कमी और लैंगिक वेतन अंतर भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को अभी भी महिला होने के कारण शिक्षा से वंचित रखा जाता है। इसी प्रकार महिलाओं को समान कार्य करने के लिए पुरुषों के समान वेतन नहीं मिलता है। ऊपर से उन्हें कार्यस्थल पर उत्पीड़न और शोषण का भी सामना करना पड़ता है।
Q13. संविधान संशोधन 1992 से पहले और बाद में स्थानीय स्वशासन के बीच किन्हीं तीन अंतरों को बताए।
(i) 1992 के पहले स्थानीय सरकार के पास अपने कोई अधिकार या संसाधन नहीं थे। परन्तु 1992 के संविधान के बाद की राज्य सरकारों से यह अपेक्षा की गई, वे अपने राजस्व और अधिकारों के कुछ अंश स्थानीय सरकारों को देगी।
(ii) 1992 के पहले स्थानीय सरकारों के लिए नियमित रूप से चुनाव नहीं होते थे, परन्तु 1992 के संविधान के बाद नियमित रूप से चुनाव होने लगे।
(iii) 1992 के पहले महिलाओं के लिए, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एवं पिछड़े वर्ग के लिए सींटे आरक्षित नहीं थी। जबकि 1992 के संविधान के बाद महिलाओं के लिए, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एवं पिछड़े वर्ग के लिए भी सींटे आरक्षित की गई।
Q14. आधुनिक लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप क्या हैं? उदाहरण दो।
आधुनिक लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप हैं –
(i) सत्ता का क्षैतिज विभाजन – यह सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति का बँटवारा है, उदाहरण के लिए, कार्यपालिका, विधानमंडल और न्यायपालिका द्वारा शक्ति का बँटवारा। इस प्रकार की शक्ति-साझाकरण व्यवस्था में, सरकार के विभिन्न अंग, एक ही स्तर पर, विभिन्न शक्तियों का प्रयोग करते थे। इस तरह का अलगाव सुनिश्चित करता है कि कोई भी अंग असीमित शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता है, जिससे एक दूसरे पर रोक लग जाती है।
(ii) सत्ता का कार्यक्षेत्र विभाजन – यह विभिन्न स्तरों पर सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे की व्यवस्था है। उदाहरण के लिए, पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार और प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर पर सरकारें। भारत में, हम इसे केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, नगर पालिका, ग्राम पंचायत आदि के रूप में संदर्भित करते हैं। संविधान सरकार के विभिन्न स्तरों की शक्तियों को निर्धारित करता है।
(iii) विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच शक्ति का विभाजन – शक्ति को विभिन्न समूहों के बीच भी साझा किया जा सकता है जो विभिन्न धार्मिक और भाषाई समूहों की तरह सामाजिक रूप से भिन्न होते हैं। बेल्जियम में ‘सामुदायिक सरकार’ इस प्रकार की सत्ता की साझेदारी का एक अच्छा उदाहरण है। भारत में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की प्रणाली एक और उदाहरण है। इस तरह की व्यवस्था का उपयोग अल्पसंख्यक समुदायों को सत्ता में उचित हिस्सा देने के लिए किया जाता है, जो अन्यथा सरकार से अलग-थलग महसूस करेंगे।
(iv) राजनीतिक दलों, दबाव समूहों और आंदोलनों के बीच शक्ति का विभाजन – समकालीन लोकतंत्रों में ऐसा विभाजन विभिन्न दलों के बीच प्रतिस्पर्धा का रूप ले लेता है, जो बदले में यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता एक हाथ में न रहे और विभिन्न विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच साझा की जाती है।
अथवा
एक राजनीतिक दल क्या है? राजनीतिक दलों के सामने आने वाली चुनौतियों की व्याख्या कीजिए।
लोगों का एक ऐसा संगठित समूह जो चुनाव लड़ने और सरकार के राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से कार्य करता है, राजनीतिक दल कहलाता है। यह संगठित समूह कुछ नीतियाँ व सिद्धांत निर्धारित करता है। किसी भी राजनीतिक दल में एक नेता, उसके सदस्य एवं समर्थक होते है। राजनैतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी विचारधारा में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने का प्रयास करते हैं।
