Class 8 Hindi Half Yearly Question Paper 2025 Answer Key (NCERT Based)
निर्देश :
• सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
• प्रश्न (1-10) प्रत्येक एक अंक का है।
• प्रश्न (11-12) प्रत्येक दो अंक का है।
• प्रश्न (13-14) प्रत्येक तीन अंक का है।
• प्रश्न (15-16) प्रत्येक पांच अंक का है।
1. ‘लाख की चूड़ियाँ’ पाठ के आधार पर बतायें कि जमींदार चूड़ियाँ कितने आने में दे रहा था?
(क) बारह
(ख) दस
(ग) तीन
(घ) नौ
उत्तर – (ख) दस
2. ‘बस की यात्रा’ पाठ हिंदी भाषा की कौन-सी विधा की श्रेणी में आता है?
(क) कहानी
(ख) निबंध
(ग) कविता
(घ) रिपोर्ट
उत्तर – (ख) निबंध
3. ‘दीवानों की हस्ती’ कविता में दीवानों के साथ किसका आलम चलता हैं?
(क) बस्ती
(ख) सस्ती
(ग) मस्ती
(घ) पसती
उत्तर – (ग) मस्ती
4. दिए गए विकल्पों में से ‘भगवान के डाकिए’ कविता के कवि का नाम चुने :
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
(ख) कबीर दास
(ग) रामधारी सिंह दिनकर
(घ) रामनरेश दिनकर
उत्तर – (ग) रामधारी सिंह दिनकर
5. बौद्ध धर्म के प्रवर्तक कौन थे?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) महात्मा बुद्ध
(ग) ज्योतिबा बाई फुले
(घ) परियार
उत्तर – (ख) महात्मा बुद्ध
6. योग हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक है। (सत्य / असत्य)
उत्तर – सत्य
7. असफलता शब्द में ‘अ’ क्या है? (उपसर्ग / प्रत्यय)
उत्तर – उपसर्ग
8. धर्म-अधर्म में ………….. समास है। (द्विगु / द्वंद्व)
उत्तर – द्वंद्व
9. बदलू का पैतृक पेशा चूड़ियाँ बनाना था। (सत्य / असत्य)
उत्तर – सत्य
10. हमें साधू-संतों की ………….. नहीं पूछनी चाहिए। (जाति / विद्या)
उत्तर – जाति
11. आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर – मेरे सपनों का भारत ऐसा होना चाहिए जहाँ सभी लोग शिक्षित, स्वस्थ और खुशहाल हों। यहाँ गरीबी, भेदभाव और भ्रष्टाचार न हो। हर नागरिक को समान अधिकार मिले और देश विज्ञान, कृषि व तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़े। स्वच्छ, सुंदर और मजबूत भारत ही मेरे सपनों का भारत है।
12. गजब हो गया! ऐसी बस अपने आप चलती है। है। ‘बस की यात्रा’ पाठ के लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर – जब लेखक बस में आकर बैठा तो बस की खस्ता हालत को देखकर विश्वास नहीं हुआ कि वह सफर तय कर सकेगी। अपनी शंका को दूर करने के लिए लेखक ने बस की कंपनी के हिस्सेदार से पूछा कि यह बस चलती भी है तो इस पर उन्होंने उत्तर दिया कि यह बस अपने आप चलती है। यह शब्द सुनकर लेखन हैरान हो गया।
13. निम्न पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट करें :
“पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से दुसरे महादेश को जाते है।
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लाई चिट्ठियां
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं
उत्तर – इन पंक्तियों का भावार्थ है कि पक्षी और बादल प्रकृति के संदेशवाहक हैं, जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रकृति के संदेश पहुँचाते हैं। हम मनुष्य भले ही उनकी भाषा न समझ पाएं, लेकिन पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उनके संदेशों को समझ लेते हैं। यह पंक्तियाँ मनुष्य और प्रकृति के गहरे संबंध को दर्शाती हैं।
14. “क्या निराश हुआ जाए” निबंध में लेखक क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर – “क्या निराश हुआ जाए” निबंध आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया है। इस निबंध में व्यक्ति के दुख और असफलताओं के प्रति दृष्टिकोण को समझाया गया है। लेखक का कहना है कि जीवन में बुराइयाँ और कठिनाइयाँ आती रहती हैं, परंतु हमें उनसे घबराना नहीं चाहिए। दुख और निराशा के समय धैर्य और साहस बनाए रखना चाहिए। मनुष्य को निराश होकर बैठने के बजाय मन को दृढ़ कर के नयी राह पर आगे बढ़ना चाहिए। यही इस निबंध का मुख्य संदेश है।
15. सिन्धु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो?
उत्तर – सिन्धु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं :
(i) सिंधु घाटी की सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता है।
(ii) यह सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी।
(iii) सिंधु घाटी के व्यापारी लोग धनी थे।
(iv) सिंधु घाटी सभ्यता फारस, मैसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से बेहतर थी।
(v) इस सभ्यता के नगर अत्यंत सुनियोजित थे।
अथवा
महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर – महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं :
(i) महात्मा बुद्ध ने अंधविश्वास और कर्मकांड का खंडन किया था।
(ii) उन्होंने अपने शिष्यों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा था।
(iii) उनका विश्वास कल्पना की अपेक्षा अनुभव और विवेक पर आधारित था।
(iv) उन्होंने जाति-व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया था।
(v) वे घृणा को प्रेम से, क्रोध को दवा से और शत्रुता को क्षमा से समाप्त करना चाहते थे।
(vi) उन्होंने मन के भीतर के सत्य को खोजने पर बल दिया।
(vii) उनकी शिक्षाओं में वेदना और दुख का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
(viii) उन्होंने साधना के लिए मध्य मार्ग अपनाया था।
16. ‘दृष्टि कर्त्तव्य पर फल पर नहीं’ इस उक्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – ‘दृष्टि कर्त्तव्य पर, फल पर नहीं’ का अर्थ है कि हमें अपने कर्त्तव्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए और उसके फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। उदाहरण के रूप में, यदि हम एक पेड़ लगाते हैं, तो हम उसे प्रतिदिन पानी देते हैं और उसकी देखभाल करते हैं, लेकिन फल की चिंता नहीं करते, फिर भी समय आने पर वह पेड़ फल देता है। इसी तरह महाभारत में अर्जुन युद्ध के समय परिणाम की चिंता कर निराश था, तब श्रीकृष्ण ने उसे सिखाया कि उसका कर्त्तव्य केवल धर्म और युद्ध करना है। उसने जब केवल अपने कर्म पर ध्यान दिया और फल भगवान पर छोड़ दिया, तब धर्म की विजय हुई। इसलिए इस उक्ति से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा कर्मयोग केवल अपने कर्त्तव्य में निष्ठा रखने में है, न कि उसके फल में।
अथवा
विनम्रता हमारा वास्तविक आभूषण है। कैसे? स्पष्ट करें ।
उत्तर – ‘विनम्रता हमारा वास्तविक आभूषण है’ क्योंकि यह हमारे अहंकार को दूर कर, हमारे अच्छे गुणों को बढ़ावा देती है और हमारे व्यक्तित्व को सुंदर बनाती है। विनम्र व्यक्ति दूसरों के साथ आसानी से जुड़ पाता है और सम्मान, शांति और खुशी प्राप्त करता है। जैसे सुंदर पोशाक हमें बाहरी रूप से सजाती है, वैसे ही विनम्रता हमें आंतरिक रूप से खूबसूरत बनाती है। अहंकार के बजाय विनम्रता अपनाने से हमारा चरित्र मजबूत और दूसरों के लिए आकर्षक बनता है।