HBSE 10th Home Science Solved Sample Paper 2023

HBSE 10th Home Science Solved Sample Paper 2023 

 

Q1.(i) जन्म के समय बालक की औसत लम्बाई कितनी होती है?

      (A) 15-20” 

      (B) 17-19″ 

      (C) 10-15″

      (D) 25-30″

जन्म के समय बच्चे की सामान्य औसत लंबाई 15 से 20 इंच (35.6 सेमी से 50.8 सेमी) होती है।

 

(ii) F.P.O का पूरा नाम क्या है?

      (A) फूड परिवैन्ट आर्डर

      (B) फूड प्रोटैक्शन आर्डर

      (C) फ्रूट प्रोडेक्ट आर्डर

      (D) उपरोक्त मे से कोई नही

 

(iii) खाने के तेलो पर कौन सा चिन्ह लगाया जाता है?

      (A) एगमार्क

      (B) आई० एस० आई०

      (C) एफ० पी० ओ०

      (D) वूल मार्क

 

(iv) जीवन बीमा पोलिसी कहलाता है – 

      (A) निवेश

      (B) व्यय

      (C) बचत

      (D) इनमे से कोई नही

 

(v) आयोडीन की कमी से होता है –

      (A) थायराइड गलैंड सूज जाती है

      (B) बच्चों में वृद्धि ठीक नही होती

      (C) मिक्सोडीमा हो जाता है

      (D) उपरोक्त सभी

 

(vi) निम्न मे से ठीक नही है – 

      (A) विटामीन D की कमी से अन्धापन होता है।

      (B) विटामीन E प्रजनन क्रिया में सहायक है। 

      (C) लोहे का एक अच्छा स्त्रोत पालक है। 

      (D) आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है। 

 

(vii) बुखार में निम्न प्रकार का भोजन नहीं लेना चाहिए –

      (A) तरल तथा नर्म आहार 

      (B) तला तथा भारी आहार

      (C) दलिया तथा खिचड़ी

      (D) दूध 

 

(viii) निम्न में से कौन-सा ऑक्सीडाइज़िग ब्लीच नही है –

      (A) सोडियम बाइसल्फाड 

      (B) सोडियम परबोरेट 

      (C) धूप (Sunlight) 

      (D) पोटेशियम परमैंगनेट 

 

(ix) कपड़ों पर लगे सूचना लेबल से हमें क्या जानकारी मिलती है? 

      (A) वस्त्र के रेशे की

      (B) वस्त्र के मूल्य की

      (C) वस्त्र के माप की

      (D) उपरोक्त सभी

 

(x) बच्चों को टीके की बूस्टर खुराक कब दी जाती है?

      (A) छः वर्ष

      (B) एक वर्ष

      (C) दो वर्ष

      (D) उपरोक्त सभी

 

(xi) वृद्धि ……….. का एक हिस्सा है।

      (A) विकास 

      (B) व्यक्तित्व

      (C) सीखना 

      (D) उपरोक्त सभी 

 

(xii) निम्न मे से विकारीय भोज्य पदार्थ है – 

      (A) मक्की का आटा

      (B) दूध

      (C) बेसन

      (D) बाजरा 

 

(xiii) सतंरे में कौन-सा विटामिन पाया जाता है? 

      (A) विटामिन A

      (B) विटामिन B 

      (C) विटामिन C 

      (D) विटामिन D

 

(xiv) परिधान का स्टाइल तथा डिजाइन किस आधार पर होना चाहिए?

      (A) आयु

      (B) अवसर

      (C) व्यवसाय

      (D) उपरोक्त सभी 

 

(xv) मृदू जल का अर्थ है – 

      (A) साबुन के साथ झाग बनाने वाला

      (B) साबुन के साथ झाग न बनाने वाला

      (C) सीवेज जल

      (D) उपरोक्त कोई नही

 

Q2. वृद्धि और विकास में कोई दो अंतर बताओ।

वृद्धि और विकास में अंतर – 

(i) वृद्धि में केवल शारीरिक परिवर्तन होते है जबकि विकास में शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तन होते है। 

(ii) वृद्धि मात्रात्मक होती है जबकि विकास गुणात्मक होता है। 

(iii) वृद्धि एक निश्चित समय तक ही होती है जबकि विकास जीवन पर्यंत तक चलता है। 

(iv) वृद्धि केवल एक निश्चित भाग या अंग की दर्शाती है जबकि विकास के अंतर्गत सम्पूर्ण भागों में परिवर्तन होता है। 

 

Q3. संगीत किस प्रकार से बच्चों के विकास को प्रभावित करता हैं?

