Class 12 History Half Yearly Question Paper 2025 Answer Key (NCERT Based)

Class 12 History Half Yearly Question Paper 2025 Answer Key (NCERT Based)

Instructions :
• All questions are compulsory.
• Questions (1-10) carry 1 mark each.
• Questions (11-15) carry 3 marks each.
• Question (16) source based, carry 4 marks.
• Question (17) carry 6 marks.
• Question (18) map, carry 5 marks.

1. मोहनजोदड़ों किस नदी पर स्थित है?
(a) रावी नदी
(b) सिंधु नदी
(c) घग्गर नदी
(d) सरस्वती नदी
उत्तर – (b) सिंधु नदी

2. मौर्य वंश का संस्थापक कौन था?
(a) बिंदुसार
(b) अशोक
(c) चंद्रगुप्त मौर्य
(d) वृहदर्थ
उत्तर – (c) चंद्रगुप्त मौर्य

3. तालीकोटा का युद्ध कब हुआ था?
(a) 1565
(b) 1665
(c) 1765
(d) 1865
उत्तर – (a) 1565

4. एक पुरुष के कई पत्नियों रखने की प्रथा का अर्थ है :
(a) बहिर्विवाह
(b) अंतर्विवाह
(c) बहुविवाह
(d) बहुपतित्व
उत्तर – (c) बहुविवाह

5. हम्पी शहर किस नदी के तट पर स्थित है?
(a) तुंगभद्रा नदी
(b) महानदी
(c) गोदावरी
(d) कावेरी
उत्तर – (a) तुंगभद्रा नदी

6. अर्थशास्त्र के रचयिता …………… थे।
उत्तर – चाणक्य (कौटिल्य)

7. ………… सिखों के नौवें गुरु थे।
उत्तर – गुरु तेग बहादुर

8. हरियाणा में स्थित हड़प्पा सभ्यता के किसी एक पुरातात्विक स्थल का नाम बताओ।
उत्तर – राखीगढ़ी (हिसार)

9. बाणभट्ट ‌द्वारा लिखित पुस्तक का नाम बताओ।
उत्तर – हर्षचरित

10. कथन (A) : आठवीं शताब्दी में, कैलाशनाथ मंदिर को पहाड़ से काटकर बनाया गया था।
कारण (R) : राजा अशोक ने पहाड़ों को काटकर मंदिरों के समान कृत्रिम गुफाएँ बनाने का निर्देश दिया था।
(a) दोनों A और R सत्य है और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
(b) दोनों A और R सत्य है लेकिन R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(d) A असत्य है लेकिन R सत्य है।
उत्तर – (c) A सत्य है लेकिन R असत्य है।

11. हड़प्पा सभ्यता की माप प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – हड़प्पा सभ्यता की माप प्रणाली अत्यंत सटीक, मानकीकृत और वैज्ञानिक थी। खुदाई में चर्ट पत्थर से बने घनाकार बटखरे (बांट) प्राप्त हुए हैं, जो बड़े व छोटे दोनों आकारों में मिलते हैं। बड़े बटखरे भारी वस्तुओं को तौलने के लिए तथा छोटे बटखरे आभूषण और कीमती वस्तुओं जैसे सूक्ष्म सामान को मापने के लिए उपयोग किए जाते थे। ये भार द्विआधारी प्रणाली (1, 2, 4, 8, 16 आदि) पर आधारित थे, जो उनकी उन्नत गणितीय समझ को दर्शाता है। इसके अलावा, लंबाई नापने के लिए हाथीदाँत, शंख और धातु से बनी माप पट्टियाँ भी मिली हैं। यह संगठित माप प्रणाली व्यापार में पारदर्शिता, नगर नियोजन में समानता और सभ्यता की उच्च शहरी संस्कृति का प्रमाण है।