आधुनिक युग में राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं –
(i) आंतरिक लोकतंत्र का अभाव होना – अधिकांश राजनीतिक दलों, के समक्ष आन्तरिक लोकतंत्र की कमी एक प्रमुख चुनौती है। समस्त विश्व में यह प्रवृत्ति बन गयी है कि समस्त शक्ति एक या कुछेक नेताओं के हाथ में सिमट जाती है। दलों के पास न तो सदस्यों की खुली सूची होती है, न ही नियमित रूप से संगठनात्मक बैठकें होती हैं, इसके अतिरिक्त आन्तरिक चुनाव भी नहीं होते हैं। कार्यकर्ताओं से वे सूचनाओं का साझा भी नहीं करते। सामान्य कार्यकर्ता दल में चल रही हलचलों से अनजान बना रहता है।
(ii) वंशवाद की प्रवृत्ति – भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों के समक्ष यह एक प्रमुख चुनौती है। जो लोग बड़े नेता होते हैं, वे अनुचित लाभ लेते हुए अपने नजदीकी लोगों विशेषकर अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं। अनेक दलों में उच्च पदों पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं।
(iii) धन एवं अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ – चूँकि समस्त राजनीतिक दलों की चिन्ता चुनाव जीतने की होती है अतः इसके लिए वे कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से भी परहेज नहीं करते हैं। वे ऐसे ही लोगों को चुनाव में उतारते हैं जिनके पास अधिक पैसा है या अधिक पैसा जुटा सकते हैं। कई बार राजनीतिक दल चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का भी समर्थन करते हैं तथा उनकी मदद लेते हैं।
(iv) राजनैतिक दलों के मध्य विकल्पहीनता की स्थिति – आधुनिक युग में राजनीतिक दलों के पास मतदाताओं को देने के लिए सार्थकः विकल्प की कमी है। सार्थक विकल्प देने के लिए विभिन्न दलों की नीतियों में अन्तर होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न देशों में दलों के बीच वैचारिक अन्तर कम होता जा रहा है।
Q15. सही उत्तर चुनें।
(i) लौह अयस्क निम्न में से किस प्रकार का संसाधन हैं?
(A) नवीकरण
(B) प्रवाह
(C) जैविक
(D) गैर-नवीकरणीय
(ii) सरदार सरोवर बांध किस नदी पर स्थित है?
(A) तापी
(B) नर्मदा
(C) माही
(D) लूनी
(iii) गोल्डन फाइबर किसे कहा जाता है?
(A) कपास
(B) रेशम
(C) जूट
(D) धान
(iv) निम्नलिखित में से कौन सा राज्य H.B.J पाइपलाइन से नहीं जुड़ा है?
(A) मध्यप्रदेश
(B) गुजरात
(C) महाराष्ट्र
(D) उत्तर प्रदेश
Q16. धात्विक और अधात्विक खनिजों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
धात्विक और अधात्विक खनिजों में अंतर निम्नलिखित हैं –
(i) धात्विक खनिजों को गलाने पर धातु प्राप्त होती है, किन्तु अधात्विक खनिजों के गलाने पर नहीं।
(ii) धात्विक खनिज कठोर एवं चमकीले होते हैं, जबकि अधात्विक खनिजों में यह विशेषता नहीं पायी जाती।
(iii) धात्विक को पीटकर तार बनाया जा सकता है, किन्तु अधात्विक को पीटने पर वह चूर-चूर हो जाते हैं।
Q17. रबी की फसल और खरीफ की फसल में अंतर स्पष्ट कीजिए।
रबी की फसल –
(i) यह फसल मानसून ऋतु के बाद शरद ऋतु के साथ शुरू होती है।
(ii) इसकी मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी, जैसे-तेल निकालने के बीज आदि हैं।
(iii) इन फसलों के पकने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।
(iv) इन फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
(v) ये फसलें मार्च-अप्रैल में काटी जाती हैं।
खरीफ की फसल –
(i) यह फसल मानसून ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू होती है।
(ii) इसकी प्रमुख फसलें धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।
(iii) इन फसलों के पकने में कम समय लगता है।
(iv) इन फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता हैं।
(v) ये फसलें सितम्बर-अक्टूबर में काटी जाती हैं।
Q18. बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के क्या नुकसान हैं?
बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के नुकसान निम्नलिखित हैं –
(i) नदी पर बांध बनने से नदी के जल का प्रवाह बाधित होता है।
(ii) बाँध से नदी की शाखाएँ बट जाती है, जो जल में रहने वाले वनस्पति को स्थानांतरित करता है।
(iii) बाढ़ निर्मित मैदान में बने जल भंडारों में वनस्पति डूब जाती है तथा मृदा विघटित हो जाती है।
(iv) बहुउद्देशीय परियोजनाएं तथा बड़े बांध नर्मदा बचाओ आंदोलन और टिहरी बांध आंदोलन के जन्मदाता बन गये है क्योंकि लोगो को इनके कारण अपने घरो से पलायन करना पड़ा।
Q19. वर्णन करें कि समुदायों ने भारत में वनों और वन्य जीवन को कैसे संरक्षित और सुरक्षित किया है।
भारत में विभिन्न समुदायों द्वारा वनों तथा वन्य जीवन के संरक्षण और रक्षण में दिए गए योगदान का वर्णन इस प्रकार है –
(i) सरिस्का बाघ रिज़र्व में राजस्थान के गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के अंतर्गत वहाँ से खनन कार्य बंद करवाने के लिए संघर्षत हैं।
(ii) कुछ क्षेत्रों में तो स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने आवास स्थलों के संरक्षण में लगे हुए हैं क्योंकि इसी से ही दीर्घकाल में उनकी आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है।
(iii) कई क्षेत्रों में तो लोग स्वयं वन्य जीव आवासों की रक्षा कर रहे हैं और सरकार के हस्तक्षेप को भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
(iv) हिमालय में प्रसिद्ध ‘चिपको आंदोलन’ वन कटाई को रोकने में सफल रहा है।
(v) चिपको आंदोलन ने दिखाया है कि स्थानीय पौधों की जातियों को प्रयोग करके सामुदायिक वनीकरण अभियान को सफल बनाया जा सकता है।
(vi) टिहरी में किसानों के ‘बीच बचाओ आंदोलन’ और ‘नवदानय’ ने दिखा दिया है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना भी विविध फसल उत्पादन किया जा सकता है।
अथवा
भारत में चावल के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक एवं जलवायु दशाओं की व्याख्या कीजिए।
चावल की खेती का पारंपरिक तरीका है तरुण अंकुर के रोपण के समय, या बाद में खेतों में पानी भरना। इस सरल विधि के लिए अच्छी सिंचाई योजना की आवश्यकता होती है। चावल को ऐसी भूमि पर उगाया जाता है, जो वर्षा या सिंचाई के पानी से लबालब भरी होती है। भारत में चावल की खेती समुद्र तल से 3000 मीटर ऊंचाई तक एवं 8 से 35 डिग्री उत्तर अक्षांश तक होती है। चावल की फसल को एक गर्म और नम जलवायु की जरूरत है। यह सबसे अच्छा उच्च नमी, लंबे समय तक धूप और पानी की एक आश्वस्त आपूर्ति वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। फसल की जीवन अवधि के दौरान आवश्यक औसत तापमान 21 से 42°C होना चाहिए। चावल को बाढ़ रहित भूमि पर उगाया जाता है, और फसल वर्षा के पानी पर बहुत ज्यादा निर्भर होती है। प्राकृतिक वर्षा इन खेतों की सिंचाई का एकमात्र तरीका है। ऐसे मामले में, हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि 3 से 4 महीने तक लगातार बारिश होनी चाहिए, जो पौधों के सही विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।
Q20. भारत के राजनीतिक मानचित्र में भरिए-
(i) भाखड़ा नंगल बांध
(ii) कोचीन बंदरगाह
(iii) भिलाई लोहा और इस्पात संयंत्र
(iv) काली मिट्टी का एक राज्य
Q21. सही उत्तर चुनें।
(i) भारत के किस क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी पायी जाती है?
(A) औद्योगिक क्षेत्र
(B) सेवा क्षेत्र
(C) कृषि क्षेत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
(ii) भारत का केंद्रीय बैंक है?
(A) RBI
(B) PNB
(C) SBI
(D) HDFC
(iii) विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना कब हुई थी?