संगीत कुछ नहीं करता है बल्कि काम की तरह कम और आराम की तरह अधिक बच्‍चे को शांति प्रदान करता है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि शिशु भी संगीत के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। बच्चों के लिए गायन कई लोगों के लिए स्वाभाविक रूप से आते हैं। संगीत का जल्द प्रशिक्षण देने से, संगीत के प्रति न केवल उनकी धारणा का विकास होता है, बल्कि उनकी सीखने की क्षमता भी बेहतर होती है। 

 

Q4. बौद्धिक खेलों से आप क्या समझते हैं? इन खेलों के दो उदाहरण दो। 

इसमें बुद्धि का विकास करने वाले खेल शामिल हैं, जैसे- पहेली, शतरंज, बानो, मल्टी इलेक्ट्रो खेल आदि।

 

Q5. समय योजना बनाने के कोई दो लाभ लिखो। 

समय योजना से तात्पर्य समय को सही तरीके से उपयोग करने की योजना और प्रबंध की तकनीक है। किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए अपने समय की ठीक से व्यवस्था करना आवश्यक है।  

समय योजना बनाने के लाभ –

(i) समय योजना करना बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। यह प्रेरणा स्तर को बढ़ाता है।

(ii) यह आपको अधिक उत्पादकता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

(iii) जब आप समय योजना की तकनीक पर काम करते हैं तो काम की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

(iv) कुशल समय योजना आपके तनाव के स्तर को कम करने में मदद करता है।

 

Q6. बचत से आप क्या समझते है? निवेश के कोई दो माध्यम बताओ। 

बचत – बचत को आय के उस भाग के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसका उपभोग के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, यह बाद में उपयोग के लिए आवश्यक धन को अलग रखने का कार्य है। दूसरे शब्दों में, बचत को उस राशि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति की प्रयोज्य आय से सभी खर्चों को पूरा करने के बाद बची रहती है।

निवेश (investment) – निवेश एक संपत्ति खरीदने की प्रक्रिया है जिसे लंबी अवधि में आय उत्पन्न करने के उद्देश्य से अधिग्रहित किया जाता है। यह धन और रिटर्न उत्पन्न करने (या अधिक रिटर्न प्राप्त करने) के लिए बचत के साथ किया जाता है। निवेश के मुख्य माध्यम – बांड, शेयर, म्यूचुअल फंड आदि खरीदना। 

 

Q7. मिलावट किसे कहते हैं? काली मिर्च में किस पदार्थ की मिलावट की जाती है? 

खाद्य पदार्थ में कोई मिलता-जुलता पदार्थ मिलाने अथवा उसमें से कोई तत्व निकालने या उसमें कोई हानि कारक तत्व मिलाने से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता में परिवर्तन लाना, मिलावट कहलाता है। काली मिर्च में मुख्य रूप से पपीते के बीजों की मिलावट की जाती है। 

 

Q8. वसा में घुलनशील विटामिनों के नाम बताओ।

विटामिन A, D, E, K 

 

Q9. आहार संरक्षण की परिभाषा लिखो। 

खाने-पीने की चीजों को खराब होने से बचाने के लिए और उन्हे लंबे समय तक उपयोग करने की प्रक्रिया को खाद्य या आहार संरक्षण कहते हैं। संग्रहीत भोजन ताज़ा रहता है। 

 

Q10. ऊनी कपड़े धोते समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? 

ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय पानी का तापमान कपड़े को भिगोने से लेकर आखिरी बार खंगालने तक एक-सा होना चाहिए। ऊनी कपड़ों को धुलने के लिए हमेशा लिक्विड डिटरजेंट का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा ऊनी और गर्म कपड़ों को मुलायम ब्रश से ही साफ करना चाहिए। वाशिंग मशीन में भी ऊनी और गर्म कपड़ों को नहीं धोना चाहिए। 

 

Q11. सीखने की प्रकिया को प्रभावित करने वाले कोई दो कारक लिखें। 

सीखने की प्रकिया को प्रभावित करने वाले दो कारक निम्नलिखित है –

(i) बालक की अधिगम प्रक्रिया पर उसके परिवार के वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता है। वातावरण बालक की जन्मजात शक्तियों को निर्देशित तथा प्रोत्साहित करता है। वातावरण ही बालक के व्यवहार का निर्धारण कर उसमें अधिगम क्षमता का उत्तम विकास करता हैं। अध्ययन करने के लिए उचित वातावरण होना अत्यावश्यक हैं। 

(ii) कक्षा कक्ष में शिक्षक का व्यवहार छात्रों को सीखने के लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। विद्यालय में अध्ययन करने वाले बालकों के लिए शिक्षक आदर्श प्रतिरूप के रूप में होता है। अत: वह अपने शिक्षकों के गुण एवं व्यवहार के रूप का अनुकरण करता है और तदनुरूप व्यवहार करने को प्रयास करता है। 

 

Q12. बालक के कार्य और खेल में अन्तर स्पष्ट करें। 

बालक के कार्य और खेल में अन्तर – 

(i) कार्य किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। खेल में किसी प्रकार का लक्ष्य नहीं रहता है।

(ii) कार्य में समय का बन्धन रहता है। खेल में स्वतन्त्रता रहती है।

(iii) कार्य प्रारम्भ से ही नियमबद्ध होते है। प्रारम्भिक अवस्था में खेल नियमबद्ध नहीं होते।

(iv) कार्य के सम्पन्न होने पर ही आनन्द की प्राप्ति होती है। खेल में खेलते समय ही आनन्द की प्राप्ति होती है, बाद में नहीं।

(v) कार्य में वास्तविकता रहती है। खेल काल्पनिक होते हैं।

 

Q13. थकान क्या है? यह कितने प्रकार की होती है? 

लंबे समय तक कार्य करने के फलस्वरूप घटी हुई क्षमता को ही थकान की संज्ञा दी जाती है। किसी कार्य को लगातार करने से उत्पादन गति का विनाश होना ही थकान है। 

थकान के दो प्रकार हैं– शारीरिक थकान और मानसिक थकान। 

 

Q14. अंकिता कक्षा आठवीं की छात्रा है। उसके लिए टिफिन देते समय उसकी माता जी को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

माता-पिता की यह अत्यंत जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चे को स्वस्थ, स्वादिष्ट, समृद्ध और पौष्टिक रूप से पर्याप्त भोजन प्रदान करें। अपने बच्चे का टिफिन बॉक्स तैयार करते समय माता-पिता को जिन बातों का ध्यान रखना चाहिए, वे इस प्रकार हैं – 

(i) हर दिन एक जैसा खाने का सामान न रखें क्योंकि इससे खाना नीरस हो जाएगा। टिफिन में विविधता रखने से बच्चे को विभिन्न खाद्य उत्पादों के बारे में पता चलेगा और उसकी पसंद कुछ पसंदीदा खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं होगी। 

(ii) अपने बच्चे के टिफिन बॉक्स बदलते रहें क्योंकि इससे खाने में उनकी रुचि बनी रहती है। 

(iii) बच्चों को अलग-अलग रंग और आकार का खाना खाना पसंद होता है। माताएं अलग-अलग आकार की रोटी/परांठा बना सकती हैं जैसे चंद्रमा, अर्धचंद्र, तारा, त्रिकोण आदि। सप्ताह के प्रत्येक दिन को रंग समर्पित किया जा सकता है जहां बच्चे एक विशेष रंग की पोशाक पहनते हैं और उसी रंग का भोजन ले जाते हैं। 