12. पुरालेखशास्त्रियों के सामने आने वाली किन्ही चार कठिनाइयों की व्याख्या करें।
उत्तर – (i) पुरालेखशास्त्रियों को प्राचीन लिपियों और भाषाओं को समझने में कठिनाई होती है क्योंकि कई लिपियाँ अब प्रचलन में नहीं हैं।
(ii) कई शिलालेख व दस्तावेज़ समय के साथ क्षतिग्रस्त, घिसे या अपूर्ण मिलते हैं, जिससे पढ़ना कठिन हो जाता है।
(iii) शब्दों, प्रतीकों और संक्षिप्त रूपों का सही अर्थ समझना चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि उनके अर्थ समय के साथ बदल सकते हैं।
(iv) अभिलेखों का ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ पहचानना आवश्यक होता है, अन्यथा गलत व्याख्या की संभावना रहती है।

13. धर्मशूत्रों में चांडालों के बारे में क्या बताया गया है तथा उनके कर्तव्यों के बारे में भी बताएं?
उत्तर – धर्मशूत्रों में चांडालों को समाज के सबसे निम्न वर्ग में रखा गया है और उन्हें अस्पृश्य माना गया है। उनके लिए अलग निवास स्थान निर्धारित था, जो गाँव या नगर के बाहर होता था। धर्मशूत्रों के अनुसार उन्हें सार्वजनिक कुओं, मंदिरों और सामान्य सामाजिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी, तथा साधारण वस्त्र व टूटे बर्तन उपयोग करने का निर्देश था। इस प्रकार उनके सामाजिक जीवन पर कड़ी सीमाएँ लागू की गई थीं।
उनके कर्तव्यों में मृत मनुष्यों और पशुओं का निपटान, शवों का दाह-संस्कार, अपराधियों को दंड स्थान तक ले जाना और नगर की सफाई व स्वच्छता से संबंधित कार्य शामिल थे। धर्मशूत्रों में वर्णित यह व्यवस्था उस समय के समाज में कठोर जातीय विभाजन और श्रम-आधारित जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

14. महायान और हीनयान में तीन अंतर बताएं।
उत्तर – (i) महायान के धार्मिक ग्रंथ संस्कृत में रचे गए, जबकि हीनयान के ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गए।
(ii) महायान में बुद्ध की मूर्ति-पूजा एवं बोधिसत्वों की भक्ति प्रचलित हुई, जबकि हीनयान में बुद्ध को आदर्श गुरु मानकर ध्यान एवं साधना पर बल दिया गया और मूर्ति-पूजा नहीं थी।
(iii) महायान बाद में विकसित, उदार एवं सार्वभौमिक कल्याण की भावना वाला सम्प्रदाय है, जबकि हीनयान बौद्ध धर्म का प्राचीन, मूल और अनुशासित रूप है, जिसमें व्यक्तिगत मोक्ष को प्रमुखता दी गई।

15. ‘किताब-उल-हिन्द’ पुस्तक पर नोट लिखें।
उत्तर – ‘किताब-उल-हिंद’ 11वीं शताब्दी (1031 ईo) में विद्वान अल-बिरूनी द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। भारत को समझने के लिए उसने संस्कृत सीखी और भारतीय ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। इस पुस्तक के लगभग 80 अध्याय हैं, जिनमें भारत की धर्म-दर्शन, समाज-व्यवस्था, जाति-प्रणाली, शिक्षा, विज्ञान, गणित, चिकित्सा, ज्योतिष, भूगोल और सांस्कृतिक जीवन का विस्तृत तथा तुलनात्मक वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ मध्यकालीन भारत की सभ्यता और संस्कृति को समझने का एक प्रामाणिक और विश्वसनीय स्रोत माना जाता है।