(A) 1990
(B) 1995
(C) 1998
(D) 2000
Q22. मानव विकास सूचकांक क्या है? HDI के मूल घटक लिखिए।
मानव विकास सूचकांक (HDI) – एक सूचकांक है, जिसका उपयोग देशों को “मानव विकास” के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं। एचडीआई का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा किया गया था। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया जाता हैं।
HDI के मूल घटक – जीवन प्रत्याशा, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद और शिक्षा प्राप्ति
Q23. प्रच्छन्न बेरोजगारी को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
प्रच्छन्न बेरोजगारी अर्थात छुपी हुई बेरोजगारी। प्रच्छन्न बेरोजगारी उस बेरोजगारी को कहते हैं जिसमे कुछ लोगों की उत्पादकता शून्य होती है अर्थात यदि इन लोगों को उस काम में से हटा भी लिया जाये तो भी उत्पादन में कोई अंतर नही आएगा।
उदाहरण– ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। इसलिए, यहां तक कि अगर हम कुछ लोगों को (कृषि व्यवसाय से) बाहर ले जाते हैं, तो उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
Q24. क्रेडिट के औपचारिक और अनौपचारिक स्त्रोतों के बीच अंतर करें।
ऋण के औपचारिक स्रोत – ये सरकार द्वारा पंजीकृत होते है जैसे बैंक और सहकारी समितियाँ। इनका ब्याज दर निश्चित होती है। औपचारिक ऋण के स्रोतों से ऋण लेने पर शोषण नहीं होता है। इसकी निगरानी RBI करती है और इनका उद्देश्य सामाजिक कल्याण के लिए ऋण प्रदान करना है ।
ऋण के अनौपचारिक स्रोत – ये सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होते है जैसे – साहूकार, व्यापारी और रिश्तेदार आदि। इनका ब्याज दर निश्चित नहीं होता है । अनौपचारिक ऋण के स्रोतों से ऋण लेने पर शोषणहोता है । इनकी निगरानी RBI नहीं करती है और इनका उद्देश्य केवल लाभ कमाने के लिए होता है।
Q25. वैश्वीकरण को परिभाषित करें। भारत पर इसके अच्छे प्रभाव क्या हैं।
वैश्वीकरण – विश्व के सभी बाजारों के एकजुट होकर कार्य करने की प्रक्रिया को वैश्वीकरण (globalization) कहते हैं। वैश्वीकरण के माध्यम से पूरे विश्व के लोग एकजुट होकर कार्य करते हैं। इसके अंतर्गत सभी व्यापारियों की क्रियाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है। वैश्वीकरण के माध्यम से संपूर्ण विश्व में बाजार शक्तियां स्वतंत्र रूप से कार्यरत हो जाती हैं। एक या कई देश आपस में व्यापार करते हैं और तकनीकी को साझा करते हैं।
भारत पर इसके प्रभाव – भारत उन देशों में से एक है जो वैश्वीकरण की शुरुआत और कार्यान्वयन के बाद महत्वपूर्ण रूप से सफल हुआ है। कॉर्पोरेट, खुदरा और वैज्ञानिक क्षेत्र में विदेशी निवेश की वृद्धि देश में बहुत अधिक है। इसका सामाजिक, मौद्रिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों पर भी जबरदस्त प्रभाव पड़ा। हाल के वर्षों में, परिवहन और सूचना प्रौद्योगिकी में सुधार के कारण वैश्वीकरण बढ़ा है। बेहतर वैश्विक तालमेल के साथ, वैश्विक व्यापार, सिद्धांतों और संस्कृति का विकास होता है।
अथवा
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधीन उपभोक्ताओं के अधिकारों की व्याख्या कीजिए।
(i) सुरक्षा का अधिकार – उपभोक्ताओं को अधिकार हैं कि वे उन वस्तुओं की बिक्री से अपना बचाव कर सकें जो उनके जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक हैं ।
(ii) सूचना का अधिकार – इसके अंतर्गत गुणवत्ता, मात्रा शुद्धता, स्तर और मूल्य आते हैं।
(iii) सुनवाई का अधिकार – उपभोक्ता के हितों से जुड़ी उपयुक्त संस्थाएँ/संगठन उपभोक्ताओं की समस्याओं पर पूरा ध्यान दें।
(iv) चुनने का अधिकार – विभिन्न वस्तुओं को देख-परख के चुनाव करने का आश्वासन। यदि माल की श्रतिपूर्ति करने वाले एक ही हों तो? इसका अर्थ हैं संतोषजनक गुणवत्ता व सही मूल्य का आश्वासन।
(v) शिकायतें निपटाने का अधिकार – उपभोक्ताओं के शोषण व अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध निदान और शिकायतों का सही प्रकार से निपटाना।