(iv) बच्चों में बचपन से ही फल खाने की आदत डालें। यह बच्चे के साथ दो टिफिन बॉक्स रखकर किया जा सकता है। एक दोपहर के भोजन के लिए और दूसरा फलों के लिए जो बच्चे स्कूल के समय या घर वापस आने के दौरान कभी भी खा सकते हैं। 

(v) दूध और दुग्ध उत्पाद, मांस, दालें और अंडे, सब्जियां और फल, वसा, मेवे और तिलहन और चीनी जैसे पांच खाद्य समूह हैं। सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे के टिफिन बॉक्स में कम से कम 2 खाद्य समूहों के खाद्य पदार्थों को रखकर भोजन में पर्याप्त पोषण हो। 

 

(vi) खाने का ऐसा सामान रखें जिसे बच्चा आसानी से मैनेज कर सके। उदाहरण के लिए- फिंगर फूड जैसे स्टफ्ड परांठा रोल, सोया वेजिटेबल कटलेट, एप्पल चीज सैंडविच को गोल आकार में काटकर आदि पैक करें। 

 

Q15. विकारी खाद्य पदार्थो का उदाहरण देकर बताइए की आप इनका भण्डारण कैसे करोगें।

भोज्य पदार्थ; जैसे- दूध, दही, मांस, मछली, हरी सब्जी आदि सामान्य ताप पर अथवा बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनमें पानी की मात्रा अत्यधिक होती है। ये विकारी भोज्य पदार्थ कहलाते हैं। 

 

Q16. संतुलित भोजन किसे कहते हैं? संतुलित भोजन की विशेषताएं लिखो।  

संतुलित आहार एक ऐसा आहार है जिसमें कुछ निश्चित मात्रा और अनुपात में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं ताकि कैलोरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और वैकल्पिक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो और पोषक तत्वों के लिए एक छोटा सा भाग आरक्षित रहे। इसके अलावा, संतुलित आहार में बायोएक्टिव फाइटोकेमिकल्स जैसे आहार वाले फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और न्यूट्रास्यूटिकल होना चाहिए जिनके सकारात्मक स्वास्थ्य लाभ हों। संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट से कुल कैलोरी का 60-70%, प्रोटीन से 10-12% और वसा से कुल कैलोरी का 20-25% होना चाहिए। 

संतुलित भोजन की विशेषताएं – 

(i) संतुलित आहार में व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार पोषक तत्वों की मात्राएँ शामिल होनी चाहिए।

(ii) उसमें सभी पोषक तत्वों को स्थान मिलना चाहिए।

(iii) संतुलित आहार ऐसा होना चाहिए कि विशेष पोषक तत्व साथ-साथ हो। जैसे- प्रोटीन और वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि।

(iv) उस आहार में सभी पोषक तत्व उचित अनुपान में होने चाहिए।

(v) आहार उचित मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने वाला होना चाहिए।

(vi) शरीर में एकत्रित होने वाले पोषक तत्वों की मात्रा आहार में अधिक होनी चाहिए।

(vii) संतुलित आहार में सभी भोज्य समूहों से भोज्य पदार्थ शामिल होने चाहिए।

(viii) आहार आकर्षक, सुगन्धित, स्वादिष्ट एवं रूचिकर होना चाहिए।

(ix) संतुलित आहार अपर्याप्त मात्रा में भोजन मिलने की अवधि के लिये पोषक तत्व प्रदान करता है।

 

(x) संतुलित आहार में दो तरह के प्रमुख घटक आते हैं- (a) उपापचयी नियंत्रक तथा (b) ऊर्जा उत्पादक घटक

 

Q17. पोषक तत्वों के संवर्धन की विधियां विस्तार पूर्वक लिखो। 

विशेष विधियों से खाद्य पदार्थों के पोषकों में सुधार लाने की प्रक्रिया, संवर्धन (Enrichment) कहलाती है। इससे खाद्य पदार्थों के स्तर में सुधार आता है एवं उसकी पौष्टिकता बढ़ती है। 

पोषक तत्त्वों का संवर्धन निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है – 

(i) मिश्रण – यह पोषकों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न खाद्य समूहों से सस्ते और सामान्य रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों का मिश्रण करने की प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए दाल चावल मिलाकर खाना चावल (अनाज) हमें ऊर्जा देते हैं और दाल प्रोटीन देती हैं।