16. SOURCE BASED : विजयनगर के सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्णदेव राय (शासनकाल 1509-29) ने लिखा था तेलुगु में राज्यकला पर एक कार्य जिसे अमुक्तमालपाद कहा जाता है। व्यापारियों के संबंध में वह लिखाः राजा को अपने बंदरगाहों को सुधारना चाहिए और वाणिज्य को इस तरह से बढ़ावा देना चाहिए कि घोड़े, हाथी, रत्न, चंदन, मोती और अन्य सामान स्वतंत्र रूप से मिल सकें। उसे उन विदेशी नाविकों के परिवहन की व्यवस्था करनी चाहिए जो तूफान से दूर चले गए हैं, जिन्हें बीमारी या थकान के कारण अपने देश लौटना पड़ता है, उनकी अच्छी तरह से देखभाल की जा सकती है। दूर से व्यापारी जो देश हाथियों और अच्छे घोड़ों का आयात करते हैं, उन्हें दैनिक बैठक में बुलाया जाता है, उपहार दिए जाते हैं और उचित लाभ सुनिश्चित किया जाता है। आपको स्वीकृति देनी चाहिए और सहयोगी बनना चाहिए अपने साथ ऐसा करने से ये चीजें आपके दुश्मनों तक कभी नहीं पहुंच पाएंगी।
प्रश्न :
(i) विजयनगर का प्रसिद्ध शासक कौन था?
उत्तर – कृष्णदेव राय

(ii) अमुक्तमाल्यद पुस्तक के लेखक कौन थे?
उत्तर – कृष्णदेव राय

(iii) कृष्णदेव राय ने अपनी पुस्तक में व्यापारियों के बारे में क्या लिखा?
उत्तर – कृष्णदेव राय ने लिखा कि राजा को अपने बंदरगाह सुधारने चाहिए और व्यापार को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि घोड़े, हाथी, रत्न, मोती, चंदन आदि वस्तुएँ आसानी से प्राप्त हों, विदेशी नाविकों की सहायता करनी चाहिए, दूर-दराज से आने वाले व्यापारियों को सम्मान, उपहार और उचित लाभ देना चाहिए जिससे वे सहयोगी बने रहें और मूल्यवान वस्तुएँ शत्रुओं तक न पहुँचें।

17. मध्ययुगीन काल के दौरान अलवार और नयनार परंपराओं ने धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को कैसे आकार दिया? व्याख्या करें।
उत्तर – मध्ययुगीन काल में अलवार और नयनार परंपराओं ने धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया।
• धार्मिक जीवन पर प्रभाव – अलवार भगवान विष्णु के भक्त थे जिन्होंने तमिल भाषा में भक्ति गीत रचे और विष्णु के प्रति व्यक्तिगत भक्ति को प्रोत्साहित किया। नयनार भगवान शिव के भक्त थे जिन्होंने शैव भक्ति गीतों के माध्यम से भक्ति का प्रचार किया। दोनों समूहों ने जाति व्यवस्था और ब्राह्मण वर्चस्व को चुनौती दी और भक्ति को समाज के सभी वर्गों के लिए समान अधिकार वाला सहज मोक्ष का मार्ग बनाया। उनकी भक्ति साहित्यिक रचनाओं ने स्थानीय भाषाओं और साहित्य के विकास में योगदान दिया और भक्ति को आम जनता तक पहुँचाया।
• सांस्कृतिक जीवन पर प्रभाव – इन संतों का प्रभाव मंदिर संस्कृति, तीर्थस्थलों और समाज के अन्य पहलुओं में दिखाई देता है। उनके चुने हुए स्थलों पर मंदिरों का निर्माण हुआ और उनके भजनों ने मंदिर अनुष्ठानों को समृद्ध किया। महिला संतों जैसे अंडाल ने महिलाओं की धार्मिक भागीदारी बढ़ाई। इन परंपराओं ने क्षेत्रीय भाषाओं और साहित्य को मजबूती दी और समाज में समानता, प्रेम और भक्ति के मूल्यों को स्थापित किया। कुल मिलाकर, अलवार और नयनार भक्ति आंदोलन के अग्रदूत थे जिन्होंने दक्षिण भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को नया स्वरूप दिया।

18. भारत के दिए गए राजनीतिक रूपरेखा मानचित्र पर निम्नलिखित स्थानों को उनके नाम सहित चिह्नित करें।
(i) हड़प्पा स्थल जहां से जुताई के खेत के साक्ष्य मिले हैं (कालीबंगा, राजस्थान)
(ii) टोपरा स्तंभ लेख (टोपरा, हरियाणा)
(iii) वह स्थान जहाँ महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था (लुम्बिनी, नेपाल)
(iv) जगन्नाथपुरी मंदिर (पुरी, ओडिशा)
(v) लोथल (गुजरात)
उत्तर –