इसके निम्नलिखित फायदे हैं – आप ऐसे आहार का सेवन कर सकते हैं जिसमें अच्छे स्तर के पोषक तत्त्व हों। आप सस्ते व सरलता से उपलब्ध होने वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग कर सकते हैं। इससे भोजन के पोषक तत्त्वों को पर्याप्त रूप से बढ़ावा मिलेगा। आप पूरे परिवार को संतुलित आहार दे सकते हैं।

(ii) किण्वन – यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों में कूछ सूक्ष्म जीवाणु प्रवेशित कराए जाते हैं। वह खाद्य पदार्थ में पहले से विद्यमान पौष्टिक तत्त्वों को सरल और अधिक उत्तम रूप में परिवर्तित कर देते हैं और अन्य तत्त्वों का निर्माण भी करते हैं। कुछ किण्वित खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं- दही, डबलरोटी, ढोकला, इडली आदि। 

इनके निम्नलिखित लाभ हैं – सूक्ष्म जीवाणु जिनके कारण किण्वन होता है, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को छोटे-छोटे कणों में विभाजित करते हैं जोकि सरलता से पच जाते हैं। किण्वन के दौरान मटर, फलियों जैसे अनाज और खाद्य पदार्थ, कैल्शियम, फॉस्फोरस और लौह जैसे खनिजों का स्तर अधिक अच्छा होता है। उस रूप में वह शरीर द्वारा सरलता से अवशोषित कर लिए जाते हैं। किण्वित खाद्य पदार्थ स्पंजी और नरम हो जाते हैं तथा छोटे बड़े सभी इन्हें पसन्द करते हैं।

(iii) अंकुरण – यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दाल या अनाज को थोड़े-से पानी में भिगो कर रखने से उसमें छोटे-छोटे अंकुर निकल आते हैं। उदाहरण- गेहूँ, बाजरा, राजमां, मटर आदि को अंकुरित किया जा सकता है। 

 

इसके निम्नलिखित लाभ हैं – इससे खाद्य पदार्थों को पचाने की क्षमता बढ़ती है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन छोटे-छोटे कणों में टूट जाते हैं जिन्हें पचाना आसान होता है। अंकुरण से चने और दालें नरम हो जाती हैं। अतः उन्हें पकाने में कम समय लगता है और आप उन्हें सरलता से पचा सकते हैं। बिना अतिरिक्त लागत के खाद्य पदार्थ का पौष्टिक मूल्य बढ़ जाता है। खाद्य पदार्थों को अंकुरित करने से उनमें कुछ विटामिन और खनिज काफ़ी बढ़ जाते हैं। ‘विटामिन बी’ की मात्रा दुगुनी हो जाती है और विटामिन ‘सी’ लगभग सौ गुणा बढ़ जाता है। 

                                            अथवा

प्रोटीन के मुख्य कार्य क्या हैं? इसकी कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है। प्रोटीन हमारे शरीर में मसल्स, स्किन, एन्जाइम्स और हॉर्मोंस के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करता है। प्रोटीन खाने से बॉडी टिश्यू का निर्माण होता है। प्रोटीन से शरीर को उर्जा मिलती है। अगर शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाए तो आपको दिन भर थकान, शरीर और जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। 

प्रोटीन की कमी का शरीर पर प्रभाव –

(i) पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन न लेने से आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। 

(ii) बच्चों की लंबाई रूक जाती है। प्रोटीन मांसपेशियों के साथ-साथ हड्डियों और शरीर के विकास के लिए भी बेहद उपयोगी होता है। 

(iii) प्रोटीन की कमी की वजह से आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। प्रोटीन की कमी से रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना सामान्य बात है।

 

(iv) घाव को ठीक होने या नई कोशिकाओं को बनने, ऊतकों के विकास, त्वचा और रोगप्रतिरोधक क्षमता के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की अवश्यकता होती है।

 

Q18. आपकी माता जी की ऊनी शॉल धोने की विधि का विस्तार से वर्णन करें। 

ऊनी शॉल धोने की विधियां – 

(i) डिटरजेंट पाउडर यूज नहीं करें – ऊनी कपड़ों की धुलाई डिटरजेंट पाउडर से नहीं करें। डिटरजेंट में हार्ड केमिकल्स होते हैं जिससे ऊनी कपड़ों को नुकसान हो सकता है। इसकी बजाय लिक्विड डिटरजेंट का ही यूज करें। लिक्विड डिटरजेंट ऊनी कपड़ों के लिए सूटेबल होते हैं। 

(ii) बेबी सोप का भी यूज कर सकते हैं – सबसे बेस्ट तो यही है कि ऊनी कपड़ों की धुलाई में लिक्विड डिटरजेंट का ही यूज करें। लेकिन अगर लिक्विड डिटरजेंट नहीं है तो आप ऊनी कपड़ों की धुलाई में बेबी सोप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

(iii) ऊनी कपड़े हाथ से ही धोएं – वॉशिंग मशीन कपड़ों को ट्विस्ट करके धोती है जिससे ऊनी कपड़े डैमेज हो सकते हैं या उनका साइज चेंज हो सकता है। इसलिए ऊनी कपड़ों को खासकर स्वेटर्स को हाथ से या बहुत ही सॉफ्ट मुलायम ब्रश से ही साथ साफ करें। 

(iv) ठंडे पानी में ही धोएं – ऊनी कपड़ों को कभी भी गर्म पानी में ना धोएं। इससे उनके रोएं निकल सकते हैं। हमेशा ठंडे पानी का ही यूज करें। अगर बहुत ही जरूरी तो पानी को हल्का-सा गुनगुना कर सकते हैं। 

 

(v) अगर दाग लग जाएं – अगर ऊनी कपड़ों में दाग लग जाए तो एक टिश्यू पेपर लें। उसमें हल्का- सा साबुन लगाकर हल्के हाथों से पोंछ लीजिए। दाग हट जाएंगे। केवल दाग को हटाने के लिए कपड़े को पूरा धोना जरूरी नहीं है। 

                                               अथवा 

दाग धब्बे छुड़ाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

दाग-धब्बे छुड़ाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए – 

(i) दाग-धब्बा तुरन्त छुड़ाया जाना चाहिए। इसके लिए धोबी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि तब तक ये दाग-धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।

(ii) दाग-धब्बे छुड़ाने में रासायनिक पदार्थों का कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

(iii) घोल को वस्त्र पर उतनी देर तक ही रखना चाहिए जितनी देर तक धब्बा फीका न पड़ जाए, अधिक देर तक रखने से वस्त्र कमज़ोर पड़ जाते हैं।

(iv) चिकनाई को दूर करने से पूर्व उस स्थान के नीचे किसी सोखने वाले पदार्थ की मोटी तह रखनी चाहिए। धब्बे को दूर करते समय रगड़ने के लिए साफ़ और नरम पुराने रुमाल का प्रयोग किया जा सकता है।

(v) धब्बे उतारने का काम खुश्क हवा में करना चाहिए ताकि धब्बा उतारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले रसायनों की वाष्प के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

(vi) दाग किस प्रकार का है, जब तक इसका ज्ञान न हो तब तक गर्म जल का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्म जल में कई तरह के धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।

(vii) रंगीन वस्त्रों पर ये धब्बे छुड़ाते समय कपड़े के कोने को जल में डुबोकर देखना चाहिए कि रंग कच्चा है अथवा पक्का।

(viii) धब्बा छुड़ाने की विधियों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए क्योंकि विभिन्न वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग धब्बों को छुड़ाने हेतु किया जाता है।

(ix) ऊनी वस्त्रों पर से धब्बे छुड़ाते समय न तो गर्म जल का प्रयोग करना चाहिए और न ही क्लोरीन-युक्त रासायनिक पदार्थ का। 

 

(x) एल्कोहल, स्प्रिट, बैन्जीन, पेट्रोल आदि से दाग छुड़ाते समय आग से बचाव रखना चाहिए।

 

 

error: MsEducationTv.com